रत्न धारण का वैज्ञानिक विवेचन

मेष लग्न में रत्न धारण का वैज्ञानिक विवेचन 1. माणिक्य – मेष लग्न में सूर्य पंचम त्रिकोण का स्वामी है और लग्नेश मंगल का मित्र है। अतः मेष लग्न के जातक को बुद्धि-बल प्राप्त करने, आत्मोन्नति के लिए, संतान सुख, प्रसिद्धि राज्य कृपा प्राप्ति के लिए सदा माणिक्य धारण करना Read more…

केतु का रत्न लहसुनिया कब, किसे व कैसे धारण करना चाहिए?

केतु-रत्न या लहसुनिया को लहसनिया, संस्कृत में सूत्रमणि अथवा वैदूर्य, फारसी में वंडर तथा अंग्रेजी में ‘कैट्स आई स्टोन’ (Cat’s Eye Stone) कहते हैं। इस मणि में सफेद धारियाँ पाई जाती हैं । दो, तीन अथवा चार धारियाँ होना साधारण बात है । परन्तु उत्तम कोटि का लहसनिया वह कहलाता Read more…

राहु का रत्न गोमेदक कब, किसे व कैसे धारण करना चाहिए?

गोमेदक प्रमुखतः राहु का रत्न माना गया है। इसे फारसी में मेदक तथा अंग्रेजी में झिरकान (Zircon) कहते हैं। इसका रंग पीला-पीला-सा गोमूत्र के समान होता है, साथ ही इसमें श्यामला मिश्रित मधु की झाई भी दिखाई दे जाती है। यह अधिकतर चीन, बर्मा, अरब, सिंधु नदी के किनारे पाया Read more…

शनि का रत्न नीलम कब, किसे व कैसे धारण करना चाहिए?

नीलम शनिदेव का प्रधान रत्न है। इसे संस्कृत में इन्द्रनीलमणि, हिन्दी में नीलम, फारसी में नीलविल याकूत और अंग्रेजी भाषा में सेफायर टरग्यूज (Sapphire Turguese) कहते हैं। अधिकतर नीलम हिमालय, विन्ध्य, आबू पर्वतों के अंचल में, लंका, काबुल, जावा आदि की ओर मिलता है । प्रत्येक वर्ण के लिए इस Read more…

शुक्र का रत्न हीरा कब, किसे व कैसे धारण करना चाहिए?

संस्कृत में इसे वज्रमणि या इन्द्रमणि, हिन्दी में हीरा, फारसी में अलिमास और अंग्रेजी में डायमण्ड (Diamond) कहते हैं । यह रत्न-राज कहलाता है, क्योंकि अन्य समस्त रत्नों में यह दुर्लभ और कीमती होता है । समस्त देवतागण इसे धारण करते हैं। भाग्यवान देशों में ही इसकी खानें होती हैं Read more…

बृहस्पति का रत्न पुखराज कब, किसे व कैसे धारण करना चाहिए?

संस्कृत में इसे पुष्पराग, हिन्दी में पुखराज या पुषराज, फारसी में जर्द याकूत, अंग्रेजी भाषा में टोपे (Topaz) कहते हैं। यह मुख्यतः लंका, उड़ीसा तथा बंगाल के अंचलों में, ब्रह्मपुत्र के आसपास और विन्ध्य तथा हिमालय पहाड़ के अंचल में पाया जाता है । यह मुख्यतः पाँच रंगों में पाया Read more…

बुध का रत्न पन्ना कब, किसे व कैसे धारण करना चाहिए?

पन्ना बुध ग्रह का रत्न कहा गया है। इसे संस्कृत में मरकत मणि, फारसी में जमरन, हिन्दी में पन्ना और अंग्रेजी में एमराल्ड (Emerald) कहते हैं। इसका रंग हरा होता है तथा अधिकतर दक्षिण महानदी, हिमालय, गिरनार और सोमनदी के पास पाया जाता है। इस रत्न को धारण करने वाले Read more…

मंगल का रत्न मूंगा कब, किसे व कैसे धारण करना चाहिए?

इसे संस्कृत में विद्रुम, फारसी में मिरजान और अंग्रेजी में कोरल (Coral) कहते हैं । इसका स्वामी मंगल है। हिमालय पहाड़ और मानसरोवर के पास यह पाया जाता है। मूँगा मुख्यतः चार रंग का होता है -लाल, सिन्दूरी, हिंगुले के रंग-सा और गेरुआ। मूंगे के गुण प्रत्येक प्रकार के मूंगे Read more…

चंद्र का रत्न मोती कब, किसे व कैसे धारण करना चाहिए?

मोती को संस्कृत में मुक्तक कहते हैं। चन्द्रमा इसका स्वामी है तथा इसके धारण करने से चन्द्रमा सम्बन्धी दोष नष्ट हो जाते हैं । 1. गजमुक्तक: यह मोती संसार में सर्वश्रेष्ठ होते हैं तथा कठिनता से प्राप्त होते हैं। जिन हाथियों का जन्म पुष्य या श्रवण नक्षत्र में चन्द्र एवं Read more…

सूर्य का रत्न माणिक कब, किसे व कैसे धारण करना चाहिए?

माणिक कई रंगों में पाया जाता है यथा – लाल, रक्तकमलवत् सिन्दूरी तथा वीरबहूटी आदि। काबुल, लंका के अतिरिक्त भारत में गंगा नदी के किनारे ये रत्न पाये जाते हैं। विन्ध्याचल और हिमालय के अंचलों में भी इसकी खानें पायी जाती हैं। मुख्यतः माणिक में पाँच गुण पाये जाते हैं Read more…