इस अंक का स्वामी शुक्र है। जिन व्यक्तियों का जन्म 6, 15, 24 तारीखों में से किसी भी एक तारीख को हुआ हो, उनका मूल अंक 6 होता है। 20 अप्रैल से 24 मई तक तथा 21 सितम्बर से 24 अक्टूबर तक सूर्य सायन वृष तथा सायन तुला राशियों में रहता है। निरयन मत से यह 13 मई से 14 जून तथा 17 अक्टूबर से 13 नवंबर तक का समय होता है। यह राशियां शुक्र की राशियां हैं। इस कारण इस समय में पैदा होने वाले व्यक्तियों पर शुक्र का प्रभाव विशेष रूप से रहता है।
इन व्यक्तियों में आकर्षण शक्ति तथा मिलनसारी बहुत अधिक होती है और इस कारण ये लोग बहुधा बहुत लोकप्रिय होते हैं। इनके साथ रहने वाले लोग इन्हे काफी प्रेम करते, श्रद्धा रखते और मान देते हैं। सुन्दरता की ओर ये ज्यादा आकृष्ट होते हैं। सुन्दर व्यक्ति, कला, चित्रकला, सुन्दर वस्त्र, संगीत, साहित्य की ओर इनकी रूचि अधिक रहती है।
अतिथियों का विशेष सत्कार करना हर चीज को ढंग से सजाना, वस्त्र, कपड़े फर्नीचर, परदे आदि सुन्दर सजाकर रखना इन्हें पसन्द आता है। स्वभाव से हठी होते हैं, अपनी बात चाहे सही हो या गलत मनवाना, उस पर अड़े रहना इनका स्वभाव होता है।
ईर्ष्या की मात्रा अधिक होने के कारण किसी की प्रतिद्वन्दता भी सहन नहीं कर पाते। यह लोग दूसरों को बहुत जल्दी मित्र बना लेते हैं तथा अपनी आकर्षण शक्ति के प्रभाव से शीघ्र सबसे घुल मिल जाते हैं।
मूलांक छह के प्रभाववश इनके अन्दर आकर्षण शक्ति तथा मिलन सारिता अधिक रहती है। इस गुण के कारण यह लोक प्रियता प्राप्त करते हैं। सुन्दरता, सुन्दर वस्तुओं की ओर आकृष्ट होना इनकी सहज प्रवृत्ति होती है। विपरीत सेक्स के प्रति इनका आकर्षण रहता है एवं सुन्दर नर-नारियों से संबंध बनाना, वार्तालाप करना इनकी प्रकृति में होता है।
विभिन्न कलाओं के क्षेत्र में इनकी अभिरूचि होती है एवं कला के क्षेत्र को ये अपना रोजगार-व्यापार भी बना सकते हैं। संगीत-साहित्य, ललितकला, चित्रकला इत्यादि में रूचि रखते हैं। सुन्दर वस्त्र धारण करना एवं सुसज्जित मकान में रहना इनको अच्छा लगता है। अतिथियों का आदर सत्कार करने में इनको गर्व महसूस होता है। घर या ऑफिस में सभी वस्तुऐं ढंग से सजावट के साथ रखना, सुरुचिपूर्ण फर्नीचर, परदे इत्यादि रखना इनको रास आता है।
स्वभाव में इनके थोड़ा हठीपन रहता है एवं इनकी हमेशा यही कोशिश रहती है कि इनकी बात को सामने वाला मान जाया करे। किसी बात पर अड़े रहना तथा ईर्ष्या की मात्रा इनके अन्दर अधिक रहती है। ये
कार्यक्षेत्र में किसी की प्रतिद्वन्दिता को आसानी से सहन नहीं कर पाते। जिसके कारण कभी-कभी मानसिक तनाव एवं आत्मग्लानि का भी इनको सामना करना पड़ता है। ये दूसरों को अपना बना लेने की कला में पारंगत होते हैं एवं शीघ्र मित्र बनाने की कला इनके अन्दर अधिक मात्रा में होने से इनके मित्रों की संख्या अधिक रहती है।
मूलांक 6 के लिये अनुकूल समय
दिनांक 21 अप्रैल से 21 मई तक तथा 24 सितंबर से 13 अक्तूबर तक सूर्य, पाश्चात्यमतानुसार, वृष तथा तुला राशि में रहता है, जो भारतीय मतानुसार, 13 मई से 14 जून तथा 17 अक्तूबर से 13 नवंबर तक का समय होता है। यह शुक्र की स्वराशि है। 14 मार्च से 12 अप्रैल तक मीन राशि से शुक्र उच्च का होता है। अतः उपरोक्त समय मूलांक 6 के लिए कोई भी नया कार्य या महत्वपूर्ण कार्य करने हेतु अधिक उपयुक्त रहता है।
मूलांक 6 के लिये प्रतिकूल समय
इनके लिए माह अप्रेल, अक्तूबर एवं नवंबर किसी भी नये कार्य को प्रारंभ करने हेतु अनुकूल नहीं रहते। इन मासों में इनके कार्यों में रुकावटें आएंगी तथा स्वास्थ्य में क्षीणता उत्पन्न होगी, आलस्य बढ़ेगा, व्यर्थ की परेशानियां तथा भाग-दौड़ बढ़ेगी। अतः इस समय में ध्यान रखना उचित रहेगा ।
मूलांक 6 के लिये अनुकूल दिवस
शुक्रवार, मंगलवार, गुरुवार के दिन इनके लिए विशेष शुभ फलदायक रहेंगे। यदि इनकी अनुकूल तारीखों में से ही किसी तारीख को शुक्रवार, मंगलवार या गुरुवार पड़ रहा हो तो ऐसा दिन इनके लिए अधिक अनुकूल और श्रेष्ठ फलदायक रहता है।
मूलांक 6 के लिये शुभ तारीखें
इन्हे अपने उच्च अधिकारी से मिलने जाना हो या पत्र लिखना अथवा किसी से मिलना, कोई नया कार्य या व्यापार आदि प्रारंभ करने हेतु इनके लिए किसी भी माह की 3, 6, 9, 12, 15, 18, 21, 24, 27 एवं 30 तारीखें अनुकूल रहती हैं। अतः यदि कोई कार्य इन तारीखों को ही प्रारंभ करें तो वह इनके लिए अधिक सुविधापूर्ण एवं शीघ्र सफल होगा।
मूलांक 6 के लिये अशुभ तारीखें
इनके लिए किसी भी माह की 1, 8, 10, 17, 19, 26 एवं 28 तारीखें कोई भी नया कार्य करने हेतु प्रतिकूल हो सकती हैं। अतः उपरोक्त तारीखों में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य न करें ।
मूलांक 6 के लिये अनुकूल साझेदारी ऐवम मित्रता
इनको केवल उन्हीं व्यक्तियों से अधिक मित्रता रखना चाहिए जिनका जन्म 3, 6, 9, 12, 15, 18, 21, 24, 29 एवं 30 तारीखों में अथवा 13 मई से 14 जून, 17 अक्तूबर से 13 नवंबर एवं 14 मार्च से 13 अप्रैल के बीच हुआ हो। ऐसे व्यक्ति सुख एवं दुःख के समय में भी अपनी मित्रता का परिचय देंगे तथा इनके रोजगार – व्यापार में भी सहायक होंगे।
मूलांक 6 के लिये अनुकूल विवाह ऐवम प्रेम संबंध
सरल अंक ज्योतिष जिन महिलाओं का जन्म 3, 6, 9, 12, 15, 18, 21, 24, 27 एवं 30 तारीखों को हुआ हो तथा जिनका मूलांक 3, 6, 9 हो, ऐसी महिलाएं इनके लिए प्रेम संबंध या विवाह संबंध हेतु उचित रहेंगी तथा इनके रोजगार आदि में भी इनको सफलता के शिखर पर पहुंचाएंगी । मूलांक 6 के लिये अनुकूल रंग
इनके लिए शुभ रंग हल्का नीला, आसमानी, गहरा नीला, हल्का गुलाबी रहता है। नीला हल्का नीला होना चाहिए और हो सके तो घर की दीवारें चादर आदि का चुनाव भी इन्हीं रंगों के अनुरूप ही करें और यदि स्वास्थ्य में अच्छा परिवर्तन लाना हो तो इन्हीं रंगों के वस्त्र पहनें और हो सके तो इन्हीं रंगों में से किसी एक रंग का रुमाल हर समय अपने पास रखें, जो इनके लिए विशेष फलदायी रहेगा ।
मूलांक 6 के लिये अनुकूल वास्तु एवं निवास

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
यदि ऐसे जातक स्वयं का भवन निर्माण करने के इच्छुक हैं तो इसके लिए आवश्यक है कि ये सही दिशा का चयन करें। इनके लिए अग्नि कोण दिशा उत्तम रहेगी। मकान क्रमांक 3, 6, 9 हो तो श्रेष्ठ रहेगा। ये शहर के अग्नि कोण क्षेत्र या भवन के अग्नि कोण क्षेत्र में निवास करें। वह इनके लिए उत्तम रहेगा। अतः यह अपने रोजगार संबंधी कार्यों को करते समय भी इन्हीं दिशाओं का चुनाव करें, जो इनके लिए श्रेष्ठ फलदायक रहेगा। भवन का रंग, फर्नीचर का रंग हल्का नीला, आसमानी रखना श्रेष्ठ रहेगा ।
मूलांक 6 के लिये अनुकूल वाहन, यात्रा, होटल
यदि यह चाहते हैं कि इनकी यात्रा मंगलमय हो, तो यात्रा के समय उन्हीं अंकों का चुनाव करें, जो इनके मूलांक तथा मूलांक के मित्र अंक से मेल स्थापित करें । मूलांक 6 के मित्र अंक 3, 9 हैं। अतः ये यात्रा वाहन, रेलवे सीट में इन्हीं अंकों का चुनाव करें और रहने के लिए कमरे का चयन करते समय नंबर 105 होना उचित है। अगर ये स्वयं का वाहन खरीदते हैं, तो उसका पंजीकरण क्रमांक 3, 6 एवं 9 ही होने चाहिएं, जैसे अंक 5235 = 6 इत्यादि । ऐसा वाहन इनको अच्छा फलेगा ।
स्वास्थ तथा रोग
जब भी इनके जीवन में रोग की स्थिति आएगी, इनको फेफड़ों से संबंधित रोग, धातु क्षीणता, स्नायु निर्बलता, सीने की कमजोरी, मूत्र रोग, कफ जनित रोग, कब्जियत तथा जुकाम जैसे रोग पीड़ा प्रदान करेंगे। रोग होने, अशुभ समय आने, कष्ट तथा विपत्ति के समय इनको कार्त्तवीर्यार्जुन की पूजा एवं उपासना करनी चाहिए । स्त्री जातकों को संतोषी माता का व्रत करना चाहिए।
मूलांक 6 के लिये अनुकूल व्यवसाय
इनके लिए रेस्टोरेंट, होटल, ढाबे, भोजनालय, शिल्पकार, डिजायनर, महाजनी कार्य, संगीतज्ञ, उपन्यासकार, नाट्यकार, कहानीकार, बागवानी, वस्त्र व्यवसायी, अभिनेता, इत्र, तेल और अन्य तेलीय पदार्थो के विक्रेता, पुष्प विक्रेता, वस्त्राभूषण व्यवसाय, रेशम, टेरीलीन, टेरीन, ऊनी वस्त्रादि के विक्रेता, मिष्ठान व्यवसाय, घड़ीसाजी, नृत्याभिनय और काव्य तथा साहित्योपार्जन, ज्योतिष, सार्वजनिक कार्य, समाज सेवा, दास वृत्ति, यातायात, मुद्रणालय, खाद्य विभाग संबंधी समस्त कार्य आदि के क्षेत्र में रोजगार व्यापार करना अधिक लाभप्रद रहेगा।
मूलांक 6 के लिए अनुकूल रत्न
ऐसे जातक हीरा धारण करें। यदि यह हीरा नहीं खरीद सकते तो ओपल, सफेद पुखराज, झरकन धारण करें। इक्यावन सेंट का हीरा शुक्ल पक्ष में शुक्रवार के दिन, लाभ के चौघड़िया मुहूर्त में, प्लेटिनम या चांदी की अंगूठी में दायें हाथ की अनामिका उंगली में, त्वचा को स्पर्श करता हुआ धारण करें।
मूलांक 6 के लिए जड़ी बूटी धारण
शुक्रवार के दिन एक इंच लंबी सरफोंखा की जड़ लाकर सफेद धागे में लपेटकर दाहिने हाथ में बांधे या प्लैटिनम या चांदी के ताबीज में भर कर गले में धारण करें। इससे शुक्र के अशुभ प्रभाव कम होंगे तथा शुभ प्रभावों में वृद्धि होगी ।
मूलांक 6 के लिए हर्बल (औषधि) स्नान
इनके लिए प्रत्येक शुक्रवार को एक बाल्टी या बर्तन में हरड़, बहेड़ा, आंवला, इलायची, केसर और मैनसील आदि औषधियों का चूर्ण कर पानी में डाल कर स्नान करना सभी प्रकार के रोगों से मुक्तिदायक रहेगा। हर्बल स्नान से इनकी त्वचा की कांति में वृद्धि होगी । अशुभ शुक्र के प्रभाव क्षीण हो कर इनके तेज एवं प्रभाव में वांछित लाभ प्राप्त होगा ।
सभी ग्रहों की शांति के लिए इनको कूट्ठ, खिल्ला, कांगनी, सरसों, देवदारू, हल्दी, सर्वोषधि तथा लोध को मिला कर चूर्ण कर किसी तीर्थ के पानी में मिला कर भगवान का स्मरण करते हुए स्नान करें, तो सभी ग्रहों की शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी ।
मूलांक 6 के लिए दान पदार्थ
शुक्र की शांति के लिए योग्य व्यक्ति को शुक्र के पदार्थ, चांदी, सोना, चावल, घी, सफेद वस्त्र, सफेद चंदन, हीरा, सफेद अश्व, दही, गंध द्रव्य, चीता, गौ, भूमि आदि का दान करना लाभप्रद रहेगा ।
मूलांक 6 के लिये अनुकूल देवता ऐवम मंत्र
मूलांक 6 के जातक शुक्र ग्रह की उपासना करें अथवा भगवती दुर्गा की आराधना करें। भगवती दुर्गा के अष्टाक्षरी मंत्र ‘ओम् ह्रीं दुं दुर्गायै नमः’ का नित्य जप करें। प्रतिदिन कम से कम एक सौ आठ मंत्र का जप करें तथा अष्टमी के दिन व्रत करें एवं दुर्गा सप्तशती का पाठ करेंगे तो इन्हे विभिन्न रोगों और समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। यदि यह संभव न हो सके तो भगवती दुर्गा के चित्र का नित्य प्रातः दर्शन करें।
व्रतोपवास – शुक्रवार को शुक्र अरिष्ट दोष निवारण हेतु व्रत करें। इकतीस या इक्कीस शुक्रवारों को शुक्र का व्रत करें। सफेद वस्त्र धारण करें एवं सफेद वस्तुओं का दान करें । यथाशक्ति शुक्र मंत्र का स्फटिक माला पर जप करें।
गायत्री मंत्र – इनके लिए शुक्र के शुभ प्रभावों की वृद्धि हेतु शुक्र के गायत्री मंत्र का प्रातः स्नान के बाद ग्यारह, इक्कीस या एक सौ आठ बार जप करना लाभप्रद रहेगा।
ऊँ भृगुजाय विद्महे दिव्य-देहाय धीमहि तन्नौं शुक्रः प्रचोदयात् ।।
ध्यान मंत्र – प्रातःकाल उठ कर ये जातक शुक्र का ध्यान करें, मन में शुक्र की मूर्ति प्रतिष्ठित करें और तत्पश्चात् निम्न मंत्र का पाठ करें।
हिमकुंदमृणालाभं दैत्यानां परम गुरुम् । सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ।।
ग्रह मंत्र – अशुभ शुक्र को अनुकूल बनाने हेतु शुक्र के मंत्र का जप करना चाहिए । नित्य कम से कम एक माला एक सौ आठ जप करने से वांछित लाभ मिल जाते हैं। पूरा अनुष्ठान एक सौ साठ माला का हैं।
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः । जप संख्या 16000 ।
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