कुंडली में व्यापार एवम कारोबार रोजगार योग

कुंडली में व्यापार एवम कारोबार रोजगार योग व्यवसाय क्या होगा? कुंडली में लग्न से दशम भाव में जो ग्रह स्थित हो, उसके गुण-स्वभाव-साधन के अनुसार जातक का व्यवसाय होता है। 1. यदि दशम भाव में एक से अधिक ग्रह हों तो बली ग्रह के अनुसार । 2. यदि दशम भाव Read more…

कुंडली में वाहन एवम मकान योग

कुंडली में वाहन एवम मकान योग कुंडली में चतुर्थ भाव से वाहन-कार मोटरगाड़ी आदि तथा मकान, जमीन व भू-संपत्ति के बारे में विचार किया जाता है। यदि चतुर्थ भाव शुभ राशि में शुभ ग्रह या अपने स्वामी से युत या दृष्ट हो, किसी पाप ग्रह से युत या दृष्ट न Read more…

कुंड्ली में विद्या एवम नौकरी योग

कुंड्ली में विद्या एवम नौकरी योग कुंडली में पंचम भाव से विद्या का विचार किया जाता है। पंचम भाव एवं पंचमेश की स्थिति जितनी अच्छी होगी, जातक की विद्या उसी के अनुसार अच्छी होगी । पंचम भाव शुभ ग्रहों के मध्य हो, पंचम भाव में किसी शुभ ग्रह की स्थिति Read more…

कुंड्ली में स्वास्थ्य एवम रोग योग

कुंड्ली में स्वास्थ्य एवम रोग योग कुंडली में लग्नेश की स्थिति जितनी अच्छी होगी व्यक्ति का स्वास्थ्य उतना ही अच्छा होगा, क्योंकि लग्न भाव ही स्वास्थ्य से संबंधित है और लग्नेश इसका स्वामी है। सूर्य इस भाव का कारक है। अतः लग्न, लग्नेश तथा सूर्य इन तीनों की स्थिति जितनी Read more…

कुंड्ली में विवाह योग

कुंड्ली में विवाह योग विवाह संबंधी प्रश्न पर विचार करते समय सर्व प्रथम यह देखना चाहिए कि जातक की कुंडली में विवाह योग है भी या नहीं। विवाह संबंधी सभी प्रश्नों में कुंडली में सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु की स्थिति को मुख्यतः ध्यान में रखना चाहिए। सप्तम Read more…

कुंड्ली में संतान व पुत्र योग

कुंड्ली में संतान व पुत्र योग 1. लग्न से पंचम भाव में शुभ ग्रह हो, शुभ युत दृष्ट हो या अपने स्वामी से युत या दृष्ट हो तो पुत्र योग होता है। 2. चंद्र से पंचम भाव में शुभ ग्रह हो या शुभ ग्रह की दृष्टि हो या पंचमेश स्वयं Read more…

स्त्री कुंड्ली फल

स्त्री कुंड्ली फल 1. लग्न एवं चंद्र से स्त्री के शरीर का, सप्तम एवं अष्टम से सौभाग्य (सुहागन बने रहने) सधवापन का विचार किया जाता है। 2 जिस स्त्री की कुंडली में जन्म लग्न चर राशि में हो उसका पति सदा परदेस में गमन करने वाला होता है। 3. लग्न Read more…

पुरुष कुंड्ली फल

पुरुष कुंड्ली फल 1. सभी भावों के स्वामी क्रूर ग्रह (रवि-मंगल-शनि) शुभ होते हैं तथा सौम्य ग्रह अशुभ होते हैं। 2. क्रूर ग्रहों की भाव में स्थिति अशुभ तथा शुभ ग्रहों की भाव में स्थिति शुभ होती है। 3. जिस ग्रह की विंशोत्तरी दशा चल रही हो, दशाधिपति दशा शुभ Read more…