घटनाओं का समय निर्धारण
प्रश्नकुंडली का विश्लेषण करते समय
- कार्य से संबंधित भावेश का पता करें। उसे कार्येश कहते हैं कार्य से संबंधित भाव को कार्य भाव कहते हैं। इसके बाद लग्न और लग्नेश का अध्ययन करें।
- कार्येश और लग्नेश से युति या दृष्टि रखने वाले ग्रहों पर ध्यान दें।
- कार्यभाव और लग्न में स्थित या दृष्टि वाले ग्रहों पर ध्यान दें।
कार्य में सफलता मिलेगी अगर
1. लग्नेश और कार्येश दोनों शुभ ग्रह हों और शुभ भाव में इत्थसाल योग बनाते हों ।
2. लग्नेश की लग्न पर और कार्येश की कार्यभाव पर दृष्टि हो
3. लग्नेश की कार्य भाव पर और कार्येश की लग्न पर दृष्टि हो।
4. लग्नेश की कार्येश पर और कार्येश की लग्नेश पर दृष्टि हो
5. कार्येश और लग्नेश की लग्न में युति हो ।
6. लग्नेश और कार्येश की कार्यभाव में युति हो ।
7. लग्नेश की कार्य भाव में स्थित कार्येश पर दृष्टि हो ।
8. कार्येश की लग्न में स्थित लग्नेश पर दृष्टि हो ।
8. कार्येश की कार्यभाव में स्थित लग्नेश पर दृष्टि हो।
9. लग्नेश की कार्येश और कार्यभाव पर दृष्टि हो ।
10. कार्येश की लग्न और लग्नेश पर दृष्टि हो ।
11. लग्नेश और कार्येश में कंबूल योग हो ।
12. लग्न या कार्यभाव पर तीन या अधिक शुभ ग्रहों की दृष्टि हो ।
13. लग्न, लग्नेश, कार्यभाव या कार्येश पर अशुभ प्रभाव से रहित पूर्णिमा के चंद्र की दृष्टि हो ।
14. लग्नेश और कार्येश द्वितीय भाव में स्थित हों।
15. बली शुभ ग्रह लग्न में स्वराशि में स्थित हो ।

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
16. लग्न में शीर्षोदय राशि हो, सबल लग्नेश पर 5, 9, 10 या 11 भाव में स्थित पूर्ण चंद्र की दृष्टि हो ।
17. अदूषित पूर्ण चंद्र की लग्न, लग्नेश, कार्यभाव, कार्येश पर दृष्टि हो या लग्नेश और कार्येश युक्त 2 5, 9, 10 या 11 भाव पर दृष्टि हो तो कार्य में सफलता मिलती है।
उपरोक्त योगों का फल लग्नेश और कार्येश के बल पर निर्भर करता है। अगर ये उच्च के, स्वक्षेत्री या मित्र राशि में शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हों तो जातक अपने काम में सफल होगा।
लग्नेश या कार्येश यदि अस्त, नीच राशि में, अशुभ ग्रहों के मध्य स्थित या शत्रुक्षेत्री हों तो कार्य में असफलता मिलती है, भले ही शुभ ग्रहों और चंद्रमा की दृष्टि हो ।
1. अगर सिर्फ लग्नेश पर ही तीन शुभग्रहों और चंद्र की दृष्टि हो तो कार्य में सफलता मिलेगी।
2. लग्नेश-एकादशेश या लग्नेश-द्वितीयेश पर पूर्ण चंद्र की दृष्टि हो तो जातक को धन, ध्येयपूर्ति और अन्य सुख प्राप्त होते हैं।
3. नवम भाव पर पूर्ण चंद्र की दृष्टि हो तो जातक शुभ कार्य तीर्थयात्रा आदि करता है।
4. दशम पर पूर्ण चंद्र की दृष्टि से प्रोन्नति होती है और प्रसिद्धि मिलती है।
5. चंद्र की अष्टमेश से युति हो या दृष्टि हो तो परिणाम अशुभ होते हैं तथा कार्य में असफलता प्राप्त होती है
6. लग्नेश और कार्येश पर निर्दोष केंद्र या त्रिकोण स्थित पूर्ण चंद्र की दृष्टि हो तो कार्य सफल होता है ।
7. लग्न में उच्च का सूर्य हो तो आग, चोरी या बीमारी का खतरा होता है।
8. लग्न में मंगल – शनि स्थित हों और अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो आग, चोरी, दुर्घटना, घायल होना, दुःख, पत्नि से वैमनस्य आदि घटित होते हैं।
9. लग्न में केवल शनि हो और सूर्य, मंगल या चंद्र से दृष्ट हो तो बदनामी, अफवाह, धनहानि, झगड़े, बीमारी और प्रशासन से दंड आदि से कष्ट होता है।
10. लग्न में राहु हो और सूर्य, मंगल या चंद्र की दृष्टि हो तो जातक जख्म, चोट, झगड़ा, दुर्घटना, पक्षाघात, पेट में दर्द, चेचक आदि से ग्रसित होता है अशुभ ग्रहों की शुभभावों में स्थिति और शुभ ग्रहों की अशुभ भावों में स्थिति बुरे परिणामों का संकेत है।
11. लग्नस्थ चंद्र पर दशम भाव स्थित नीचस्थ मंगल की या सप्तम भाव स्थित नीचस्थ शनि की दृष्टि हो तो जातक जीवन भर धन और सुख की हानि से त्रस्त रहता है।
12. लग्नेश या कार्येश की लग्न या कार्येश पर या परस्पर दृष्टि न हो तो ध्येय सफल नहीं होगा। सफलता के लिए इन योगों का होना अनिवार्य है।
राशियों को महर्षियों ने शीर्षोदय, पृष्ठोदय और उभयोदय में विभाजित किया है।
- लग्न शीर्षोदय राशि में हो, शुभ ग्रहों और चंद्र से युत/दृष्ट हो तो कार्य सफल होगा।
- लग्न शीर्षोदय राशि में हो, पंचम और नवम में शुभ ग्रह हों तो ध्येय में सफलता मिलती है।
- लग्न पृष्ठोदय राशि में हो, उसमें अशुभ ग्रह स्थित हो या उसकी लग्न पर दृष्टि हो तो कार्य में असफलता मिलती है।
- चतुर्थेश या दशमेश वक्री हो तो कार्य में असफलता मिलती है।
- लग्नेश या कार्येश वक्री हो तो कार्य असफल रहेगा।
- लग्न में शनि हो और सूर्य या मंगल की लग्न पर दृष्टि हो तो कार्य सफल नहीं होगा।
- लग्नेश का ग्रहाक्रांत राशीश लग्न से 6, 8 या 12 भाव में हो तो कार्य में सफलता नहीं मिलेगी।
प्रश्न ज्योतिष
- प्रश्न ज्योतिष क्या है ?
- राशियों का वर्गीकरण
- ग्रह की विशेषताएं
- ताजिक दृष्टियां और योग
- भावों के कारकत्व
- प्रश्न की प्रकृति
- लग्न और भावों के बल
- घटनाओं का समय निर्धारण
- प्रश्न कुंडली से रोगी और रोग का ज्ञान
- प्रश्न कुंडली से यात्रा और यात्री का विचार
- प्रश्न कुंडली से चोरी और गायब सामान की वापसी
- प्रश्न कुंडली से विवाह का विचार
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