मेष लग्न के योग

मेष लग्न के धन योग मेष लग्न में जन्म लेने वाले जातकों के लिए धनप्रदाता ग्रह शुक्र है। धनेश शुक्र की शुभाशुभ स्थिति से धन स्थान से सम्बन्ध जोड़ने वाले ग्रहों की स्थिति एवं योगायोग, शुक्र एवं धनस्थान पर पड़ने वाले ग्रहों की दृष्टि सम्बन्ध से जातक की आर्थिक स्थिति, Read more

विविध ज्योतिष योग

माता का अल्प आयु योग परिभाषा – जब चतुर्थ भाव, चतुर्थेश से तथा चन्द्र पर बहुत पाप प्रभाव हो तो माता की आयु बहुत थोड़ी होती है अर्थात् व्यक्ति के बाल्यकाल मे ही उसकी माता की मृत्यु हो जाती है । हेतु – चतुर्थ भाव तथा इसका स्वामी और इस Read more

कुंड्ली में रोग योग

कुंड्ली में रोग योग एकान्तोत्थित रोग योग परिभाषा – जब कोई ग्रह अनिष्ट स्थान मे हो और उस पर किसी शुभ ग्रह का युति अथवा दृष्टि द्वारा प्रभाव न हो तो वह ग्रह “ऐकान्तिक” अर्थात् अकेला कहलाता है और निज धातु सबन्धी रोग को देता है। हेतु तथा फल – Read more

कुंड्ली में विवाह योग

कुंड्ली में विवाह योग विवाह के अभाव का योग परिभाषा – जब सप्तम भाव, सप्तमेश तथा शुक्र तीनों, पीडित तथा निर्बल हों और इनमें किसी पर भी कोई शुभ युति अथवा दृष्टि न हो तो मनुष्य को पत्नी की प्राप्ति नही होती। हेतु – स्पष्ट है कि विवाह के तीनों Read more

कुंड्लि में दरिद्र योग

कुंड्लि में दरिद्र योग दरिद्र योग निम्नलिखित ग्रह स्थितियों में होता है :– फल – इन सब योगों में उत्पन्न मनुष्य निर्धन होता है । हेतु – चन्द्र लग्न है, अतः धन का द्योतक है। जब-जब चन्द्र निर्बल होगा चाहे वह पाप युति से, पाप दृष्टि से, चन्द्र से केन्द्र Read more

कुंड्ली में राजयोग और धनयोग

कुंड्ली में राजयोग और धनयोग गजकेसरी योग परिभाषा – (क) यदि चन्द्र से केन्द्र मे गुरु स्थित हो तो “गजकेसरी” योग होता है। (ख) यदि चन्द्रमा शुक्र, गुरु, बुध से दृष्ट हो और देखने वाले ग्रह नीच अथवा अस्त न हो तो भी “गजकेसरी” योग बनता है। फल – गज Read more

फलादेश के सामान्य नियम

फलादेश के सामान्य नियम ससार की कोई भी समस्या हो उस का फलादेश ज्योतिशास्त्र तीन बातो का विचार करके करता है :- (1) उपयुक्त भाव के विवेचन से, (2) उसी भावाधिपति के विवेचन से, (3) उसी भाव के कारक के विवेचन से। उपर्युक्त सन्दर्भ मे इतना ध्यान रखना चाहिये कि Read more

ज्योतिष योगों के आधारभूत नियम

ज्योतिष योगों के आधारभूत नियम वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में फल कहने के अनेक नियम है, परन्तु यहा हमने उन्ही नियमों का उल्लेख किया है जिन का योगों से घनिष्ठ सम्बन्ध है। ये नियम इस प्रकार है :- ग्रह की केन्द्रस्थिति का प्रभाव ग्रहो आदि की केन्द्रस्थिति उस भाव आदि Read more