कन्या लग्न में बुध का फलादेश
कन्या लग्न में बुध का फलादेश प्रथम स्थान में
कन्यालग्न में बुध लग्नेश व राज्येश है। दो केन्द्रों का अधिपति होने पर भी इसे ‘केन्द्राधिपत्य दोष’ नहीं लगता। यहां बुध अति शुभ फलदायक एवं सफल योगकारक ग्रह है। यहां लग्नस्थ बुध कन्या राशि में होगा जो कि उसकी उच्च राशि है। बुध यहां 15 अंशों तक परमोच्च एवं 16 से 20 अंशों तक मूलत्रिकोण का कहलाता है। बुध की इस स्थिति के कारण क्रमशः कुलदीपक योग, भद्रयोग एवं पद्मसिहांसन नामक योग बनता है। बुध यहां ‘दिग्बली’ भी है।
ऐसा जातक राजा के तुल्य ऐश्वर्यशाली एवं धनवान होता है। ऐसा जातक विद्या व्यसनी, विद्वान एवं राजनीति में कुशल होकर उच्च पद को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। ऐसा जातक जिस क्षेत्र में भी कार्य करेगा, उस क्षेत्र में शीर्ष पद प्राप्त करेगा।
दृष्टि – लग्नस्थ बुध की दृष्टि सप्तम भाव (मीन राशि) पर होगी। फलत: जातक की पत्नी आज्ञकारी, धर्मभीरु व पतिव्रता होगी।
निशानी – इनके व्यक्तित्व में चुम्बकीय आकर्षण होता है, जिसके कारण अंजान से अंजान व्यक्ति भी इनकी ओर आकृष्ट हो जाता है।
दशा – बुध की दशा अंतर्दशा में जातक की सर्वागीण उन्नति होगी। भाग्योदय होगा।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – भोजसंहिता के अनुसार कन्यालग्न में सूर्य व्येयश होगा। प्रथम स्थान में कन्या राशिगत यह युति वस्तुत व्ययंश सूर्य की लग्नेश दशमेश बुध के साथ युति कहलायेगी । बुध यहां उच्च का होकर ‘भंगयोग व कुलदीपक योग’ की सृष्टि करेगा। यहां पर यह युति उत्तम फल (राजयोग) को देने वाली होगी। फलतः ऐसा जातक बुद्धिमान होगा तथा राजातुल्य ऐश्वय, पराक्रम एवं वैभव को भोगेगा। जातक धनवान होगा। बड़ी भू-सम्पत्ति का स्वामी होगा। अपने कुल परिवार जाति का मुखिया एवं अग्रगण्य व्यक्ति होगा ।
2. बुध + चंद्र – जातक प्रखर बुद्धिमान होगा पर अपने निर्णय बदलते रहेगा।
3. बुध + मंगल – जातक का पराक्रम अत्यन्त तेजस्वी होगा।
4. बुध + गुरु – जातक मर्यादित व्यवहार वाला और धार्मिक होगा।
5. बुध + शुक्र – जातक महाभाग्यशाली एवं धनी होगा।
6. बुध + शनि – जातक की संतति उत्तम होगी।
7. बुध + राहु – जातक प्रत्युत्पन्न मति वाला, हठी व्यक्ति होगा।
8. बुध + केतु – जातक कीर्तिवान् एवं तेजस्वी होगा।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश द्वितीय स्थान
द्वितीय स्थान में बुध तुला राशि का होगा। ऐसा जातक सबको तारने वाला, हाजिर जबाब, प्रत्युत्पन्न मति वाला, धनवान एवं सुखी होता है। ऐसा जातक जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुख व ऐश्वर्य को सहज ही प्राप्त करता है। ऐसा जातक धन कमाने में होशियार, सावधान एवं मितव्ययी होता है।
दृष्टि – द्वितीय भावगत बुध की दृष्टि अष्टम भाव (मेष राशि) पर होगी। फलत: जातक की उम्र लम्बी होगी।
दशा – बुध की दशा-अन्तर्दशा में जातक धनवान होगा। स्वास्थ्य लाभ भी ठीक रहेगा।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – कन्यालग्न में सूर्य व्ययेश होगा। द्वितीय स्थान में तुला राशिगत यह युति वस्तुत व्ययेश सूर्य की लग्नेश दशमेश बुध के साथ युति होगी। सूर्य यहां नीच राशि का होगा। यहां बैठकर दोनों ग्रह अष्टम स्थान को देखेंगे। फलतः जातक बुद्धिमान होगा एवं धनवान भी होगा। जातक अपने स्वयं के पराक्रम एवं पुरुषार्थ से धन कमाता हुआ आगे बढ़ता है जातक समाज का लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा तथा रोग (बीमारी) से लड़ने की क्षमता रखता हुआ दीर्घजीवी होगा।
2. बुध + चंद्र – जातक की वाणी विनम्र होगी।
3. बुध + मंगल – जातक अन्तकपटी होगा। जातक की वाणी कपटपूर्ण होगी।
4. बुध + गुरु – जातक धार्मिक दार्शनिक व आध्यात्म प्रेमी होगा।
5. बुध + शुक्र – जातक महाधनी होग।
6. बुध + शनि – जातक महाधनी होगा जातक की संतति भी धनवान होगी ।
7. बुध + राहु – धन के धड़े में छेद होने पर भी रुपया आता रहेगा।
8. बुध + केतु – धन संग्रह में बाधा महसूस होगी पर अंतिम रूप से धनसंग्रह विवेकपूर्ण कार्यों में होगा ।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश तृतीय स्थान
तृतीय स्थान में स्थित बुध वृश्चिक (मित्र) राशि में होगा। ऐसा जातक तेज बुद्धि वाला होगा। जातक लिखने-पढ़ने का शौकीन होगा। ऐसा जातक जो कार्य प्रारम्भ करता है, उसे समाप्त करके ही दम लेता है। ऐसे जातक को पिता सहोदर (भाई-बहनों) का सुख मिलता है। जातक को नौकरी-व्यापार व्यवसाय से लाभ प्राप्त होता रहेगा। जातक बुद्धि बल एवं मित्रों के सहयोग से धन कमायेगा।
दृष्टि – तृतीयस्थ बुध की दृष्टि भाग्य भवन (वृष राशि) पर होगी। इससे भाग्य व धर्म का उन्नयन होगा। जातक का भाग्योदय 32 वर्ष की आयु तक होता है।
निशानी – जातक को भाई-बहन का पूर्ण सुख मिलेगा।
दशा – बुध की दशा अन्तरदशा में जातक का पराक्रम बढ़ेगा व नौकरी लगेगी। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति होगी।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – तृतीय स्थान में वृश्चिक राशिगत यह युति वस्तुतः व्ययेश सूर्य की लग्नेश-दशमेश बुध के साथ युति होगी। यहां बैठकर दोनों ग्रह भाग्य भवन को पूर्ण दृष्टि से देखेंगे। फलतः जातक बुद्धिमान व पराक्रमी होगा। जातक को मित्र एवं परिजनों से लाभ होगा। जातक अपने बुद्धिबल से 24 वर्ष की आयु तक अपना उन्नति कार्य निश्चित कर लेगा। जातक धनी व्यक्ति होगा तथा समाज में अपने कार्यों से अपनी पहचान अलग से बनायेगा।
2. बुध + चंद्र – चंद्रमा नीच का होने से कुटम्बीजनों में वैमनस्य रहेगा।
3. बुध + मंगल – मंगल स्वगृही होने से भाई-बहनों का सुख होगा।
4. बुध + गुरु – जातक के मित्र युवा एवं वृद्ध दोनों होंगे।
5. बुध + शुक्र – जातक भाग्यशाली होगा।
6. बुध + शनि – जातक की संतति उत्तम होगी।
7. बुध + राहु – भाईयों में विवाद रहेगा।
8. बुध + केतु – जातक का पराक्रम-यश तेज रहेगा।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश चतुर्थ स्थान में
चतुर्थ भावस्थ बुध धनु (सम) राशि में है। बुध की यह स्थिति कुलदीपक योग, पद्मसिंहासन योग की सृष्टि करती है। जातक शिक्षा शास्त्री या राजनीतिज्ञ होगा। जातक अपने कर्मों से पुरुषार्थ और परिश्रम से महानता के पद पर पहुंचेगा। जातक में शिष्टाचार, अध्यात्म एवं दार्शनिक तत्व की प्रबलता होगी। जातक गणक रुप में ज्यादा प्रसिद्धि प्राप्त करेगा। अपने कुटुम्बी परिवार का नाम दीपक के सामन रोशन करेगा।
दृष्टि – चतुर्थ भावस्थ बुध की दृष्टि अपने ही घर दशम भाव (मिथुन राशि) पर होगी। फलत: जातक को पैतृक सम्पत्ति जमीन-जायदाद मिलेगी।
दशा – बुध की दशा-अंर्तदशा में जातक का सर्वांगीण विकास होगा। उसे सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं प्राप्त होगी।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – बुध के केन्द्रवर्ती होने के कारण ‘कुलदीपक योग’ बनेगा। जातक बुद्धिमान होगा। जातक ज्योतिष तंत्र व आध्यात्मिक विद्या का जानकार होगा। जातक उत्तम सम्पत्ति का स्वामी होगा। जातक के पास एकाधिक वाहन रहेंगे व उसे माता की सम्पत्ति मिलेगी। जातक व्यापार व्यवसाय में कमायेगा। जातक समाज का लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा।
2. बुध + चंद्र – जातक को माता बहन का सुख होगा।
3. बुध + मंगल – जातक को वाहन सुख मिलेगा।
4. बुध + गुरु – जातक के पास एकाधिक वाहन होंगे। जातक महान ऐश्वर्यशाली होगा।
5. बुध + शुक्र – जातक परम सौभाग्यशाली होगा।
6. बुध + शनि – जातक की संतति उत्तम होगी।
7. बुध + राहु – जातक की मां बीमारी होगी।
8. बुध + केतु – वाहन दुर्घटना, विस्फोट, अग्निकाण्ड का भय रहेगा।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश पंचम स्थान में
पंचमस्थ बुध यहां मकर (सम) राशि में है। पंचम भाव विद्या व बुद्धि का कारक भाव है। यहां बुद्धि प्रदाता बुध की उपस्थिति से जातक विद्यावान, बुद्धिमान होगा। उसे उच्च शैक्षणिक उपाधि (Educational Degree) मिलेगी। वह प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होता है। जातक प्रजावान होगा। उसे संतान सुख भी उत्तम मिलेगा। जातक मेडिकल लाईन, कम्प्यूटर लाईन में ज्यादा सफल होगा। ऐसा जातक सलाहकार मंत्री के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा।
दृष्टि – पंचमस्थ बुध की दृष्टि एकादश भाव (कर्क राशि) पर होगी। फलतः जातक को बड़े भाई, माता-पिता, धन-दौलत का पूर्ण सुख मिलेगा।
निशानी – जातक को प्रथम कन्या होगी। जातक के अनेक बच्चे होंगे।
दशा – बुध की दशा-अंतर्दशा में जातक का चहुमुखी विकास होगा।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – पंचम स्थान में मकर राशिगत यह युति वस्तुतः व्ययेश सूर्य की लग्नेश-दशमेश बुध के साथ युति कहलायेगी। सूर्य यहां शत्रुक्षेत्री होकर एकादश स्थान में स्थित ‘कर्क राशि’ को उत्पीड़ित करेगा, जो बुध का शत्रु राशि है। फलतः ऐसा जातक बुद्धिमान एवं शिक्षित होगा। उसकी संतति भी शिक्षित होगी। जातक व्यापार-व्यवसाय के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा एवं समाज का लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा।
2. बुध + चंद्र – जातक के कन्या संतति अधिक होगी।
3. बुध + मंगल – जातक की संतति पराक्रमी होगी।
4. बुध + गुरु – जातक को पुत्र रत्न की प्राप्ति अवश्य होगी। कन्या योग भी है।
5. बुध + शुक्र – कन्या संतति की बाहुल्यता रहेगी।
6. बुध + शनि – दो कन्या एवं पांच पुत्रों का योग है यदि परिवार नियोजन न हुआ तो।
7. बुध + राहु – पुत्र प्राप्ति में रुकावट संभव ।
8. बुध + केतु – संतति में बाधा एकाध गर्भपात संभव है।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश षष्टम स्थान में
यहां छठे स्थान में बुध कुम्भ (सम) राशि का होगा। बुध के छठे जाने से ‘लग्नभंग योग’ तथा ‘राजभंग योग’ की सृष्टि होगी। ऐसे जातक को परिश्रम का पूरा लाभ नहीं मिलता। जातक व्याधि ग्रस्त रहता है। शिक्षा प्राप्ति के समय बीच-बीच में रुकावट संभव है। ऐसा व्यक्ति दिल का साफ होता है। मन में कुछ नहीं रखता।
दृष्टि – पष्टमस्थ बुध की दृष्टि व्यय भाव (सिंह राशि) पर होगी। जातक का धन ऋण, रोग व शुत्र का मुकाबला करने में खर्च होता रहेगा।
निशानी – ऐसा जातक कलह प्रिय एवं निष्ठुर भाषी होता है। जातक मानसिक श्रम में खोया रहता है। शारीरिक श्रम इसके वश की बात नहीं होती।
दशा – बुध की दशा-अंतर्दशा मिश्रित फल देगी।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – छठे स्थान में कुंभ राशिगत यह युति वस्तुतः व्ययेश सूर्य की लग्नेश-धनेश बुध के साथ युति कहलायेगी। सूर्य यहां शत्रुक्षेत्री होकर व्यय स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। बुध छठे स्थान पर जाने से ‘लग्नभंग योग’, ‘राजभंग योग’ बना। यहां पर यह युति ज्यादा सार्थक नहीं है। फिर भी जातक बुद्धिमान होगा। जातक धनवान होगा पर परिश्रम का फल नहीं मिलेगा। सरकार में रुपया अटक जायेगा।
2. बुध + चंद्र – लाभ में रुकावट, परिश्रम का फल नहीं मिलेगा।
3. बुध + मंगल – विपरीत राजयोग के कारण जातक धनवान होगा।
4. बुध + गुरु – विवाह से विलम्ब या गृहस्थ सुख में बाधा होगी।
5. बुध + शुक्र – भाग्य में लगातार रुकावट आयेगी।
6. बुध + शनि – यदि शनि साथ हो तो उत्तेजना से पागलपन का खतरा रहता है।
7. बुध + राहु – यहां पर राहु के कारण जातक उन्मादी या पागल हो सकता है।
8. बुध + केतु – जातक का दिमाग अस्थिर होगा।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश सप्तम स्थान में
सप्तम भाव में बुध मीन (नीच) राशि का होगा। यहां 16 से 20 अंशों तक बुध परम नीच का हो जाता हैं। बुध की यह स्थिति ‘कुलदीपक योग’ एवं ‘पदमसिंहासन योग’ की सृष्टि करती है। ऐसा जातक एवं उसका जीवनसाथी दोनों ही सुन्दर व आकर्षक होंगे। जातक का विवाह अमीर स्त्री से होगा। जातक कानून ज्योतिष, मंत्र-तंत्र का जानकार होते हुए भी सदाचारी एवं मिलनसार होगा।
दृष्टि – सप्तमस्थ बुध लग्न स्थान अपने घर कन्या राशि को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। लग्नेश लग्न को देखेगा फलतः लग्नाधिपति योग बनेगा। यह एक राजयोग है। जो जातक के परिश्रम को सार्थक कर उसे ऊंचा नाम देगा।
निशानी – जातक का जीवन साथी वफादार होगा एवं विवाह के बाद जातक की किस्मत चमकेगी।
दशा – बुध की दशा-अंतर्दशा में जातक राजा तुल्य ऐश्वर्य भोगेगा । जातक का चहुमुखी विकास होगा।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – यहां बुध नीच का होगा। यहां बैठकर दोनों ग्रह लग्न स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखेंगे। बुध के कारण ‘कुलदीपक योग’ बनेगा एवं ‘लग्नाधिपति योग’ भी बनेगा। फलत: जातक बुद्धिमान तथा धनवान होगा। जातक जिस कार्य में हाथ डालेगा उसमें बराबर सफलता मिलेगी। जातक समाज का लब्ध प्रतिष्ठित एवं धनी व्यक्ति होगा।
2. बुध + चंद्र – जातक की पत्नी अति सुंदर होगी।
3. बुध + मंगल – जातक की पत्नी कुछ झगड़ालू होगी।
4. बुध + गुरु – नीचभंग राजयोग के कारण जातक राजा के समान ऐश्वर्यशाली होगा।
5. बुध + शुक्र – नीचभंग राजयोग के कारण जातक राजा के समान विलासी जीवन जीयेगा।
6. बुध + शनि – जातक महाधनी होगा। जातक की संतान उत्तम होगी।
7. बुध + राहु – विवाह सुख में बाधा ।
8. बुध + केतु – पत्नी से मनमुटाव रहेगा।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश अष्टम स्थान में
अष्टमस्थ बुध से यहाँ लग्नभंग योग एवं राजभंग योग की सृष्टि होगी। जातक को अपने जीवन में अनेक कष्टों व दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। जातक के व्यक्तित्व दैहिक सौन्दर्य, नौकरी-व्यापार में हानि होगी। फिर भी जातक विद्वान होगा एवं अनेक विषयों का जानकार होगा। जातक के विचार क्रियात्मक शक्ति से मुक्त होंगे। जातक बुद्धिबल से शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होगा।
दृष्टि – अष्टमस्थ बुध की दृष्टि धन स्थान (तुला राशि) पर होगी। फलत: जातक का धन रोगोपचार व शत्रुनाश में खर्च होगा। परन्तु कुटुम्ब के प्रति आकर्षण बना रहेगा।
निशानी – जातक षड्यंत्रकारी एवं अदूरदर्शी होगा।
दशा – बुध की दशा अंतर्दशा में जातक को परेशानी उठानी पड़ेगी।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – सूर्य यहां उच्च का होगा। दोनों ग्रह धन भाव को देखेंगे। यहां यह युति ज्यादा सार्थक नहीं है। बुध के कारण ‘लग्नभंग योग’ एवं ‘राजभंग योग’ बनेगा। फलतः जातक को भाग्योदय हेतु संघर्ष करना पड़ेगा। मेहनत का फल नहीं मिलेगा फिर भी जातक बुद्धिमान होगा व्ययेश सूर्य आठवें जाने से ‘विमल योग’ बना ऐसा जातक समाज का लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा।
2. बुध + चंद्र – जातक का मानसिक चिंतन अवरुद्ध रहेगा।
3. बुध + मंगल – विपरीत राजयोग के कारण जातक धनी होगा।
4. बुध + गुरु – गृहस्थ सुख में बाधा। द्विभार्या योग।
5. बुध + शनि – संतान में रुकावट होगी।
6. बुध + शुक्र – भाग्य में रुकावट होगी।
7. बुध + राहु – दुर्घटना योग ।
8. बुध + केतु – शल्य चिकित्सा की प्रवल संभावना बनी रहेगी।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश नवम स्थान में
यहां नवमस्थ बुध वृष राशि में होगा । लग्नेश बुध का भाग्य स्थान होने से जातक भाग्यशाली होता है। जातक की रुचि संगीत – साहित्य एवं वैज्ञानिक अन्वेषण में होती है। जातक अपने कार्यक्षेत्र में लोकप्रिय होता है तथा बड़ा भारी नाम कमाता है। जातक माता-पिता, गुरु का भक्त, आज्ञाकारी, स्त्री संतान, भाई-बहन के सुखों से युक्त व्यापार प्रिय व्यक्ति होता है। जातक समाज का अग्रपूज्य धनी व्यक्ति होता है।
दृष्टि – नवमस्थ बुध की दृष्टि पराक्रम स्थान (वृश्चिक राशि) पर होगी। फलत: जातक पराक्रमी होगा तथा इष्ट मित्रों, कुटम्बीजनों का शुभचिंतक होगा।
निशानी – ऐसा व्यक्ति राजनीति में प्रभावशाली होगा। उसके मुह से निकला हुआ शब्द प्रायः सच होगा।
दशा – बुध की दशा-अंतर्दशा में जातक का सम्पूर्ण भाग्योदय होगा।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – दोनों ग्रह यहां बैठकर पराक्रम स्थान को देखेंगे। फलतः जातक बुद्धिमान, भाग्यशाली तथा पराक्रमी होगा। जातक का भाग्योदय 24 वर्ष की आयु में हो जायेगा। जातक समाज का लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा। जातक को पैतृक सम्पत्ति भी मिलेगी। जातक को मित्रों, परिजनों का सहयोग मिलता रहेगा।
2. बुध + चंद्र – जातक महाभाग्यशाली होगा।
3. बुध + मंगल – भाग्योदय 28 वर्ष बाद होगा।
4. बुध + गुरु – विवाह के बाद किस्मत चमकेगी।
5. बुध + शुक्र – यदि यहां शुक्र हो तो जातक अत्यधिक धनी होगा।
बुध शनि जातक महाधनी होगा।
6. बुध + राहु – जातक का भाग्य तेजस्वी होगा।
7. बुध + केतु – संघर्ष के साथ भाग्योदय 32 वर्ष की आयु के बाद होगा।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश दशम स्थान में
यहां दशमस्थ बुध स्वगृही होगा। बुध की यह स्थिति क्रमशः कुलदीपक योग, पद्मसिंहासन योग एवं भद्रयोग की सृष्टि करती है। ऐसा जातक राजातुल्य ऐश्वर्यशाली पुरुषों में प्रधान व श्रेष्ठ पद को प्राप्त करने वाला महत्वकांक्षी व्यक्ति होगा। ऐसा जातक अपने से बड़े व्यक्ति के प्रति बफादार एवं विनम्र होता है। जातक गुणग्राही प्रवृत्ति का होता है। जातक गुणवान एवं विद्वानों का आदर करता हुआ मेहमान प्रिय व्यक्ति होता है।
दृष्टि – दशमस्थ बुध की दृष्टि चतुर्थ भाव (धनु राशि) पर होगी। ऐसे जातक को मकान एवं वाहन का पूर्ण सुख तथा पिता की सम्पत्ति भी मिलेगी।
निशानी – जातक मीठी एवं विनम्र वाणी का अधिपति होता है।
दशा – बुध की दशा अंतर्दशा में जातक को ऊंचा पद एवं धन-वैभव की प्राप्ति होगी।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – दशम स्थान में मिथुन राशिगत यह युति व्ययेश सूर्य की लग्नेश दशमेश के साथ युति होगी । बुध यहां स्वगृही होगा। फलतः ‘भद्रयोग’ एवं ‘कुलदीपक योग’ की पृष्टि हो रही है। यहां बैठकर दोनों ग्रह सुख स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखेंगे। यहां यह युति ज्यादा खिलेगी। जातक बुद्धिमान तथा राजा के समान पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा। राज्य में उसका वर्चस्व हांगा। खुद की गाड़ी बंगला होगा। जातक कुटुम्ब परिवार का नाम दीपक के समान रोशन करेगा।
2. बुध + चंद्र – जातक राजा के समान पराक्रमी एवं बुद्धिमान होगा।
4. बुध + मंगल – जातक के पास अनेक वाहन होंगे।
5. बुध + गुरु – यहां बृहस्पति जातक को सरकार व राजा के पास प्रधान पद पर नियुक्त करायेगा पर संतति की चिंता बनी रहेगी।
6. बुध + शुक्र – यदि यहा शुक्र हो तो जातक की पत्नी अत्यधिक सुन्दर एवं धनवान होगी।
7. बुध + शनि – यदि यहां शनि साथ हो तो जातक परिश्रमशील, रीडर, एवं लिपिक होगा।
8. बुध + राहु – जातक राजा के समान हठी व जिद्दी होगा ।
9. बुध + केतु – जातक का प्रत्येक कार्य कुछ रुकावट के साथ होगा।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश एकादश स्थान में
एकादश स्थान में बुध कर्क (शत्रु) राशि में होगा। ऐसा जातक अनेक विद्याओं का जानकार बहुधंधी होता है। जातक प्राय: टैक्नीकल व इंजीनियरिंग कार्यों में ज्यादा रुचि रखता है। जातक जलीय कार्य विदेश से लाभ कमाता है। जातक प्राय: उद्योगपति होता है तथा अनेक विश्वासनीय नौकरों से युक्त होता है। ऐसा जातक राजनीति में भी सफलता प्राप्त करता है। जातक उदारवादी मिलनसार एवं सहिष्णु होता है।
दृष्टि – एकादश भाव में स्थित बुध की दृष्टि पंचम भाव (मकर राशि) पर होगी। फलतः ऐसा जातक विद्यावान होता है। प्राय: कन्या संतति अधिक होती है।
निशानी – ऐसा व्यक्ति प्रजावान होता है। प्रायः भाग्योदय 34 वर्ष की आयु के बाद होता है।
दशा – बुध की दशा-अंतर्दशा में मिश्रित फल मिलेंगे। जातक उन्नति मार्ग की ओर आगे बढ़ेगा।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – यहां बैठकर दोनों ग्रह पंचम भाव को देखेंगे। फलतः जातक बुद्धिमान तथा शिक्षित होगा। उसकी संतान भी शिक्षित होगी। बुध यहां शत्रुक्षेत्री होगा। जातक व्यापारी होगा। उसकी रुचि व्यापार में होगी। जातक को व्यापार से धन की प्राप्ति होगी। जातक समाज का लब्धप्रतिष्ठित व्यक्ति होगा।
2. बुध + चंद्र – जातक महाधनी होगा।
3. बुध + मंगल – जातक पराक्रमी होगा।
4. बुध + गुरु – जातक को उन्नति विवाह के बाद होगी।
5. बुध + शुक्र – जातक उद्योगपति होगा।
6. बुध + शनि – जातक महाधनी होगा। फैक्टरी उद्योग का स्वामी होगा।
7. बुध + राहु – जातक के कार्य के लाभ में दिक्कत आयेगी।
8. बुध + केतु – जातक के कार्य में संघर्ष रहेगा।
कन्या लग्न में बुध का फलादेश द्वादश स्थान में
यहां द्वादशस्थ बुध सिंह (मित्र) राशि में होगा। बुध की यह स्थिति ‘लग्नभंग योग’ व ‘राजभंग योग’ की सृष्टि करती है। जातक अस्थिर मनोवृत्ति वाला एवं थका हुआ सा रहेगा। जातक को परिश्रम का फल कम मिलेगा। जातक खर्चीले स्वभाव का होगा। नेक कार्य, धार्मिक कार्य व सामाजिक कार्य पर रुपया खर्च करता रहेगा।
दृष्टि – द्वादश भावगत बुध की दृष्टि षष्टम् स्थान (कुम्भ राशि) पर होगी। जातक को गुप्त शत्रु एवं गुप्त रोग परेशान करते रहेंगे।
निशानी – जातक के बच्चे कम होंगे।
दशा – बुध की दशा अंतर्दशा में जातक को परेशानियों का सामना करना पडेगा।
बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. बुध + सूर्य – द्वादश भाव में सिंह राशिगत यह युति व्ययेश सूर्य की लग्नेश दशमेश के साथ युति होगी। यहां बैठकर दोनों ग्रह छठे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेंगे। सूर्य स्वगृही होगा। फलत: जातक बुद्धिशाली होगा। बलवान खर्चेश की लग्नेश के साथ युति जातक को खर्चीले स्वभाव का बनायेगी। जातक राज्य क्षेत्र में उच्च पद तथा प्रतिष्ठा को प्राप्त करेगा। जातक धार्मिक यात्राएं तीथांटन, देशाटन करेगा।
2. बुध + चंद्र – जातक खर्चीले स्वभाव का होगा।
3. बुध + मंगल – जातक का पराक्रम भंग होगा।
4. बुध + गुरु – जातक के विवाह में बाधा, विलम्ब विवाह योग भी है।
5. बुध + शुक्र – जातक के भाग्योदय में बाधा आयेंगी।
6. बुध + शनि – संतति में बाधा संभव है।
8. बुध + राहु – यात्राकाल में चोरी होगी।
9. बुध + केतु – यात्राएं अप्रिय अनुभवों से परिपूर्ण होंगी।
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