प्रश्न ज्योतिष क्या है ?
प्रश्न ज्योतिष एक ज्योतिषीय विधि है जो तत्काल या महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रयोग की जाती है. यह जन्म कुंडली के बिना, या जब तत्काल प्रश्न का उत्तर जानना हो, तो उपयोगी होती है।
प्रश्न ज्योतिष में, प्रश्नकर्ता का प्रश्न पूछने का समय और स्थान महत्वपूर्ण होता है। इस समय के अनुसार एक कुंडली बनाई जाती है, जिसे प्रश्न कुंडली कहा जाता है। प्रश्न कुंडली बनाने के लिये जन्म कुंडली बनाने वाले साफ्टवेयर में जन्म समय और स्थान वाले कालम में प्रश्न पूछने का समय और प्रश्नकर्ता का स्थान डला जाता है। यह विधि तत्काल सवालों के लिए उपयोगी है, जैसे कि कोई विशेष घटना कब घटित होगी।
ज्योतिर्विद के गुण एवं कर्तव्य
प्रश्न मार्ग के रचयिता वराहमिहिर आदर्श ज्योतिषी के गुण एवं कर्तव्यों का विशद विवेचन किया है। उनके अनुसार ज्योतिषी का संबंध कुलीन परिवार से होना चाहिए, रूप रंग उत्तम हो, वेशभूषा साधारण, शरीर के अंग सुदृढ़ और अविकृत हों, सत्यवादी हो तथा ईर्ष्या और द्वेष रहित हो ।
ज्योतिर्विद ईश्वर के भजन में लीन रहना चाहिए तथा ज्योतिष के गणित, जातक और संहिता का विद्वान हो । ज्योतिषी को एक बार में सिर्फ एक प्रश्न का उत्तर देना चाहिए।
अगर विभिन्न प्रकार के बहुत से प्रश्न हों तो प्रथम प्रश्न का उत्तर लग्न से, द्वितीय का चंद्र से तृतीय का सूर्य से चतुर्थ का बृहस्पति से, पंचम का बुध या शुक्र से (दोनों ‘जो अधिक बली हो), छठे का बुध या शुक्र से (दोनों में जो निर्बल हो), सातवें का केंद्र या द्वितीय भाव (जो भी बली हो) को लग्न मान कर उत्तर देना चाहिए। ज्योतिषी को एक जातक के एक विषय संबंधी प्रश्नों का ही उत्तर देना चाहिए।
प्रश्नकर्ता के कर्तव्य
ज्योतिर्विद से अपने प्रश्न का सटीक उत्तर पाने के लिए जातक को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए । ज्योतिषी के प्रति जातक की ईश्वर के समान श्रद्धा होनी चाहिए। जातक अगर गंभीर और सत्यप्रिय नहीं होगा तो ज्योतिषी का उत्तर सटीक नहीं होगा।

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
प्रश्नकर्ता को ज्योतिर्विद के पास खाली हाथ नहीं जाना चाहिए और दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए। भले ही ज्योतिषी जातक का मित्र हो, सम्मानार्थ दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए।
जातक की भावना निष्कपट नहीं है अगर :-
- चंद्रमा लग्न में हो और सूर्य, बुध, शनि केंद्र में हों ।
- चंद्र लग्न में शनि केंद्र में हो और बुध अस्त हो।
- चंद्र लग्न में मंगल और बुध से दृष्ट हो ।
- कोई बली पाप ग्रह लग्न या सप्तम भाव में विद्यमान हो ।
- षष्ठेश होकर मंगल और शनि लग्न में हों ।
जातक के गंभीर और सत्यप्रिय होने पर ही फलादेश सटीक हो सकता है।
जातक निष्कपट है अगर :-
- कोई बली शुभ ग्रह लग्न में स्थित हो या उसकी लग्न पर दृष्टि हो ।
- लग्नेश और सप्तमेश पर चंद्र और बृहस्पति की शुभ दृष्टि हो ।
- कोई बली शुभ ग्रह सप्तम भाव में स्थित हो या उसकी सप्तम पर दृष्टि हो ।
- बृहस्पति और बुध सप्तम में स्थित हों ।
- चंद्र और बुध पर बृहस्पति या शुक्र की दृष्टि हो ।
- चंद्र और बृहस्पति केंद्र या त्रिकोण में स्थित हों
उपरोक्त द्वारा न केवल प्रश्नकर्ता की ईमानदारी और सत्यता का पता चलता है बल्कि प्रश्नकर्ता और लग्न के बली होने का ज्ञान भी हो जाता है। अगर लग्न और लग्नेश निर्बल हों तो ज्योतिर्विद को प्रश्न का उत्तर नहीं देना चाहिए क्योंकि विपरीत परिणाम की आशंका है।
अतः प्रश्न का उत्तर देते समय लग्न, लग्नेश और चंद्र का बल आंकना चाहिए। लग्न ज्योतिषी का संकेतक भी है। लग्न और लग्नेश के बल ज्योतिर्विद के बल के द्योतक हैं।
प्रश्न ज्योतिष
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