प्रश्न कुंडली के विश्लेषण से पूर्व यह जांचना आवश्यक है कि क्या यह प्रश्न की पुष्टि करती है या नहीं। क्योंकि प्रश्न जातक से स्वयं संबंधित होता है, अतः लग्न और लग्नेश कारक होते हैं।
लग्न, चंद्र और नवमांश लग्न के बल का आकलन करें। उनके बली होने और शुभ दृष्टि उपलब्ध होने पर परिणाम उत्तम रहेगा। निर्बल और अशुभ दृष्टियुक्त होने पर परिणाम अशुभ होगा।
लग्नेश के अनुसार योग
लग्नेश अगर कारक के साथ इशराफ योग का निर्माण करता है तो प्रश्न भूतकाल से संबंधित होता है। इत्थसाल के साथ संबद्ध होने पर प्रश्न वर्तमान से संबंधित होता है। लग्नेश और कारक के मध्य भविष्यत इत्थसाल योग बनने पर प्रश्न भविष्य संबंधी होता है।
मतांतर से प्रश्नकुंडली में सर्वाधिक बली ग्रह द्वारा प्रश्न का ज्ञान होता है। अगर प्रश्न कुंडली में दो या अधिक ग्रह बली हैं तो जिस बली ग्रह के अंश सर्वाधिक हों उसे सर्वाधिक बली समझना चाहिए । यही प्रश्न के प्रकार की जानकारी देगा।
सर्वाधिक बली ग्रह जानने के बाद उन भावों को ज्ञात करते हैं जिनका स्वामी वह ग्रह है या जहां वह स्थित है। इनसे प्रश्न के प्रकार का पता चल जाता है। यदि बली ग्रह केंद्र में है, स्वग्रही या मित्र राशि में है या उच्च का है तो निम्नानुसार प्रश्न का ज्ञान होता है।
लग्न – स्वास्थ्य स्वयं जातक भाग्य या प्रोन्नति
द्वितीय भाव – रुपये, चल संपत्ति, आभूषण, सिक्के, बैंक में जमा धन, परिवार, भोजन, आंख, चेहरा
तृतीय भाव – यात्रा, स्थानांतरण, पत्राचार, छोटा भाई पड़ौसी बाहें, कंधे
चतुर्थ भाव – खुशी, जमीन, वाहन, माता, शिक्षा, छाती, हृदय
पंचम भाव – सुख, मनोरंजन, संतान, बच्चे, अधीनस्थ कर्मचारी
षष्ठ भाव – विवाद, मुकदमा, शत्रु, कर्ज, बीमारी, प्रतियोगिता
सप्तम भाव – साझेदारी, पत्नी, यात्रा, व्यापार, अवैध संबंध
अष्टम भाव – विवाद, विरासत, बीमारी, आयु, विनाश, आकस्मिक आय, बिना मेहनत की कमाई
नवम भाव – पिता, दूरस्थ यात्रा, तीर्थयात्रा, भाग्य, धार्मिक कार्य, अधिकारी
दशम भाव – उच्चाधिकारियों की कृपा, अधिकारी, व्यवसाय, प्रोन्नति कार्य एकादश भाव – लाभ, मित्रों से लाभ, अन्य संबंधी जन
द्वादश भाव – हानि, व्यय, दान, अस्पताल में भर्ती, कारावास दंड विदेश आदि
प्रश्न ज्योतिष में सप्तम भाव जातक के साथ व्यवहार रखने वाले व्यक्तियों की सूचना देता है। लग्न जातक का सूचक है। महर्षियों ने सप्तम भाव से संबंधित योगों का वर्णन किया है। उनमें से कुछ योग निम्न हैं:
- बली सूर्य, मंगल और शुक्र सप्तम में स्थित हों तो प्रश्न पत्नी से अन्य किसी स्त्री से संबंधित होता है।
- बली सूर्य और बृहस्पति सप्तम में हों तो प्रश्न गर्भवती स्त्री के बारे में होता है।
- बली मंगल और शुक्र सप्तम में हों तो प्रश्न किसी कर्कश वाणी वाली स्त्री के बारे में होता है। बली बृहस्पति सप्तम में स्थित हो तो प्रश्न पत्नी के बारे में होता है।
- बली बुध अथवा चंद्र सप्तम भाव में स्थित हो तो प्रश्न किसी चरित्रहीन स्त्री के बारे में या नौकरानी से संबंधित होता है।
- बली शनि सप्तम भाव में स्थित हो तो प्रश्न निम्न जाति की या वृद्धा स्त्री से संबंधित होता है। उपरोक्त से प्रतीत होता है कि सिर्फ स्त्रियों से संबंधित प्रश्नों का ही विवरण दिया गया है।

नमस्कार । मेरा नाम अजय शर्मा है। मैं इस ब्लाग का लेखक और ज्योतिष विशेषज्ञ हूँ । अगर आप अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाना चाहते हैं या कोई परामर्श चाहते है तो मुझे मेरे मोबाईल नम्बर (+91) 7234 92 3855 पर सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद ।
मगर सप्तम भाव से अन्य बहुत सी बातों का संबंध है जैसे भागीदारी, विरोधी, चोर, व्यवहार वाला अन्य व्यक्ति आदि । अतः केवल उपरोक्त तथ्यों पर ध्यान देना पर्याप्त नहीं है। प्रश्न के अनुसार आवश्यक संशोधन वांछनीय हैं।
उदाहरण : मुझे 13 जून, 1997 को प्रातः 9.45 पर फोन से प्रश्न पूछा गया जिसकी कुंडली निम्न है।

उपर दी गई कुंडली में बृहस्पति स्वग्रही है तथा यह अधिकतम अंशों (28o – 06’) में स्थित होकर चंद्र के साथ इत्थसाल योग का निर्माण कर रहा है। अतः बृहस्पति के सप्तम में होने के कारण चोरी से संबंधित है। चोरी रुपयों के नोट और आभूषणों की है क्योंकि चंद्र यहां द्वितीयेश है और बृहस्पति द्वितीय भाव का कारक है।
सर्वाधिक बली ग्रह के चंद्रमा से या लग्नेश से या नवांश लग्नेश से संबंध से प्रश्न का पता चलता है।
प्रश्न को भली प्रकार समझना आवश्यक है। उदाहरणार्थ अगर प्रश्नकर्ता पूछता है कि क्या विवाह घर आने वाले व्यक्तियों के यहां तय हो जाएगा ? अगर प्रश्न पूछते वक्त लग्न चर और बली है तो इसका अर्थ है कि जीवन में परिवर्तन होगा अर्थात आने वाले लोगों के यहां विवाह नहीं होगा।
अगर लग्न स्थिर राशि में बली है तो आने वाले लोगों के परिवार में विवाह हो जाएगा अर्थात कोई परिवर्तन नहीं होगा । अतः सर्वप्रथम प्रश्न की प्रकृति को समझना आवश्यक है।
प्रश्नकर्ता और जिस व्यक्ति के बारे में प्रश्न है उनके बीच संबंधों को जानना जरूरी है। अगर जातक स्वयं प्रश्न पूछता है तो लग्न प्रश्नकर्ता का कारक होता है परंतु अगर पिता अपने पुत्र के बारे में प्रश्न पूछता है तो लग्न पिता होता है और उत्तर पंचम भाव को लग्न मान कर दिया जाएगा।
अगर सास अपनी बहू के गर्भ धारण के बारे में प्रश्न करे तो लग्न सास होगी, पंचम भाव उसका पुत्र और एकादश भाव बहू होगी। अतः उत्तर एकादश भाव और एकादश से पंचम (संतान) अर्थात तृतीय भाव से दिया जाएगा।

उपरोक्त कुंडली में प्रश्नकर्ता का बड़ा भाई अपने पिता से झगड़ा कर घर से चला गया था। प्रश्न था, ‘क्या मेरा बड़ा भाई वापस आ जाएगा? बड़े भाई का संकेत एकादश भाव से होता है। एकादश भाव को लग्न मानें।
यहां एकादश भाव और एकादशेश सूर्य बड़े भाई के सूचक हैं। एकादश भाव पर दशमेश शुक्र की और पंचमेश बृहस्पति की दृष्टि है। बुध वक्री होकर लग्न (एकादश भाव) को देख रहा है। बड़ा भाई हष्ट पुष्ट और जीवित है। सूर्य का सप्तमेश मंगल से इत्थसाल योग बन रहा है।
सप्तम भाव वापस लौटने का भाव है। मंगल और सूर्य के बीच 6° का अंतर है। अतः प्रश्नकर्ता का बड़ा भाई 25 अप्रैल 1998 को वापस आ गया। वह अपने मित्र के यहां आगरा चला गया था जो दिल्ली से पूर्व में है। यह एकादशेश सूर्य द्वारा सूचित हो रहा है।
21 अगस्त 1998 को 9:00 बजे दिल्ली जातक की प्रोन्नति कब होगी?

लग्न द्विस्वभाव राशि है मगर 15° से कम है अतः इसे स्थिर राशि माना जाएगा। लग्न पर वक्री बृहस्पति की दृष्टि है। लग्नेश और दशमेश बुध एकादश भाव में स्थित है, मगर वक्री है और इस पर वक्री बृहस्पति की दृष्टि है जो केंद्र में स्वराशि में स्थित है। बुध की एकादशेश चंद्र और द्वितीयेश शुक्र और 3-8 के स्वामी मंगल से युति है।
चंद्रमा और दशमेश-लग्नेश बुध (वक्री) के मध्य इत्थसाल योग है। अष्टमेश मंगल की बुध से युति है। इस कारण जातक की उस समय प्रोन्नति नहीं हुई, मगर तीन महीने बाद उसके मामले पर पुनर्विचार हुआ और प्रोन्नति हो गयी।
लग्न में स्थिर राशि होने पर
- प्रोन्नति के प्रश्न का उत्तर प्रोन्नति होगी,
- विवाह के प्रश्न में उत्तर विवाह होगा,
- चोरी के प्रश्न के लिए उत्तर सामान वापस मिलेगा
- यात्रा के प्रश्न का उत्तर यात्रा नहीं होगी,
- बीमारी के प्रश्न का उत्तर बीमारी दूर नहीं होगी मगर मृत्यु भी नहीं होगी
- मुकदमे या चुनाव के प्रश्न का उत्तर जातक नहीं हारेगा आदि होते हैं।
कृपया ध्यान दें :
- मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और कुंभ शीर्षोदय राशियां होती हैं।
- मेष, वृष, कर्क, धनु और मकर पृष्ठोदय राशियां हैं।
- मीन उभयोदय राशि है।
अगर लग्न नर राशि का है और उसमें शुभ ग्रह स्थित हैं या शुभ ग्रह की दृष्टि है तो शुभ फल और लाभ का संकेत है। नर राशियां मिथुन, कन्या, तुला, कुंभ और धनु का पूर्वार्ध होती हैं।
प्रश्न ज्योतिष
- प्रश्न ज्योतिष क्या है ?
- राशियों का वर्गीकरण
- ग्रह की विशेषताएं
- ताजिक दृष्टियां और योग
- भावों के कारकत्व
- प्रश्न की प्रकृति
- लग्न और भावों के बल
- घटनाओं का समय निर्धारण
- प्रश्न कुंडली से रोगी और रोग का ज्ञान
- प्रश्न कुंडली से यात्रा और यात्री का विचार
- प्रश्न कुंडली से चोरी और गायब सामान की वापसी
- प्रश्न कुंडली से विवाह का विचार
- प्रश्न कुंडली से संतान का विचार
- प्रश्न कुंडली से न्यायाधीन विवाद का विचार
- प्रश्न कुंडली से लाभ-हानि का विचार
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