दशाफल कहने के नियम

दशाफल कहने के नियम ग्रह कब ? कैसे ? कितना ? फल देते हैं इस बात का दशा अन्तर्दशा आदि से किया जाता है । दशा कई प्रकार की हैं, परन्तु सब में शिरोमणि विंशोत्तरी दशा है । इस अध्याय में हम विंशोत्तरी दशा के प्रयोग के कुछ आवश्यक नियमों Read more…

कुंडली के बरहवें भाव का महत्व

कुंडली के बरहवें भाव का महत्व द्वादश भाव से आंखों तथा पांवों पर प्रभाव, मोक्ष प्राप्ति, खर्च की दशा का विचार किया जाता है। 1. दृष्टि हानि – द्वादश स्थान में सूर्य अथवा चन्द्र का पापयुति अथवा पापदृष्टि में स्थित होना आंखों की दृष्टि की हानि का कारण है क्योंकि Read more…

कुंडली के ग्यारहवें भाव का महत्व

कुंडली के ग्यारहवें भाव का महत्व एकादश भाव से ससुराल से धन प्राप्ति, बड़े भाई की स्थिति, चोट का योग, हवाई यात्रा, हिंसक प्रवृत्ति, माता व बहनों से सुख की कमी आदि का विचार किया जाता है। 1. आय स्थान – एकादश स्थान प्राप्ति का स्थान है प्राप्ति, आय, आमदनी Read more…

कुंडली के दसवें भाव का महत्व

कुंडली के दसवें भाव का महत्व दशम भाव से  जातक की उन्नति, तीर्थलाभ, साम्राज्य योग व्यवसाय, अवनति तथा अपयश आदि का विचार किया जाता है। 1. दशम में ग्रह – दशम भाव में विविध ग्रहों का फल देवकेरलकार ने निम्नलिखित प्रकार से कहा है:- (क) (ख)  (ग) केन्द्रों में प्रमुख Read more…

कुंडली के नौवें भाव का महत्व

कुंडली के नौवें भाव का महत्व प्रभुकृपा, राज्यभोग, देश में यात्रा, भाग्योदय (आकस्मिक लाभ), पौत्र तथा पुत्र की प्राप्ति, दूसरी पत्नी से पुत्र 1. धार्मिक जीवन – जब लग्न अथवा लग्नेश के साथ नवम अथवा नवमेश का घनिष्ठ सम्बन्ध उत्पन्न हो जाता है तो मनुष्य में भाग्य और धर्म दोनों Read more…

कुंडली के आठवें भाव का महत्व

कुंडली के आठवें भाव का महत्व आयु कितनी ? मृत्यु कब और कैसे ? विपरीत राजयोग से महाधन विदेश यात्रा का योग, कर्कशा स्त्री, गम्भीर अन्वेषण आदि 1. आयु का निर्णय – आयु के सम्बन्ध में हमारा विचार है कि जितना अष्टमेश बलवान् होगा उतनी ही आयु अधिक होगी। हम Read more…

कुंडली के सातवें भाव का महत्व

कुंडली के सातवें भाव का महत्व सप्तम भाव से वैवाहिक सुख, बड़े घर से शादी, बहु विवाह, विवाह और उसका समय, प्रेम विवाह, तलाक आदि का विचार किया जाता है। 1. कामातुरता – यदि सप्तम स्थान तथा उसके स्वामी के साथ तथा शुक्र के साथ मंगल स्थित हो अथवा मंगल Read more…

कुंडली के छठे भाव का महत्व

कुंडली के छठे भाव का महत्व षष्ठ भाव से गोद जाना, विपरीत राजयोग चोट, रोग, चोरी हो जाना, हिंसा आदि का विचार किया जाता है। 1. परत्व तथा अन्यत्व – छठा भाव शत्रु स्थान कहलाता है। शत्रु निज हित की हानि करता है, अतः वह अपना नहीं, पराया कहलाता है। Read more…

कुंडली के पॉचवें भाव का महत्व

कुंडली के पॉचवें भाव का महत्व पंचम भाव से मंत्री पद योग, पुत्र प्राप्ति, प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता, प्रेम विवाह, लाटरी आदि का विचार किया जाता है। 1. बुद्धि से सम्बन्ध – पंचम भाव का बुद्धि से सम्बन्ध होने के कारण विद्या सम्बन्धी प्रश्नों का विवेचन पंचम भाव, उसके स्वामी Read more…

कुंडली के चौथे भाव का महत्व

कुंडली के चौथे भाव का महत्व चतुर्थ भाव से नेतृत्व सफल या असफल, भूमि से लाभ, बदली, शत्रुता, पुत्र से सुख या दुःख, देश निकाला, विद्रोह, अचानक कष्ट आदि का विचार किया जाता है। 1. पागलपन – यदि चतुर्थ भाव तथा उसका स्वामी तथा चन्द्र, बुद्धिद्योतक अन्य अंगों जैसे – Read more…