चन्द्र सम्बंधित अंग और रोग

चन्द्र सम्बंधित अंग और रोग जन्मकुंडली में 4, 6, 8 अथवा 12 वें भाव में चन्द्रमा हो, तो निश्चित ही रोग कारक बनते है। चन्द्रमा के पापी अथवा पीडित होने की स्थिति में जातक को खांसी, जुकाम, फेंफड़ों के रोग, प्लूरसी, मूर्च्छा, मन्दाग्नि, स्त्रियों में मासिक धर्म की अनियमितता, दमा, Read more

सूर्य सम्बंधित अंग और रोग

सूर्य सम्बंधित अंग और रोग जन्मकुंडली में सूर्यदेव का स्थान सर्वोपरि माना गया है। इसलिए शारीरिक रूप स्वस्थ्य रहने के लिए लग्नेश के साथ-साथ पुरुष के लिए सूर्यदेव का और स्त्री के लिए चन्द्रदेव का शुभ एंव बली बनकर बैठना अत्यंत आवश्यक माना गया है। प्रत्येक राशिस्थ सूर्यकृत रोग मेष Read more

रोग कारक ग्रह राशि और भाव

नवग्रहों से संबन्धित अंग और रोग ज्योतिष शास्त्र में राशियों की तरह अलग-अलग ग्रहों का भी अलग-अलग शारीरिक अंग एंव उनसे संबंधित रोगों के साथ स्थापित किया गया है। अतः नवग्रहों में सूर्य, चन्द्र आदि ग्रह जिस राशि में पीडित होकर बैठते है, उसके अनुरूप ही रोग विचार किया जाता Read more

कुंड्ली में रोग देखने के स्वर्णिम सूत्र

कुंड्ली में रोग देखने के स्वर्णिम सूत्र ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे शरीर में कैसा भी रोग जन्म ले रोग की प्रकृति चाही कैसी भी क्यों न हो, उसका सीधा संबन्ध हमारे पूर्व संचित कर्मों के साथ अवश्य रहता है। इसलिए बहुत से लोग जीवन भर संयमी जीवनयापन करते रहने, Read more