वर्ष के किसी भी मास की तारीख 2, 11, 20 और 29 तारीख को जन्म लेने वाले जातक का अंक ज्योतिष के आधार पर मूलांक दो होता है। मूलांक दो का स्वामी चन्द्र ग्रह को माना गया है। ऐसे जातकों पर चन्द्र का विशेष प्रभाव देखा गया है।
चन्द्र के प्रभाववश ऐसे जातक कल्पनाशील कलाप्रिय एवं स्नेहशील स्वभाव के होते हैं। इनकी कल्पनाशक्ति उच्च कोटि की होती है, लेकिन शारीरिक शक्ति इनकी बहुत अच्छी नहीं होती। इनमें बुद्धि चातुर्य काफी अच्छा रहता है एवं बुद्धि विवेक के कार्यों में ये दूसरों से बाजी मार ले जाते हैं।
जिस प्रकार से इनके मूलांक स्वामी चन्द्रमा का रूप एकसा नहीं रहता समयानुसार घटता-बढ़ता रहता है, उसी तरह इनके जीवन में भी काफी उतार चढाव आते हैं तथा एक विचार या योजना पर दृढ़ नहीं रह पाते ।
इनकी योजनाओं में बदलाव होता रहता है एवं एक योजना को छोड़कर दूसरी को प्रारम्भ करने की प्रवृत्ति इनके अन्दर पाई जाती है। धीरज की इनमें कमी रहती है। इससे इनके कई कार्य समय पर पूर्ण नहीं होते । आत्मविश्वास की मात्रा इनके अन्दर कम रहेगी एवं स्वयं अपने ऊपर पूर्ण भरोसा नहीं रख पाते, जिससे कभी-कभी इनको निराशा का सामना करना पड़ता है। थोड़ी-सी निराशा से उदासीन हो जाते हैं और बहुधा असफल रहते हैं। यह लोग अगर अपनी भावुकता पर काबू पा लें तो जीवन में सफल हो सकते हैं।
इनकी सामाजिक स्थिति उत्तम दर्जे की रहेगी एवं मानसिक रूप से जिसे यह अपना लेंगे वैसे ही लाभ इनको प्राप्त होंगे। जनता के मध्य एक लोकप्रिय व्यक्ति रहेंगे तथा स्वयं की मेहनत से अपनी सामाजिक स्थिति निर्मित करेंगे। इनको अवस्थानुसार नेत्र, उदर, एवं मूत्र संबंधी रोगों का सामना करना पड़ सकता है, मानसिक तनाव तथा शीतरोग भी परेशान करेंगे। जल से उत्पन्न रोग कफ, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द की शिकायतें भी यदाकदा होंगी।
मूलांक 2 के जातकों में यद्यपि चारित्रिक विपरीतता रहती है। फिर भी इनमें सहजता पूर्ण स्पन्दन विद्यमान रहता है। इनमें चंद्र के स्त्रियोचित गुण विद्यमान रहते हैं। जिससे वे अच्छे मित्र बन सकते हैं। ऐसे जातक प्रकृति से शिष्ट, कल्पनाशील, कलात्मक प्रवृत्ति के और रोमांटिक होते हैं।
ये अन्वेषक प्रवृत्ति के होते हैं, किन्तु अपने विचारों को उतनी दृढ़ता के साथ क्रियान्वित नहीं कर पाते, जितनी कि एक अंक वाले करते हैं। इनके गुण शारीरिक की अपेक्षा बौद्धिक रूप में अधिक दिखलाई पड़ते हैं और यह अंक 1 के व्यक्तियों की अपेक्षा शारीरिक रूप में कमजोर होते हैं।
अंक 2 वाले व्यक्तियों को जिन प्रमुख कमियों से बचना चाहिए वह हैं अपने विचारों एवं योजनाओं के प्रति उद्विग्नता अस्थिरता निरन्तरता का अभाव एवं आत्मविश्वास की कमी। ये व्यक्ति अत्यधिक सवेंदनशील होते हैं और यदि इनको सुख और सुविधा पूर्ण वातावरण न मिले तो बहुत जल्दी निराश व हताश हो जाते हैं।
यह रजोगुण प्रधान व्यक्ति, परलोक सिधार की इच्छा रखने वाले व्यवहार कुशल माया का सम्पूर्ण भोग करने वाले, निरन्तर उन्नति की और अग्रषर नवीन कार्यों, क्रिया कलापों का अनुसंधान करने वाले, मानसिक शक्ति एवं विचार शक्ति प्रधान, ऐश्वर्य सम्पन्न कीर्तिवान अपरिचित व्यक्ति को अपना बनाने वाले, आकर्षक व्यक्तित्व के धनी मधुर भाषी होते हैं।
इनकी बुद्धि अद्भुत होती है। किसी व्यक्ति के मन में क्या है यह क्यों आया है, इसका भान इनको आसानी से हो जाता है और युक्ति संगत जबाव देने में सक्षम होते हैं।
इनके अन्दर छिपे स्त्रियोचित गुण को इनकी बातचीत के लहजे, चाल-चलन, हाव भाव, बनाव श्रृंगार, खाने पीने उठने बैठने एवं रहन सहन से समझा जा सकता है। यह घर से बाहर रहना अधिक पसंद करते हैं एवं निरन्तर कल्पना लोक में विचरण करते रहते हैं ।
सौन्र्दय प्रेमी होने से जहाँ सुन्दरता देखते हैं वहीं ठहर जाते हैं। भ्रमण, स्वस्थ, मनोरंजन, यात्रा, बागवानी, तैरना, कलात्मक चीजे बनाने का भरपूर शौक होता है। इनकी ओर आकर्षित होकर अपरिचित व्यक्ति भी इनके मित्र बन जाते हैं।
मूलांक 2 के लिये अनुकूल समय
पाश्चात्य मतानुसार दिनांक 22 जून से 23 जुलाई तथा भारतीय मतानुसार 16 जुलाई से 16 अगस्त तक सूर्य कर्क राशि में रहता है। दिनांक 21 अप्रैल से 21 मई तक, पाश्चात्य मतानुसार और 13 मई से 14 जून तक भारतीय मतानुसार, सूर्य गोचर में वृष राशि में रहता है। कर्क चंदमा की अपनी राशि है तथा वृष उच्च राशि है। अतः उपर्युक्त समय मूलांक 2 के लिए सभी दृष्टियों से उन्नतिशील तथा कार्यों में प्रगति देने वाला रहता है। इस समय में किये गये कार्य अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहते हैं ।
मूलांक 2 के लिये प्रतिकूल समय
दिनांक 17 अगस्त से 16 सितंबर तक सूर्य सिंह राशि में तथा 14 नवंबर से 14 दिसंबर तक वृश्चिक राशि में रहता है, जो चंद्रमा की नीच राशि होने से यह समय कोई भी नया कार्य करने के लिए उपयुक्त नहीं कहा जा सकता ।
मूलांक 2 के लिये अनुकूल दिवस
इनके लिए कोई भी नया या शुभ कार्य करने हेतु सोमवार, शुक्रवार तथा रविवार के दिन अच्छे सिद्ध हो सकते हैं। यदि इन्ही वारों में इनके मूलांक की तारीख भी हो तो ऐसा दिन सभी कार्यों के लिये अच्छा रहता है।
मूलांक 2 के लिये शुभ तारीखें
जब कभी इनको कोई महत्वपूर्ण कार्य करना हो, नया कार्य, या व्यापार प्रारंभ करना हो, अथवा किसी को विशेष पत्र लिखना हो, या किसी से विशेष कार्यवश मिलने जाना हो, तो यह किसी भी माह की 2, 7, 9, 11, 16, 18, 20, 25, 27 एवं 29 तारीखों को ये सारे कार्य करें। यदि इन तारीखों में इनका अनुकूल वार भी रहता है तो ऐसा दिन इनके कार्यों में प्रगति देने वाला रहता है।
मूलांक 2 के लिये अशुभ तारीखें
इनके लिए अंग्रेजी मास की 5, 8, 14, 17, 23 एवं 26 तारीखें कोई भी नया या महत्त्वपूर्ण कार्य करने के लिए ठीक नहीं रहेंगी। अतः इन तारीखों में सोच-समझ कर ही कोई शुभ कार्य करें।
मूलांक 2 के लिये अनुकूल साझेदारी ऐवम मित्रता
किसी से भी मित्रता करते समय यह देखना इनके हित में रहेगा कि यदि उसका जन्म माह की 2, 7, 9, 11, 16, 18, 20, 25, 27 एवं 29 तारीख को हुआ हो, अथवा 13 मई से 14 जून एवं 16 जुलाई से 16 अगस्त के मध्य हुआ हो, तो ऐसे व्यक्ति इनके लिए हितकारी सिद्ध हो सकते हैं।
मूलांक 2 के लिये अनुकूल विवाह ऐवम प्रेम संबंध
इनके लिए मूलांक 2, 7 एवं 9 से प्रभावित महिलाएं अच्छी साथी सिद्ध हो सकती हैं। इनको चाहिए कि यह इन्हीं मूलांक वाली महिलाओं से मित्रता इत्यादि रखें, या ऐसी महिलाएं जिनका जन्म किसी भी मास की 2, 7, 9, 11, 16, 18, 20, 25, 27 एवं 29 तारीख को हुआ हो, अथवा 13 मई से 14 जून एवं 16 जुलाई से 16 अगस्त के मध्य हुआ हो, तो ऐसी महिलाएं हमेशा इनके अनुकूल रहेंगी।
मूलांक 2 के लिये अनुकूल रंग

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
इनको अपने वस्त्रों का चुनाव करते समय सफेद, काफूरी, हरा एवं अंगूरी रंगों का उपयोग अधिक मात्रा में करने पर वांछित लाभ प्राप्त होंगे। यह हो सके तो अपने कमरे के पर्दे, चादर, तकिया इत्यादि में इन रंगो का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन रंगों का रुमाल तो हमेशा अपने पास रखना इनके लिए विशेष लाभप्रद रहेगा ।
मूलांक 2 के लिये वास्तु एवं निवास
इनके लिए उत्तर-पश्चिम में वायव्य कोण स्थान में रहना शुभ रहेगा। जिस क्षेत्र में ये रहते हों, यदि वह वायव्य कोण में स्थित होगा तो अधिक अनुकूल रहेगा। मकान के नंबर का योग यदि 2, 7 या 9 आता हो, तो ऐसा भवन इनके लिए अधिक सुविधाजनक रहेगा ।
मूलांक 2 के लिये वाहन, यात्रा, होटल
इनके वाहन के पंजीकरण हेतु अपने मूलांक तथा मूलांक के मित्र अंक से मेल रखने वाले अंकों को लेना अच्छा रहेगा। इनका मूलांक 2 होने से इनके शुभ अंक 2, 7, 9 रहेंगे। ये इनके वाहन इत्यादि के पंजीकरण क्रमांक के शुभ अंक भी रहेंगे, जैसे पंजीकरण क्रमांक 5231 = 2 इत्यादि ।
यात्रा के वाहनों में भी इन अंकों का उपयोग करें, जिसके फलस्वरूप इनकी यात्रा सुखमय रहेगी। अगर ये होटल आदि में कमरा इत्यादि लेते हैं तो उसके लिए भी यही नंबर 2, 7, 9 इत्यादि लें, जैसे कमरा 101 = 2 तभी इनके लिए वह कमरा अच्छा साबित होगा।
मूलांक 2 के लिये स्वास्थ तथा रोग
जब भी इनके जीवन में रोग की स्थिति आएगी तब इनको कमजोरी, क्षीणता, उद्वेग, मस्तक पीड़ा, छोटी-छोटी दुर्घटनाएं, हृदय रोग, संवेदन शीलता, भावुकता, स्नायु दुर्बलता, कब्ज, आंत रोग, मूत्र रोग, गैस रोग इत्यादि होंगे। रोग होने, अशुभ समय आने, कष्ट तथा विपत्ति के समय इनको शिव उपासना पर बल देना चाहिए ।
मूलांक 2 के लिये व्यवसाय
इनके लिए रोजगार – व्यापार हेतु ये क्षेत्र अनुकूल रहेंगे, जैसे द्रव्य पदार्थ, तेलीय कार्य, समुद्र यात्रा, मुख्यावास या उच्च स्थान प्राप्ति, पशु व्यवसाय, चीनी मिल, अन्न का व्यवसाय, तैराकी, रसपूर्ण पदार्थ, दूध, दही, घृत, कागज, जल, कृषि एवं चीनी के व्यवसाय एवं औषधि विक्रेता, भ्रमण कार्य एजेंट प्रतिनिधित्व, संपादन, लेखन, संगीत, अभिनय, नृत्य, भूप्रबंध मकानों की ठेकेदारी, चिकित्सा, मोती, हार, मणि, माणिक्य, रत्न इत्यादि का क्रय-विक्रय, पत्थर तथा भूगर्भ इत्यादि के कार्य ।
मूलांक 2 के लिए अनुकूल रत्न
पांच रत्ती का मोती इनका प्रमुख रत्न है। यदि यह मोती धारण न कर सकें तो मून स्टोन, चंद्रमणि, दूधिया हकीक, सोमवार की सुबह दायें हाथ की कनिष्ठा अंगुलि में चांदी की अंगूठी में जड़वा कर लाभ के चौघड़िया मुहूर्त में धारण करें।
मूलांक 2 के लिए जड़ी बूटी धारण
सोमवार के दिन एक इंच लंबी खिरनी की जड़ ला कर सफेद ऊन के धागे में लपेट कर, गले या दाहिने हाथ में बांधे, चांदी या गिलट के ताबीज में भर कर गले में धारण करें। इससे चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभाव कम होंगे तथा शुभ प्रभावों में वृद्धि होगी ।
मूलांक 2 के लिए हर्बल (औषधि) स्नान
इनको प्रत्येक सोमवार को एक बाल्टी या बर्तन में पंचगव्य, चांदी, मोती, शंख, सीप और कुमुद आदि औषधियों का चूर्ण कर पानी में डाल कर स्नान करना सभी प्रकार के रोगों से मुक्तिदायक रहेगा। हर्बल स्नान से इनकी त्वचा की कांति में वृद्धि होगी। अशुभ चंद्र का प्रभाव क्षीण हो कर इनके तेज एवं प्रभाव में वांछित लाभ देगा।
सभी ग्रहों की शांति के लिए इनको कूट्ठ, खिल्ला, कांगनी, सरसों, देवदारू, हल्दी, सर्वोषधि तथा लोध, इन सबको मिला कर चूर्ण कर, किसी तीर्थ के पानी में मिला कर भगवान का स्मरण करते हुए स्नान करें, तो सभी ग्रहों की शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी ।
मूलांक 2 के लिए दान पदार्थ
चंद्र की शांति हेतु योग्य व्यक्ति को चंद्र के पदार्थ, चावल, कपूर, सफेद वस्त्र, चांदी, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, वृषभ, दधि, मोती आदि का दान करना लाभप्रद रहेगा।
मूलांक 2 के लिये अनुकूल देवता ऐवम मंत्र
ऐसे जातक चंद्रोपासना करें अथवा भगवान शिव की आराधना करें। भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ‘ओम् नमः शिवाय’ का नित्य जप करें। प्रति सोमवार को कम से कम इक्कीस या एक सौ आठ बेल पत्री भगवान शिव को अर्पित करेंगे तो इस क्रिया को करने पर ये विभिन्न रोगों तथा समस्याओं से मुक्त होंगे। यदि यह संभव न हो सके तो भगवान शिव के चित्र का नित्य प्रातः दर्शन करें।
व्रतोपवास – जिस दिन सोमवार को चित्रा नक्षत्र हो उस दिन से चंद्रमा का व्रत प्रारंभ करें। विधान के अनुसार चव्वन सोमवार तक अथवा न्यूनतम सात सोमवार व्रत आवश्यक है । व्रत के दिन श्वेत वस्त्र धारण करें एवं श्वेत वस्तुओं का दान करें तथा चंद्रमा के मंत्र का यथा – शक्ति, मोती की माला पर जप करें।
गायत्री मंत्र – इनके लिए चंद्र के शुभ प्रभावों की वृद्धि हेतु चंद्र के गायत्री मंत्र का प्रातः स्नान के बाद ग्यारह, इक्कीस या एक सौ आठ बार जप करना लाभप्रद रहेगा ।
ॐ अमृतांगाय विद्महे कला-रूपाय धीमहि तन्नः सोमः प्रचोदयात् ।।
ध्यान मंत्र – प्रातः काल उठ कर ये चंद्र का ध्यान करें, मन में चंद्र की मूर्ति प्रतिष्ठित करें और तत्पश्चात् निम्न मंत्र का पाठ करें।
दधि शंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् । नमामि शशिनं सोमं शम्भोमुकुटभूषणम् ।।
ग्रह मंत्र – अशुभ चंद्र को अनुकूल बनाने हेतु चंद्र के मंत्र का जप करना चाहिए। नित्य कम से कम एक माला जप करने से वांछित लाभ मिल जाते हैं। पूरा अनुष्ठान एक सो तीस माला का है।
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः । जप संख्या 13000 ।।
अंक ज्योतिष
- अंकों की उत्पत्ति
- अंको की रहस्यमयी शक्ति
- मूलांक 1 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
- मूलांक 2 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
- मूलांक 3 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
- मूलांक 4 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
- मूलांक 5 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
- मूलांक 6 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
- मूलांक 7 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
- मूलांक 8 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
- मूलांक 9 के गुण-दोष और भग्यवर्धक उपाय
- अंक ज्योतिष से भाग्यशाली नाम का चुनाव
- अंक कुण्डली
- मूक प्रश्न
- अंक ज्योतिष से खोजें खोई हुई वस्तु
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