राहु कारावास का कारक है और द्वादश इसका भाव है। लग्न या लग्नेश, द्वादश या द्वादशेश का संबंध राहु से हो तो कारावास होता है।
उपरोक्त योग में चतुर्थ या चतुर्थेश का संबंध हो तो कारावास देश के हितार्थ होता है।
उपरोक्त योग में नवम या नवमेश का संबंध हो तो कारावास देश या किसी उत्तम कार्य के लिए होता है।
1. लग्न में द्विस्वभाव राशि में राहु स्थित हो ।
2. चंद्र केंद्र में मंगल से युत या दृष्ट हो।
3. लग्नेश निर्बल हो या ओपोक्लिम भावों (3, 6, 9, 12) में स्थित होकर राहु या द्वादशेश से युत या दृष्ट हो ।
4. चंद्र तृतीय भाव में स्थित होकर शनि से युत / दृष्ट हो और चतुर्थेश या चतुर्थ में स्थित ग्रह से इत्थसाल में हो।
बंधन योग
1. लग्नेश और षष्टेश की केंद्र या त्रिक भावों में युति हो और राहु या शनि से संबंध हो ।
2. राहु, मंगल या शनि से युति में हो या केंद्र में स्थित हो तो जातक हत्या करता है।
3. षष्टेश, एकादशेश, केतु जिस राशि में स्थित हो उसका स्वामी, चतुर्थ भाव, चतुर्थेश और चंद्रमा पर मंगल या शनि का प्रभाव हो तो जातक हत्या करता है।
4. चंद्र और वक्री बुध मस्तिष्क को हत्या करने के लिए उकसाते हैं। अभियुक्त को बचाने के लिए दशम भाव, दशमेश, लग्न, लग्नेश या चंद्र पर बृहस्पति की दृष्टि होनी चाहिए।
क्या कारावास होगा ?
कारावास का अर्थ है :
- परिवार से वियोग (द्वितीय भाव लग्न और लग्नेश से द्वादश)
- चारदीवारी में सीमित रहना (द्वादश भाव)
- स्वयं का निवास छूटना अर्थात निवास की हानि (तृतीय भाव)
अतः कारावास के लिए 2 और 8 भाव (परिवार और वियोग) 12 (चारदीवारी या पलंग में परिसीमा), तृतीय (निवास की हानि) भावों का विचार करना चाहिए ।

द्वादशेश बृहस्पति दशम भाव और शुक्र की राशि में अस्त है और अष्टमेश सूर्य, मंगल और बुध से युति में है। लग्न में स्थित द्वितीयेश शनि की दृष्टि है। बृहस्पति मंगल के नक्षत्र में स्थित है और नवमांश में भी अष्टम भाव में सूर्य से युत है।
अतः द्वादशेश और मंगल का संबंध 2, 3, 8 भावों से है जातक को कारावास हुआ और अभी भी जेल में है। राहु कारावास का कारक है। राहु मंगल की राशि में, चंद्र से युति में, लग्नेश शनि के नक्षत्र में, षष्टेश बुध के नवमांश में है ।
कैदी छूटेगा या नहीं ?
कैदी छूट जाएगा अगर
1. लग्नेश का शुक्ल पक्ष के चंद्र से इत्थसाल हो तो कैदी छूट जाएगा।
2. तृतीयेश या नवमेश का चंद्र से इत्थसाल हो ।
3. लग्न में शुभ ग्रह हों।
4. लग्न में शुक्र या शनि अस्त हो ।
5. निर्बल चंद्र का 3 या 9 भाव में स्थित ग्रह से संबंध हो ।
6. केंद्र में स्थित तृतीयेश या एकादशेश का 3 या 9 भाव में स्थित ग्रह से इत्थसाल भविष्य में हो ।
7. शुक्र या शनि मेष या तुला में स्थित हो ।
8. निर्बल चंद्र अशुभ भाव में स्थित हो, अशुभ ग्रह से युत / दृष्ट हो और 3, 9 भाव में स्थित ग्रह से इत्थसाल हो ।
9. तृतीयेश या नवमेश केंद्र में स्थित हो और चंद्र से इत्थसाल हो ।
10. लग्नेश और चंद्र चर राशि में स्थित हों ।
11. चंद्रमा स्वराशि में दशम भाव में स्थित हो और लग्नेश का तृतीय भाव में बैठे ग्रह से इत्थसाल हो ।
कैदी कुछ विलंब के बाद छूट जाएगा अगर
1. यदि चंद्रमा मीन राशि में स्थित हो ।
2. लग्नेश केंद्र में स्थित हो ।
3. लग्नेश लग्न में और अशुभ ग्रह केंद्र में स्थित हों।
4. लग्नेश और चंद्र कर्क में स्थित हों ।
5. शुभ ग्रह का अन्य शुभ ग्रह से केंद्र में इत्थसाल हो और कंबूल योग भी हो।
6. लग्नेश और चंद्र में इत्थसाल हो ।
7. लग्नेश केंद्र में स्थित हो, 3, 6, 9 या 12 भाव में स्थित ग्रह से इत्थसाल हो तो कैदी 1 वर्ष में छूट जाएगा।

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
8. द्वितीयेश चतुर्थ में स्थित हो ।
9. लग्न और चंद्र द्विस्वभाव राशि में स्थित हों।
कैदी ससम्मान मुक्त होगा अगर
1. चंद्र नवम भाव में स्थित हो और लग्नेश का 3 या 9 भाव में स्थित ग्रह से इत्थसाल हो ।
2. चंद्र तृतीय भाव में स्थित हो और लग्नेश का 3 या 9 के स्वामी से इत्थसाल हो ।
3. चंद्र वृश्चिक या कुंभ में स्थित हो मगर केंद्र में न हो और किसी शुभ ग्रह की या भावेश की दृष्टि हो ।
4. लग्नेश पर पुरूष ग्रह (सूर्य, मंगल या बृहस्पति) की दृष्टि के साथ किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि हो और उस अशुभ ग्रह का 3 या 9 के स्वामी के साथ इत्थसाल हो ।
मुक्ति नहीं होगी अगर
1. लग्नेश का केंद्र में स्वराशि में स्थित ग्रह से इत्थसाल हो ।
2. लग्नेश केंद्र में स्थित हो और चंद्र से इत्थसाल हो ।
3. कोई ग्रह केंद्र में स्वराशि में स्थित हो ।
4. चंद्र केंद्र में स्थित होकर शनि से युत / दृष्ट हो
5. तृतीयेश और नवमेश द्वादश भाव में स्थित हों और लग्नेश से इत्थसाल हो तो कैदी जेल से भाग जाएगा।
6. द्वादशेश लग्न में स्थित हो तो कैदी जेल से फरार हो जाएगा।
जेल में मृत्यु
1. अष्टमेश अशुभ ग्रह हो, लग्नेश अशुभ होकर अशुभ ग्रह से संबंधित हो ।
2. अष्टमेश अशुभ ग्रह होकर चतुर्थ भाव में स्थित हो और चंद्र से युति, दृष्टि या इत्थसाल हो ।
3. चंद्र केंद्र में स्थित हो और शनि से युत / दृष्ट हो ।
4. लग्नेश चतुर्थ भाव में अस्त हो और
5. अष्टमेश का चंद्र से इत्थसाल हो । मंगल से दृष्ट हो ।
6. चंद्र का अशुभ ग्रह से चतुर्थ भाव में इत्थसाल हो ।
7. अशुभ अष्टमेश का लग्नेश से चतुर्थ भाव में इत्थसाल हो ।
8. द्वादशेश और लग्नेश का दशम भाव में इत्थसाल हो ।
9. लग्नेश का 3 या 9 के स्वामी से द्वादश भाव में इत्थसाल हो ।
जेल से कब मुक्ति मिलेगी ?
जातक लग्न में स्थित ग्रह या लग्नेश के अनुसार जेल से छूटेगा। मान लीजिए लग्न में शुक्र विद्यमान है।
1. लग्न में शुक्र हो तो शुक्र के लग्न में गोचर के समय जेल से मुक्ति मिलेगी।
2.
- शुक्र अगर लग्न में वृष या तुला राशि में स्थित हो तो 15 दिनों में मुक्ति मिल जाएगी।
- शुक्र कर्क या मकर में हो तो मुक्ति मुश्किल से मिलती है।
- शुक्र द्विस्वभाव राशि में हो तो जेल से छूटने में देरी होगी।
- अगर शुक्र लग्न में स्थित नहीं है तो मुक्ति लग्नेश की शक्ति और अंश पर निर्भर है, अर्थात अगर लग्नेश नवमांश में चर राशि में हो तो जातक जेल से छूट जाएगा।
स्थिर नवमांश के लिए अवधि को दोगुना कर दें। द्विस्वभाव नवमांश के लिए अवधि तीन गणा कर दें। क्या जमानत होगी ?
जमानत का अर्थ है :
- परिवार से पुनर्मिलन (द्वितीय भाव)
- चारदीवारी से मुक्ति (द्वादश भाव)
- घर पहुंचना (चतुर्थ भाव)
1. लग्नेश केंद्र में स्थित हो और केंद्र में केंद्र के स्वामी से इत्थसाल हो तो जमानत नहीं होगी।
2. अशुभ ग्रह केंद्र में स्थित हों तो जमानत में देरी होगी।
3. अथक प्रयास द्वारा जमानत संभव है अगर :-
- शुभ ग्रहों का केंद्र में इत्थसाल हो ।
- लग्नेश द्वादश में स्थित हो तथा अशुभ द्वादशेश द्वारा दृष्ट हो ।
- लग्नेश का चंद्र से केंद्र में इत्थसाल हो ।
- लग्नेश और चंद्र का इत्थसाल कर्क से अन्य चर राशि में हो तो जमानत हो जाएगी। यह योग अगर कर्क में हो तो जमानत बहुत प्रयास से होगी।
5. लग्नेश अस्त या अशुभ ग्रहों की दृष्टि के कारण निर्बल होने पर जमानत मिलने में समय लगता है। अगर चंद्र भी दूषित हो और अशुभ ग्रह केंद्र में स्थित हों, अष्टम भाव में अशुभ ग्रह स्थित हों तो जातक की जेल में मृत्यु संभव है।
6. लग्न और लग्नेश दूषित हों, केंद्र में अशुभ ग्रह स्थित हों, मंगल अस्त या नीचस्थ या अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो जेल से छूटने पर जातक की हत्या हो जाती है।
7. लग्नेश और द्वादशेश का दशम भाव में इत्थसाल हो तो जातक को जेल में यातना दी जाती है।
8. प्रश्न के दिन के नक्षत्र को देखें। दिन के नक्षत्र से जन्मकुंडली का चंद्र नक्षत्र 4 नक्षत्रों के बीच हो तो परिणाम विनाश, 5 से 7 नक्षत्रों के मध्य हो तो मुक्ति, 8 से 11 में मृत्यु, 12 से 14 में सजा, 15 से 18 सफलता, 19 से 20 जमानत में देरी 22 से 25 मृत्यु तथा 26 से 28 कारागार से मुक्ति का संकेत होता है।
प्रश्न ज्योतिष
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