विवाह रेखा और सन्तान रेखा

हस्तरेखा-विज्ञान पर लिखी गई अनेक पुस्तकों में से किसी में भी इस महत्त्वपूर्ण तथ्य की ओर ध्यान नहीं दिया गया। इसलिये मेरा यह प्रयत्न रहेगा कि मैं इस विषय पर अधिक से अधिक जानकारी दे सकूं। विवाह रेखाएं बुध पर्वत क्षेत्र पर पाई जाने वाली रेखाएं हैं (देखिए रेखाकृति 1)। यहां मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि किसी संस्कार के तथ्य को भले ही वह सामाजिक हो या धार्मिक अथवा कोर्ट में लिखा-पढ़ी से हो, हाथ कोई मान्यता नहीं देता।

विवाह रेखा और सन्तान रेखा
रेखाकृति 1

यह तो व्यक्ति के जीवन पर दूसरों के प्रभावों तथा वे प्रभाव किस प्रकार के थे तथा उनका क्या परिणाम हुआ, इतना ही व्यक्त करता है। विवाह चूंकि व्यक्ति के जीवन की एक महत्त्वपूर्ण घटना है, इसलिये यदि हाथ देखकर अन्य घटनाओं का पता लगाया जा सकता है या उनके सम्बन्ध में भविष्यवाणी की जा सकती है तो हाथ पर यह भी अवश्य अंकित होना चाहिये।

मैंने अपने अध्ययन से प्रेम सम्बन्धों और विवाह रेखा को सत्य और स्वाभाविक पाया है। कभी-कभी यह रेखा ऐसे सम्बन्धों की सूचना देती है जो विवाह न होते हुए भी विवाह जैसे ही घनिष्ठ होते हैं। वैसे इस प्रश्न का उत्तर वही रहस्य दे सकते हैं जो हमारे जीवन को आच्छादित किए हुए हैं। किसी कमरे में एक स्थायी चुम्बक रख दिया जाये तो वहां रखी हर लोहे की चीज में चुम्बकीय शक्ति फैल जाती है। यदि कोई व्यक्ति यह बता सके कि वह शक्ति क्या है तथा लोहे की वस्तुओं से उसका क्या सम्बन्ध है तो वह यह भी बता सकता है कि विवाह करने या न करने का समय क्यों निश्चित किया गया। प्रकृति के इन गूढ़ रहस्यों और शक्तियों का जब तक रहस्योद्घाटन नहीं हो जाता, तब तक हमें यही स्वीकार करना पड़ेगा कि ऐसा होना है और ऐसा होता है।

विवाह रेखा के सम्बन्ध में विचार करते हुए मैं यह बताना चाहूंगा कि विवाह रेखा के सन्तुलन के लिये हाथ के अन्य भागों पर भी चिह्न होने चाहिएं, जैसा कि मैंने भाग्य रेखा से होने वाले प्रभावों को लेकर बताया है या जीवन रेखा को लेकर बताया है। अब हम बुध पर्वत क्षेत्र पर अंकित विवाह रेखाओं से सम्बन्धित चिह्नों के बारे में विचार करेंगे।

विवाह रेखाएं या तो बुध पर्वत क्षेत्र पर ही दिखाई देती हैं या हाथ के किनारे की ओर से निकल कर बुध पर्वत पर आती हैं। इस सम्बन्ध में यह ध्यान देने योग्य है कि केवल लम्बी विवाह रेखाएं ही विवाह की सूचक होती हैं (देखिए रेखाकृति 2 g ), छोटी रेखाएं केवल विवाह के इरादे अथवा किसी प्रेम सम्बन्ध को ही प्रदर्शित करती हैं (देखिए रेखाकृति 2 h) ।

रेखाकृति 2

यदि हाथ पर विवाह की रेखा अंकित है तो इसकी पुष्टि जीवन रेखा तथा भाग्य रेखा पर भी मिलती है और वहां से भी सूचना प्राप्त होती है कि विवाह के कारण व्यक्ति के जीवन अथवा उसकी स्थिति में किस प्रकार का परिवर्तन होगा। बुध पर्वत क्षेत्र पर विवाह रेखा की स्थिति से विवाह के समय व्यक्ति की आयु का पता लगता है। यदि विवाह रेखा हृदय रेखा के अत्यन्त निकट हो तो व्यक्ति का विवाह अल्पायु यानि 14 से 18 वर्ष की आयु में ही हो जाता है। यदि विवाह रेखा बुध पर्वत क्षेत्र के मध्य में हो तो विवाह 21 से 28 वर्ष की आयु में होता है। यदि विवाह रेखा बुध पर्वत क्षेत्र की तीन चौथाई ऊंचाई पर हो तो विवाह 28 से 35 वर्ष की आयु में होता है। इस सम्बन्ध में भाग्य रेखा अथवा जीवन रेखा को देखकर विवाह के समय की अधिक सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

यदि बुध पर्वत क्षेत्र पर विवाह रेखा स्पष्ट अंकित हो तथा कोई प्रभावी रेखा चन्द्र क्षेत्र से आकर भाग्य रेखा में आ मिले तो विवाह के पश्चात व्यक्ति धनवान हो जाता है, परन्तु यदि यह प्रभावी रेखा पहले सीधी चन्द्र पर्वत क्षेत्र पर चली जाए और उसके बाद आगे बढ़कर भाग्य रेखा में आ मिले तो ऐसे विवाह सम्बन्ध में वास्तविक प्रेम की अपेक्षा केवल दिखावा मात्र होता है।

यदि प्रभावी रेखा व्यक्ति की भाग्य रेखा से अधिक बलवती हो तो वह व्यक्ति जिससे विवाह करेगा, उसकी शक्ति और व्यक्तित्व इस व्यक्ति से अधिक होगा। भाग्य रेखा पर सर्वाधिक सर्वोत्तम चिह्न वह है जब कोई प्रभावी रेखा भाग्य रेखा के बिल्कुल निकट होती है तथा उसके साथ-साथ चलती है।

बुध पर्वत पर विवाह रेखा सीधी, बिना टूटी, गुणनचिह्न से रहित एवं नियमित होनी चाहिये। यदि विवाह रेखा टेढी होकर नीचे हृदय रेखा की ओर जाती दिखाई दे तो इस बात की सूचक होती है कि जिस व्यक्ति से उसका विवाह हुआ है उसकी मृत्यु पहले होगी।

यदि विवाह रेखा ऊपर की ओर मुड़ जाए तो व्यक्ति अविवाहित रहता है।

यदि विवाह रेखा स्पष्ट हो और उसमें से बाल के समान छोटी-छोटी रेखाएं हृदय रेखा की ओर झुकती दिखाई दें तो यह व्यक्ति के जीवन सभी की बीमारी अथवा दुर्बलता का कारण होती हैं।

यदि विवाह रेखा नीचे को झुकी हुई हो तथा उसके मोड़ पर गुणन चिह्न भी हो तो यह इस बात का द्योतक है कि व्यक्ति का जीवन साथी किसी आकस्मिक मृत्यु को प्राप्त होगा। लेकिन यदि विवाह रेखा धीरे-धीरे नीचे की ओर मुड़े तो व्यक्ति के जीवन साथी की मृत्यु किसी बीमारी के कारण होती है।

यदि विवाह रेखा के केन्द्र अथवा किसी अन्य भाग पर द्वीप का चिह्न दिखाई पड़े तो वैवाहिक जीवन में विषम परिस्थियों का सूचक है और यह द्वीप जब तक दिखाई देता रहता है, तब तक दोनों पक्षों में बिछोह बना रहता है।

रेखाकृति 3

यदि विवाह रेखा नीचे को झूलती हुई हाथ के मध्य तक पहुंच जाए तथा वहां पहुंच कर द्विशाखी हो जाए तो तलाक अथवा न्यायिक रूप से अलग रहने का चोक होती है (देखिए रेखाकृति 3 j)

यदि विवाह रेखा की एक शाखा मंगल पर्वत क्षेत्र तक पहुंच जाए तो यह बात और भी अधिक निश्चित हो जाती है (देखिए रेखाकृति 3 k-k) ।

यदि विवाह रेखा पर द्वीप का चिह्न हो तथा वह नीचे की ओर झुकी हुई भी हो तो ऐसे व्यक्ति को कभी विवाह नहीं करना चाहिये, क्योंकि यह दुःखदायी वैवाहिक जीवन का द्योतक है।

यदि विवाह रेखा द्वीपों से भरी हो और अन्त में द्विमुखी भी हो जाए तो यह भी दुखद वैवाहिक जीवन का प्रतीक है।

यदि विवाह रेखा के दो टुकड़े हो जाएं तो वैवाहिक बन्धन सहसा टूट जाता है। यदि विवाह रेखा से निकल कर एक शाखा सूर्य पर्वत क्षेत्र पर चली जाए अथवा सूर्य रेखा को काट दे या उससे मिल जाये तो व्यक्ति किसी विशिष्ट एवं अत्यधिक प्रसिद्ध व्यक्ति से विवाह करता है। इसके विपरीत यदि विवाह रेखा नीचे को एकती हुई सूर्य रेखा को काट दे तो व्यक्ति विवाह होने के बाद अपनी उच्च हैसियत को गवां बैठता है।

यदि बुध पर्वत से नीचे को आती हुई कोई गहरी रेखा विवाह रेखा को काट दे तो विवाह में अनेक बाधाएं पड़ती हैं देखिए रेखाकृति 2 i)

यदि कोई बारीक रेखा विवाह रेखा को लगभग स्पर्श करती हुई उसके समानान्तर चलती दिखाई दे तो यह व्यक्ति के जीवन में विवाहोपरान्त किसी गहरे प्रेम सम्बन्ध की सूचक होती है।

सन्तान रेखा

किसी व्यक्ति के कितनी सन्तान हैं या होंगी यह बताना एक विस्मयजनक बात है, किन्तु इससे भी अधिक विस्मयजनक वह जानकारी है जो प्रमुख रेखाओं द्वारा मिलती है। ऐसा करने के लिये हस्तरेखा विज्ञान का अत्यधिक सावधानी के साथ अध्ययन किया जाना आवश्यक है।

इस विषय में मुझे जो सफलता प्राप्त हुई, उसी के कारण मुझसे यह अनुरोध भी किया गया कि मैं इस विषय पर लिखूं, जिसमें अधिकाधिक जानकारी दूं । मेरा प्रयास है कि मैं इस बिन्दु पर जितना अधिक सम्भव हो सके, लिख सकूं।

इस विषय में विचार करते हुए हाथ के अन्य सम्बन्धित भागों की भी परीक्षा करना आवश्यक है। उदाहरण के लिये यदि व्यक्ति के हाथ में शुक्र पर्वत का क्षेत्र अविकसित है या ठीक से विकसित नहीं हुआ तो उसके यहां सन्तान होने की कोई सम्भावना नहीं होती।

सन्तान से सम्बन्धित रेखाएं वे होती हैं जो विवाह रेखा के अन्त में उसके ऊपर स्थिर होकर सीधी ऊपर को जाती है। कभी-कभी तो यह रेखाएं इतनी बारीक होती हैं कि उनकी पहचान करने के लिए सूक्ष्मदर्शी यन्त्र की सहायता लेनी पड़ती है, लेकिन फिर भी ये रेखाएं बहुत धुंधली होती हैं।

इन रेखाओं को देखकर तथा यह जानकर कि वे पर्वत के किस भाग को छू रही हैं, यह पता लगाया जा सकता है। व्यक्ति के जीवन में उसकी सन्तान कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगी या नहीं, वह कमजोर होगी या स्वस्थ अथवा वे लड़के होंगे या लड़कियां । इस सम्बन्ध में निम्नलिखित बातें मुख्य रूप से ध्यान देने योग्य हैं:-  

  1. चौड़ी रेखाएं पुत्र की सूचना देती हैं जबकि धुंधली, छोटी एवं पतली रेखाएं लड़कियों की।
  2. यदि ये रेखाएं स्पष्ट रूप से अंकित होती हैं तो स्वस्थ एवं बलशाली सन्तान की सूचक होती हैं, लेकिन यदि फीकी और लहरदार हों तो इससे उल्टा होता है।
  3. यदि रेखा के आरम्भिक भाग में द्वीप का चिह्न हो तो सन्तान अपने प्रारम्भिक जीवन में काफी अस्वस्थ रहती है और आगे चलकर जब वह रेखा पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है तो सन्तान भी स्वस्थ हो जाती है।
  4. यदि विवाह रेखा के अन्त में द्वीप का चिह्न हो तो सन्तान जीवित नहीं रहती।
  5. जब एक रेखा दूसरी रेखा से अधिक लम्बी और श्रेष्ठ हो तो मां-बाप के लिए एक बच्चा दूसरे बच्चों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

सन्तान की संख्या की गणना हथेली के बाहर से विवाह रेखा के अन्दर की ओर की जानी चाहिए। यदि पुरुष के हाथ में भी यह रेखाएं उतनी ही स्पष्ट हों जितनी कि उसकी पत्नी के हाथ में तो वह अत्यन्त स्नेही स्वभाव का होता है तथा अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है।

लेकिन स्त्री के हाथ में सन्तान रेखाएं प्रायः अधिक स्पष्ट रूप से अंकित होती हैं। इन तथ्यों के आधार पर मेरे विचार से हस्तरेखाविद् उन सूक्ष्म विवरणों को भी जान सकता है, जिनका मैं यहां उल्लेख नहीं कर रहा हूं।


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