इस अंक का स्वामी शनि है। जो व्यक्ति 8, 17, 26 में से किसी भी तारीख को पैदा हुए हों, उनका मूल अंक 8 होता है। 21 दिसम्बर से 19 फरवरी तक सूर्य सायन मकर और कुम्भ राशियों में रहता है और यह शनि की राशियाँ हैं। इस कारण इन महीनों में पैदा हुए व्यक्तियों पर शनि का प्रभाव विशेष रूप से रहता है।
यह लोग बहुत महत्वपूर्ण कार्य करते हैं परन्तु अन्य व्यक्ति उनके महत्व को ठीक से आंक नहीं पाते और उनके साथ सहानुभुतिपूर्ण व्यवहार नहीं करते। इस कारण इनको कभी कभी उदासीनता हो जाती है और अकेलापन महसूस होता है। क्योंकि इनमें बाहरी दिखावा नहीं होता। इस कारण लोग इन्हें रूखा, शुष्क और कठोर हृदय समझते हैं। वास्तव में यह ऐसे नहीं होते।
अपने काम से मतलब रखते हैं और काम को पूरा करने में लगे रहते हैं । जिससे कभी कभी लोग बुरा भी मान जाते हैं और दुश्मनी या दुर्भावना भी पैदा हो जाती है। ये बहुत महत्वाकांक्षी होते हैं, उच्चपद व उच्च स्थिति प्राप्त करने का प्रयत्न करते रहते हैं और इसके लिए हर प्रकार का त्याग, बलिदान व परिश्रम करते रहते हैं। इन्हें बहुत कठिनाईयाँ उठानी पड़ती हैं और काफी संघर्ष जीवन में करना पड़ता है।
शनि के प्रभाव से ये जातक अपने जीवन में धीरे-धीरे उन्नति प्राप्त करते हैं। व्यवधानों, कठिनाईयों से जूझते हुए सफलता प्राप्त करना इनकी प्रकृति में रहता है । असफलताओं से ये घबड़ाते नहीं, कभी कभी निराशा के भाव अवश्य आ जाया करते हैं । आलस्य इनका सबसे बड़ा शत्रु रहता है और यही आलस्य इनकी असफलता का कारण बनता है । अतः ये जातक किसी भी कार्य को कल पर न टालें। जीवन में शनि ग्रह के प्रभाववश ये काफी महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, जिससे इनको नाम, यश, कीर्ति, प्राप्त होती है।
इनकी कार्यशैली को हर कोई समझ नहीं पाता इससे इनके विरोधी भी उत्पन्न हो जाते हैं । इनके अन्दर दिखावे की प्रवृत्ति कम रहती है। इस कारण इनको कुछ लोग रूखा, शुष्क और कठोर हृदय समझते हैं। जबकि अन्दर से ये काफी भावुक एवं दयालु हृदय के होते हैं।
ऐसे जातक अधिकांश समय में अपने काम से ही मतलब रखते हैं एवं इनकी कोशिश रहती है कि काम में ही लगे रहें। लेकिन इनके इस व्यवहार के कारण इनके आलोचक भी अधिक हो जाते हैं।
इनके अन्दर त्याग की भावना अधिक रहती है एवं श्रम में कभी पीछे नहीं हटते। किसी भी कार्य में कितना भी श्रम, त्याग या बलिदान लगे ये पीछे नहीं हटते। इसी कारण रूकावटों को पार करते हुये ये अपनी मंजिल अवश्य प्राप्त करते हैं। शनि प्रभावी व्यक्ति संघर्ष शील एवं परिश्रमी होते हैं एवं विघ्नों को पार करते हुए उन्नति करने के कारण इनको सफलता देर से लेकिन स्थायी प्राप्त होती है।
8 के अंक की प्रकृति के अन्तर्गत उत्थान, रद्दोबदल अव्यवस्था, स्वेच्छाचार और सभी प्रकार की सनक आदि गुण मिलते हैं। इनका दूसरा पक्ष दार्शनिक विचार रहस्यमय ज्ञान के प्रति रुचि, धार्मिक निष्ठा, उद्देश्य की प्राप्ति, हाथ में लिए काम के प्रति व्यग्रता तथा सभी कार्यों में भाग्यवादी दृष्टिकोण रहता है। इस अंक के अन्तर्गत जन्मे सभी व्यक्ति प्रायः यह सोचते हैं कि वे अन्य सभी व्यक्तियों से अलग हैं। हृदय में वे अकेलापन अनुभव करते हैं। और जो भी भलाई करते हैं उसका परिणाम उन्हें अपने जीवन काल में प्राप्त नहीं हो पाता । मृत्यु के पश्चात् इन व्यक्तियों की स्तुति होती है, इनके कार्यो की प्रशंसा होती है और इनकी याद में पुप्पांजलि चढ़ाई जाती है।
जो व्यक्ति इस अंक के कमजोर या निम्न क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं उनका मानवीयता से संघर्ष रहता है और इनका अन्त दुःखद होता है। उच्च क्षेत्र में व्यक्तियों के उद्देश्यों को गलत समझा जाता है और दैविक न्याय के सामने इनकी आत्मा को दुःखी होना पड़ता है। प्राचीन काल से ही इस 8 के अंक को रहस्यवादी विज्ञान में मानवीय न्याय का प्रतीक माना गया है।
ऐसे व्यक्ति प्रायः अपने जीवन में गलत ही समझे जाते हैं और शायद इसी कारण यह व्यक्ति स्वयं को अकेला समझते हैं। ये व्यक्ति हठधर्मी और दृढ़ प्रकृति के होते हैं। इनका व्यक्तित्व सुदृढ़ होता है और जीवन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। भाग्यवादी होते हैं और दूसरों के लिए भी भाग्य की अधीनता ग्रहण करते हैं।
ये अत्यधिक धार्मिक प्रकृति के होते हैं और इनका उत्साह कट्टरता की सीमा तक होता है। जो भी कार्य यह अपने हाथ में लेते हैं, उसे विरोध तथा कुतर्को के बावजुद पूरा करते हैं। ऐसा करने से इनके अनगिनत शत्रु उत्पन्न हो जाते हैं।
इस अंक के व्यक्ति दिखावे से रहित एवं शांत तथा उदार हृदय के होते हैं। ये अपनी भावनाओं को छुपाए रखते हैं और दूसरे व्यक्तियों को अपनी राय कायम करने को स्वतंत्र छोड़ देते हैं। इस अंक के व्यक्ति जीवन में या तो बुरी तरह असफल होते हैं या पूर्ण रूपेण सफल सिद्ध होते हैं। महत्वाकांक्षी होने के कारण ऐसे जातक सामाजिक जीवन अथवा सरकारी उत्तरदायित्व निभाने की रूचि रखते हैं। ये व्यक्ति उच्च पदों पर आसीन होते हैं और महान बलिदान देने के लिए तत्पर रहते हैं। व्यवहारिक दृष्टिकोण से यह अंक भाग्यशाली अंक नही माना जाता इस अंक के अन्तर्गत जन्मे व्यक्तियों को महान कष्ट हानि और दुखों का सामना करना पड़ता है।
मूलांक 8 के लिये अनुकूल समय
दिनांक 23 दिसंबर से 19 फरवरी तक पाश्चात्य मत से सूर्य मकर एवं कुंभ राशि में रहता है तथा 14 फरवरी से 13 मार्च तक भारतीय मत से सूर्य मकर एवं कुंभ राशि में होता है, जो शनि की अपनी राशियां हैं तथा 17 अक्तूबर से 13 नवंबर तक सूर्य तुला राशि में रहता है, जो शनि की उच्च राशि है। अतः उपरोक्त समय मूलांक आठ के लिए कोई भी नया कार्य या महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए अधिक उपयुक्त रहते हैं।
मूलांक 8 के लिये प्रतिकूल समय
इनके लिये माह मार्च, जून, जुलाई एवं दिसंबर किसी भी नये कार्य को प्रारंभ करने हेतु अनुकूल नहीं रहेंगे। इन मासों में इनके कार्यों में रुकावटें आएंगी तथा स्वास्थ्य में क्षीणता उत्पन्न होगी, आलस्य बढ़ेगा, व्यर्थ की परेशानियां तथा भाग-दौड़ बढ़ेगी। अतः इस समय में ध्यान रखना उचित रहेगा।
मूलांक 8 के लिये अनुकूल दिवस
किसी भी माह में पड़ने वाले शनिवार, रविवार एवं सोमवार इनके लिए अनुकूल दिवस हैं। ऐसे जातक अपना कोई भी महत्वपूर्ण कार्य या रोजगार व्यापार संबंधी कार्य, विशिष्ट अधिकारी से संबंध आदि अपनी शुभ तारीखों में पड़ने वाले उपरोक्त दिवसों में ही प्रारंभ करेंगे, तो इनके लिए विशेष फलदायक रहेगा ।
मूलांक 8 के लिये शुभ तारीखें
इनके लिए कोई भी नया कार्य, महत्वपूर्ण कार्य, रोजगार – व्यापार सम्बंधी कार्य, पत्र या दस्तावेज लिखने हेतु किसी भी अंग्रेजी माह की 1, 4, 8, 10, 13, 17, 19, 22, 26, 28 एवं 31 तारीखें अधिक अनुकूल रहती हैं। अतः यह कोशिश करें कि कोई भी महत्वपूर्ण कार्य उपरोक्त तारीखों में ही संपन्न होगा तो अच्छा रहेगा।
मूलांक 8 के लिये अशुभ तारीखें
किसी भी अंग्रेजी माह के दिनांक 3, 6, 12, 15, 21, 24 एवं 30, इनके लिए अनुकूल नहीं रहेंगे। इन तारीखों में यह कोई भी नया कार्य, व्यापार पत्र लेखन एवं उच्च तथा विशिष्ट अधिकारी से मिलने का कार्य न करें ।
मूलांक 8 के लिये अनुकूल साझेदारी ऐवम मित्रता
जिन व्यक्तियों का जन्म 1, 4, 8, 10, 13, 17, 19, 22, 26, 28 एवं 31 तारीखों को, अथवा 14 फरवरी से 13 मार्च तथा 17 अक्तूबर से 13 नवंबर के बीच हुआ हो, ऐसे व्यक्ति इनके लिए विशेष फलदायी रहेंगे। इनके सहयोग से इनको अच्छी उपलब्धियां प्राप्त होंगी। विवाह, प्रेम संबंध

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
ऐसे जातक अपने रोजगार व्यवसाय या प्रेम विवाह संबंध इत्यादि में ऐसी स्त्री का चुनाव करें, जिसका मूलांक 1, 4, 8 हो तथा उसका जन्म किसी भी माह की 1, 4, 810, 13, 17, 19, 22, 26, 28 एवं 31 तारीख को हुआ हो। ऐसी महिलाएं इनके रोजगार, व्यवसाय तथा अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए भी श्रेष्ठ फलदायक सिद्ध होंगी।
मूलांक 8 के लिये अनुकूल रंग
इनके लिए गहरा भूरा, काला, गहरा नीला, ककरेजी रंग शुभ रहेंगे। यह अपने घर के दरवाजे, पर्दे, चादर आदि का चुनाव भी इन्हीं रंगों के अनुरूप करें। यदि इनका स्वास्थ्य ठीक न हो, तब ये इन्हीं रंगों के कपड़े पहनें एवं रुमाल हर समय अपने पास रखें, जिससे इनका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। महत्वपूर्ण कार्य करते समय भी इन्हीं रंगों के वस्त्रों को धारण करना इनके लिए विशेष फलदायक रहेगा ।
मूलांक 8 के लिये अनुकूल वास्तु एवं निवास
यह अपने लिए कॉम्पलेक्स, फ्लैट या मकान का चुनाव पश्चिम दिशा में करें। इनका मूलांक 8 होने से इनके लिए पश्चिम दिशा उपयुक्त रहेगी तथा भवन क्रमांक का योग 8 हो तो अच्छा रहेगा। अतः ये इस दिशा में फ्लैट या मकान खरीद सकते हैं। यह चाहें तो शहर में पश्चिम दिशा या भवन के पश्चिम क्षेत्र में निवास करें। ऐसा करना इनके लिए लाभकारी रहेगा तथा अपने आवश्यक कार्य भी इसी दिशा की ओर बैठ कर संपन्न करेंगे तो लाभ होगा।
मूलांक 8 के लिये अनुकूल वाहन, यात्रा, होटल
इनके मूलांक 8 के 1 ओर 4 मित्र हैं। अतः जब भी ये कोई नया वाहन इत्यादि खरीदते हैं तो उसके पंजीकरण का योग इन्हीं अंकों में से एक होना इनके लिए लाभप्रद रहेगा। उदाहरणार्थ वाहन पंजीकरण क्रमांक 5237 = 8 । यदि वाहन में यात्रा करते हैं, तब भी इनके लिए शुभ अंक 1, 4, 8 ही रहेंगे और यदि होटल में कमरा आदि बुक करवाते हैं, तब उसके लिए कमरा नंबर 107 = 8 का चयन करना ही उचित रहेगा।
स्वास्थ तथा रोग
जब भी इनके जीवन में रोग की स्थिति आएगी, तब इनको वायु रोग, वात रोग, शारीरिक क्षीणता, अंध रोग, हृदय की कमजोरी, रक्त की कमी, मलबद्धता, कब्जियत, गठिया, रक्तचाप, सिर की पीड़ा, कुष्ठ रोग, मूत्र के रोग, गंजापन तथा कान-नाक में पीड़ा होगी। रोग होने, अशुभ समय आने, कष्ट तथा विपत्ति के समय इनको शनि की पूजा एवं आराधना करनी चाहिए।
मूलांक 8 के लिये अनुकूल व्यवसाय
इनके लिए कसरत, खेल-कूद, कूद-फांद, पुलिस और सैन्य विभाग, ठेकेदारी, टीन चद्दर आदि का कार्य कुलीगिरी, लघु उद्योग, वकालत, ज्योतिष कार्य, वैज्ञानिक कार्य, मुर्गी पालन, बागबानी, कोयला और लकड़ी का व्यवसाय, घड़ीसाज, न्याय वेत्ता, नेतृत्व, नीति निर्धारक, धर्म-कर्म, यज्ञादि कर्त्ता, अध्यापन, संगीतज्ञ आदि कार्य के क्षेत्र रोजगार – व्यापार हेतु अधिक उपयुक्त रहेंगे ।
मूलांक 8 के लिए अनुकूल रत्न
इनके लिए नीलम सबसे अधिक लाभकारी रहेगा। इसके न मिलने पर बैंकॉक नीलम्, लाजवर्त काका नीली इत्यादि धारण कर सकते हैं। इसे शनि के रोज, शुक्ल पक्ष में, चौघड़िया मुहूर्त में, त्रिधातु या चांदी की अंगूठी में सवा तीन से सवा पांच रत्ती का नीलम बनवा कर दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली की त्वचा को स्पर्श करता हुआ धारण करें। यह इनके लिए शुभ फलदायक रहेगा ।
मूलांक 8 के लिए जड़ी बूटी धारण
शनिवार के दिन एक इंच लंबी विच्छु की जड़ ला कर काले धागे में लपेट कर दाहिने हाथ में बांधे या शीशे या लोहे के ताबीज में भर कर गले मे धारण करें। इससे शनि के अशुभ प्रभाव कम होंगे तथा शुभ प्रभावो में वृद्धि होगी ।
मूलांक 8 के लिए हर्बल (औषधि) स्नान
इनके लिए प्रत्येक शनिवार को एक बाल्टी या बर्तन में सुरमा, काले तिल, सौंफ, नागरमोथा और लोध आदि औषधियों का चूर्ण कर पानी में डाल कर स्नान करना सभी प्रकार के रोगों से मुक्तिदायक रहेगा। हर्बल स्नान से इनकी त्वचा की कांति में वृद्धि होगी। अशुभ शनि के प्रभाव क्षीण हो कर इनके तेज एवं प्रभाव में वांछित लाभ प्राप्त होगा।
सभी ग्रहों की शांति के लिए यह कूठ, खिल्ला, कांगनी, सरसों, देवदारू, हल्दी, सर्वोषधि तथा लोध को मिला कर चूर्ण कर किसी तीर्थ के पानी में मिला कर भगवान का स्मरण करते हुए, स्नान करें तो सभी ग्रहों की शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी ।
मूलांक 8 के लिए दान पदार्थ
शनि की शांति के लिए योग्य व्यक्ति को शनि के पदार्थ तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, नीलम, कुलथी, काली गौ, काले पुष्प, जूता, कस्तूरी, सुवर्ण आदि का दान करना लाभप्रद रहेगा ।
मूलांक 8 के लिये अनुकूल देवता ऐवम मंत्र
मूलांक 8 प्रभावित जातक शनि ग्रह की उपासना करें अथवा इनके लिए बटुक भैरव की उपासना करना विशेष लाभप्रद रहेगा। ये नित्य रुद्राक्ष की माला पर बटुक भैरव के मंत्र का एक सौ आठ बार जप किया करें। इससे इनकी सभी समस्याएं, रोग इत्यादि दूर होंगे। बटुक भैरव का मंत्र इस प्रकार है- ‘ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं । यह इक्कीस अक्षर का मंत्र सर्वसिद्धिदाता है । कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन बटुक भैरव की उपासना करना विशेष लाभप्रद रहता है।
व्रतोपवास – शनिवार को शनि अरिष्ट दोष निवारण हेतु व्रत करें। शनिवार को काले, नीले वस्त्र धारण कर, इक्यावन या उन्नीस शनिवारों को व्रत करें। शरीर में तेल मालिश तेल दान तथा पीपल के वृक्ष की पूजा करें। शनि मंत्र का यथाशक्ति रुद्राक्ष माला पर जप करें।
गायत्री मंत्र – इनके लिए शनि के शुभ प्रभावों की वृद्धि हेतु शनि के गायत्री मंत्र का प्रातः स्नान के बाद ग्यारह इक्कीस या एक सौ आठ बार जप करना लाभप्रद रहता है ।
ॐ भग-भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नौं शनिः प्रचोदयात् ।।
ध्यान मंत्र – प्रातःकाल उठ कर ये जातक शनि का ध्यान करें, मन में शनि की मूर्ति प्रतिष्ठित करें और तत्पश्चात् निम्न मंत्र का पाठ करें।
नीलांज्जनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् । छायामार्तंडसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम् ।।
ग्रह मंत्र – अशुभ शनि को अनुकूल बनाने हेतु शनि के मंत्र का जप करना चाहिए । नित्य कम से कम एक माला एक सौ आठ जप करने से वांछित लाभ मिल जाते हैं। पूरा अनुष्ठान दो सौ तीस माला का है।
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनयै नमः । जप संख्या 23000 ।।
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