दशम भाव प्रशासन का अधिकार देता है। लग्न और लग्नेश प्राप्तकर्ता हैं। चतुर्थ भाव जनता है, नवम भाग्य, 2 और 11 भाव चुनाव लड़ने के लिए धन जुटाते हैं। तृतीय भाव चुनाव लड़ने की हिम्मत देता है, छठा भाव दूसरों की हानि है। ये भाव बली होने चाहिएं।
राजनीति में सत्ता प्राप्ति
1. लग्नेश और चंद्र दशम में इत्थसाल में होकर शुभ ग्रह से दृष्ट हों तो सत्ता प्राप्त होती है ।
2. लग्नेश दशम में और दशमेश लग्न में स्थित हो और दूषित प्रभाव न हो ।
3. लग्नेश का दशम भाव में शुभ ग्रह से इत्थसाल हो ।
4. लग्नेश स्वराशि में हो और मंगल दशम में उच्च का हो।
5. लग्नेश और दशमेश का स्वराशि में स्थित चंद्र से इत्थसाल हो ।
6. बृहस्पति, शुक्र और बुध दशम भाव में मीन राशि में स्थित हों।
7. लग्नेश लग्न में स्थित हो या लग्न में उच्च का होकर शुभ ग्रह से दृष्ट हो और दशमेश बली हो ।
8. मंगल दशम में उच्च का होकर लग्न या लग्नेश पर दृष्टि डाले ।
9. लग्नेश और दशमेश लग्न में स्थित हों और शुभ ग्रह 5, 9, 11 भावों में हों ।
10. लग्नेश, चंद्र और दशमेश शुभ भावों में स्थित होकर शुभ ग्रह से युक्त / दृष्ट हों ।
11. चंद्रमा बली होकर केंद्र में स्थित हो और दशम भाव के शुभ ग्रहों से युत / दृष्ट हो ।
12. बृहस्पति केंद्र में बली हो और चंद्र-बुध-शुक्र की शुभ भावों में युति हो ।
13. बली बृहस्पति की केंद्र में लग्नेश से युति हो और चंद्र भी बली हो ।
14. बृहस्पति केंद्र या त्रिकोण में उच्च का हो, चंद्र शुभ ग्रहों से युत / दृष्ट होकर पक्षबली हो ।
15. लग्नेश 3 या 9 भाव में स्थित हो और तृतीयेश का दशमेश से इत्थसाल हो तो जातक सत्ता प्राप्त करता है या अधिकारों की बढ़त होती है।
16. लग्नेश का तृतीयेश या नवमेश से इत्थसाल हो तो जातक खोयी सत्ता प्राप्त करता है।

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
17. सत्ता प्राप्त होगी, अगर
- दशमेश बली हो और शुभ ग्रह से दृष्ट हो।
- दशमेश का पूर्ण चंद्र से इत्थसाल हो ।
- बृहस्पति केंद्र में स्वराशि या उच्च का हो।
- बृहस्पति का दशमेश से इत्थसाल हो ।
कुछ विद्वानों के मतानुसार पंचम भाव राजदूत, राजनीतिज्ञ आदि का संकेतक है। पंचम का संबंध 2 और 11 भाव से हो तो जातक राजनीतिज्ञ बनता है।
पाठक देखेंगे कि उपरोक्त योगों में सूर्य को पूर्ण महत्व नहीं दिया गया है जबकि बृहस्पति को वरीयता दी गयी है। मगर अनुभव बताता है कि सूर्य का भी बली होकर दशम दशमेश से संबंध होना चाहिए ।
सत्ता का ह्रास
1. लग्नेश जिस भाव में स्थित हो, उसकी राशि का स्वामी अशुभ राशि या भाव में स्थित हो या उस पर अशुभ ग्रह की दृष्टि हो ।
3. द्वितीयेश और एकादशेश दूषित हों।
4. लग्नेश अशुभ राशि या भाव में स्थित हो ।
5. चंद्रमा केंद्र में स्थित होकर दूषित हो ।
6. बृहस्पति, लग्नेश और चंद्र शत्रुक्षेत्री हों या अशुभ ग्रहों द्वारा दूषित हों।
7. लग्नेश और शुक्र अस्त होकर पापकर्तरी योग में हों ।
8. सत्ता प्राप्ति के बाद कारावास होगा, यदि
- लग्नेश निर्बल होकर 6 या 12 भाव में स्थित हो ।
- लग्नेश का दशमेश और अष्टमेश से इत्थसाल हो ।
- केंद्र और अष्टम भाव में अशुभ ग्रह हों।
9. यदि द्वितीयेश दशम भाव में स्थित हो या दशमेश और द्वादशेश में संबंध हो और वे शनि से चतुर्थ या सप्तम भाव में स्थित हों तो जातक को सत्ता प्राप्त होती है, मगर वह उसे नष्ट कर देता है।
10. सत्ता का ह्रास होगा यदि
- दशमेश और लग्नेश का चतुर्थ भाव में स्थित होकर चंद्र से इत्थसाल हो ।
- लग्नेश का किसी नीच ग्रह और चंद्र से इत्थसाल हो ।
11. धीमी गति वाला ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित हो या वक्री हो तो पहले सत्ता हाथ से जाएगी। बाद में जब चंद्र से कंबूल होगा तो सत्ता वापस प्राप्त होगी ।
क्या सदन में विश्वास मत प्राप्त कर सकूंगा ?
विश्वास मत प्राप्त होगा अगर :-
1. शुभ ग्रह 1, 7, 10 भाव में स्थित हों।
2. बृहस्पति, शुक्र या बुध नवम भाव में हो।
3. सभी ग्रह 3, 4, 5, 6, 7, 8 भावों में स्थित हों।
प्रश्न ज्योतिष
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