न्यायाधीन विवाद
वादी वह व्यक्ति है जो अदालत में जाकर न्याय की फरियाद करता है। प्रतिवादी वह व्यक्ति है जिसके विरूद्ध मुकदमा दायर किया जाता है। 3 से 8 तक भाव प्रतिवादी के प्रतिनिधि हैं। 9 से 2 तक भाव वादी के संकेतक हैं। प्रतिवादी के भावों में शुभ ग्रह स्थित हों तो वह जीतता है। इसी प्रकार वादी के भावों में शुभ ग्रह हों तो उसकी विजय होती है।
बहुमान्य विचार के अनुसार लग्न प्रश्नकर्ता है और सप्तम भाव विरोधी दल ।
यदि लग्नेश या लग्न में स्थित अशुभ ग्रह नीचस्थ या अस्त या निर्बल हो तो प्रश्नकर्ता विजयी नहीं होगा। बली अशुभ ग्रह लग्न में स्थित हो या चंद्रमा की शुभ ग्रहों से युति / दृष्टि हो तो प्रश्नकर्ता विजयी होगा। लग्नेश के अंश कम हों और बली शुभ ग्रहों से केंद्र में हो तो भी प्रश्नकर्ता विजयी होता है।
लग्न और सप्तम भाव दोनों में अशुभ ग्रह बैठे हों तो विवाद का अंत शांतिपूर्ण नहीं होगा। इसी प्रकार सप्तमेश और लग्नेश में इत्थसाल हो तो अंत अशांतिपूर्ण होगा।
चतुर्थ भाव में कर्क, वृश्चिक, कुंभ या मीन राशि हो तो विरोधी मुकदमा हारेगा। सावंत पृथुयश के अनुसार चतुर्थ भाव या लग्न में चतुष्पाद राशि मेष, वृष, सिंह या धनु हो तो प्रश्नकर्ता विजयी होता है। अगर चंद्र 10 से 4 तक भावों में शुभ ग्रहों से युत हो और लग्न बली हो तो प्रश्नकर्ता विजयी होता है।
लग्न में 4 – 5 ग्रह लग्न को निर्बल बनाते हैं। इसी प्रकार सप्तम में 4 – 5 ग्रह सप्तम को बलहीन करते हैं ।
कुछ योग
1. लग्न में स्थिर राशि हो तो मुकदमे में हार नहीं होगी ।
2. लग्न में चर राशि हो तो परिवर्तन होता है, जिससे हार होती है।
3. लग्न में द्विस्वभाव राशि 15° से कम अंशों में हो तो चर राशि का परिणाम मिलता है। 15° से अधिक होने पर स्थिर राशि का फल मिलता है।
4. सप्तम भाव और सप्तमेश शुभ योगों सहित हों तो विरोधी समझौता कर लेगा ।
5. विवाद के समय मिथुन या कन्या लग्न हो तो जातक जीतकर धन प्राप्त करेगा ।
6. लग्न में शुक्र हो तो समझौता हो जाएगा।
7. प्रश्न कुंडली में मंगल, शनि और बृहस्पति बली हों (उनकी स्थिति कैसी भी हो तो प्रश्नकर्ता जीतेगा ।
8. शनि लग्नेश होकर अधिक अंशों में हो और सप्तमेश के अंश कम हों और कंबूल योग हो तो प्रश्नकर्ता जीतेगा ।
9. लग्नेश और दशमेश का शुभ भावों में इत्थसाल हो या लग्नेश लग्न में दशमेश दशम में हो तो प्रश्नकर्ता विजयी होगा।
10. सप्तमेश का द्वितीय भाव में स्थित होकर द्वितीयेश से इत्थसाल हो तो विरोधी हारेगा।
11. लग्न, सप्तम और दशम भाव में शुभ ग्रह हों तो प्रश्नकर्ता जीतेगा।
12. बुध, शुक्र या बृहस्पति लग्न और नवम में स्थित हों तो प्रश्नकर्ता जीतेगा।
13. शीर्षोदय लग्न में शुभ ग्रह हों या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो और बली शुभ ग्रह केंद्र / त्रिकोण में स्थित हों तो प्रश्नकर्ता जीतेगा।
14. दशमेश लग्न में और लग्नेश दशम में स्थित हो ।
15. चंद्रमा दशम में हो, शुक्र और बुध चतुर्थ और दशम में और अशुभ ग्रह 3, 6, 11 में हों तो प्रश्नकर्ता जीतेगा।
16. चंद्रमा दशम बुध और शुक्र 4, 5 में, बृहस्पति लग्न में अशुभ ग्रह 3, 6, 11 में हों तो प्रश्नकर्ता जीतेगा ।
17. लग्न में शुक्र, चतुर्थ में बुध, बृहस्पति सप्तम में, अशुभ ग्रह 3/6/11 में हों तो प्रश्नकर्ता जीतता है।
18. बृहस्पति लग्न में, चंद्रमा चतुर्थ में, शुक्र और बुध दशम में, सूर्य एकादश में और शनि तृतीय भाव में हों ।
19. बृहस्पति लग्न में, चंद्रमा सप्तम में, बुध और शुक्र 4, 10 में अशुभ ग्रह 36, 11 में हों तो प्रश्नकर्ता विजयी होगा।
(उपरोक्त योगों से प्रश्नकर्ता जीतेगा क्योंकि केंद्र में शुभ ग्रह हैं, 3, 6, 11 में अशुभ ग्रह हैं)
20. लग्न में बुध और शुक्र 11वें भाव में सूर्य, मंगल और राहु प्रश्नकर्ता को विजय दिलाते हैं।
21. लग्न में बृहस्पति, दशम में सूर्य सप्तम में चंद्र और चतुर्थ में बुध प्रश्नकर्ता की विजय के संकेतक हैं।
22. दशम में बृहस्पति, लग्न में शुक्र और एकादश में अशुभ ग्रह हो तो प्रश्नकर्ता जीतता है।
23. लग्नेश धीमी गति वाला ग्रह होकर चंद्र से कंबूल योग में हो और चंद्र के अंश तीव्र गति वाले ग्रह से अधिक हों तो प्रश्नकर्ता विजयी होगा।
24. दशमेश लग्न में हो या चतुर्थेश षष्ट में हो तो शत्रु की सेना जातक को जीतने में सहायता करती है।
25. दशम से लग्न तक के भावों में शुभ ग्रह हों और शनि लग्न से चतुर्थ तक किसी भाव में हो तो चुनाव या मुकदमा जीतने में कोई व्यक्ति मददगार साबित होगा।
26. सप्तमेश छठे भाव में स्थित हो तो चुनाव या मुकदमे में जीत होती है।
27. सूर्य द्वादश भाव में हो तो चुनाव या मुकदमे में जीत होती है।
28. चतुर्थ भाव में चतुष्पाद राशि हो तो प्रश्नकर्ता जीतता है।
29. 4,5,6 में अशुभ ग्रह हों तो प्रश्नकर्ता विजयी होता है।

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
30. सूर्य लग्न या आरूढ़ लग्न से एकादश में हो तो प्रश्नकर्ता जीतता है।
31. लग्न स्थिर राशि में हो और चंद्र द्विस्वभाव राशि में हो।
32. लग्न द्विस्वभाव राशि में हो और चंद्र चर राशि में हो।
33. लग्न चर राशि में और चंद्र द्विस्वभाव राशि में हो।
34. लग्न में बली अशुभ ग्रह स्थित हो तो प्रश्नकर्ता विजयी होता है। बली अशुभ ग्रह सप्तम में स्थित हो तो विरोधी जीतता है।
35. द्वितीय और नवम भाव में शुभ ग्रह हों तो प्रश्नकर्ता जीतता है। इन भावों में मंगल और शनि हों तो विपक्ष विजयी होता है।
विपक्ष विजयी होगा अगर
1. लग्नेश अष्टम में स्थित होकर अष्टमेश से इत्थसाल में हो ।
2. लग्नेश द्वादश में स्थित हो ।
3. यदि लग्नेश धीमी गति में अस्त या नीचस्थ होकर तीव्रगति ग्रह या चंद्र से इत्थसाल में हो या सप्तमेश केंद्र में हो (भले ही वह नीचस्थ या अस्त हो) ।
4. द्वादश भाव या द्वादशेश बली हो तो विपक्ष बली होता है। इसी प्रकार छठा भाव या षष्ठेश या सप्तम और सप्तमेश बली हों तो विरोधी दल बलवान होता है।
5. लग्न स्थिर राशि में और चंद्र चर राशि में हो तो विपक्ष विजयी होता है।
6. अशुभ ग्रह सप्तम में बली हों।
7. सप्तमेश और चतुर्थेश में इत्थसाल हो ।
8. लग्न या चंद्र की अशुभ ग्रहों से युति / दृष्टि हो ।
9. चतुर्थ भाव में जलराशि हो ।
10. मंगल या शनि नवम में या लग्न में हो ।
11. शनि 3, 5, 6, 11 या 12 में हो ।
12. शनि 10, 11, 12 में हो।
13. चतुर्थेश और सप्तमेश में इत्थसाल हो, या चतुर्थेश चतुर्थ में और सप्तमेश सप्तम में स्थित हो ।
14. चंद्रमा किसी शुभ ग्रह से युत होकर 4 से 10 में किसी भाव में स्थित हो और सप्तमेश बली हो ।
समझौता हो जाएगा अगर
1. लग्नेश और सप्तमेश पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो ।
2. लग्नेश और सप्तमेश में 3, 6, 10, 11 भाव में इत्थसाल हो ।
3. एकादश भाव में बली शुभ ग्रह हो ।
4. 4 या 10 भाव में बली शुभ ग्रह हो ।
5. चतुर्थ भाव में 2 या 3 बली शुभ ग्रह हों।
6. लग्न में द्विपाद राशि में शुभ ग्रह स्थित हो या उसकी दृष्टि हो ।
7. शुभ ग्रह द्विपाद राशि में केंद्र में स्थित हो और शुभ ग्रह की दृष्टि हो ।
8. शुक्र लग्न से छठे भाव में या मेष राशि में स्थित हो ।
9. सूर्य और शुक्र लग्न में मित्र राशि में हों।
10. बृहस्पति लग्न या आरूढ़ लग्न से द्वितीय भाव में स्थित हो।
11. लग्न या आरूढ़ लग्न पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो ।
12. लग्न या चंद्र चर राशि में हो।
13. लग्नेश और पंचमेश केंद्र में स्थित हों और शुभ ग्रहों से युत/दृष्ट हों ।
14. लग्नेश पंचम भाव में स्थित हो और शुभ ग्रह 4 और 10 में स्थित हों।
15. शुभ ग्रह लग्न, 11 या 12 भाव में द्विपाद राशि में स्थित हों।
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