सूर्य रेखा
सूर्य रेखा को प्रतिभा रेखा अथवा सफलता रेखा भी कहा जाता है (देखिए रेखाकृति 1) । मैं इस लेख में इस रेखा को सूर्य रेखा कहना ही अधिक उपयुक्त समझता हूं, क्योंकि इससे इसका अर्थ और अधिक स्पष्ट समझा जा सकेगा। इसका अध्ययन करते हुए भी हाथों की विशेषताओं को ध्यान में रखना चाहिए। जो नियम भाग्य रेखा के सन्दर्भ में लागू होते हैं, वही इस रेखा के विषय में भी लागू होते हैं। उदाहरण के लिये दार्शनिक, नुकीले अथवा अत्यन्त नुकीले हाथों पर काफी गहरी अंकित सूर्य रेखा भी उतनी प्रभावशाली नहीं होती, जितनी कि वह वर्गाकार अथवा चमचाकार हाथों पर होती है।
सूर्य रेखा भाग्य रेखा से मिलने वाली सफलता में वृद्धि करती है तथा व्यक्ति को प्रसिद्ध एवं विशिष्ट बना देती है, परन्तु ऐसा तभी होता है जब व्यक्ति का कार्य अथवा उसका कार्यक्षेत्र व्यक्ति के अनुरूप हो, अन्यथा यह रेखा उस व्यक्ति के स्वभाव से सम्बन्धित होती है जिसकी मनोवृत्ति कलात्मकता की ओर हो। यदि पूरा हाथ इस बात की पुष्टि न करे तो व्यक्ति की कला के प्रति समीक्षक की प्रवृत्ति तो होगी, लेकिन वह कला की अभिव्यक्ति नहीं कर सकेगा।
सूर्य रेखा का आरम्भ, जीवन रेखा, चन्द्र पर्वत क्षेत्र, मंगल पर्वत क्षेत्र, मस्तिष्क रेखा अथवा हृदय रेखा, कहीं से भी हो सकता है।
यदि सूर्य रेखा जीवन रेखा से आरम्भ हो रही हो तथा हाथ की बनावट कलात्मक हो तो यह इस बात की सूचक है कि व्यक्ति सौन्दर्य का उपासक होगा। यदि अन्य रेखाएं भी शुभ प्रभाव में हों तो यह इस बात का संकेत होता है कि ऐसे व्यक्ति को कला के क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होगी।
यदि सूर्य रेखा का आरम्भ भाग्य रेखा से हो तो यह भाग्य रेखा द्वारा व्यक्ति की सफलताओं में वृद्धि की सूचक है तथा आयु के उस काल की भी सूचक है जब व्यक्ति को विशिष्टता प्राप्त होती है तथा उसकी स्थिति सुधरती नजर आती है। इस रेखा को प्रतिभा रेखा या सफलता रेखा कहना भी उपयुक्त होगा।
मस्तिष्क रेखा द्वारा प्रदर्शित योग्यता या हाथ की बनावट को ध्यान में रखकर ही यह निश्चित किया जा सकता है कि इस रेखा से प्रदर्शित सफलता व्यक्ति को कला के क्षेत्र में मिलेगी या धन के क्षेत्र में।
चन्द्र पर्वत क्षेत्र की ओर से आने वाली सूर्य रेखा व्यक्ति को दूसरों की सहायता के कारण सफलता की सूचक होती है। प्रायः ऐसी सफलता निश्चित नहीं होती, क्योंकि यह उन व्यक्तियों के सहयोग पर निर्भर करती है जिनके सम्पर्क में व्यक्ति आता है (देखिए रेखाकृति 2 e-e) |
यदि सूर्य रेखा ढलवां मस्तिष्क रेखा के साथ हो तो व्यक्ति को कविता, साहित्य एवं कल्पनाशीलता के कारण सफलता प्राप्त होती है।
मंगल पर्वत क्षेत्र से आरम्भ होने वाली सूर्य रेखा दुखों के बाद सुख एवं कठिनाई के बाद सफलता की सूचक होती है।
यदि सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से आरम्भ होती दिखाई दे तो जीवन के उत्तरार्द्ध में व्यक्ति को अपनी प्रतिभा के आधार पर विशिष्टता प्राप्त होती है।
यदि सूर्य रेखा हृदय रेखा से आरम्भ होती हो तो कला एवं कलात्मक वस्तुओं के प्रति व्यक्ति की गहरी रुचि की सूचक होती है।
यदि अनामिका की लम्बाई मध्यमा के बराबर हो तथा सूर्य रेखा भी लम्बी हो तो व्यक्ति में हर बात के प्रति जूए की प्रवृत्ति की द्योतक होती है, भले ही वह धन के बारे में हो या प्रतिभा अथवा जीवन के बारे में।
यदि सूर्य रेखा स्पष्ट हो तो व्यक्ति के बहुत अधिक संवेदनशील होने की सूचक होती है। लेकिन जब असाधारण रूप से मस्तिष्क रेखा के साथ जुड़ी हो तो धन प्राप्ति, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं अधिकार प्राप्ति की सूचक होती है।
सूर्य पर्वत पर बहुत अधिक रेखाओं का होना व्यक्ति की कलाप्रियता का सूचक होता है। लेकिन विचारों की विविधता ऐसे व्यक्ति की सफलता में आड़े आती है। ऐसे व्यक्ति अधीर होते हैं तथा उनमें ख्याति या नाम कमाने के लिए धीरज नहीं होता (देखिए रेखाकृति 2) ।
सूर्य रेखा पर नक्षत्र चिह्न का होना शुभ लक्षण माना जाता है, जिसके कारण व्यक्ति को चिरस्थायी सफलता एवं प्रतिभा निश्चित रूप से प्राप्त होती है।
यदि सूर्य रेखा पर वर्ग का चिह्न हो तो यह व्यक्ति के शत्रुओं द्वारा आक्रमण से उसकी मान-प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने से रक्षा का सूचक होता है (देखिए रेखाकृति 2 g)।
सूर्य रेखा पर द्वीप चिह्न अपनी अवधि होने तक व्यक्ति को पदच्युत कराता है तथा उसकी मानमर्यादा को हानि पहुंचाने का सूचक होता है। ऐसा प्रायः किसी बदनामी के माध्यम से होता है (देखिए रेखाकृति 2 h ) |
गहरी हथेली वाले हाथों में सूर्य रेखा शक्तिहीन होती है।
यदि हाथ पर सूर्य रेखा न हो और व्यक्ति का हाथ प्रतिभावान और कलात्मक हो तो उसके लिए संसार में मान्यता प्राप्त करना कठिन ही होता है। ऐसे व्यक्ति चाहे कितने भी मान-सम्मान के अधिकारी हों, परन्तु सदा ही उससे वंचित रहते हैं। भले ही मृत्यु के समय उन पर फूल-मालाएं चढ़ाई जाएं, लेकिन अपने जीवन में उनके लिए रोटी जुटाना भी कठिन होता है।
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