4 अंक का मूल अधिष्ठाता हर्षल नामक ग्रह है। भारतीय मत से राहु ग्रह है। राहु या हर्षल का प्रभाव है सहसा प्रगति, विस्फोट, आश्चर्यजनक कार्य, असंभावित घटनायें आदि पर होता है। जिन व्यक्तियों की जन्म तारीख 4, 13, 22, 31 होती है उनका मूल अंक 4 होता है। 4 मूल अंक वाले व्यक्ति संघर्षरत रहते हैं। आम धारणा से उनकी राय प्रायः नहीं मिलती। और उनके विचार जमाने से काफी आगे अलग ही होते हैं। अपने विरोध करने की आदत के कारण ऐसे व्यक्तियों के शत्रु भी बहुत बन जाते हैं।

अक्सर यह व्यक्ति सुधारक, पुरानी प्रथाओं के विरोधी, नई-नई बातों और प्रथाओं के पोषक होते हैं। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक किसी भी क्षेत्र में हों, यह लोग पुरानी प्रथा को हटाकर नई स्थापित करना पसन्द करते हैं। दूसरों के साथ मित्रता जल्दी स्थापित नहीं करते परन्तु 1, 2, 7 तथा 8 मूल अंक वालों के साथ सहानुभूति या सौहार्द बहुधा हो जाता है। धन संग्रह करना पसन्द नहीं होता ।

मौज करना और खुश रहना इनका स्वभाव होता है। यदि ये व्यक्ति अपनी संघर्ष करने की प्रवृत्ति पर काबू पाकर सहनशील तथा सहिष्णु बन सकें और शत्रुता कम पैदा करें तो अधिक सफल हो सकते हैं।

ऐसे जातकों के जीवन में कई असंभावित घटनायें भी घटती हैं। एकाध घटनायें ऐसी भी घटित होती हैं जो इनका केरियर बदल देती हैं। ये एक संघर्षशील व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं तथा इनकी विचार धारा भी आम धारणा से प्रायः अलग रहती है।

जमाने से काफी आगे की सोच रखते हैं तथा अपना विरोध प्रगट करने की आदत के कारण स्वयं अपने आलोचक तैयार करते हैं। पुरानी प्रथाओं, रीतियों के विरोधी होते हैं तथा उनमें सुधार करने की पूरी कोशिश करते हैं। ये अपने कार्यक्षेत्र में पुरानी प्रथाओं को नवीन रूप में ढालने की भी कोशिश करते हैं।

अपने जीवन में ये धन संग्रह अधिक नहीं कर पाते लेकिन नाम, यश अधिक प्राप्त करते हैं। समाज में आमूल-चूल परिवर्तन देखना इनका स्वभाव रहता है। यदि ये अपनी संघर्ष करने की प्रवृत्ति पर अंकुश रखकर सहनशील तथा सहिष्णु बन सकें और शत्रुता कम पैदा करें तो अपने जीवन में अधिक सफलता अर्जित कर सकते हैं।

इनकी विचार धारा सुधार वाली होने से ये समाज में अच्छी ख्याति प्राप्त करते हैं। लेकिन यह ख्याति स्थिर नहीं रहती कभी तो उच्चता के शिखर पर होगी और कभी मन्द । अतः इनको निरन्तर कार्य में लगे रहना पड़ेगा और नये-नये परिवर्तन, अविष्कारों द्वारा अपना नाम रोशन करते रहना होगा।

इनका स्वास्थ्य साधारणतः उत्तम रहता है, लेकिन कभी-कभी अत्यधिक श्रम एवं मानसिक थकान के कारण सिरदर्द, गर्मी से उत्पन्न रोग, मानसिक तनाव आदि का सामना करना पड़ता है।

अंक 4 के जातक विशिष्ट चरित्र वाले होते हैं। ये हर बात के विपरीत पक्ष में ही रहते हैं। यद्यपि ये झगड़ालू प्रवृत्ति के दिखते हैं। लेकिन किसी भी प्रकार के वाद-विवाद के पक्ष में नहीं होते, किन्तु फिर भी विरोधी बनाते हैं और कुछ तो ऐसे शत्रु बन जाते हैं जो चोरी छिपे इनका लगातार विरोध करते रहते हैं।

इनके सामने कोई भी विचार रखा जाये, ये उसके प्रति अपनी प्रकृति अनुसार स्वाभाविक रूप से अलग नजरिया अपनाते हैं। इनकी प्रकृति ऐसी रहती है कि ये कायदे-कानूनों के विरुद्ध विद्रोह करते रहते हैं। यदि इनका बस चले तो ये सभी व्यवस्थाओं को उलट पलट दें यहां तक कि समाज और सरकार तक को ।

व्यक्ति संवैधानिक प्रत्व के विरुद्ध रहते हैं और पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में अपने नये नियम और कानून बनाते हैं। इनका विशेष झुकाव सामाजिक समस्या तथा सभी प्रकार के सुधारों की ओर रहता है एवं ये व्यक्ति अपने विचारों में बहुत ही व्यावहारिक तथा लीक से हटकर चलने वाले होते हैं।

अंक 4 जातकों में मुख्य दोष है कि ये तनावयुक्त और संवेदनशील होते हैं और शीघ्र ही इनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है। अपने आप को ये अकेला महसूस करते हैं और तब तक अपने आप को हताश एवं निराश महसूस करते हैं, तब तक कि सफलता प्राप्त नहीं कर लेते। अक्सर ये बहुत कम मित्र बनाते हैं लेकिन इन चन्द मित्रों के प्रति बेहद ईमानदार और निष्ठावान् बने रहते हैं । किन्तु किसी भी कार्य में या किसी विचार विमर्श में ये अपने को झुका एवं दबा महसूस करते हैं।

मूलांक 4 के लिये अनुकूल समय

दिनांक 21 जून से 21 अगस्त तक पाश्चात्य मतानुसार, सूर्य के कर्क एवं सिंह राशि में रहने पर तथा भारतीय मत से 16 जुलाई से 16 सितंबर तक कर्क एवं सिंह राशि में सूर्य के रहने पर हर्षल की स्थिति प्रबल मानी गयी है। इस समय जल एवं अग्नि तत्व प्रबल रहते हैं, जो हर्षल या राहु के गुण हैं। अतः उपर्युक्त समय मूलांक 4 के लिए कोई भी नया या महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए अधिक उपयुक्त रहता है।

मूलांक 4 के लिये प्रतिकूल समय

इनके लिए माह अक्तूबर, नवंबर एवं दिसंबर किसी भी नये कार्य को प्रारंभ करने हेतु, अनुकूल नहीं रहते। इन मासों में इनके कार्यों में रुकावटें आएंगी तथा स्वास्थ्य में क्षीणता उत्पन्न होगी, आलस्य बढ़ेगा, व्यर्थ की परेशानियां तथा भाग-दौड़ बढ़ेगी। अतः इस समय में ध्यान रखना उचित रहेगा।

मूलांक 4 के लिये अनुकूल दिवस

किसी भी माह के रविवार, सोमवार, शनिवार इनके लिए शुभ रहेंगे। यदि यह अपना कोई भी कार्य इन दिवसों में तथा अनुकूल तारीखों में प्रारंभ करें तो इनके लिए शुभ रहेगा ।

मूलांक 4 के लिये शुभ तारीखें

उच्च अधिकारी से मिलने जाना हो या पत्र लिखना हो अथवा किसी से मिलना हो, कोई नया कार्य, या व्यापार आदि प्रारंभ करने हेतु इनको किसी भी माह की 1, 4, 8, 10, 13, 17, 19, 22, 26, 28 एवं 31 तारीखें अनुकूल रहेंगी। अतः यह यदि कोई कार्य इन तारीखों को ही प्रारंभ करें तो वह कार्य अधिक सुविधापूर्ण एवं शीघ्र सफल होता है। अशुभ तारीखें

किसी भी अंग्रेजी माह की 3, 5, 12, 14, 21, 23 एवं 30 दिनांक इनके लिए अशुभ फलदायी रहती है। अतः कोई भी रोजगार – व्यापार संबंधी, या अन्य कार्य या उच्चाधिकारी या किसी विशिष्ट अधिकारी से संबंध बनाने हेतु उपयुक्त दिनांक इनके लिए ठीक नहीं रहते ।

मूलांक 4 के लिये अनुकूल साझेदारी ऐवम मित्रता

यह अपनी मित्रता ऐसे लोगों से करें, जिनका जन्म 1, 4, 8, 10, 13, 17, 19, 22, 26, 28, 31 तारीखों को अथवा 16 जुलाई से 16 सितंबर के मध्य हुआ हो। इन तारीखों को जन्मे व्यक्ति इनके लिए शुभ रहेंगे। ऐसे व्यक्तियों से इनकी लंबी मित्रता रहेगी तथा इनके रोजगार व्यवसाय में सहायक सिद्ध होते हैं।

मूलांक 4 के लिये अनुकूल विवाह और प्रेम संबंध

मूलांक 1, 4, या 8 से प्रभावित महिलाएं इनकी अच्छी साथी सिद्ध हो सकती हैं। उपर्युक्त मूलांक वाली महिलाओं से यह सहज ही प्रेम संबंध स्थापित कर सकते हैं तथा उसमें सफल भी हो सकते हैं। जिनका जन्म किसी भी माह की 1, 4, 8, 10, 13, 17, 22, 26, 28 एवं 31 तारीखों को हुआ हो, तो वे सभी स्त्रियां सहायक एवं लाभपूर्ण रहती हैं ।

मूलांक 4 के लिये अनुकूल रंग

यदि इनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, तो इनको चाहिए कि यह नीले, धूप-छांव, भूरा, मिश्रित रंग के कपड़े पहनें और हो सके तो इस रंग का रुमाल हर समय अपने पास रखें। यह रंग इनके लिए अनुकूल रहता है। हो सके तो अपने घर की दीवारों तथा पर्दों का चयन भी इन्हीं रंगों का करें। यह रंग इनके लिए शुभ फलदायक रहेगा ।

मूलांक 4 के लिये अनुकूल वास्तु एवं निवास

इनको चाहिए कि यदि ये भवन, कॉम्प्लेक्स का चुनाव करते समय दिशा का चुनाव करें तो इनके लिए नैऋत्य कोण दिशा अच्छी रहेगी। इनका शयन कक्ष नैऋत्त दिशा में होने से रोजगार व्यापार शुभ रहेगा तथा फर्नीचर आदि का रंग नीला, धूपछांव, भूरा मिश्रित रंग रखेंगे तो इनके लिए अधिक हितकर रहेगा।

मूलांक 4 के लिये अनुकूल वाहन, यात्रा, होटल

इनका मूलांक 4 है। मूलांक 4 के मित्र अंक 1, 3 हैं। ये अंक इनके लिए सफलता के द्योतक हैं। यदि वाहन इत्यादि खरीदते हैं तो उसका पंजीकरण क्रमांक 1, 4, 8 अंकों में से रखें। इनकी यात्रा का वाहन नंबर यही होने से इनकी यात्रा सफल रहेगी। अगर ये होटल में कमरा आदि बुक करवाते हैं तो उसका नंबर 103 = 4 लेना चाहिए।

मूलांक 4 के लिये स्वास्थ तथा रोग

जब भी इनके जीवन में रोग की स्थिति आएगी तब इनको रक्तचाप दोष या जुकाम, छूत के रोग शीघ्र होंगे। रोग होने पर, अशुभ समय आने पर, कष्ट और विपत्ति के समय यह गणेश चतुर्थी का व्रत करें तथा गजानन गणपति की उपासना करें ।

मूलांक 4 के लिये अनुकूल व्यवसाय

इनके लिए दारु, स्पिरिट, तेल, मिट्टी का तेल, अर्क, इत्र, रेल विभाग, वायुसेना, जलदाय विभाग, कुलीगिरी, तकनीशियन, रंगसाज, अभियात्रिकी, नक्शानवीस, दर्जी, बढ़ई का कार्य, डिजाइन के छापे का कार्य, बाबू, टेलीफोन ऑपरेटर, स्टेनो टाइपिस्ट, शिल्पकार, पत्रकार, संग्रहकर्ता, विद्युत कार्य, वक्ता, उपदेशक, राज्य कर्मचारी, खनिज मजदूर, ठेकेदार, मोटर चालक आदि के क्षेत्र में रोजगार – व्यापार करना हितकर रहेगा ।

मूलांक 4 के लिए अनुकूल रत्न

ऐसे जातक चांदी की अंगूठी में सात से ग्यारह रत्ती का गोमेद बनवा कर शनिवार के दिन धारण करें । गोमेद के न मिलने पर ये कत्थई या काला-लाल हकीक भी पहन सकते हैं। इसे शुक्ल पक्ष में शनिवार के दिन, दायें हाथ की मध्यमा उंगली में, त्वचा को स्पर्श करता हुआ धारण करें।

मूलांक 4 के लिए जड़ी बूटी धारण

शनिवार के दिन एक इंच लंबी सफेद चंदन की जड़ ला कर, नीले धागे में लपेट कर दाहिने हाथ में बांधे या त्रिधातु या लोहे के ताबीज में भर कर गले में धारण करें। इससे हर्षल / राहु के अशुभ प्रभाव कम होंगे तथा शुभ प्रभावों में वृद्धि होगी ।

मूलांक 4 के लिए हर्बल (औषधि) स्नान

इनके लिए प्रत्येक शनिवार को एक बाल्टी या बर्तन में नागबेल, लोबान, तिल के पत्र, बचा, गडूची और तगर आदि औषधियों का चूर्ण कर पानी में डाल कर स्नान करना सभी प्रकार के रोगों से मुक्तिदायक रहेगा। हर्बल स्नान से इनकी त्वचा की कांति में वृद्धि होगी। अशुभ राहु / हर्षल के प्रभाव क्षीण हो कर इनके तेज एवं प्रभाव में वांछित लाभ प्राप्त होगा।

सभी ग्रहों की शांति के लिए इनको कूठ, खिल्ला, कांगनी, सरसों, देवदारू, हल्दी, सर्वोषधि तथा लोध इन सबको मिला कर चूर्ण कर किसी तीर्थ के पानी में मिला कर भगवान का स्मरण करते हुए, स्नान करें, तो सभी ग्रहों की शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी ।

मूलांक 4 के लिए दान पदार्थ

राहु की शांति के लिए योग्य व्यक्ति को राहु के पदार्थ – अभ्रक, लौह, तिल, नीला वस्त्र, छाग, ताम्र पात्र, सप्त धान्य, उड़द, गोमेद, काले पुष्प, तेल, कंबल, घोड़ा, रबड़ आदि का दान करना लाभप्रद रहेगा।

मूलांक 4 के लिये अनुकूल देवता ऐवम मंत्र

ऐसे जातक राहु ग्रह की उपासना करें अथवा गणेश भगवान की आराधना करें । भगवान गणेश के अट्ठाईसाक्षरी मंत्र ‘ओम् श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजन मे वशमानय स्वाहा’ का नित्य जप करें।

प्रतिदिन कम से कम एक सौ आठ मंत्र का जप करें तथा चतुर्थी के दिन व्रत करें एवं भगवान गणेश को मोदक भोग लगाएं। इस क्रिया को करने पर ये विभिन्न रोगों तथा समस्याओं से मुक्त होंगे। यदि ऐसा संभव न हो सके तो भगवान गणेश के चित्र का नित्य प्रातः दर्शन करें।

व्रतोपवास – शनिवार को हर्षल अरिष्ट दोष निवारण हेतु व्रत करें। शनिवार को काले, नीले वस्त्र धारण कर इक्यावन या उन्नीस शनिवारों को व्रत करें। शरीर में तेल मालिश, तैल दान तथा पीपल के वृक्ष की पूजा करें। राहु मंत्र का यथाशक्ति रुद्राक्ष माला पर जप करें।

गायत्री मंत्र – इनके लिए राहु के शुभ प्रभावों की वृद्धि हेतु राहु के गायत्री मंत्र का प्रातः स्नान के बाद ग्यारह, इक्कीस या एक सौ आठ बार जप करना लाभप्रद रहेगा ।

ॐ शिरो – रूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नौं राहुः प्रचोदयात् ।।    

ध्यान मंत्र – प्रातःकाल उठ कर ऐसे जातक राहु का ध्यान करें, मन में राहु की मूर्ति प्रतिष्ठित करें और तत्पश्चात् निम्न मंत्र का पाठ करें।

अर्धकायं महावीर्य चंद्रादित्यविमर्दनम् । सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ।।

ग्रह मंत्र –  अशुभ राहु को अनुकूल बनाने हेतु राहु के मंत्र का जप करना चाहिए। नित्य कम से कम एक माला एक सौ आठ जप करने से वांछित लाभ मिल जाते हैं। पूरा अनुष्ठान एक सौ अस्सी माला का हैं।

ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः । जप संख्या 18000 ।।


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