भाग्यवर्धक अंक यंत्र

अंक यंत्रों से लाभ प्राप्त करने के लिए इन यंत्रों से बनी अंगूठियों को मैंने बहुत ही प्रभावशाली पाया है। इनके पीछे क्या वैज्ञानिक आधार है, यह अंगूठियाँ कैसे कार्य करती हैं, अब तक अबूझा है । अंकों का ईश्वरीय सत्ता के साथ सम्बन्ध, इनकी पीड़ा पहुँचाने वाले ग्रह और नक्षत्रों के मध्य एक चमत्कारी रूप से कार्य करने की प्रक्रिया, मनुष्य को एक दैविक शक्ति प्रदान करती है ।

इस अध्याय में इन तथ्यों के अनुरूप मैंने कुछ अपने स्वयं के अध्ययन के आधार पर प्रामाणिक परिणाम निकाले है ।

प्रत्येक मानव शरीर में इन्द्र धनुषीय रंगों के समान एक प्रभामण्डल (Ora) निरन्तर प्रभावित होता रहता है। इस प्रभामण्डल का आभास अतीन्द्रिय शक्तियों की सहायता से तो होता ही है योग द्वारा भी इनका आभास किया जा सकता है ।

आज के वैज्ञानिक युग में ‘क्रिलियोन फोटोग्राफी’ की सहायता से मानव शरीर के चारों ओर उपस्थित प्रभामण्डल का विश्लेषात्मक अध्ययन सुगमता से किया जा सकता है । इसकी सहायता से ही इस बात का पता चला है कि हाथ की तर्जनी उँगली (Index finger) में नीले रंग का प्रभामण्डल प्रवाहित होता रहता है । गुरु (Jupiter) ग्रह से इसीलिए इस उँगली का सम्बन्ध माना जाता है और इस कारण से ही गुरु ग्रह से सम्बन्धित रत्न पुखराज को भी इसी उँगली में पहनने की सलाह दी जाती है ।

मध्यमा उँगली (Middle finger) के नील अथवा बैंगनी वर्ण के प्रभामण्डल के कारण इसमें शनि ग्रह (Saturn) का वास माना गया है और इस ग्रह से सम्बन्धित रत्न नीलम (Blue Sapphire) को इस उँगली में धारण करवाया जाता है । अनामिका में (Ring finger) में रक्त वर्ण और कनिष्ठका में (Little finger) हरे प्रभामण्डल के कारण इन ग्रहों अर्थात सूर्य और बुध से सम्बन्धित रत्न क्रमशः माणिक और पन्ना पहनाने का प्रचलन है । विषय की इतनी सूक्ष्मता में जाने का प्रयास कम लेखकों ने ही किया है ।

रत्न उपलब्ध करवाना परिश्रमपूर्ण और मूल्यवान है । प्रत्येक व्यक्ति सम्भवत: इन्हें सुगमता से प्राप्त न कर पायें । उनके लिये विशेष रूप से अंक यंत्रों से निर्मित यह अंगूठियाँ सुगम एवं सुलभ सिद्ध होंगी।

दुर्भाग्य दूर करने के लिए सर्वप्रथम अपनी जन्म निथि का प्राथमिक अंक बना लें यथा :-

25 नवम्बर 1973

इसके सारे अंकों को जोड़ने पर

2+5+1+1+1+9+7+3 = 29

29 को पुनः जोड़ने पर

2+9 = 11

11 को एक बार और जोड़ा

11 =1+1=2

इस प्रकार 25 नवम्बर 1973 को जन्मे किसी व्यक्ति का प्राथमिक अंक 2 आ गया।

प्राथमिक अंक को एक बार और स्पष्ट कर लें। किसी अंक को जब तक जोड़ते चले जायें जब तक कि प्राप्तांक इकाई न रह जाये । इस इकाई अंक को ही प्राथमिक अंक कहते हैं ।

इन प्राथमिक अंकों की संख्या 1 से लेकर 8 अंक तक हो सकती है । शून्य को यहाँ अपने प्रयोग में स्थान नहीं दिया गया है । एक से लेकर नौ तक का प्रत्येक अंक प्रकाशमण्डल के किसी न किसी ग्रह का द्योतक है ।

अंक 1 का स्वामी ग्रह सूर्य माना गया है। ठीक इसी प्रकार 2 का ग्रह चन्द्रमा, 3 का गुरु, 4 का स्वामी ग्रह यूरेनस, 5 का बुध, 6 का शुक्र, 7 का नेपच्यून, 8 का शनि और 9 अंक का मंगल स्वामी ग्रह माना गया है ।

व्यक्ति की जन्म तिथि के प्राथमिक अंक के अनुरूप इन ग्रहों के अलग-अलग अंक यंत्र बनाये गए हैं।

अनेक व्यक्तियों को अपनी जन्म तिथि पता नहीं होती है । ऐसी स्थिति में अपने नाम का अंक निकाल कर उसके अनुरूप इन अंगूठियों को प्रयोग किया जा सकता है । नामांक निकालने के लिये एक सारिणी की आवश्यकता पड़ेगी, उसका विवरण इस प्रकार है ।

अक्षरसम्बन्धित अंक
A, I, J, Q, Y 1
B, K, R2
C, G, L, S3
D, M, T4
E, H, N, X5
U, V, W6
O, Z7
F, P8

अंग्रेजी का प्रत्येक अक्षर एक-एक अंक का सूचक है । इन्हीं की सहायता से नामांक निकालना सरल प्रतीत होने लगेगा ।

माना रनित किशोर (Ranit Kishore) नाम के व्यक्ति को अपनी जन्म तिथि का पता नहीं है और उन्हें अंक यंत्र की अंगूठी प्रयोग करने के लिये अपना नामांक निकालना है । यहाँ हम नाम अक्षरों के स्थान पर उनकी सीध में रखे हुए अंक रखकर उनका योग जब तक करते रहेंगे, जब तक कि हमें प्राथमिक अंक न मिल जाये ।

RANIT(13)  KISHORE (25) = 13 + 25 = 1+3+2+5 = 11 = 1+ 1 = 2

रनित किशोर का नामांक इस प्रकार 2 आगया। यहाँ जन्म तिथि की अनुपस्थिति में अंक दो के अनुरूप चन्द्रमा ग्रह का अंक यंत्रप्रयोग किया जाएगा।

सौभाग्य से जन्म तिथि का प्राथमिक अंक और नामांक यदि एक ही अंक है तो दुर्भाग्य व्यक्ति का द्वार खटखटाएगा ही नहीं । व्यक्ति की जन्म तिथि तो सुनिश्चित है, उसमें कोई भी परिवर्तन सम्भव नहीं । हाँ व्यक्ति के नाम में अक्षरों के कुछ फेर-बदल से जन्म तिथि के अनुरूप नामांक बनाया जा सकता है। दुर्भाग्य दूर करने का यह एक अनुभूत उपाय है ।

1. अंक 1 का स्वामी ग्रह सूर्य है । 1 अंक में जन्मे अथवा 1 नामांक वाले व्यक्ति सूर्य का अंक यंत्रपहनें । सूर्य के तीन नक्षत्रों कृत्तिका, उत्तरा फाल्गुनी मौर उत्तराषाढ़ा में सूर्य के अंक यंत्रकी अंगूठी किसी सुनार से सोने में बनवा लें । इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि अंगूठी इन तीन में से किसी एक के नक्षत्र काल में ही बनवाई जाये । नक्षत्र के लिये किसी भी पंचांग अथवा योग्य ज्योतिषी की सहायता ली जा सकती है ।

यन्त्र इस प्रकार बनवाना है जिससे कि उसका सीधी और वाला भाग उभरा हुआ बने । उभरे यन्त्र को प्राप्त करने के लिये निर्देशित धातु की चादर पर एक ओर से उल्टी प्राकृति बनाई जाएगी । यह आकृति ठीक किसी दर्पण में बनने वाली उल्टी प्रतिबिम्ब की भाँति होगी । इस प्रकार चादर के दूसरी ओर यन्त्र स्वतः उभरा हुआ अंकित हो जाएगा । अंगूठी की नाप दायें हाथ की अनामिका उंगली की लेनी है ।

यदि यह इन नक्षत्रों के साथ-साथ सूर्य की होरा में पहन ली जायें तो प्रभाव द्विगुणित हो जायेगा । धारण करने से एक दिन पूर्व अंगूठी को कच्चे दूध, गंगा जल, शहद, घी और तुलसी मिश्रित थोडे से मिश्रण में रखकर पवित्र कर लें । अंगूठी इस जल से उक्त समय में निकाल कर धारण कर लें ।

2. अंक 2 का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है । इससे सम्बन्धित धातु चांदी है । अंक 2 वाले व्यक्ति चन्द्रमा का अंक यंत्र चाँदी की चादर में बनवाकर उसकी अंगूठी बनवायें ।

पहले की भाँति अंगूठी बनवाने के लिये चन्द्रमा के तीन नक्षत्रों रोहिणी, हस्त और श्रवण में से किसी को चुन लीजिये । जब अंगूठी बन जाये तो इसे पहले की तरह पवित्र करके चन्द्रमा के किसी नक्षत्र और चन्द्रमा की होरा में धारण कर लीजिये । इसके लिये दाये हाथ की कनिष्ठिका उँगली उपयोग करनी है ।

3. अंक 3 वाले व्यक्तियों को गुरू का अंक यंत्र सोने में अंकित करवाकर दायें हाथ की तर्जनी उँगली में धारण करना है । गुरु की अंक यंत्रवाली अंगूठी गुरु के तीन नक्षत्रों पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद में से किसी एक नक्षत्र के काल में बनवानी है और इसको धारण करने के लिए उक्त नक्षत्रों में से गुरु की किसी भी होरा का समय चुनना है ।

4. अंक 4 वाले व्यक्ति यूरेनस ग्रह से सम्बन्धित अंगूठी टिन धातु में बनवायें । अगूठी बनवाने के लिये सूर्य के तीन नक्षत्रों में से ही किसी एक नक्षत्र काल को चुनना है और धारण करने के लिये भी सूर्य की ही होरा चुननी है। यहाँ पर अंगूठी अनामिका के लिए न बनकर कनिष्ठिका उँगली के लिए बनेगी ।

5. अंक 5 का स्वामी ग्रह बुध है । 5 अंक वाले व्यक्तियों को दायें हाथ की कनिष्ठिका में पीतल धातु में बुध के अंक यंत्र की अंगूठी धारण करनी चाहिए । बुध ग्रह के तीन नक्षत्र हैं – अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती।

6. अंक 6 वाले व्यक्ति शुक्र ग्रह से सम्बन्धित अंक यंत्रकी अंगूठी धारण करें । शुक्र ग्रह के तीन नक्षत्रों, भरणी, पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा काल में यह अंगूठी बनवानी चाहिए । धारण करने के लिए उक्त नक्षत्रों में शुक्र की होरा चुन लें ।

7. अंक का स्वामी ग्रह नेपच्यून है । अंक 7 का अंक यंत्र ठीक चन्द्रमा के नक्षत्रों और होराओं के अनुसार प्रयोग करना है । यह अंगूठी अनामिका उँगली में भी धारण की जा सकती है ।

8. अंक वाले व्यक्तियों को शनि के अंक यंत्र वाली अंगूठी धारण करना श्रेष्ठ सिद्ध होता है । यह अंगूठी जस्त अथवा लोहे में शनि के नक्षत्रों पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद में बनवानी चाहिए। इसको दायें हाथ की मध्यमा ऊँगली में शनि की होरा में पवित्र करके धारण किया जाता है ।

9. अंक वाले व्यक्तियों को इसके स्वामी ग्रह मंगल का अंक यंत्र में प्रयोग करना चाहिए। मंगल के नक्षत्रों मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा में से किसी एक में तांबे की अंगूठी दाएं हाथ की अनामिका उंगली की नाप की बनवानी चाहिए। धारण करने के लिए मंगल के किसी नक्षत्र के साथ मंगल की ही होरा चुनना चाहिए ।

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