गुणन चिह्न
नक्षत्र चिह्न से एकदम विपरीत गुणन चिह्न होता है। यह कभी भी अनुकूल चिह्न के रूप में नहीं पाया जाता तथा व्यक्ति के जीवन में निराशा, संकट और कभी-कभी तो परिस्थितियों में भी परिवर्तन का सूचक होता है।
1. लेकिन एक स्थिति ऐसी भी है, जिसमें इसका होना अनुकूल माना जा सकता है और वह है इसका गुरु पर्वत क्षेत्र पर होना। इस स्थिति में इसका अर्थ होता है कि व्यक्ति अपने जीवन में एक घनिष्ठ प्रेम सम्बन्ध स्थापित करेगा।
जब भाग्य रेखा चन्द्र पर्वत क्षेत्र से आरम्भ होती हो उस समय इस गुणन चिह्न का एक विशेष प्रभाव यह होता है कि यह उस समय की ओर संकेत करता है जब इस प्रकार के प्रेम सम्बन्ध का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ेगा अथवा उसे प्रभावित करेगा।
जब ऐसा चिह्न जीवन रेखा के आरम्भ के निकट एवं हाथ के लगभग कोने में होता है तो व्यक्ति को जीवन के आरम्भिक दिनों में ही इस प्रकार के प्रेम-सम्बन्धों का अनुभव होता है। लेकिन जब गुणन चिह्न पर्वत के शिखर पर हो तो ऐसा जीवन के मध्य काल में और जब चिह्न पर्वत के मूल स्थान पर होता है तो जीवन के अन्तिम भाग में ऐसा सम्भव होता है।
2. यदि गुणन चिह्न शनि पर्वत पर भाग्य रेखा को स्पर्श कर रहा हो तो व्यक्ति की मृत्यु किसी खतरनाक ढंग से दुर्घटना में होती है। लेकिन जब गुणन चिह्न पर्वत के केन्द्र में अकेला हो तो व्यक्ति भाग्यवादी, निरुत्साही एवं निराश हो जाता है।
3. सूर्य पर्वत क्षेत्र पर इस प्रकार के चिह्न का होना व्यक्ति की प्रसिद्धि तथा कला एवं धन की तलाश में असफलता का द्योतक होता है।
4. बुध पर्वत क्षेत्र पर गुणन चिह्न का होना व्यक्ति के बेईमान होने तथा उसके दोहरे चरित्र का संकेत देता है।
5. बुध पर्वत क्षेत्र के नीचे मंगल पर्वत क्षेत्र पर ऐसा चिह्न शत्रुओं द्वारा खतरनाक विरोध का संकेत देता है, पर गुरु पर्वत के नीचे मंगल पर्वत क्षेत्र पर होने से व्यक्ति में शक्ति, हिंसा तथा लड़ाई-झगड़े में व्यक्ति की मृत्यु का संकेत देता है।
6. यदि गुणन चिह्न मस्तिष्क रेखा के नीचे चन्द्र पर्वत क्षेत्र पर हो तो व्यक्ति की कल्पनाशीलता पर घातक प्रभाव का सूचक होता है। ऐसा व्यक्ति स्वयं अपने आपको भी धोखा देने वाला होता है।
7. यदि इस प्रकार का गहरा गुणन चिह्न शुक्र पर्वत क्षेत्र पर अंकित हो तो प्रेम के क्षेत्र में व्यक्ति पर मारक प्रभाव का सूचक होता है।
8. लेकिन यदि यह चिह्न छोटा हो तथा जीवन रेखा के पास में हो तो व्यक्ति के निकट सम्बन्धियों से विरोध का सूचक होता है, जिसके कारण उसे कष्ट उठाने पड़ते हैं।
9. भाग्य रेखा के किनारे पर मंगल पर्वत क्षेत्र के मध्य तथा जीवन रेखा और भाग्य रेखा के बीच गुणन चिह्न व्यक्ति के व्यावसायिक क्षेत्र में उसके सम्बन्धियों द्वारा किये जा रहे विरोध का द्योतक होता है।
10. लेकिन यदि गुणन चिह्न भाग्य रेखा के निकट चन्द्र पर्वत क्षेत्र की ओर हो तो व्यक्ति को यात्रा से निराशा अथवा हानि उठानी पड़ती है।
11. यदि गुणन चिह्न मस्तिष्क रेखा से ऊपर उसका स्पर्श करता हुआ हो तो व्यक्ति के सिर में किसी दुर्घटना के कारण चोट आती है।
12. यदि गुणन चिह्न सूर्य रेखा की बगल में हो तो व्यक्ति को उच्च पद पाने के प्रयत्न में निराश होना पड़ता है।
13. यदि गुणन चिह्न हृदय रेखा के ऊपर हो तो व्यक्ति के प्रेमपात्र की मृत्यु का सूचक होता है।
वर्ग चिह्न
हाथ पर दिखाई पड़ने वाले कम महत्त्वपूर्ण चिह्नों में वर्ग चिह्न सर्वाधिक दिलचस्प माना जाता है। प्रायः इसे संरक्षण या बचाव का चिह्न भी कहा जाता है, क्योंकि व्यक्ति पर जब भी कोई खतरा आता है तो वर्ग चिह्न उसे सुरक्षा प्रदान करता है।
1. जब भाग्य रेखा के मध्य में सुविकसित वर्ग चिह्न हो तो यह व्यक्ति के भौतिक जीवन में आने वाले किसी गम्भीर खतरे का सूचक होता है, जिसका सम्बन्ध किसी आर्थिक दुर्घटना या हानि से भी हो सकता है। लेकिन यदि भाग्य रेखा वर्ग को पार करती हुई सीधी बढ़ती दिखाई दे तो व्यक्ति सब खतरों से बच जाता है।
2. यदि भाग्य रेखा वर्ग के भीतर टूटी हुई दिखाई दे तो भी किसी गम्भीर हानि की आशंका नहीं होती तथा उससे सुरक्षा हो जाती है।
3. यदि वर्ग चिह्न भाग्य रेखा को केवल बाहर से छू रहा हो तथा सीधा शनि पर्वत क्षेत्र के नीचे हो तो यह दुर्घटना से व्यक्ति की सुरक्षा का सूचक है।
4. यदि मस्तिष्क रेखा किसी स्पष्ट बने वर्ग से गुजरती दिखाई दे तो यह किसी कार्य के बोझ या चिन्ता के कारण व्यक्ति के मस्तिष्क पर पड़ रहे दबाव से उसकी रक्षा का द्योतक होता है।
5. यदि हृदय रेखा किसी वर्ग से गुजरती हो तो व्यक्ति के प्रेम-सम्बन्धों के कारण किसी मुसीबत की सूचक होती है। लेकिन यदि यह चिह्न शनि पर्वत क्षेत्र के नीचे हो तो व्यक्ति के प्रेमपात्र पर मुसीबत आती है, वह किसी दुर्घटना का शिकार होता है या उसकी मृत्यु हो जाती है (देखिए रेखाकृति 2 J)।
6. यदि शनि पर्वत क्षेत्र के नीचे मस्तिष्क रेखा पर वर्ग चिह्न हो तो यह व्यक्ति की होने वाली दुर्घटना से संरक्षण का द्योतक होता है।
7. यदि जीवन रेखा किसी वर्ग चिह्न से गुज़रती हो तो भले ही वह उस स्थान पर टूटी हुई क्यों न हो, व्यक्ति के जीवन की रक्षा हो जाती है।
8. यदि जीवन रेखा के भीतर शुक्र पर्वत क्षेत्र पर कोई वर्ग चिह्न हो तो यह कामुक प्रवृत्ति के कारण आने वाली किसी मुसीबत से व्यक्ति की रक्षा का द्योतक होता है। (देखिए रेखाकृति 2 i) । लेकिन यदि वर्ग चिह्न शुक्र पर्वत क्षेत्र के मध्य में हो तो व्यक्ति अपनी कामुक प्रवृत्ति के कारण नाना प्रकार के संकटों में घिरता तो अवश्य है, परन्तु उसकी रक्षा हो जाती है।
9. यदि जीवन रेखा से बाहर मंगल पर्वत क्षेत्र में वर्ग चिह्न हो तो व्यक्ति को कारावास भुगतना पड़ता है या समाज से अलग होकर एकान्तवास करना पड़ता है।
10. यदि वर्ग चिह्न किसी पर्वत क्षेत्र पर अंकित हो तो उस क्षेत्र के गुणों के कारण व्यक्ति को हानि से बचाता है।
11. बृहस्पति पर्वत क्षेत्र पर वर्ग चिह्न व्यक्ति की महत्त्वाकांक्षाओं से रक्षा करता शनि पर्वत क्षेत्र पर वर्ग चिह्न जीवन पर आने वाले खतरों से व्यक्ति को बचाता है।
12. सूर्य पर्वत क्षेत्र पर वर्ग चिह्न प्रसिद्धि की इच्छा से व्यक्ति की रक्षा करता है।
13. बुध पर्वत क्षेत्र पर वर्ग चिह्न उद्विग्नता एवं चंचल वृत्ति से व्यक्ति की रक्षा करता है।
14. मंगल पर्वत क्षेत्र पर वर्ग चिह्न शत्रुओं से होने वाले खतरों से व्यक्ति को बचाता है।
15. चन्द्र पर्वत क्षेत्र पर वर्ग चिह्न अत्यधिक कल्पनाशीलता से होने वाली हानि से व्यक्ति को बचाता है या किसी अन्य रेखा के दुष्प्रभाव से जैसे यात्रा रेखा आदि से व्यक्ति की रक्षा करता है।
द्वीप, वृत्त और बिन्दु
द्वीप कोई सौभाग्यशाली चिह्न नहीं है और जिस रेखा या हाथ के जिस भाग पर यह हो उसी से इसका सम्बन्ध होता है। द्वीप चिह्न प्राय वंशानुगत दोषों को ही प्रदर्शित करता है। उदाहरण के लिये यदि हृदय रेखा पर विकसित द्वीप चिहन हो तो यह हृदय की दुर्बलता का द्योतक होता है। यदि कोई रेखा या तो द्वीप में मिल रही हो या उस रेखा से कोई द्वीप बन रहा हो तो ऐसा हाथ के जिस भाग में होता है उस सम्बन्ध में एक अशुभ लक्षण माना जाता है।
1. यदि द्वीप चिह्न मस्तिष्क रेखा के केन्द्र में स्पष्ट होकर दिखाई पड़े तो यह पैतृक मानसिक दुर्बलता का सूचक है।
2. जीवन रेखा पर द्वीप की उपस्थिति किसी बीमारी अथवा दुर्बलता की द्योतक होती है।
3. भाग्य रेखा पर इसकी उपस्थिति सांसारिक मामलों में भारी हानि की द्योतक है।
4. यदि सूर्य रेखा पर द्वीप का चिह्न हो तो यह व्यक्ति की प्रतिष्ठा एवं पदहानि का सूचक होता है (देखिए रेखाकृति 2 h)
5. यदि द्वीप चिह्न स्वास्थ्य रेखा पर हो तो किसी गम्भीर बीमारी की सूचना देता है।
6. यदि शुक्र पर्वत क्षेत्र में कोई सहायक रेखा किसी द्वीप में मिल रही हो तो यह काम-सम्बन्धों के कारण व्यक्ति की मुसीबत का लक्षण है (देखिए रेखाकृति 3 P)
7. यदि द्वीप बनाती हुई कोई रेखा शुक्र पर्वत क्षेत्र से आरम्भ होकर हाथ को पार करती हुई विवाह रेखा से जा मिले तो यह इस बात की सूचक होती है कि जीवन के उस भाग में व्यक्ति पर कोई दुष्प्रभाव पड़ेगा, जिसके कारण उसे अपने वैवाहिक जीवन में बदनामी झेलनी होगी (देखिए रेखाकृति 3 r ) ।
- यदि इस प्रकार की कोई रेखा हृदय रेखा तक जा पहुंचे तो यह इस बात की द्योतक होती है कि किसी दुष्प्रभाव के कारण व्यक्ति को अपने प्रेम सम्बन्धों में अपमानित होना पड़ेगा। यदि इस प्रकार की कोई रेखा मस्तिष्क रेखा की ओर जाती हो तो व्यक्ति किसी दुष्प्रभाव के कारण अपनी योग्यता का उपयोग किन्हीं ऐसे कामों के लिए करेगा जो उसके लिए अपमानजनक सिद्ध हों।
- लेकिन यदि ऐसी रेखा भाग्य रेखा से जा मिले तथा उसके लिये एक बाधा बन जाए तो जीवन की उस अवस्था में जब यह रेखा भाग्य रेखा से मिलकर उसे रोकती दिखाई दे, व्यक्ति की सफलता में बाधाओं की उपस्थिति की सूचक होती है।
8. किसी भी पर्वत क्षेत्र पर द्वीप का चिह्न उसके गुणों को हानि पहुंचाता है।
- गुरु पर्वत क्षेत्र पर यह व्यक्ति की आकांक्षाओं एवं उसके आत्माभिमान को दुर्बल करता है।
- शनि पर्वत क्षेत्र पर व्यक्ति के लिये दुर्भाग्यसूचक होता है।
- सूर्य पर्वत क्षेत्र पर व्यक्ति की कला प्रतिभा को क्षति पहुंचाता है।
- बुध पर्वत क्षेत्र पर व्यक्ति को इतना अधिक परिवर्तनशील बना देता है कि वह अस्थिर होकर असफल हो जाता है। विशेषतः विज्ञान अथवा व्यवसाय से जुड़े किसी क्षेत्र में उसे भारी असफलता का सामना करना पड़ता है।
- मंगल पर्वत क्षेत्र पर द्वीप का चिह्न व्यक्ति को निरुत्साही एवं कायर बनाता है ।
- चन्द्र पर्वत क्षेत्र पर व्यक्ति की कल्पनाशक्ति को क्षीण करता है।
- शुक्र पर्वत क्षेत्र पर व्यक्ति को कामुकता की ओर धकेलता है।
वृत्त
सूर्य क्षेत्र पर वृत्त का होना शुभ माना जाता है। केवल यही एक ऐसी स्थिति है जब वृत्त को शुभ माना जाता है। अन्य किसी भी क्षेत्र पर यह व्यक्ति की असफलता का ही सूचक होता है।
चन्द्र पर्वत क्षेत्र वृत्त चिह्न व्यक्ति के जल में डूब कर मरने का द्योतक होता है। यदि वृत्त किसी महत्त्वपूर्ण रेखा को छू रहा हो तो यह इस बात का द्योतक है कि व्यक्ति जीवन के उस भाग में दुर्भाग्यचक्र में फंस कर बाहर निकलने में असमर्थ हो जाएगा।
बिन्दु
बिन्दु चिह्न सामान्यतः अस्थायी बीमारी का सूचक होता है।
- मस्तिष्क रेखा पर चमकीला लाल बिन्दु किसी आघात अथवा सिर पर चोट आने का सूचक होता है।
- काला या नीला बिन्दु स्नायुतन्त्र के रोगी होने का सूचक होता है।
- स्वास्थ्य रेखा पर चमकीला लाल बिन्दु ज्वर का सूचक होता है।
- जीवन रेखा पर बिन्दु की उपस्थिति ज्वर प्रकृति की बीमारी की द्योतक होती है।
जाल
जाल चिह्न प्रायः पर्वत क्षेत्रों पर पाया जाता है तथा पूर्वतों द्वारा प्रदत्त सफलताओं में बाधक सिद्ध होता है (देखिए रेखाचित्र 15 ) यह इस बात का सूचक होता है कि बाधाएं व्यक्ति की अपनी प्रवृत्तियों के कारण हाथ के उस भाग के अनुसार आती हैं जिस पर जाल बना होता है।
- गुरु पर्वत क्षेत्र पर जाल चिह्न गर्व, घमण्ड तथा दूसरों पर अधिकार जमाने की प्रवृत्ति का द्योतक होता है।
- शनि पर्वत क्षेत्र पर जाल चिह्न दुर्भाग्य, उदासीनता और निराशा का सूचक होता है।
- सूर्य पर्वत क्षेत्र पर जाल चिह्न व्यक्ति के घमण्ड, मूर्खता एवं ख्याति प्राप्त करने की प्रवृत्ति का सूचक होता है।
- बुध पर्वत क्षेत्र पर जाल चिह्न व्यक्ति के अस्थिर स्वभाव का तथा सिद्धान्तविहीनता का सूचक होता है।
- चन्द्र पर्वत क्षेत्र पर जाल चिह्न व्यक्ति की बेचैनी, असन्तोष एवं अशान्ति का सूचक होता है।
- शुक्र पर्वत क्षेत्र पर जाल चिह्न व्यक्ति के काम-संवेगों में उतावलेपन के आभास का सूचक होता है।
त्रिकोण
त्रिकोण चिह्न (देखिए रेखाकृति 1) हाथ पर पाया जाने वाला एक विचित्र चिह्न है जो कि प्रायः स्पष्ट अंकित हुआ दीखता है। रेखाओं के एक-दूसरे को काटने से जो त्रिकोण बनते हैं, उनका कोई प्रभाव नहीं होता।
- यदि बृहस्पति पर्वत क्षेत्र पर त्रिकोण का चिह्न स्पष्ट रूप से अंकित हो तो व्यक्ति में लोगों को संगठित करने की क्षमता का द्योतक होता है। ऐसे व्यक्ति सफल प्रबन्धक एवं नेता होते हैं।
- शनि पर्वत क्षेत्र पर इसका अर्थ रहस्यवादी कार्यों के प्रति व्यक्ति की रुचि एवं उसकी प्रतिभा का द्योतक होता है। ऐसे व्यक्ति गुह्य ज्ञान की तह तक जाने वाले होते हैं।
- यदि सूर्य पर्वत क्षेत्र पर त्रिकोण का चिह्न हो तो व्यक्ति कला का व्यावहारिक एवं व्यापारिक प्रयोग करके लाभ उठाता है। सफलता पाकर भी ऐसे व्यक्ति अभिमान से सिर ऊंचा नहीं उठाते।
- बुध पर्वत क्षेत्र पर त्रिकोण का चिह्न व्यक्ति की अस्थिर वृत्तियों को अंकुश लगाता है तथा उसके व्यापारिक एवं आर्थिक मामलों में सफलता प्राप्त करने का द्योतक है।
- मंगल पर्वत क्षेत्र पर इसकी उपस्थिति व्यक्ति को संकट के समय मुसीबतों का सामना करने की क्षमता तथा प्रत्युत्पन्नमति प्रदान करती है।
- चन्द्र पर्वत क्षेत्र होने से व्यक्ति को कल्पनाजन्य विचारों का वैज्ञानिक ढंग से उपयोग करने में सहायता प्रदान करता है।
- शुक्र पर्वत क्षेत्र पर व्यक्ति की कामुकता एवं अपने ऊपर नियन्त्रण का सूचक होता है।
त्रिशूल
त्रिशूल जिस पर्वत पर भी हो, उसकी अद्भुत सफलता का द्योतक होता है।
रहस्यपूर्ण गुणनचिन
यह एक ऐसा महत्त्वपूर्ण चिह्न है जो प्रायः हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के मध्य के चतुष्कोण में ही पाया जाता है रेखाकृति (4 r)। यह चिह्न स्वतन्त्र रूप से भी बना हो सकता है अथवा भाग्य रेखा या मस्तिष्क रेखा से हृदय रेखा की ओर आने वाली किसी रेखा द्वारा कटने से भी बन सकता है।
व्यक्ति के हाथ में ऐसा चिह्न गुह्य विद्याओं के प्रति उसकी रुचि, रहस्यवाद एवं अन्धविश्वास का द्योतक होता है। यह तीनों गुण एक-दूसरे से भिन्न हैं और प्रायः एक-दूसरे का भ्रम पैदा करते हैं। इसलिये रहस्यपूर्ण गुणनचिह्न की स्थिति हाथ पर किस जगह है, यह जानना महत्त्वपूर्ण है।
- यदि इस प्रकार का गुणन चिह्न हाथ पर गुरु पर्वत क्षेत्र की ओर हो तो व्यक्ति रहस्यवाद में विश्वास करता है। वह अपना भविष्य जानना चाहता है तथा यह भी जानना चाहता है उसकी महत्त्वाकांक्षाएं कब और कैसे पूरी होंगी।
- यदि इस प्रकार का चिह्न मुस्तिष्क रेखा की अपेक्षा हृदय रेखा के समीप हो तो व्यक्ति की प्रकृति अन्धविश्वासी होती है। लेकिन यदि यह चिह्न मस्तिष्क रेखा के केन्द्र पर हो और वह रेखा तेजी से नीचे को टेढ़ी हो रही हो तो इस प्रकार की प्रवृत्ति और भी अधिक बढ़ जाती है। यहां मस्तिष्क रेखा की लम्बाई का इस चिह्न के साथ बहुत गहरा सम्बन्ध होता है। छोटी मस्तिष्क रेखा के साथ इस प्रकार के चिह्न का होना व्यक्ति को लम्बी रेखा की अपेक्षा हजार गुना अधिक अन्धविश्वासी बना देता है। लम्बी रेखा व्यक्ति को गुह्यवाद की ओर तब ले जाती है जबकि इस प्रकार का चिह्न मस्तिष्क रेखा पर स्वतन्त्र रूप से अंकित हो ।
- जब इस प्रकार का चिह्न भाग्य रेखा को छूता हो या उसके द्वारा बनता हो तो रहस्यवाद व्यक्ति के पूरे जीवन को प्रभावित करता है।
बृहस्पति मुद्रिका
बृहस्पति मुद्रिका एक ऐसा चिह्न है जो व्यक्ति के गुह्य विद्याओं के प्रति आकर्षण की सूचक है। रहस्यपूर्ण गुणनचिह्न व्यक्ति का रहस्य के प्रति आकर्षण प्रदर्शित करता है, जबकि बृहस्पति मुद्रिका उसके इस प्रकार की विद्याओं में अधिकारी विद्वान् अथवा पारंगत होने का चिह्न है।
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