कुंडली में क्षय रोग देखने के सूत्र

कुंडली में क्षय रोग देखने के सूत्र वैसे तो क्षय रोग के रोगाणु शरीर के किसी भी अंग पर अपना प्रभाव डाल सकते हैं, लेकिन फेफड़ों के क्षय रोग के मामले अधिक संख्या में प्रकाश में आते हैं । प्रायः विद्वानों का मत है कि क्षय रोग का विचार कर्क Read more…

रोगों के अनुसार रत्नों का चुनाव

रोगों के अनुसार रत्नों का चुनाव हिन्दू धर्म दर्शन में पंच तत्वों की विशेष मान्यता रही हैं। यह पंच तत्व ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त रहते है। यही पाँच तत्व प्राणी (मनुष्य) शरीर में भी अपना अस्तित्व बनाये हुए है। यद्यपि इन तत्वों की मात्रा अलग-अलग वस्तुओं और प्राणियों में Read more…

कैंसर में प्रभावशाली उपाय

कैंसर में प्रभावशाली उपाय ज्योतिष शास्त्र में अन्य रोगों के साथ कैंसर जैसी लाइलाज व्याधि का भी विश्लेषण किया जाता है। कैंसर व्याधि का उल्लेखा आयुर्वेद से संबन्धित ग्रंथों में ‘कर्कट रोग’ के रूप में किया गया है। आयुर्वेद मनीषियों ने इसे कर्मज व्याधि के रूप में मान्यता प्रदान की Read more…

रोग शांति के लिये विशिष्ट उपाय

रोग शांति के लिये विशिष्ट उपाय रोग उपचार के निमित्त दुनिया भर में ही विभिन्न तरीके इस्तेमाल किया जाते रहे है। इनके एक तरीका अपनी निष्ठा अनुसार अपने इष्टदेव से प्रार्थना, पूजा-अनुष्ठान करने का भी रहा है। और अब आधुनिक परीक्षणों से भी यह बात बिलकुल स्पष्ट हो चुकी है Read more…

पितृदोष और रोग विचार

पितृदोष और रोग विचार पितृदोष भी एक ऐसा दोष है कि जिसके जन्म कुंडली में विद्यमान रहने पर जातक और उसक परिवार एंव सगे-संबन्धी सभी नाना प्रकार के दुःख, दर्द, कष्ट और रोगादि भोगने पर मजबूर होना पडता है। पितृदोष के प्रभाव से स्वयं जातक को ही नहीं, अपितु उसकी Read more…

कुंडली में गुर्दा रोग देखने के सूत्र

कुंडली में गुर्दा रोग देखने के सूत्र वर्तमान में गुर्दा रोग से पीडित रोगियों की संख्या निरंतर बढ रही है। गुर्दा संबंधी रोग के पीछे कई तरह के कारण देखे जाते है। इनमें डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, मादक द्रव्यों का सेवन, शराब व रासायन आधारित दवाओं का लगातार सेवन करना, कीटनाशक Read more…

ज्योतिष शास्त्र में त्वचा संबंधी रोग

ज्योतिष शास्त्र में त्वचा संबंधी रोग ‘त्वचा’ यानी स्किन हमारे शरीर का सबसे बाहरी आवरण है। यह हमें एक विशेष व्यक्तित्व आकर्षण एंव चुम्बकीय आभा प्रदान करने के साथ-साथ विभिन्न रोग कारक जीवाणुओं, विषाणुओं, फंगस, मक्खी, मच्छर जैसे कीट-पंगतों से भी सुरक्षा प्रदान करती है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में Read more…

कुंडली में वाणी दोष देखने के सूत्र

कुंडली में वाणी दोष देखने के सूत्र द्वितीय स्थान वक्तृत्व शक्ति, भाषण शक्ति का स्थान है और बुध भाषण का कारक ग्रह है। काल पुरूष के इस हिस्से में वृष राशि का वास माना गया है। इसलिए इन योगों में वृष राशि की स्थित पर भी विचार किया जाता है। Read more…

कुंडली में मनोरोग देखने के सूत्र

ज्योतिष शास्त्र में मस्तिष्क, मानसिक शक्ति, मनोविकार, बुद्धि, विद्या, ज्ञान आदि के लिए अगल-अलग कारकों का अध्ययन किया जाता है। जब बुद्धि तथा मन के द्योतक सभी अंगों पर पापी ग्रहों का प्रभाव पाया जाये तो उन्माद योग की सृष्टि होती है। बुद्धि के द्योतक अंग हैं :- (i) लग्न Read more…

कुंडली में हृदय रोग देखने के सूत्र

हृदय रोगों के अनेक प्रकार देखने में आते है। इन सबके पीछे अलग-अलग तरह के कारण रहते हैं। जैसे कुछ लोगों का हृदय रक्त आपूर्ति में बाधा आने के कारण कमजोर पड़ने लगता है तो कुछ लोगों में रक्त नलिकाओं के अवरुद्ध होने पर हृदय अपना काम एकाएक बंद कर Read more…