नक्षत्र चिह्न
हाथ पर नक्षत्र की स्थिति, चाहे वह कहीं भी हो, अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। मैं नहीं मानता कि यह चिह्न सदा ही किसी ऐसे संकट के सूचक होते हैं जिससे बच निकलने का कोई उपाय न हो। वास्तव में एक-आध स्थान को छोड़कर यह चिह्न सौभाग्य का ही सूचक होता है, परन्तु उसकी शुभता और अशुभता इस बात पर निर्भर करती है कि यह हाथ के किस भाग या किस रेखा से सम्बन्धित है।
बृहस्पति पर्वत पर नक्षत्र
जब नक्षत्र चिह्न बृहस्पति पर्वत क्षेत्र पर हो तो इसके दो अर्थ होते हैं। जब यह पर्वत के शिखर पर अथवा हथेली पर सामने की ओर होता है तो व्यक्ति की प्रतिष्ठा, अधिकार एवं उच्च पद का सूचक होता है। व्यक्ति की प्रायः सभी आकांक्षाएं पूर्ण करता है और उसे अपनी योजनाओं में भी सफलता प्राप्त होती है। (देखिए रेखाकृति 1 m ) |
यदि इस नक्षत्र चिह्न के साथ मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा और सूर्य रेखा भी सबल हों तो व्यक्ति इतनी अधिक उन्नति और सफलता प्राप्त कर जाता है कि उसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती। ऐसा चिह्न प्रायः उन महत्त्वाकांक्षी स्त्री-पुरुषों के हाथों में पाया जाता है जो शक्ति और अधिकार पाने के इच्छुक होते हैं।
बृहस्पति पर्वत क्षेत्र पर नक्षत्र चिह्न का दूसरा स्थान या तो तर्जनी के मूल में होता है या फिर हाथ के किनारे पर या उससे भी थोड़ा आगे । इस स्थिति में यह व्यक्ति की उच्च महत्त्वाकांक्षाओं का सूचक होता है। लेकिन यहां अन्तर यह है कि ऐसा व्यक्ति महत्त्वाकांक्षी होता है तथा अनेक विशिष्ट व्यक्तियों के सम्पर्क में भी आता है। लेकिन यदि शेष हाथ अपेक्षाकृत अधिक उत्तम न हो तो यह चिह्न व्यक्ति को महत्ता एवं सत्ता के प्रति आश्वस्त नहीं कर सकता ।
शनि पर्वत पर नक्षत्र
यदि नक्षत्र चिह्न शनि पर्वत क्षेत्र के मध्य में हो तो यह किसी भयंकर दुर्घटना का सूचक होता है (देखिए रेखाकृति 1 n ) । यद्यपि यह भी एक विशिष्टता है, तथापि ऐसी विशिष्टता अत्यन्त भयावह होती है। प्राचीन हस्तरेखाविदों ने इस प्रकार के चिह्न को हत्या का चिह्न माना है, लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं। मेरे मतानुसार तो ऐसा व्यक्ति भयंकर रूप से भाग्य के हाथों का खिलौना होता है और उसका सारा कार्य, जीवन एवं भविष्य किसी अति नाटकीय एवं भयंकर समापन पर पहुंचता है। भले ही वह एक प्रतिभाशाली राजा ही क्यों न हो, एक दुखान्त नाटक की तरह अन्तिम चरणों में उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है।
शनि पर्वत क्षेत्र पर नक्षत्र चिह्न की दूसरी स्थिति शनि पर्वत से थोड़ा हटकर होती है या तो शनि पर्वत क्षेत्र के किनारे पर या उंगलियों में काटती हुई सी ।
बृहस्पति पर्वत क्षेत्र पर नक्षत्र की तरह इसका अर्थ भी यही है कि व्यक्ति ऐसे लोगों के सम्पर्क में आएगा जो इतिहास निर्माता होते हैं, परन्तु यहां भी वह विशिष्टता भयावह नियति के अधीन ही होगी।
सूर्य पर्वत पर नक्षत्र चिह्न
सूर्य पर्वत पर नक्षत्र चिह्न व्यक्ति को धन-दौलत एवं पद आदि की प्राप्ति तो कराता है, परन्तु व्यक्ति सुख और शान्ति से वंचित हो जाता है (देखिए रेखाकृति 1 p)। धन या प्रतिष्ठा उसे इतनी देर से प्राप्त होते हैं कि उसका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है तथा मानसिक सन्तोष समाप्त हो जाता है। यह निश्चित है कि ऐसा नक्षत्र चिह्न व्यक्ति को समृद्धि देता है, किन्तु सुख और तृप्ति नहीं देता।
यदि यह चिह्न सूर्य पर्वत के किनारे पर हो तो इस बात का द्योतक होता है कि व्यक्ति धनी एवं प्रतिभाशाली लोगों के सम्पर्क में तो आएगा, परन्तु स्वयं समृद्ध नहीं हो सकेगा।
यदि नक्षत्र चिह्न सूर्य रेखा से जुड़ा हुआ हो या उस पर ही बना हुआ हो तो व्यक्ति को अपनी योग्यता एवं कला के द्वारा प्रसिद्धि प्राप्त होती है। ऐसा नक्षत्र चिह्न हाथ में अधिक ऊंचे नहीं होना चाहिए। रेखा के बीचोंबीच कुछ ऊपर इसकी स्थिति श्रेष्ठ मानी गई है। (देखिए प्लेट नं.- 10 )
बुध पर्वत पर नक्षत्र चिह्न
यदि नक्षत्र चिह्न बुध पर्वत के केन्द्र में हो तो यह इस बात का द्योतक होता है कि व्यक्ति विज्ञान अथवा व्यापार के क्षेत्र में प्रतिभाशाली है तथा अपूर्व सफलता प्राप्त करता है (देखिए रेखाकृति 1 Q) । ऐसा व्यक्ति ओजस्वी वक्ता भी होता है, लेकिन यदि नक्षत्र चिह्न पर्वत के किनारे पर हो तो व्यक्ति उपरोक्त क्षेत्रों में विशिष्ट व्यक्तियों के केवल सम्पर्क में आता है।
मंगल पर्वत पर नक्षत्र चिह्न
यदि नक्षत्र चिह्न बुध पर्वत के नीचे मंगल पर्वत पर हो तो व्यक्ति धैर्य, सन्तोष एवं सहनशीलता के साथ परिश्रम करते हुए उच्च स्थान एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। लेकिन यदि बृहस्पति पर्वत क्षेत्र नीचे वाले मंगल पर्वत पर नक्षत्र चिह्न हो तो ऐसा व्यक्ति वैवाहिक जीवन द्वारा अतिविशिष्ट एवं उच्च स्थिति की प्राप्ति करता है अथवा वह किसी युद्ध या झगड़े में उलझा रहता है।
चन्द्र पर्वत क्षेत्र पर नक्षत्र चिहन
यदि नक्षत्र चिह्न चन्द्र पर्वत क्षेत्र पर होता है तो व्यक्ति अपनी कल्पनाशक्ति के कारण अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त करता है। अनेक लेखकों ने इस चिह्न को व्यक्ति की जल में डूब कर मृत्यु हो जाने का सूचक बताया है, परन्तु मैं उनसे सहमत नहीं। हां, इस चिह्न की अशुभता को इस प्रकार से माना जा सकता है कि यदि मस्तिष्क रेखा नीचे को झुक कर चन्द्र क्षेत्र में आ गयी हो और वहां उसके अन्त में नक्षत्र का चिह्न हो तो व्यक्ति का मानसिक सन्तुलन नष्ट हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति पागल हो जाता है। प्रायः यह चिह्न आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों के हाथों में देखा जाता है।
शुक्र पर्वत क्षेत्र पर नक्षत्र चिह्न
यदि शुक्र पर्वत क्षेत्र के सबसे ऊंचे स्थान या केन्द्र में नक्षत्र चिह्न हो तो यह व्यक्ति की सफलता का चिह्न है, पर ऐसा केवल प्रेम सम्बन्धों में ही सम्भव होता है, धन प्राप्ति में नहीं। पुरुष और स्त्री दोनों के ही हाथों में इस प्रकार का चिह्न सभी प्रकार के प्रेम सम्बन्धों का सूचक होता है। इस चिह्न के कारण व्यक्ति उन लोगों के सम्पर्क में आता है जो प्रेम के क्षेत्र में सदा विजयी होते रहे हैं।
उंगलियों पर नक्षत्र चिह्न
यदि नक्षत्र चिह्न उंगलियों की पहले प्रथम पर्व पर हो तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति जिस क्षेत्र में भी प्रयत्न करेगा, वहीं सफलता प्राप्त करेगा ।
व्यक्ति के अंगूठे के पहले पर्व पर नक्षत्र चिह्न होने का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इच्छाशक्ति द्वारा सफलता प्राप्त होगी।
नक्षत्र चिह्न अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होता है, अतः इसे ध्यानपूर्वक देखना चाहिये। उपरोक्त विचारों के अनुरूप ही यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिये कि कम मिलने वाला यह महत्त्वपूर्ण नक्षत्र चिह्न हाथ के सामान्य गुणों के अनुरूप ही देखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिये अविकसित मस्तिष्क रेखा वाले हाथ पर नक्षत्र चिह्न का न तो कोई अर्थ होता है और न कोई शक्ति।
इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि संकेत कितने भी स्पष्ट क्यों न हों, हस्तरेखाविद् का अपनी बुद्धि का प्रयोग करना एवं स्वयं निर्णय लेना ऐसी बातें हैं, जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
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