शनि की साढ़े साती – एक विवेचन

शनि की साढ़े साती शनि बारह राशियों का भ्रमण लगभग 29 वर्ष साढ़े दस मास में कर लेता है। यदि हम इस समय को 30 वर्ष समझ लें तो हम देखेंगे कि शनि के एक राशि में रहने का समय 30 ÷ 12 = 2.5 वर्ष है। जब जन्म राशि Read more…

गोचर ग्रहों का भ्रमण का फल

जन्मस्थ ग्रहों पर से गोचर ग्रहों का भ्रमण का फल जन्मकुण्डली के ग्रहों पर से जब गोचर के ग्रह भ्रमण करते हैं तो स्थान और राशि के अनुसार विशेष शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं। प्रस्तुत अध्याय में इसी भ्रमण से सम्बन्धित कुछ उपयोगी जानकारी दी जा रही है । रवि Read more…

गोचर फलादेश के सिद्धान्त

गोचर फलादेश के सिद्धान्त (1) गोचर का फल यद्यपि सत्य है परन्तु हमको यह बात कदापि नहीं भूलनी चाहिये कि मनुष्य को मुख्यतः जन्मकालीन ग्रहों का ही अच्छा अथवा बुरा फल गोचर द्वारा मिलता है । इस विषय में मंतेश्वर ने ‘फल दीपिका’ में लिखा है : “यद् भावगो गोचरतो Read more…

गोचर विचार

गोचर विचार जातक पर चल रहे वर्तमान समय की शुभाशुभ जानकारी के लिए गोचर विचार सरल और उपयोगी साधन है । गोचर ग्रहों के प्रभाव उनकी राशि परिवर्तन के साथ-साथ बदलते रहते हैं । वर्ष की जानकारी गुरु और शनि से, मास की सूर्य से और प्रतिदिन की चन्द्र गोचर Read more…

अन्तर्दशा फल कहने के नियम

अन्तर्दशा फल कहने के नियम हमने विशद रूप से ग्रहों की महादशा का फल पिछले लेखो में लिख दिया है। जो फल ग्रह अपनी महादशा में करता है वही फल वह अपनी अन्तर्दशा में भी करता है। हां, इतना अवश्य है कि दशानाथ के बदलने से तथा ग्रह की निज Read more…

दशाफल कहने के नियम

दशाफल कहने के नियम विंशोत्तरी दशा पद्धति में ग्रह कैसा शुभ तथा कैसा अशुभ फल करते हैं। यह इस अध्याय का विषय है। महर्षि पाराशर इस दशा पद्धति के दाता हैं । इस सर्वोत्तम पद्धति की विशेषता यह है कि यह नैसगिक है अर्थात् ग्रहों का रूप ऐसा पेश करती Read more…

महादशा फल

महादशा फल जैसा कि हम उल्लेख कर चुके हैं ग्रहों का शुभ फल उनके शुभ होने और बलवान होने पर निर्भर करता है । ग्रह केन्द्रादि स्थिति से किन-किन सूरतों में बलवान समझे जाते हैं इस बात का भी उल्लेख वहीं हो चुका है, प्रस्तुत अध्याय में ग्रह शुभ अथवा Read more…