कर्क लग्न में केतु का फलादेश

कर्क लग्न में केतु का फलादेश राहु राक्षस का सिर है तथा केतु सम्पूर्ण धड़। राहु सर्प का मुख है, केतु सर्प की पूंछ। राहु जहां उग्र अनिष्ट करता है वहां केतु उस अनिष्ट को आधा कर देता है। मेरे निजी अनुसंधान के अनुसार राक्षस का सिर राहु जिस भाव Read more…

कर्क लग्न में राहु का फलादेश

कर्क लग्न में राहु का फलादेश कर्क लग्न में राहु का फलादेश प्रथम भाव में लग्न में कर्क राशिस्थ राहु शत्रु के घर में होने से जातक दयावान किन्तु जिद्दी होता है। इसका जन्म अस्पताल या ननिहाल में होता है। जातक राज दरबार में इज्जत व मान पाता है। इनको Read more…

कर्क लग्न में शनि का फलादेश

कर्क लग्न में शनि का फलादेश कर्क लग्न में सातवें एवं आठवें घर का स्वामी होने से शनि मारक है। शनि की दृष्टि में विष, भय एवं अलगाववाद की मनोवृत्ति है। कर्क लग्न में शनि का फलादेश प्रथम भाव में यहां पर जलराशि में बैठकर शनि तीसरे, सातवें एवं दसवें Read more…

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश

कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश कर्क लग्न के लिए शुक्र सुखेश व लाभेश है। शुक्र कर्क लग्न के लिए बाधक ग्रह भी है। कर्क लग्न में शुक्र का फलादेश प्रथम भाव में शुक्र लग्न में ‘कुलदीपक योग’ बना रहा है। शुक्र स्त्री राशि में होने के कारण शुभ है। Read more…

कर्क लग्न में गुरु का फलादेश

कर्क लग्न में गुरु का फलादेश कर्क लग्न के लिए गुरु शुभ ऐवम योगकारक है। कर्क लग्न में गुरु का फलादेश प्रथम भाव में गुरु लग्न में उच्च का होगा। गुरु यहां षष्टेश होने से पापी है पर भाग्येश होने से योगकारक हो गया है। गुरु लग्न में होने से Read more…

कर्क लग्न में बुध का फलादेश

कर्क लग्न में बुध का फलादेश तीसरे व बारहवें घर का स्वामी होने से कर्क लग्न के लिए बुध परम पापी हो गया है। कर्क लग्न में बुध का फलादेश प्रथम भाव में लग्न में यह शत्रुक्षेत्री होते हुए भी ‘कुलदीपक योग’ बना रहा है। ऐसा जातक अपने कुटुम्ब परिवार Read more…

कर्क लग्न में मंगल का फलादेश

कर्क लग्न में मंगल का फलादेश कर्क लग्न में मंगल परम योगकारक ग्रह होता है। कर्क लग्न में मंगल का फलादेश प्रथम भाव में लग्न में स्थित होने के कारण यह नीच राशिगत हो जाएगा। पंचमेश एवं दशमेश होने के कारण विद्वान लोग मानते हैं कि कर्क लग्न में मंगल Read more…

कर्क लग्न में चन्द्रमा का फलादेश

कर्क लग्न में चन्द्रमा का फलादेश कर्क लग्न में चन्द्रमा का फलादेश प्रथम भाव में लग्नेश चन्द्र प्रथम भाव में स्थित होने से ऐसा जातक माता-पिता द्वारा तरस कर ली गई संतान होती है। जातक माता-पिता की विलम्ब से प्राप्त संतति होती है। ऐसा जातक स्त्री या माता की सलाह Read more…

कर्क लग्न में सूर्य का फलादेश

कर्क लग्न में सूर्य का फलादेश कर्क लग्न में सूर्य का फलादेश प्रथम भाव में कर्क लग्न में सूर्य धनेश होगा। धनेश का स्वगृहाभिलाषी होकर लग्न में बैठना अत्यन्त शुभ है। ऐसा जातक अपने स्वयं के पराक्रम व पुरुषार्थ से अच्छा रुपया कमाता है। ऐसा जातक सूर्य के समान तेजस्वी Read more…

वृष लग्न में केतु का फलादेश

वृष लग्न में केतु का फलादेश राहु और केतु दोनों छायाग्रह हैं, पापग्रह हैं, अंधेरे के प्रतीक हैं और सूर्य, चन्द्र के शत्रु हैं। राहु राक्षस का सिर है, सर्प का मुख है अतः ज्यादा डरावना व घातक है। जबकि केतु राक्षस का धड़ है, सर्प की पूंछ अतः ज्यादा Read more…