कुंड्ली में स्वास्थ्य एवम रोग योग

कुंड्ली में स्वास्थ्य एवम रोग योग कुंडली में लग्नेश की स्थिति जितनी अच्छी होगी व्यक्ति का स्वास्थ्य उतना ही अच्छा होगा, क्योंकि लग्न भाव ही स्वास्थ्य से संबंधित है और लग्नेश इसका स्वामी है। सूर्य इस भाव का कारक है। Read more…

कुंड्ली में विवाह योग

कुंड्ली में विवाह योग विवाह संबंधी प्रश्न पर विचार करते समय सर्व प्रथम यह देखना चाहिए कि जातक की कुंडली में विवाह योग है भी या नहीं। विवाह संबंधी सभी प्रश्नों में कुंडली में सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं Read more…

कुंड्ली में संतान व पुत्र योग

कुंड्ली में संतान व पुत्र योग 1. लग्न से पंचम भाव में शुभ ग्रह हो, शुभ युत दृष्ट हो या अपने स्वामी से युत या दृष्ट हो तो पुत्र योग होता है। 2. चंद्र से पंचम भाव में शुभ ग्रह Read more…

स्त्री कुंड्ली फल

स्त्री कुंड्ली फल 1. लग्न एवं चंद्र से स्त्री के शरीर का, सप्तम एवं अष्टम से सौभाग्य (सुहागन बने रहने) सधवापन का विचार किया जाता है। 2 जिस स्त्री की कुंडली में जन्म लग्न चर राशि में हो उसका पति Read more…

पुरुष कुंड्ली फल

पुरुष कुंड्ली फल 1. सभी भावों के स्वामी क्रूर ग्रह (रवि-मंगल-शनि) शुभ होते हैं तथा सौम्य ग्रह अशुभ होते हैं। 2. क्रूर ग्रहों की भाव में स्थिति अशुभ तथा शुभ ग्रहों की भाव में स्थिति शुभ होती है। 3. जिस Read more…

धन हानि योग

धन हानि योग धन हानि के अनेक कारण हो सकते हैं । जैसे चोरी से, सन्यास से, अपने ही द्वारा अपव्यय से, राज्यत्याग द्वारा, पुत्र द्वारा व्यय किये जाने पर इत्यादि इत्यादि । ‘ सन्यास” के लिये, सच्चे सन्यास के Read more…

व्यव्साय चुनने की पध्दति

व्यव्साय चुनने की पध्दति पहली बात यह देखिए कि कुण्डली में धनयोग है या नहीं ? यदि है तो उत्तम है, मध्यम है या निकृष्ट ? इस सम्बन्ध में निम्नलिखित कुछ नियम ध्यान में रखने योग्य हैं। द्वितीय स्थान और Read more…

शुक्र और धन

शुक्र और धन शुक्र ग्रह की द्वादश स्थिति भी धन दिलाने में कुछ कम महत्व नहीं रखती । इस महत्व को दृष्टि में रखते हुए इस भोगात्मक (Pleasure Loving) ग्रह के लिये एक स्वतंत्र अध्याय की व्यवस्था की गई है Read more…

सुदर्शन तथा धनबाहुल्य

ग्रहों के फल का एक लग्न मात्र से फल न कहकर तीनों लग्नों लग्न, सूर्यलग्न, चन्द्रलग्न से विचार कर कहने का नाम ‘सुदर्शन’ पद्धति है । स्पष्ट ही है कि जब कोई ग्रह न केवल लग्न से ही शुभ अथवा Read more…

कारकाख्ययोग से धनप्रप्ति

कारकाख्ययोग से धनप्रप्ति जब कोई ‘स्वक्षेत्री ‘ अथवा ‘उच्च’ ग्रह परस्पर केन्द्र में स्थित होते हैं तो ‘कारकाख्य’ योग को बनाते हैं । और यह ‘कारकाख्य’ और भी बलवान होता है जब कि उक्त ‘उच्च’ आदि ग्रहों की स्थिति लग्न Read more…