मूल अंक बनाना

यहाँ आपको मूल अंक अर्थात मूलांक बनाना बता रहे हैं। यह जन्म की तारीख से बनाया जाता है। मान लो किसी व्यक्ति की जन्म तारीख एक है, तो उसका मूलांक 1 होगा। इसी प्रकार 2 का 2, 3 का 3, 4 का 4, 5 का 5 6 का 6, 7 का 7, 8 का 8 एवं 9 जन्म तारीख का मूल अंक 9 रहेगा।

  • तारीख 10 का 1+0 = 1 होगा तथा
  • इसी तरह 11 का 1+1 = 2,
  • 12 का 1+2 = 3,
  • 13 का 1+3 = 4,
  • 14 का 1+4 = 5,

15 का 6, 16 का 7, 17 का 8, 18 का 9, 19 का 10 अर्थात् 1, 20 का 2, 21 का 3, 22 का 4, 23 का 5, 24 का 6, 25 का 7, 26 का 8, 27 का 9, 28 का 10 अर्थात् 1, 29 का 11 अर्थात् 2, 30 का 3, 31 का 4 मूलांक बनेगा ।

किसी भी संख्या का मूल अंक जानने का आसान तरीका यह है कि उस संख्या में 9 का भाग दीजिये, जो शेष बचे वही मूल अंक होगा। 0 शून्य बचे तो 9 मूल अंक होगा।

भाग्यांक बनाना

जन्म दिनांक के सम्पूर्ण अंकों के जोड़ को संयुक्तांक अथवा भाग्यांक (Lucky Number) कहते हैं। इसमें तारीख माह एवं सन् सभी को एक साथ जोड़ देते हैं। जैसे

15.08.1947 का योग

1+5+0+8+1+9+4+7=35=3+5 = 8

यह 8 का अंक ही भाग्यांक या संयुक्तांक होता है ।

मूलांक 1 सूर्य

किसी भी वर्ष या महीने की 1, 10, 19 और 28 तारीख को जन्म लेने वाले व्यक्ति या जातक का मूलांक 1 होता है। ऐसे जातक सूर्य ग्रह से प्रभावित होते हैं। इन पर सूर्य का प्रभाव विशेष रूप से देखा गया है।

यह स्थिर विचारधारा के व्यक्ति रहते हैं एवं अपने निश्चय पर दृढ़ रहते हैं। जीवन में जब भी यह किसी को वचन इत्यादि देते हैं तो उन्हे पूर्ण निभाने की कोशिश करते हैं। इनकी इच्छा शक्ति दृढ़ होती है तथा जो भी कार्य या विचार अपने मन में बना लेते हैं, उनका पालन करने की निरन्तर कोशिश करते हैं।

प्रेम संबंध या मित्रता के संबंध स्थाई और लम्बे समय तक मधुर बने रहते हैं। जब कभी किसी कारणवश इनका किसी से विवाद या शत्रुता हो जाती है तो ऐसी परिस्थिति में इनका शत्रु या विभाजित व्यक्ति से मन मुटाव दीर्घ काल तक बना रहता है।

इनकी मानसिक स्थिति स्वतन्त्र विचार धारा की होने से पराधीन रहकर कार्य करने में असुविधा महसूस करते हैं। किसी के अनुशासन में कार्य करने की अपेक्षा यह स्वतंत्र रूप से कार्य करना अधिक पसंद करते हैं। निष्पक्ष कोशिश एवं महत्वकांक्षा रहती है कि यह जो भी कार्य करें निष्पक्ष एवं स्वतंत्र हो, उस कार्य में किसी बाहरी व्यक्ति का बीच में हस्तक्षेप इनको मंजूर नहीं होता है।

मूलांक 1 का स्वामी सूर्य ग्रह होने के कारण सूर्य से संबंधित गुण कमोवेश मात्रा में इनके अन्दर मोजूद रहती है। जिसके प्रभाव से यह दूसरों का उपकार एवं उपचार निरन्तर करते रहते हैं। सामाजिक क्षेत्र में यह सूर्य के समान ही प्रकाशित होना पसंद करते हैं। सामाजिक संगठनो में मुखिया एवं निरन्तर उच्च पद पाने की इनकी चाहत बनी रहती है। जिसे यह अपनी मेहनत एवं लगन से प्राप्त कर लेते हैं।

मूलांक 1 के अन्दर जन्म लेने वाले व्यक्ति महत्वाकांक्षी होते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार का प्रतिबंध अपने ऊपर पसंद नहीं आता। वे जो भी कार्य, धंधा या व्यवसाय अपनाते हैं उसमें सदैव उन्नति के शिखर पर अपने परिश्रम से पहुँचते हैं। अपने क्षेत्र एवं व्यवसाय में हमेशा प्रमुख की भूमिका अदा करने के आकांक्षी होते हैं। यह विभागी प्रमुख होने के साथ साथ सत्ता सम्पन्न होते हैं एवं अपने अधिनस्थ व्यक्तियों से मान सम्मान प्राप्त करना जानते हैं। चूंकि इनमें नेतृत्व करने का गुण सर्वोपरि रहता है, इसलिये यह गुण जन्म से मृत्यु तक इनमें बना रहता है।

जीवन की प्रारंम्भिक अवस्था में भी यह गुण दिखलाई देता है। यह धैर्यवान होते हैं एवं धैर्य का साथ कभी नहीं छोड़ते। यह अपने अध्ययन में कमी नहीं आने देते एवं अच्छी सूझ बूझ के साथ अपनत्व भाव रखते हुए स्वतन्त्रता पूर्वक कार्य करते रहते हैं तथा अपने कार्य में किसी पर निर्भर नहीं रहते। यह भावुकता में दूसरों पर विश्वास कर कभी कभी धोखा भी खा जाते हैं।

यह व्यर्थ के आडम्बर, तड़क भड़क से दूर रहते हैं। इनका क्रोध क्षणिक होता है । चाटुकारता, दिवानगी, ओछापन, खुदगर्जी पसंद नहीं होती । सत्य के मार्ग पर यह चलते हैं तथा इनके विचारों में मौलिकता, नई सूझ बूझ, तीव्र कल्पना शक्ति होती है। सिंह में या मेढ़ा में जितनी ताकत होती है उतनी ही ताकत से यह अपने कार्य में लगे रहते हैं।

दूसरों की मदद करना इनके स्वभाव में रहता है। ऐसे व्यक्ति विपरीत लिंग की ओर सदैव आकर्षित रहते हैं और कई बार चोट भी खाते हैं। परिर्वतन इनका विशेष गुण है। व्यापार हो या नौकरी, समाज सेवा या राजनिति, धार्मिक क्षेत्र हो या पारिवारिक इनमें यह सदैव परिवर्तन के अनुयायी रहते हैं। इस कारण इनके स्वभाव को तथा आचरण को समझना थोड़ा कठिन होता है। एक ही मार्ग, एक ही लक्ष्य इनको पसंद नहीं आता। ऐसे व्यक्ति गुप्त शत्रुओं से कभी कभी घात खाते रहते हैं।

मूलांक 1 के लिए अनुकूल समय

पाश्चात्य मतानुसार दिनांक 21 मार्च से 20 अप्रैल तथा 24 जुलाई से 23 अगस्त तक गोचर में सूर्य मेष तथा सिंह राशि में रहता है। मेष में सूर्य उच्च का तथा सिंह में अपने घर में होता है। इस समय में सूर्य की किरणें प्रखर एवं तेजस्वी होने से मूलांक 1 के लिए यह समय सभी दृष्टियों से उन्नतिशील तथा कार्यों में प्रगति देने वाला रहता है। इस समय में किये गये। कार्य अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं।

मूलांक 1 के लिए प्रतिकूल समय

अक्तूबर, नवंबर तथा दिसंबर में सूर्य की किरणें तेजस्वी न होने से प्रभावहीन समय रहता है। इस काल में स्वास्थ्य का ध्यान रखना हितकर रहता है ।

मूलांक 1 के लिए अनुकूल दिवस

रविवार एवं सोमवार के दिन इनके लिए विशेष शुभ फलदायक रहते हैं। यदि इनकी अनुकूल तारीखों में से ही किसी तारीख को रविवार या सोमवार पड़ रहा हो तो ऐसा दिन इनके लिए अधिक अनुकूल और श्रेष्ठ फलदायक रहेगा ।

मूलांक 1 के लिए शुभ तारीखें

इनको उच्च अधिकारी से मिलने जाना हो, या पत्र लिखना, अथवा किसी से मिलना, कोई नया कार्य या व्यापार आदि प्रारंभ करने हेतु इनको किसी भी माह की 1, 4, 8, 10, 13, 17, 19, 22, 26, 28 और 31 तारीखें अनुकूल रहेंगी । अतः यह कोई कार्य यदि इन तारीखों को ही प्रारंभ करें तो वह अधिक सुविधापूर्ण एवं शीघ्र सफल होता है।

मूलांक 1 के लिए अशुभ तारीखें

इनके लिए किसी भी माह की 5, 6, 14, 15, 23 एवं 24 तारीखें कोई भी नया कार्य करने हेतु प्रतिकूल हो सकती हैं। अतः उपर्युक्त तारीखों में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य न करें।

मूलांक 1 के लिए साझेदारी, मित्रता

यह ऐसे व्यक्तियों से मित्रता या साझेदारी स्थापित करें जिनका जन्म 1, 10, 19, और 28 तारीखों को, अथवा दिनांक 13 अप्रैल से 12 मई और 17 अगस्त से 16 सितंबर के मध्य हुआ हो। ऐसे व्यक्ति इनके लिए अनुकूल सहयोगी एवं विश्वासपात्र सिद्ध होंगे। इस प्रकार के व्यक्तियों से इनकी मित्रता स्थायी एवं दीर्घ रहेगी तथा रोजगार व्यवसाय, साझेदारी आदि में सहायक रहेगी।

मूलांक 1 के लिए विवाह, प्रेम संबंध

मूलांक 1, 4, या 8 से प्रभावित महिलाएं इनकी अच्छी साथी सिद्ध हो सकती हैं। उपर्युक्त मूलांक वाली महिलाओं से यह सहज ही प्रेम संबंध स्थापित कर सकते हैं तथा उसमें सफल भी हो सकते हैं। जिनका जन्म किसी भी माह की 1, 4, 8, 10, 13, 17, 19, 22, 26, 28, और 31 तारीखों में हुआ हो वे सभी स्त्रियां इनके लिए सहायक एवं लाभपूर्ण रहेंगी ।

मूलांक 1 के लिए अनुकूल रंग

इनके लिए अधिक अनुकूल रंग पीला या ताम्र वर्ण है। पीला भी पूर्णतः पीला नहीं, अपितु सुनहरा पीला होना चाहिए। यह यथा संभव इसी रंग का उपयोग ड्राइंग रूम के पर्दे, चादर, तकिये, बिछावन आदि में करें। हो सके तो अपने पास इस रंग का रुमाल तो यह हर समय रक्खें। स्वास्थ्य की क्षीणता के समय भी यह इसी रंग के वस्त्र पहनेंगे तो इनका स्वास्थ्य शीघ्र ठीक हो जाएगा।

मूलांक 1 के लिए वास्तु एवं निवास

इनके लिए ऐसे राष्ट्र, देश, प्रदेश, शहर, ग्राम, बाजार, मकान, कॉम्प्लैक्स या फ्लैट में निवास करना शुभ रहेगा, जिसका मूलांक या नामांक एक हो पूर्व दिशा इनके लिए हमेशा शुभ रहेगी। अतः यह अपने शहर के पूर्वी क्षेत्र में, या भवन के पूर्वी क्षेत्र में निवास करें।

इनकी बैठक पूर्व दिशा की ओर होना लाभप्रद रहेगा। इनके लिए पूर्वी क्षेत्रों, पूर्वी देशों, पूर्वी स्थानों में नौकरी, रोजगार, व्यापार करना शुभ रहेगा। पहनने के वस्त्रों का चुनाव करते समय भूरे, पीले, सुनहरे रंगों का समावेश इनके कपड़ों में होने से इनके व्यक्तित्व में निखार आएगा।

भवन, वाहन, दीवारें, पर्दे, फर्नीचर इत्यादि का रंग भी यदि यह पीला, सुनहरा या भूरा रखेंगे, तो इनके पारिवारिक वातावरण में खुशहाली बढ़ेगी ।

मूलांक 1 के लिए वाहन, यात्रा, होटल

यदि यह वाहन आदि खरीदते हैं, तो उसके पंजीकरण के लिए नंबर इनके अपने मूलांक तथा मूलांक के मित्र अंक से मेल रखने वाले अंकों को लेना हितकर रहेगा। इनका मूलांक 1 है। अतः इनके लिए अंक 1, 4, 8 अच्छे रहेंगे। इसलिए इनके वाहन पंजीकरण क्रमांक का योग 1, 4 या 8 रहेगा तो अधिक अच्छा रहेगा, जैसे पंजीकरण क्रमांक 5230 = 1 इत्यादि।

इनकी यात्रा के वाहनों के अंक भी यदि 1, 4 या 8 हैं तो इनकी यात्रा लाभप्रद रहेगी। यदि ये होटल में कमरा बुक करवाते हैं तो उसका नंबर 100 = 1 इत्यादि होगा, तब वह कमरा इनके लिए हितकर रहेगा ।

मूलांक 1 के लिए स्वास्थ तथा रोग

इनका हृदय पक्ष कमजोर रहेगा तथा हृदय संबंधी कोई कष्ट इनको अधिक उम्र पर हो सकता है। रक्त संबंधी बीमारियां भी यदा कदा हो सकती हैं। संभावना रहेगी, जिसे ये वृद्धावस्था में रक्त चाप, ‘हार्टअटैक’ तथा नेत्र पीड़ा जैसे रोगों की सूर्योपासना द्वारा दूर कर सकते हैं। जब भी इनके जीवन में रोग की स्थिति आएगी तब इनको डिप्थीरिया, अपच, रक्त दोष, गठिया, रक्तचाप, स्नायविक दुर्बलता, नेत्र पीड़ा आदि रोग होंगे। उक्त रोगों से इनको हर समय सावधान रहना चाहिए। रोग अशुभ समय, कष्ट तथा विपत्ति के समय इनको सूर्योपासना पर बल देना चाहिए तथा रविवार के दिन, नमक रहित, एक समय भोजन करना चाहिए ।

मूलांक 1 के लिए व्यवसाय

इनके लिए हुकूमत, प्रशासक, नेतृत्व, अधिकारी, आभूषण, जौहरी का कार्य स्वर्णकारिता, विद्युत की वस्तुएं चिकित्सा, मेडीकल स्टोर, ज्योतिष, अन्न का व्यवसाय भूप्रबंध, मुख्यावास या उच्च स्थान प्राप्ति, मकानों की ठेकेदारी, राजनीतिक कार्य, शतरंज के खेल, अग्नि सेवा कार्य, सैन्य विभाग राजदूत, प्रधान पद जलप्रदाय विभाग, श्रमशील कार्य आदि के क्षेत्र में रोजगार – व्यापार करना लाभप्रद रहेगा।

मूलांक 1 के लिए अनुकूल रत्न

माणिक इनका प्रधान रत्न है। माणिक के अभाव में गारनेट, तामड़ा, लालड़ी, सूर्यमणि या लाल हकीक शुक्ल पक्ष में रविवार के दिन लाभ के चौघड़िया मुहूर्त में, सोने की अंगूठी में, लगभग पांच रत्ती का दायें हाथ की अनामिका उंगली में, त्वचा को स्पर्श करता हुआ, धारण करें।

मूलांक 1 के लिए अनुकूल जड़ी बूटी

ऐसे जातक रविवार के दिन बिल्वपत्र की एक इंच लंबी जड़ ला कर, गुलाबी धागे में लपेट कर दाहिने हाथ में बांधे, अथवा स्वर्ण या तांबे के ताबीज में भर कर गले में धारण करें। इससे सूर्य ग्रह के अशुभ प्रभाव कम होंगे तथा शुभ प्रभावों में वृद्धि होगी ।

मूलांक 1 के लिए अनुकूल  हर्बल (औषधि) स्नान

इनके लिए प्रत्येक रविवार को एक बाल्टी या बर्तन में कनेर, दुपहरिया, नागरमोथा, देवदारू, मैनसिल, केसर, इलायची, पद्माख, महुआ के फूल, सुगंध बाला आदि औषधियों का चूर्ण कर पानी में डाल कर स्नान करना सभी प्रकार के रोगों से मुक्तिदायक रहेगा । हर्बल स्नान से इनकी त्वचा की कांति में वृद्धि होगी। अशुभ सूर्य का प्रभाव क्षीण हो कर आपके तेज एवं प्रभाव में वांछित लाभ प्रदान करेगा।

सभी ग्रहों की शांति के लिए कूट्ठ खिल्ला, कांगनी, सरसों, देवदारू, हल्दी, सर्वोषधि तथा लोध, इन सबको मिला कर चूर्ण कर, किसी तीर्थ के पानी में मिला कर भगवान का स्मरण करते हुए स्नान करें, तो सभी ग्रहों की शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी।

मूलांक 1 के लिए अनुकूल दान पदार्थ

सूर्य की शांति हेतु योग्य व्यक्ति को सूर्य के पदार्थ गेहूं, गुड़, रक्त चंदन, लाल वस्त्र, सोना, माणिक्य आदि का दान करना लाभप्रद रहेगा।

मूलांक 1 के लिये अनुकूल देवता ऐवम मंत्र

मूलांक एक के जातक सूर्योपासना करें तथा उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए, नित्य एक लोटा अर्ध्य जल, रोली, चावल जल में डाल कर ग्यारह या इक्कीस बार सूर्य गायत्री मंत्र का जप करते हुए, सूर्य भगवान को प्रदान करें। सूर्य जीवनदाता है। अतः इस क्रिया को करने पर इन्हें विभिन्न रोगों तथा समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। यदि यह संभव न हो सके तो माणिक जड़ित स्वर्ण अंगूठी के नित्य प्रातः दर्शन किया करें।

व्रतोपवास – इनके लिए रविवार का व्रत रखना लाभप्रद एवं रोग मुक्तिकारक रहेगा। एक समय भोजन करें । भोजन के साथ नमक का सेवन न करने से यह विशेष फलदायक रहता है। व्रत के दिन भोजन करने से पूर्व प्रातः स्नान के पश्चात सुगंधित अगरबत्ती जला कर ‘आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। तब इनको स्वयं अनुभव होगा कि ये विभिन्न बाधाओं से मुक्त हो रहे हैं एवं बीमारियां इनसे दूर रहेंगी। यह व्रत एक वर्ष तीस या बारह रविवारों को करें। व्रत के दिन लाल वस्त्र धारण करें, सूर्य गायत्री मंत्र से सूर्य को अर्घ्य दें। तांबे का अर्घ्य पात्र लें। उसमें जल भरें। जल में लाल चंदन, रोली, चावल, लाल फूल एवं दूब डाल कर, सूर्य भगवान का दर्शन करते हुए, अर्घ्य प्रदान करें। पश्चात् सूर्य के मंत्र का यथाशक्ति, सूर्यमणि माला पर जप करें।

गायत्री मंत्र – इनके लिए सूर्य के शुभ प्रभावों की वृद्धि हेतु सूर्य के गायत्री मंत्र का प्रातः स्नान के बाद ग्यारह, इक्कीस या एक सौ आठ बार जप करना लाभप्रद रहेगा ।

ॐ आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।।

ध्यान मंत्र – प्रातःकाल उठ कर ऐसे जातक सूर्य का ध्यान करें, मन में सूर्य की मूर्ति प्रतिष्ठित करें और तत्पश्चात् निम्न मंत्र का पाठ करें।

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महा द्युतिम् । तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।।

ग्रह मंत्र: अशुभ सूर्य को अनुकूल बनाने हेतु सूर्य के मंत्र का जप करना चाहिए। नित्य कम से कम एक माला एक सौ आठ जप करने से वांछित लाभ मिल जाते हैं। पूरा अनुष्ठान साठ माला का है।

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः । जप संख्या 6000 ।

अंक ज्योतिष

  1. अंकों की उत्पत्ति
  2. अंको की रहस्यमयी शक्ति
  3. मूलांक 1 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
  4. मूलांक 2 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
  5. मूलांक 3 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
  6. मूलांक 4 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
  7. मूलांक 5 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
  8. मूलांक 6 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
  9. मूलांक 7 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
  10. मूलांक 8 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
  11. मूलांक 9 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
  12. अंक ज्योतिष से भाग्यशाली नाम का चुनाव
  13. अंक कुण्डली
  14. मूक प्रश्न
  15. अंक ज्योतिष से खोजें खोई हुई वस्तु

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