लग्न और भावों के बल
सर्वविदित है कि प्रश्न ज्योतिष में लग्न और लग्नेश महत्वपूर्ण हैं। इनका बली यॉ निर्बल होना प्रश्न की सफलता-असफलता का द्योतक है। कभी-कभी लग्न, लग्न में स्थित ग्रह, लग्न की राशि लग्न पर दृष्टि या लग्नेश के आधार पर प्रश्न के सभी पहलुओं पर जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
षट्पंचासिका, अध्याय 1 श्लोक 2 के अनुसार ज्योतिषी को प्रश्न कुंडली के
- लग्न के आधार पर जीवन ‘स्तर में गिरावट या परिवर्तन स्थान परिवर्तन, आर्थिक स्तर में गिरावट, मान हानि आदि का विचार करना चाहिए।
- आर्थिक उन्नति, सुख और भूमि का विचार चतुर्थ भाव से करना चाहिए।
- दूरस्थ स्थान से घर लौटने का इरादा सप्तम भाव से ज्ञात होता है।
- दशम भाव से यात्रा या यात्रा करने के विचार का पता चलता है। चतुर्थ भाव से ही यात्री के घर पहुंचने का ज्ञान होता है।
‘प्रश्नज्ञान’ के अनुसार यदि लग्न में द्विपाद राशि (मिथुन, कन्या, तुला, कुंभ और धनु का पूर्वार्ध) या चतुष्पाद राशि (मेष, वृष, सिंह, मकर का उत्तरार्ध) हो और लग्न शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो प्रश्न सफल रहेगा।
प्रश्न ज्ञान के श्लोक 8 के अनुसार यदि किसी भाव पर भावेश की दृष्टि है या भावेश उसमें स्थित है या उस भाव में बृहस्पति, शुक्र या बुध स्थित हैं या इनकी उस भाव पर दृष्टि है तो उस भाव का कारकत्व सबल और सफल होता है (बृहस्पति, शुक्र और बुध लग्न के लिए शुभ होने चाहिए)।
भाव का बल
1. भाव सबल होता है अगर भावेश स्वग्रही हो या उस भाव पर दृष्टि रखता हो ।
2. भाव बली होता है अगर उसमें शुभ ग्रह स्थित हो या शुभ ग्रह की उस भाव पर दृष्टि हो ।
3. भाव निर्बल होता है अगर अशुभ ग्रह वहां स्थित हो या उसकी दृष्टि हो ।
4. भावेश उच्च राशि मूल त्रिकोण, स्वराशि या मित्र राशि में स्थित हो तो भाव बली होता है।
5. शुभ ग्रह उच्च राशि मूल त्रिकोण, मित्र राशि में स्थित हो तो भाव सबल होता है।

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
6. भावेश 6, 8 या 12 भाव में स्थित हो तो भाव निर्बल होता है।
7. यदि 6, 8 या 12 वें भाव का स्वामी अपने भाव में स्थित हो तो भाव निर्बल होता है।
8. भावेश की शुभ ग्रह से युति या दृष्टि संबंध हो तो भाव बली होता है।
9. भावेश बली होकर केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तो भाव का कारकत्व सबल होता है ।
10. अगर भाव से 2, 12, 7, 4 या 10 में शुभ ग्रह स्थित हों तो भाव का कारकत्व बली होता है।
11. बली अशुभ ग्रह का केंद्र, त्रिकोण, 8 या 12 वें भाव में स्थित होना अच्छा नहीं होता। अगर इस अशुभ ग्रह के साथ शुभ ग्रह की युति हो या दृष्टि हो तो सफलता अतीव संघर्षों के उपरांत मिलती है।
12. भावेश अस्त, नीच का, अशुभ ग्रहों के मध्य स्थित, शत्रु क्षेत्रीय हो तो भाव का कारकत्व नष्ट हो जाता है ।
13. भावेश का ग्रहाकांत राशीश निर्बल हो या 6, 8, 12 भाव में स्थित हो तो भाव निर्बल होता है।
प्रश्न ज्योतिष
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