इस अंक का स्वामी बुध ग्रह है। 5, 14 या 23 तारीख को जन्म लेने वाले व्यक्तियों का मूल अंक 5 होता है। 22 मई से 21 जून तक और 24 अगस्त से 23 सितम्बर तक प्रतिवर्ष सूर्य सायन मिथुन तथा कन्या राशियों में रहता है तथा भारतीय मत से 15 जून से 15 जुलाई तक एवं 17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक सूर्य मिथुन तथा कन्या राशि में रहता है और यह राशियाँ बुध की राशियाँ हैं। इस कारण इस समय में उत्पन्न व्यक्तियों पर बुध का विशेष प्रभाव रहता है।
इन तारीखों और समय में जन्मे जातक मिलनसार होते हैं और वे शीघ्र मैत्री भाव करते हैं। 5, 14, 23 तारीखों में पैदा हुए व्यक्तियों से इनकी घनिष्ठता हो जाती है। यह लोग व्यापार की ओर ज्यादा आकृष्ट होते हैं। खासकर शीघ्र लाभ वाले व्यापार की ओर ।
यह लोग बहुत जल्दबाज होते हैं। फुर्तीले भी होते हैं और हर काम जल्दी से निपटाना पसन्द करते हैं। ज्यादा देर तक किसी बात पर चिन्ता, शोक या पश्चाताप नहीं करते और किसी की बुराई या आघात को शीघ्र भूल जाते हैं। क्षमा कर देते हैं और अपने काम में लग जाते हैं। इनके मिजाज में जल्दबाजी, चिड़चिड़ापन, शीघ्र क्रोध आने की प्रवृत्ति होती है।
यह लोग अपनी दिमागी ताकत से बहुत अधिक खर्च करने के कारण स्नायु मण्डल की कमजोरी के शिकार हो जाते हैं। ज्यादा अवस्था पर मूर्छा आदि की शिकायत रहती है।
मूलांक पाँच के प्रभाववश ऐसे जातक रोजगार के क्षेत्र में सर्विस की अपेक्षा व्यापार के मार्ग की ओर अधिक आकृष्ट होते हैं। यदि ये सर्विस का मार्ग चुनते हैं तो ऐसा रोजगार इनको अधिक पसन्द आयेगा जहाँ लेन-देन, लेखा, यांत्रिकी, वाणिज्य, इत्यादि का कार्य होता हो । कम्पनी, फैक्ट्री, उच्च व्यापार जगत इनको रास आयेगा ।
बुध ग्रह के प्रभाव से इनके अन्दर वाकपटुता, तर्कशक्ति अच्छी रहती है एवं सामने वाले व्यक्ति को ये अपनी बातों से प्रभावित करने में समर्थ रहते हैं। ये हर कार्य को जल्दी समाप्त करना पसन्द करेंगे एवं ऐसे रोजगार की ओर उन्मुख होंगे जिसमें शीघ्र सफलता कम मेहनत तथा अधिक लाभ पर प्राप्त होती रहे। ये थोड़े जल्दबाज एवं फुर्तीले भी होते हैं। जल्दबाजी के चक्कर में ये कभी-कभी हानियों का भी सामना करते हैं।
इनकी मानसिक स्थिति चंचल होने से इनको शीघ्र क्रोध आ जाता है एवं कभी-कभी चिड़चिड़ाहट भी आ जाती है। यह अधिकांशतः बुद्धि जनित कार्यों में रूचि लेते हैं। इस कारण इनकी दिमागी ताकत अधिक खर्च होने से अधिक आयु में इनको स्नायुवेग द्वारा उत्पन्न रोगों का भी सामना करना पड़ सकता है। मूलांक पाँच का स्वामी बुध ग्रह होने से कमोवेश बुध के गुण-अवगुण इनके अन्दर आयेंगे। विद्याध्यन लेखन-पठन की ओर इनकी विशेष रूचि रहती है।
ऐसे जातक शीघ्र ही अपने मित्र बना लेते हैं तथा किसी भी अंक के व्यक्ति से इनकी पटरी आसानी से बैठ जाती है। किन्तु उनके अपने अंक के अर्न्तगत अर्थात 5, 14, 23 तारीखों में पैदा हुए व्यक्ति इनके परम मित्र सिद्ध होते हैं। इस अंक के व्यक्तियों का बौद्धिकता के प्रति झुकाव रहता है एवं विलक्षण तार्किक बुद्धि होने के कारण इनको प्रभावित कर पाना कठिन होता है।
ये जातक सदा तनाव में रहते हैं और उत्तेजना बनाए रखते हैं। एक बार जो इनका मित्र बन जाता है, वह आजीवन मित्रता निभाता है। विचारों और निर्णय लेने में ये व्यक्ति निपुण होते हैं और संवेग से प्रेरित होकर आचरण करते हैं।
ऐसे व्यक्ति परिश्रमपूर्ण कार्यो से बचते हैं और स्वभावतः शीघ्रता से धन कमा लेने के स्त्रोत ढूंढने के यत्न करते हैं। धनोपार्जन के नए रास्ते और तरीके इन्हें खोजने आते हैं। ये जन्म से ही जुआरी होते हैं, अर्थात व्यापार में जोखिम लेने में पीछे नहीं हटते। स्टाक एक्सचेंज के कार्य, व्यापार में दिलचस्पी रखते हैं तथा जिस कार्य की जिम्मेदारी ये अपने ऊपर लेते हैं, उसमें कोई भी जोखिम उठाने को तत्पर रहते हैं।
इस अंक के व्यक्तियों में चारित्रिक लचक गजब की होती है। किसी कठिनाई या मुसीबत भरी झंझट से ये बहुत जल्दी उबर जाते हैं। अधिक समय तक कोई भी कष्ट इन्हें सालता नहीं रहता। अपने जन्म के ग्रह के समान ही ये व्यक्ति चंचल स्वभाव के होते हैं, अतः इनके चरित्र पर भाग्य अपना कोई स्थायी घाव नहीं छोड़ता । यदि ये स्वभाव से भले हैं तो वैसे ही रहते हैं और यदि स्वभाव से बुरे हैं तो बुरे बने रहते हैं और इन पर किसी प्रकार की शिक्षा का कोई असर नहीं होता ।
ऐसे जातको की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि ये व्यक्ति मानसिक शक्ति का इतना अधिक प्रयोग करते हैं कि मानसिक संतुलन कभी कभी खो बैठते हैं। किसी भी मानसिक तनाव की स्थिति में ये चिड़चिड़ा जाते हैं। इन्हे शीघ्र ही गुस्सा आ जाता है और आसानी से किसी बात को पचा नहीं पाते।
मूलांक 5 के लिये अनुकूल समय
दिनांक 22 मई से 21 जून एवं 24 अगस्त से 23 सितंबर तक पाश्चात्य मत से सूर्य मिथुन एवं कन्या राशि में रहता है तथा भारतीय मतानुसार 15 जून से 15 जुलाई तक एवं 17 सितंबर से 16 अक्तूबर तक सूर्य मिथुन तथा कन्या राशि में रहता है। मिथुन बुध की स्वराशि तथा कन्या उच्च राशि है। अतः उपयुक्त समय मूलांक 5 वालों के लिए कोई भी नया या महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए अधिक उपयुक्त रहता है।
मूलांक 5 के लिये प्रतिकूल समय
इनके लिये माह मई, सितंबर एवं दिसंबर किसी भी नये कार्य को प्रारंभ करने हेतु अनुकूल नहीं रहते। इन मासों में इनके कार्यों में रुकावटें आएंगी तथा स्वास्थ्य में क्षीणता उत्पन्न होगी, आलस्य बढ़ेगा, व्यर्थ की परेशानियां तथा भाग-दौड़ बढ़ेगी। अतः इस समय में ध्यान रखना उचित रहेगा।
मूलांक 5 के लिये अनुकूल दिवस
बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार के दिन यह अपना कोई भी महत्वपूर्ण कार्य या रोजगार – व्यापार संबंधी कार्य प्रारंभ करें तो यह इनके लिए अच्छा रहेगा। इन दिवसों में अनुकूल तारीखें भी हों तो इनके लिए श्रेष्ठ फलदायक सिद्ध होती हैं।
मूलांक 5 के लिये शुभ तारीखें
अंग्रेजी के किसी भी माह की 3, 5, 9, 12, 14, 18, 21, 23, 27 एवं 30 तारीखें इनके लिए कोई कार्य करने हेतु अधिक उपयुक्त रहती हैं। इन तारीखों में इनके लिए अपना कोई भी नया कार्य, महत्वपूर्ण कार्य, उच्च अधिकारी या किसी विशिष्ट व्यक्ति से मिलना, पत्र लेखन इत्यादि विशेष लाभप्रद रहता है।
मूलांक 5 के लिये अशुभ तारीखें
अंग्रेजी माह की 2, 4, 11, 13, 20, 22, 29 एवं 31 तारीखों में किसी भी प्रकार का व्यापार संबंधी कार्य, महत्वपूर्ण कार्य, अथवा पत्र व्यवहार संबंधी कार्य करना इनके लिए प्रतिकूल है। अतः यह इन तारीखों में कोई भी शुभ कार्य संपन्न न करें ।
मूलांक 5 के लिये अनुकूल साझेदारी ऐवम मित्रता
जिन व्यक्तियों का जन्म 3, 5, 9, 12, 14, 18, 21, 23, 27 एवं 30 तारीखों अथवा 15 जून से 15 जुलाई एवं 17 सितंबर से 16 अक्तूबर के मध्य हुआ है, ऐसे व्यक्तियों से इनकी मित्रता अच्छी रहेगी तथा ये लोग रोजगार-व्यवसाय के क्षेत्र में भी इनके सफल मित्र साबित होंगे। विवाह, मूलांक 5 के लिये अनुकूल प्रेम संबंध
कोई भी महिला, जिसका मूलांक 3, 5, 9 होता है तथा जिसका जन्म 3, 5, 9, 12, 14, 18, 21, 23, 27 एवं 30 दिनांकों में हुआ हो, वे इनके लिए विशेष शुभ फलदायक रहेंगी तथा इन महिलाओं से यह स्नेहपूर्ण संबंध रख सकते हैं।
मूलांक 5 के लिये अनुकूल रंग

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
मूलांक 5 के अनुसार इनके लिए हल्का खाकी, सफेद, चमकीले उज्ज्वल रंग उत्तम रहेंगे । अतः ये इनके स्वास्थ्य आदि के लिए ठीक रहता है। हो सके तो ऐसे व्यक्ति इन रंगों का रुमाल हर समय अपने साथ रखें और यदि यह अपने ड्राइंग रूम के पर्दे, चादर, तकिये, बिछावन आदि इसी रंग का पसंद करेंगे तो और भी अच्छा रहेता है ।
मूलांक 5 के लिये वास्तु एवं निवास
इनके लिए उपयुक्त दिशा उत्तर है। इसलिए इनके लिए ऐसा मकान, या फ्लैट शुभ रहेगा जिसका मूलांक तथा नामांक 5 हो । उत्तर दिशा इनके लिए अपने घर की बैठक उत्तर दिशा में ही करें एवं घर के फर्नीचर आदि का रंग खाकी, सफेद चमकीला होना चाहिए, जो इनके लिए अच्छे फल देने वाले होंगे ।
मूलांक 5 के लिये वाहन, यात्रा, होटल
अगर ये स्वयं का वाहन खरीदना चाहते हैं तो उसके लिए पहले अपने मूलांक तथा मूलांक के मित्र अंक से मेल स्थापित करने वाले अंकों के अनुसार पंजीकरण क्रमांक लेना इनके लिए हितकर रहेगा। इनका मूलांक 5 है एवं मित्रांक 3 एवं 9 हैं। अतः इनके लिए शुभ पंजीकरण क्रमांक 5234 = 5 आदि होना चाहिए। इनके होटल के कमरे का नंबर 104 = 5 इत्यादि हो, तभी इनके लिए यह शुभ फलदायक रहेगा।
मूलांक 5 के लिये स्वास्थ तथा रोग
जब भी इनके जीवन में रोग की स्थिति आती है, ये चर्म रोग, स्नायु निर्बलता, मानसिक चिंता, दुर्बलता, शारीरिक कमजोरी तथा मानसिक दुर्बलता से ग्रसित हो जाते हैं। रोग होने, अशुभ समय आने, कष्ट और विपत्ति के समय विष्णु की पूजा, पूर्णिमा का व्रत करके, केले का प्रसाद लें।
मूलांक 5 के लिये व्यवसाय
इनके लिए तार और टेलीफोन विभाग, ज्योतिष, सेल्समैन, डाकघर, पोस्टमैन, बीमा विभाग, बैंकिंग, बजट निर्माण, रेलवे इंजीनियरी, संपादक, तंबाकू व्यवसाय, रेडियो व्यवसाय, लेखक, पत्रकार, अनुवादक, राजनीति संबंधी कार्य, मुद्रणालय, संचार व्यवस्था, पुस्तक विक्रेता, पुस्तकालय, लाइब्रेरियन, यातायात संबंधी कार्य, इतिहास, खोज एवं पुरातत्व विभाग, आविष्कारक मुनीम, पर्यटक एवं बुद्धि बल के समस्त कार्य आदि के क्षेत्र में रोजगार – व्यापार करना अधिक लाभप्रद रहेगा ।
मूलांक 5 के लिए अनुकूल रत्न
इनके लिए पन्ना शुभ रत्न है। उसके न मिलने पर उपरत्न मरगज, ओनेक्स, ग्रीन पेरीडॉट धारण करें। इसे सोने या चांदी की अंगूठी में तीन से छह रत्ती का जड़वा कर बुधवार के दिन, शुक्ल पक्ष में दायें हाथ की कनिष्ठा उंगली में, त्वचा को स्पर्श करता हुआ धारण करें।
मूलांक 5 के लिए जड़ी बूटी धारण
बुधवार के दिन विधारा की एक इंच लंबी जड़ ला कर हरे धागे में लपेट कर दाहिने हाथ में बांधे या सोने या चांदी के ताबीज में भर कर गले में धारण करें। इससे बुधग्रह के अशुभ प्रभाव कम होंगे तथा शुभ प्रभावों में वृद्धि होगी ।
मूलांक 5 के लिए हर्बल (औषधि) स्नान
इनके लिए प्रत्येक बुधवार को एक बाल्टी या बर्तन में हरड़, बहेड़ा, गोमय, चावल, गोरोचन, स्वर्ण, आंवला और मधु आदि औषधियों का चूर्ण कर पानी में डाल कर स्नान करना सभी प्रकार के रोगों से मुक्तिदायक रहेगा। हर्बल स्नान से इनकी त्वचा की कांति में वृद्धि होगी। अशुभ बुध का प्रभाव क्षीण हो कर इनके तेज एवं प्रभाव में वांछित लाभ प्राप्त होगा।
सभी ग्रहों की शांति के लिए कूठ, खिल्ला, कांगनी, सरसों, देवदारु, हल्दी, सर्वोषधि तथा लोध को मिला कर चूर्ण कर किसी तीर्थ के पानी में मिला कर भगवान का स्मरण करते हुए, स्नान करें, तो सभी ग्रहों की शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी ।
मूलांक 5 के लिए दान पदार्थ
बुध की शांति के लिए योग्य व्यक्ति को बुध के पदार्थ, कांसा, हाथी दांत, हरा वस्त्र, मूंगा, पन्ना, सुवर्ण, कपूर, शास्त्र, फल, षड्स भोजन, घृत, सर्व पुष्प आदि का दान करना लाभप्रद रहेगा।
मूलांक 5 के लिये अनुकूल देवता ऐवम मंत्र
मूलांक 5 के जातक बुध ग्रह की उपासना करें। भगवान लक्ष्मी नारायण की आराधना 1 करें। भगवान लक्ष्मी नारायण के चतुर्दशाक्षरी मंत्र ‘ओम् ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः’ का नित्य जप करें।
प्रतिदिन कम से कम एक सौ आठ मंत्र का जप करें तथा पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा का श्रवण करेंगे तो ये विभिन्न रोगों तथा समस्याओं से मुक्त रहेंगे। यदि यह संभव न हो सके तो भगवान लक्ष्मी नारायण के चित्र का नित्य प्रातः दर्शन करें।
व्रतोपवास – बुधवार को बुध अरिष्ट दोष निवारण हेतु व्रत करें। पैंतालीस या सत्रह बुधवारों को यह व्रत करें। हरे रंग के कपड़े पहनें एवं हरे पदार्थों का दान करें। तुलसी के पत्ते खाना एवं चढ़ाना लाभप्रद रहता है। पन्ना या मरगज की माला पर बुध मंत्र का जप करें।
गायत्री मंत्र – इनके लिए बुध के शुभ प्रभावों की वृद्धि हेतु बुध के गायत्री मंत्र का प्रातः स्नान के बाद ग्यारह, इक्कीस या एक सौ आठ बार जप करना लाभप्रद रहेगा ।
बुध गायत्री मंत्र – ॐ सौम्य-रूपाय विद्महे बाणेशाय धीमहि तन्नौं सौम्यः प्रचोदयात् ।।
ध्यान मंत्र – प्रातःकाल उठ कर ऐसे जातक बुध का ध्यान करें, मन में बुध की मूर्ति प्रतिष्ठित करें और तत्पश्चात् निम्न मंत्र का पाठ करें।
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् । सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ।।
ग्रह मंत्र – अशुभ बुध को अनुकूल बनाने हेतु बुध के मंत्र का जप करना चाहिए। नित्य कम से कम एक माला एक सौ आठ जप करने से वांछित लाभ मिल जाते हैं। पूरा अनुष्ठान नब्बे माला का है।
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः । जप संख्या 9000 ।
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