कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश

कर्क लग्न के लिए शुक्र सुखेश व लाभेश है। शुक्र कर्क लग्न के लिए बाधक ग्रह भी है।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश प्रथम भाव में

शुक्र लग्न में ‘कुलदीपक योग’ बना रहा है। शुक्र स्त्री राशि में होने के कारण शुभ है। ऐसा जातक दूसरों को तारने वाला, हंसमुख, आनन्दित व स्त्रियों को प्रिय लगने वाला होता है। इन्हें व्यवसाय में यश, सम्पत्ति व कीर्ति की प्राप्ति होती है।

निशानी – ऐसा जातक गौरवर्ण, सुन्दर व आकर्षक होता है। ऐसे जातक को वाहन सुख अवश्य मिलता है तथा जातक स्वपराक्रम से मकान अवश्य बनाता है।

दृष्टिफल – यहां से शुक्र सातवीं मित्र दृष्टि से सप्तम भाव को देखता है, जहां मकर राशि अवस्थित है। ऐसा जातक स्त्री तथा व्यवसाय के पक्ष में खूब लाभ प्राप्त करता है।

विशेष – ऐसे जातक का अन्य स्त्रियों से सम्पर्क/संसर्ग अवश्य होता है।

दशाफल – शुक्र की दशा उत्तम फल देगी। जातक की उन्नति व भाग्योदय होगा।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ धनेश सूर्य होने से जातक धनवान होगा। उसका व्यक्तित्व प्रभावशाली तथा पत्नी सुन्दर होगी।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ लग्नेश चन्द्रमा स्वगृही होने से ‘यामिनीनाथ योग’ बनाएगा। ऐसा जातक सुखी होगा। उसे माता का सुख, वाहन का सुख एवं मकान का सुख मिलेगा। शुक्र मंगल शुक्र के साथ पंचमेश दशमेश मंगल नीच का होगा। ऐसा जातक प्रबल पराक्रमी होगा एवं शत्रुओं का मान मर्दन करने में सक्षम होगा।

3. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ पराक्रमेश व्ययेश बुध होने से जातक पराक्रमी होगा तथा स्वयं के बुद्धि बल से आगे बढ़ेगा।

4. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ भाग्येश गुरु उच्च का होने से ‘हंस योग’ बनेगा। जातक राजा के समान पराक्रमी एवं वैभवशाली होगा।

5. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि होने से जातक के गुप्त शत्रु बहुत होंगे। जातक जिद्दी व हठी होगा।

6. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु जातक को लड़ाकू बनाएगा। ‘लम्पट योग’ के कारण जातक व्याभिचारी होगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु होने से जातक क्रोधी एवं शत्रुंजयी होगा।

प्रथम भाव के शुक्र का उपचार

  • शुक्र यंत्र गले में धारण करें।
  • चमकीले स्फटिक की माला पहनें।
  • शुक्र स्तवराज का पाठ करें।
  • क्रीम रंग का सुगन्धित रुमाल हर समय जेब में रखें।
  • इष्ट बल बढ़ाने हेतु देवी की उपासना करें।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश द्वितीय भाव में

कर्क लग्न में शुक्र सिंह राशि में शत्रु क्षेत्री है। चौथे भाव से ग्यारहवें एवं ग्यारहवें भाव से चौथे स्थान पर स्थित होकर आठवें को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। यह मिश्रित फल देता है।

जातक को माता का सुख प्राप्त होता है पर मां बीमारी रहती है। जातक को मकान का सुख मिलता है पर मकान से संतोष नहीं होता। नौकर का सुख होता है पर नौकर वफादार नही होगे।

लाभेश के धन स्थान में होने से मित्र द्वारा धन लाभ, जातक की आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी।

निशानी – जातक की वकृत्व शक्ति ठीक होगी। आंख, नाक या मुंह में कोई रोग सम्भव है।

विशेष – यहां शुक्र दूसरे स्थान पर होने से योगकारक है।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ यहां धनेश सूर्य स्वगृही होने से ‘मातृमूल धनयोग’ बनेगा। जातक को माता की सम्पत्ति या माता समान वृद्ध स्त्री की सम्पत्ति मिलेगी।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ लग्नेश चन्द्रमा होने से ऐसा जातक धनवान होगा। उसे परिश्रम का लाभ मिलेगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ पंचमेश राज्येश मंगल जातक को बड़ी भू-सम्पत्ति का स्वामी बनाएगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ पराक्रमेश-व्ययेश बुध होने से जातक का धन मित्रों के रख-रखाव में खर्च होगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ भाग्येश-षष्टेश गुरु धन स्थान में होने से जातक को अचानक धन मिलेगा एवं धन खर्च भी होता रहेगा। अर्थात् उतार-चढ़ाव बहुत आएंगे।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ सप्तमेश-अष्टमेश शनि होने से जातक को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। जातक का धन बीमारी में पत्नी के रख-रखाव में खर्च होगा।

6. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु धन के घड़े में छेद है। जातक का धन संग्रहित नहीं हो पाएगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु आर्थिक विषमता का संकेत देता है।

द्वितीय भाव के शुक्र का उपचार

  • शुक्रवार को क्रीम रंग के वस्त्र धारण करें।
  • इत्र व सुगन्धित वस्तुओं का अधिक इस्तेमाल करें।
  • चांदी के आभूषण अधिक पहनें।
  • चांदी की अंगूठी या कड़ा पहनें।
  • शुक्र यंत्र धारण करने से धन बढ़ेगा।
  • नवरत्न जड़ित ‘श्रीयंत्र’ सुवर्ण धातु में पहनें।
  • घर में क्रीम रंग के पर्दे व चादरों का इस्तेमाल करें।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश तृतीय भाव में

कर्क लग्न में तृतीयस्थ शुक्र नीच का होकर ग्यारहवें भाव से पंचम एवं चौथे भाव से बारहवें होकर भाग्य भवन पर पूर्ण दृष्टि डाले हुए है। ऐसा जातक धार्मिक तथा मंत्र-विद्या का जानकार होता है। उसका कण्ठ उच्चारण स्पष्ट घोष वाला होता है। शुक्र नीच का होने से जातक बहुत कामुक होगी।

निशानी – जातक को मां का सुख पूर्ण नहीं मिलेगा। जातक की माता बीमार रहेगी। जातक का वैवाहिक जीवन पूर्ण सुखमय होगा। जातक का स्वयं अपनी बहनों से वफादारी की उम्मीद रखना बेकार है।

सावधानी – मित्रों से सम्बन्ध रखते समय सावधानी बरतें क्योंकि पीठ पीछे बुराई होगी एवं मित्र धोखा दे सकते हैं।

दशाफल – शुक्र की दशा अच्छी जाएगी।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ धनेश सूर्य पराक्रम स्थान में जातक को भाई-बहन दोनों का सुख देता है। उसके भाई-बहन सम्पन्न होते हैं।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ लग्नेश चन्द्रमा बहनों की अधिकता देता है। जातक को स्त्री मित्र से लाभ होगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ पंचमेश राज्येश मंगल तीसरे स्थान में तीन भाई व तीन बहनों का सुख देता है। जातक के कुटम्बीगण सम्पन्न होंगे।

4. शुक्र + बुध – यदि शुक्र के साथ बुध हो तो यहां ‘नीचभंग राजयोग’ बनेगा। शुक्र का अशुभत्व नष्ट हो जाएगा।

जातक का पराक्रम, जनसम्पर्क तेज होगा। कुटुम्बीजनों, रिश्तेदारों की अपेक्षा मित्रों व समाज के अन्य लोगों से अधिक लाभ मिलेगा। जातक को लेखनी एवं प्रकाशन सम्बन्धी कार्यों से यश मिलेगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ भाग्येश षष्टेश गुरु पराक्रम स्थान में जातक को भाग्यशाली है पर कुटम्बी लोग ही जातक के शत्रु होगे।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि पराक्रम स्थान में जातक को मित्रों से ईर्ष्या कराएगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ पराक्रम स्थान में राहु भाई-बहनों से झगड़ा कराएगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ पराक्रम स्थान में केतु जातक को कीर्ति देगा परन्तु बहनों से नहीं बनेगी। बुआ का सुख कमजोर होगा।

तृतीय भाव के शुक्र का उपचार

  • घर से निकलते समय चीनी या मिष्ठान का सेवन करें।
  • दही-दूध, आलू का अधिक सेवन करें।
  • शुक्रवार को चांदी खरीदें।
  • शुक्र स्तवराज का पाठ करें।
  • क्रीम रंग का सुगन्धित रुमाल हर समय जेब में रखें।
  • शयन कक्ष की दीवारों में क्रीम रंग का इस्तेमाल करें।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश चतुर्थ भाव में

कर्क लग्न में चतुर्थ भाव में स्थित शुक्र स्वगृही होगा। लाभेश का स्वगृही होकर केन्द्रस्थ होने से एवं दशम भाव पर दृष्टि होने से शुक्र का शुभ फल बहुत उत्तम रहेगा।

कुलदीपक योग – ऐसा जातक अपने कुटुम्ब, परिवार का नाम दीपक के समान रोशन करने वाला सबका चहेता व प्यारा होता है।

मालव्य योग – स्वगृही शुक्र केन्द्र में होने से यह योग बना यह पंचमहापुरुष योगों में से उत्तम योग है। ऐसा जातक राजा तुल्य ऐश्वर्य को भोगता है।

जातक को जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, वाहन एवं मकान का सुख, नौकर-चाकर का सुख पूर्ण प्राप्त होगा। जातक का दो-तीन मंजिला मकान होगा। मकान एक से अधिक होगा एवं कम से कम दो-चार नौकर होंगे।

शुक्र का अन्य ग्रहों से संबंध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य हो तो ‘नीचभंग राजयोग बनता है। जातक को मां से या भूमि से रुपया मिलेगा। व्यापार में लाभ अधिक होगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ लग्नेश चन्द्रमा जातक को माता का सुख, एक से अधिक वाहन का सुख देगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ पंचमेश राज्येश मंगल होने से जातक के पास एक से अधिक बंगले होंगे। जातक बड़ी भू-सम्पत्ति का स्वामी देगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ तृतीयेश-व्ययेश बुध केन्द्र में होने से जातक महान पराक्रमी होगा। उसके पास चार पहियों वाली दो गाड़ियां होंगी।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ भाग्येश-षष्टेश गुरु केन्द्र में जातक को उत्तम वाहन भवन एवं नौकर-चाकर का सुख देगा पर गुप्त शत्रु बहुत होंगे।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि हो तो ‘किम्बहुना योग’ बनता है जातक को पानी से रुपया मिलेगा। गुप्त व्यापार से लाभ होगा। जातक उद्योगपति होगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु विद्या प्राप्ति में बाधक है। तेज गति के वाहन से भय है।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु विद्या में बाधा डालेगा। जातक को हृदय रोग होगा। यहां सूर्य यदि स्वगृही या उच्च का हो तो जातक अपने कुटुम्ब में सबसे धनवान व्यक्ति होगा। परन्तु ऐसी स्थिति नहीं बनती क्योंकि गणितागणित स्पष्टीकरण से शुक्र के सामने सूर्य कभी आ ही नहीं सकता। हां, सिंह का सूर्य फिर भी हो सकता है।

चतुर्थ भाव के शुक्र का उपचार

  • अपने घर में सफेद व क्रीम रंग के पुष्पों के पौधे लगाएं।
  • शुक्रवार के दिन क्रीम रंग के कपड़े पहनें।
  • क्रीम रंग का सुगन्धित रुमाल हर समय जेब में रखें।
  • भौतिक सुख की उपलब्धि हेतु ‘शुक्र अष्टोत्तर शत नामावली’ का हवनात्मक प्रयोग करें।
  • वाहन क्रीम कलर का खरीदें।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश पंचम भाव में

कर्क लग्न में शुक्र पांचवें स्थान पर वृश्चिक राशि का मित्रक्षेत्री होगा। यह शुक्र चौथे भाव से दूसरे स्थान पर एवं ग्यारहवें भाव से सातवें स्थान पर बैठ कर लाभ स्थान पर पूर्ण दृष्टि डालेगा।

जातक मंत्र-तंत्र ज्योतिष एवं अध्यात्म विद्या का जानकार होगा। जातक को माता का सुख रहेगा। उत्तम मकान वाहन का सुख रहेगा। शुक्र मंगल क्षेत्री होने से जातक कामुक एवं रंगीन मिजाज का होगा।

निशानी – शुक्र पांचवें होने से जातक को कन्या सन्तति की बाहुल्यता रहेगी। जातक व्यापारी होगा एवं व्यापार में अच्छा रुपया कमाएगा। जातक का भाग्योदयं विवाह के बाद होगा।

जातक को प्रथम कन्या होगी। यदि पुरुष ग्रह की पंचम भाव पर दृष्टि न हो तो जातक के छः कन्या होंगी।

दशा – शुक्र की दशा में भाग्योदय होगा। ऐसे जातक के लिए बुध की दशा भी योगकारक होगी।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ धनेश सूर्य पंचम भाव में जातक को पुत्र संतति देगा। जातक विद्यावान होगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ लग्नेश चंद्रमा यहां नीच का होगा। जातक को विषभोजन का भय बना रहेगा। कला अभिनय के क्षेत्र में जातक विशेष उन्नति करेगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ पंचमेश मंगल यहां स्वगृही होगा। जातक के तीन पुत्र होंगे। जातक मैकेनिकल, टैक्नीकल लाईन का जानकार होगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ तृतीयेश खर्चेश बुध जातक को बुद्धिमान बनाएगा। जातक तंत्र-मंत्र का जानकार होगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ भाग्येश-षष्टेश गुरु पंचम स्थान में जातक को पुत्र संतति देगा। पांच पुत्रों की संभावना है। जातक अध्ययन-अध्यापन में रुचि लेगा ।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि जातक की विद्या प्राप्ति में एक बार रुकावट लाएगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु पुत्र संतान के सुख में बाधक है तथा वंश वृद्धि में रुकावट पैदा करता है।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु संतति सुख में बाधक है तथा एकाध गर्भपात कराता है। मंगल यदि केन्द्र में स्वगृही या उच्च का हो तो जातक का भाग्योदय प्रथम सन्तति के पश्चात् तेजी से होगा।

पंचम भाव के शुक्र का उपचार

  • संतान प्राप्ति हेतु ‘शुक्र यंत्र’ धारण करें। यदि कन्या अधिक हों तो शुक्र यंत्र न पहनें।
  • विद्या में विशेष सफलता हेतु ‘सरस्वती यंत्र’ चांदी में पहनें।
  • शुक्र नामावली का पाठ करें।
  • क्रीम रंग का सुगंधित रुमाल हर समय जेब में रखें।
  • घर की दीवारों, पर्दों का रंग क्रीम रखें।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश पष्टम भाव में

कर्क लग्न में शुक्र छठे स्थान पर धनु राशि में शत्रुक्षेत्री होगा। जातक के शत्रु बहुत होंगे पर शत्रुओं पर विजय मिलेगी।

विवाह का कारक होकर शुक्र छठे होने पर एवं सातवें भाव से बारहवें स्थान पर होने से वैवाहिक जीवन सुखी नहीं होगा। जातक दूसरी स्त्रियों में अपने काम की तृप्ति ढूढ़ेगा। जातक को पेशाब में शक्कर की बीमारी (डायबीटिज) होगी।

लाभभंग योग – लाभेश छठे स्थान में होने से एवं लाभ भाव से शुक्र आठवें स्थान पर होने से यह योग बना। जातक को व्यापार में अच्छा लाभ नहीं होगा।

सुखहीन योग – सुखेश छठे स्थान में जाने से यह योग बना । सुख में कमी रहेगी। वाहन सुख सन्तोषकारी नहीं रहेगा। जातक मकान बदलता रहेगा।

सावधानी – बुरी सोहबत से जातक व्यसनी हो जाएगा, अतः बुरे दोस्तों के संग से बचें। अन्यथा गुप्त बीमारी घातक साबित होगी।

दशा – शुक्र की दशा कष्टकारक, रोगकारक होगी। कर्क लग्न वालों के लिए शुक्र बाधक ग्रह भी है। इसका ध्यान रखना चाहिए।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ धनेश सूर्य होने से ‘धनहीन योग’ बनेगा। जातक को भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति हेतु बहुत संघर्ष करना पड़ेगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ लग्नेश चन्द्रमा ‘लग्नभंग योग’ बनाएगा। जातक को परिश्रम का पूरा लाभ नहीं मिलेगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ पंचमेश राज्येश मंगल होने से ‘विद्याभंग योग’ एवं ‘राज्यभंग योग’ बनेगा। ऐसे जातक को नौकरी हेतु काफी संघर्ष करना पड़ेगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ पराक्रमेश खर्चेश बुध होने से ‘पराक्रमभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ बनेगा। ऐसा जातक धनवान होगा पर प्रतिष्ठा (मान) भंग होने का भय बना रहेगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ षष्टेश-भाग्येश गुरु होने से ‘विपरीत राजयोग’ एवं ‘भाग्यभंग योग’ बनेगा। ऐसा जातक धनी होगा पर भाग्योदय आसानी से नहीं होगा ।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि होने से ‘विलम्ब विवाह योग एवं ‘विपरीत राजयोग’ बनेगा। ऐसा जातक धनी होगा पर विवाह देरी से होगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु होने से जातक रोग एवं शत्रु पर विजय पाने में पूर्ण सक्षम होगा ।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु होने से जातक को गुप्त शत्रु एवं गुप्त रोग का भय रहेगा।

छठे भाव के शुक्र का उपचार

  • राजयोग को मजबूत करने के लिए ‘शुक्र यंत्र’ धारण करें।
  • शुक्रवार को व्रता-कथा, कर्पूर आरती करें।
  • ‘शुक्र कवच’ का नित्य पाठ करें।
  • घर से निकलते समय राई के दाने मुंह में डालकर बाहर निकलें।
  • शुक्रवार के दिन अग्निकोण (SE) की ओर यात्रा न करें।
  • शुक्रवार को नमक और खटाई पूर्णत: वर्जित हैं।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश सप्तम भाव में

कर्क लग्न में शुक्र सातवें होने से मकर राशि का मित्रक्षेत्री है। चौथे भाव से केन्द्र में ग्यारहवें भाव से कोण (नवमें) में होने से शुक्र अत्यन्त शुभ फलदाई है जातक दिखने में खूबसूरत एवं आकर्षक होगा। जातक को माता एवं मकान का सुख उत्तम होगा।

कुलदीपक योग – ऐसा जातक अपने परिवार कुटुम्ब का नाम दीपक के समान रोशन करने वाला सबका चहेता व प्यारा होगा।

निशानी – लाभेश लाभ स्थान से नवें में होने से जातक व्यापारप्रिय होगा एवं व्यापार में अच्छा कमाएगा। जातक पराई स्त्रियों में ज्यादा रुचि रखेगा, पर विवाह स्वजाति में करेगा।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य यहां शत्रुक्षेत्री होगा। जातक की पत्नी सुन्दर होगी पर पति-पत्नी के विचारों में मतभेद रहेगा।

2. शुक्र + चन्द्र – यदि शुक्र के साथ चन्द्रमा हो तो ‘लग्नाधिपति योग’ बनता है। जातक को परिश्रम का फल मिलेगा। पत्नी रूप की रानी होगी।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल उच्च का होकर ‘रुचक योग’ बनाएगा। जातक राजा के समान पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा। किस्मत विवाह के बाद चमकेगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध होने से जातक पराक्रमी होगा। बुद्धिमान होगा। जीवनसाथी सुन्दर होगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ गुरु हो तो व्यक्ति अपनी जाति की कन्या से विवाह करेगा। विवाह के बाद किस्मत चमकेगी।

7. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि ‘शशयोग’ बनाएगा। ऐसा जातक राजा के समान पराक्रमी एवं ऐश्वर्यवान् होगा।

8. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु गृहस्थ सुख में बाधक है। वाहन दुर्घटना का भय रहेगा।

9. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु विवाह में विलम्ब कराता है। पति-पत्नी में वैचारिक मतभेद होगा।

सप्तम भाव के शुक्र का उपचार

  • वैवाहिक सुख हेतु ‘शुक्र यंत्र’ धारण करें।
  • तुलसी के पौधे को चांदी के बर्तन में जल लेकर सींचे।
  • चमकीले स्फटिक की माला पहनें।
  • गृहस्थ सुख हेतु हीरे की अंगूठी व आभूषण पहनें।
  • श्रीयंत्र के चारों ओर नव हीरे या जिरकान जड़वाकर गले में धारण करें।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश अष्टम भाव में

कर्क लग्न में शुक्र अष्टम स्थान में कुम्भ राशि का होकर मित्रक्षेत्री होगा। यह शुक्र चौथे भाव से कोण में, तथा ग्याहरवें भाव से दसवें होकर धन स्थान पर दृष्टि डाल रहा है। यह शुक्र जातक को बुद्धिमान एवं विद्यवान बनाता है। परन्तु विद्या में एकाध बार रुकावट जरूर आती है।

लाभभंग योग – लाभेश होकर शुक्र आठवें जाने से यह योग बना। ऐसे जातक को लाभ रुक-रुक कर होता है।

सुखहीन योग – सुखेश होकर शुक्र आठवें जाने से यह योग बन रहा है। ऐसे जातक छोटी उम्र में अपने भाई-बहन को खो देते हैं। शुरू में छोटे होते हैं पर मध्य आयु में पहुंचते-पहुंचते स्वयं परिवार के बड़े मुखिया हो जाते हैं।

निशानी – जातक पुराने मकान में मरम्मत करवा कर रहेगा। जातक को डायबिटीज होगी।

दशा – शुक्र की दशा अच्छी नहीं जाएगी। अष्टमस्थ इस शुक्र को यदि कोई पाप ग्रह देखता हो तो जातक की मृत्यु क्षयरोग, प्रमेह से होगी। शुक्र की दशा में जातक को बीमारी लगेगी। कर्क लग्न वालों के लिए शुक्र बाधक ग्रह है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए ।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य ‘धनहीन योग’ बनाएगा। जातक का रुपया मुकदमेबाजी या शत्रुओं का मुकाबला करने में खर्च होगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ चन्द्रमा ‘लग्नभंग योग’ बनाएगा। ऐसे जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल ‘संतानहीन योग’ एवं ‘राज्यभंग योग’ बनाएगा। ऐसे जातक को विद्या में बाधा, संतति व नौकरी विलम्ब से लगेगी।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध ‘पराक्रमभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ बनाएगा। ऐसा जातक धनी होगा। जातक मकान वाहन सुख से सम्पन्न होगा पर मानभंग होने का खतरा बना रहेगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ गुरु होने से ‘भाग्यभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ दोनों बनाएगा। ऐसा जातक सौभाग्यशाली एवं धनी होगा पर काफी संघर्ष के बाद ।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि ‘विपरीत राजयोग’ बनाएगा। जातक धनी होगा पर ‘विलम्ब विवाह योग’ के कारण विवाह सुख देरी से मिलेगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु गुप्त रोग बनाएगा। जातक की आयु को खतरा है।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक के जीवन काल में शल्य चिकित्सा जरूर कराएगा।

अष्टम भाव के शुक्र का उपचार

  • राजयोग को मजबूत करने के लिए ‘शुक्र यंत्र धारण करें।
  • शुक्रवार को व्रत कथा तथा कर्पूर, आरती करें।
  • ‘शुक्र कवच’ का नित्य पाठ करें।
  • घर से निकलते समय राई के दाने मुंह में डालकर बाहर निकलें।
  • शुक्रवार के दिन अग्नि कोण (SE) की ओर यात्रा न करें।
  • शुक्रवार को नमक और खटाई पूर्णत: वर्जित है।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश नवम भाव में

कर्क लग्न में नवम भावस्थ शुक्र उच्च का होता है। यह चौथे भाव से छठे एवं ग्यारहवें भाव से ग्यारहवें होकर तीसरे भाव पर पूर्ण दृष्टि से देखा रहा है।

ऐसे जातक को पिता की सम्पत्ति मिलती है। जातक का पिता धार्मिक प्रतिष्ठित एवं अत्यधिक धन-दौलत वाला होता है। जातक की माता अच्छी होगी। जातक को उत्तम वाहन एवं उत्तम मकान का सुख मिलेगा।

निशानी – जातक को मित्र एवं बड़े भाई साहब से लाभ होग।

विशेष – कर्क लग्न वालों के लिए शुक्र लाभेश होने के कारण बाधक ग्रह है पर लाभ स्थान में कोई अन्य ग्रह होगा तो वह बाधक ग्रह कहलाएगा; शुक्र नहीं।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य व्यक्ति को धनवान एवं सभी प्रकार के ऐश्वर्यशाली संसाधनों से युक्त जीवन देगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ लग्नेश चन्द्रमा जातक को परिश्रम का समुचित लाभ देगा। जातक क्रियाशील एवं सौन्दर्य प्रेमी होगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ पंचमेश राज्येश मंगल व्यक्ति को बड़ी भूमि एवं भवन का स्वामी बनाएगा। उसे पैतृक सम्पत्ति भी मिलेगी।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ पराक्रमेश बुध ‘नीचभंग राजयोग’ बनाएगा। जातक राजा के समान ऐश्वर्यशाली, पराक्रमी तथा बुद्धिमान होगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ गुरु होने से ‘किम्बहुना योग’ बनता है। जातक परम धार्मिक, परम दयालु, परम परोपकारी होता हुआ राजातुल्य ऐश्वर्य को भोगता है।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ सप्तमेश-अष्टमेश शनि जातक का भाग्योदय विवाह के बाद कराएगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु जातक के भाग्योदय में बाधा का कार्य करेगा। फिर भी जातक धार्मिक एवं नीतिवान होगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक को उन्नति के चरम शिखर पर पहुंचाएगा।

नवम भाव के शुक्र का उपचार

  • भाग्योदय हेतु ‘शुक्र यंत्र’ शीघ्र पहनें।
  • हीरे की अंगूठी व हीरे के आभूषण अधिकाधिक पहनें।
  • शीघ्र भाग्योदय हेतु शुक्र अष्टोत्तर शत नामावली का हवनात्मक प्रयोग करें।
  • नवरत्न जड़ित श्रीयंत्र धातु में पहनें।
  • नव हीरा जडित श्रीयंत्र गले में धारण करें।
  • वाहन क्रीम रंग का खरीदें तो उन्नति होगी।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश दशम भाव में

कर्क लग्न में शुक्र दसवें स्थान में मेष राशिगत होकर मित्रक्षेत्री होगा। चौथे भाव से सातवें स्थान पर, एकादश भाव से बारहवें स्थान पर होकर चतुर्थ भाव अपने ही घर को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है।

ऐसे जातक को शुक्र के धंधे से लाभ होता है। जातक ऐश्वर्यशाली वस्तुओं का व्यापारी, हीरा मोती, जवाहरात, स्वर्ण आभूषण, रत्न, केमीकल, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं कलात्मक वस्तुओं का पारखी, एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के विदेशी कारोबार से लाभ प्राप्त करने वाला व्यक्ति होता है।

निशानी – जातक के बड़े भाई-बहन से सम्बन्ध अच्छे नहीं होते। जातक का वैवाहिक जीवन सुखी होगा।

दशा – शुक्र की दशा उत्तम फल देगी।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य यहां उच्च का होकर ‘रविकृत राजयोग’ बनाएगा। जातक उच्च नौकरी या व्यापार करेगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ लग्नेश चन्द्रमां जातक को व्यापार में उन्नति देगा। ऐसा जातक धनवान होगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल यहां ‘रुचक योग’ एवं ‘पद्मसिंहासन योग’ बनाएगा। ऐसा जातक राजा के समान पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध होने से व्यक्ति महान पराक्रमी तथा बुद्धिशाली होगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ भाग्येश-षष्टेश गुरु होने से व्यक्ति परम सौभाग्यशाली होगा। पर प्रत्येक कार्य में एक बार अड़चन जरुर आएगी।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि यहां नीच का होगा। ऐसा जातक पराक्रमी तो होगा पर पत्नी से कम निभेगी।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु राजकार्य की पूर्ण सफलता में बाधक है।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु राजकार्य की प्रगति में अवरोधक है। फिर भी जातक शत्रुओं का नाश करने में सक्षम व समर्थ होगा।

दशम भाव के शुक्र का उपचार

  • राजयोग व नौकरी हेतु ‘शुक्र यंत्र’ धारण करें।
  • व्यापार लाभ हेतु नवरत्न जड़ित श्रीयंत्र पहनें।
  • हीरे की अंगूठी व हीरे के आभूषण अधिकाधिक पहनें।
  • घर की दीवारों पर क्रीम रंग का इस्तेमाल करें।
  • शीघ्र राज्यसुख की प्राप्ति हेतु शुक्र अष्टोत्तर शत नामावली का हवनात्मक प्रयोग करें।
  • कनकधारा यंत्र + श्रीयंत्र + कुबेर यंत्र सुनहरी फ्रेम में जड़वाकर स्थापित करें।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश एकादश भाव में

कर्क लग्न में ‘शुक्र एकादश भाव में होने से स्वगृही होगा। चौथे भाव से आठवें एवं पांचवें पर दृष्टि होने से शुक्र जातक को आर्थिक लाभ देगा। जातक को उत्तम मित्र एवं श्रेष्ठ पड़ौसी मिलेंगे।

जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा। जीवनसाथी वफादार एवं पुण्यवान होगा।

निशानी – जातक को माता का सुख तो होगा पर मां बीमार रहेगी। जातक की प्रथम संतान कन्या होगी। जातक को कन्या सन्तति की बाहुल्यता रहेगी।

विशेष – जातक पारिजात के अनुसार कर्क लग्न वालों के लिए शुक्र की यह स्थिति ‘बाधक ग्रह’ का काम करेगी। बाधक ग्रह अपनी दशा में जातक की उन्नति में बाधक होता है।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ धनेश सूर्य होने से जातक महान् धनी होगा। ऐसा जातक पुत्रवान जरूर होगा।

2. शुक्र + चन्द्र – यदि शुक्र के साथ चन्द्रमा हो तो ‘किम्बहुना योग’ बनता है। ऐसा जातक उच्च कोटि का उद्योगपति यॉ व्यापारी होता है तथा व्यापार में खूब धन कमाता है।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ पंचमेश राज्येश मंगल जातक को उद्योगपति बनाएगा। जातक के तीन पुत्र होंगे।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ तृतीयेश व्ययेश बुध की युति से जातक कुशल व्यापारी होगा पर व्यापार में उतार-चढ़ाव आता रहेगा। जातक के कन्याएं अधिक होगी।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ भाग्येश-षष्टेश गुरु लाभ स्थान में होने से जातक भाग्यशूर होगा। जातक के पुत्र पराक्रमी होंगे पर उनके जीवन में शत्रु भी होंगे जो समय-समय पर परेशान करेगे।

6. शनि + शुक्र के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि लाभ स्थान में जातक को शूरवीर बनाएगा। जातक व्यापार प्रिय होगा। प्रायः जीवन का प्रारंभ प्राईवेट नौकरी से होगा।

6. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ यहां राहु व्यापारिक लाभ को तोड़ेगा तथा संतान सुख व्यवधान उत्पन्न करेगा।

7. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ यहां केतु वंशवृद्धि में बाधक है। व्यापार में उतार-चढाव रहेंगे।

एकादश भाव के शुक्र का उपचार

  • व्यापार लाभ हेतु ‘शुक्र यंत्र’ धारण करें।
  • शुक्रवार के दिन चांदी के बर्तन से तुलसी में जल सींचें।
  • कनकधारा यंत्र + श्रीयंत्र + कुबेर यंत्र सुनहरी फ्रेम में जड़वाकर स्थापित करें।
  • वाहन क्रीम रंग का खरीदें।
  • ऑफिस में क्रीम रंग का फर्नीचर बनवाएं।

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश द्वादश भाव में

कर्क लग्न में द्वादशस्थ शुक्र मिथुन राशि में होगा। शुक्र की दृष्टि छठे भाव पर होने से जातक उड़ाऊ व खर्चीले स्वभाव का होगा।

द्वादश शुक्र योग – जातक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल रहेगा। शुक्र की यह स्थिति विशेष योगकारक है।

नेत्र विकार – जातक को बाईं आंख में विकार हो सकता है।

दशा – शुक्र की दशा जातक के लिए लाभकारी नहीं होगी। क्योंकि ‘कर्क लग्न’ वालों के लिए शुक्र बाधक ग्रह का कार्य करेगा।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य यहां ‘धनहीन योग’ बनाता है। यह धन पीड़ा एवं नेत्र पीड़ा दोनों को दर्शाता है।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ चन्द्रमा यहां ‘लग्नभंग योग’ बनाएगा। ऐसे जातक को परिश्रम का पूरा लाभ नहीं मिलता। वामनेत्र में पीड़ा-व्याधि रहेगी।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ यहां मंगल क्रमशः ‘विद्याभंग योग’ एवं ‘राज्यभंग योग’ बनाता है। ऐसे जातक को प्रारंभिक विद्या में बाधा आती है। सरकारी नौकरी प्राप्त करने में परेशानी आती है।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध यहां ‘पराक्रमभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ दोनों बनाता है। जातक धनी तथा वैभव सम्पन्न होगा परन्तु मान भंग होने का भय बना रहेगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ गुरु क्रमशः ‘भाग्यभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ दोनों बनाएगा। जातक धनी, पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा पर संघर्ष बहुत करना पड़ेगा। प्रथम प्रयास में सफलता नहीं मिलेगी।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि होने से ‘विलम्ब विवाह योग’ बनता है साथ ही ‘विपरीत राजयोग’ भी बनता है। जातक का विवाह देरी से होगा पर विवाह के बाद किस्मत चमकेगी।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु होने से जातक के ‘लम्पट योग’ बनता है। जातक व्यभिचारी होगा। जातक विदेश जाएगा एवं विदेशी कन्या से विवाह करेगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु होने से जातक देशाटन, तीर्थाटन में रुचि लेगा तथा विदेशी व्यापार से (Export-Import) से धन कमाएगा।

द्वादश भाव के शुक्र का उपचार

  • राजयोग को मजबूत करने के लिए ‘शुक्रयंत्र’ धारण करें।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • ‘शुक्र कवच’ का नित्य पाठ करें।
  • शुक्रवार के दिन अग्नि कोण (SE) की ओर यात्रा न करें।
  • शुक्रवार को नमक और खटाई पूर्णत: वर्जित है।
  • किसी की जमानत न दें एवं रुपया किसी को उधार न दें।
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