राशियों का वर्गीकरण

राशियां जातक की मनोवृत्ति की सूचक हैं। वे चर, स्थिर और द्विस्वभाव होती हैं।

चर राशियां – मेष, कर्क, तुला और मकर

स्थिर – वृष, सिंह, वृश्चिक, कुंभ

द्विस्वभाव – मिथुन, कन्या, धनु, मीन

1. चर राशि जातक बहिर्मुखी, सामाजिक, सक्रिय होते हैं तथा परिवर्तन पसंद करते हैं।

2. स्थिर राशि जातक अंतर्मुखी होते हैं तथा परिवर्तन में रुचि नहीं रखते हैं। वे धीमे मगर आगे बढ़ने वाले होते हैं। चिंतनशील और अपने विचारों में मग्न रहते हैं। सामाजिक संपर्कों में रुचि कम होती है। वास्तविकता से मुंह मोड़ने की कोशिश करते हैं जिद्दी स्वभाव रहता है।

3. द्विस्वभाव राशि जातक में उपरोक्त गुणों का मिश्रण होता है।

राशियों के तत्व

अग्नि – मेष, सिंह, धनु

पृथ्वी – वृष, कन्या, मकर

वायु – मिथुन, तुला, कुंभ

जल – कर्क, वृश्चिक, मीन

अग्नि – अग्नि राशियों के जातक दृढ़, आग्रही, साहसी और उत्साही होते हैं। वे सक्रिय, महत्वाकांक्षी, स्वतंत्र चिंतक होते हैं।

पृथ्वी राशियों के जातक धीमे मगर सतत कार्यशील, स्वयं की रक्षा करने वाले, हठी, चयनशील और अपव्ययी होते हैं। वे स्थिर होते हैं और धन, वस्तु, अधिकार और ओहदे से प्रेम करते हैं। वे सावधान, व्यावहारिक, पूर्वानुमान करने वाले व्यवस्थित और अल्पव्ययी होते हैं।

वायु राशियों के जातक प्रसन्नचित्त, संगीत और कला प्रेमी होते हैं। वे उदार, मिलनसार, साहसी, सहानुभूतिपूर्ण, परिष्कृत व्यवहार वाले, दयालु, विचारक और कल्पनशील होते हैं।

जल राशियों के व्यक्ति भीरू, अक्रिय होते हैं। कल्पनाशक्ति उत्तम मगर शरीर से दुर्बल होते हैं। संवेदनशील, भावुक और तुनकमिजाज होते हैं।

सकारात्मक / विषम राशियां – मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ। इन्हें पुरूष राशियां भी कहते हैं। इन राशियों के जातक सक्रिय, हठधर्मी, उत्साही, साहसी, आक्रामक, दृढ़प्रतिज्ञ होते हैं।

नकारात्मक / सम राशियां – वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन। इन्हें स्त्री राशि भी कहते हैं। जातक निष्क्रिय, सुरक्षात्मक और पराधीन प्रकृति के होते हैं।

उत्तरी राशियां – मेष से कन्या तक

दक्षिणी राशियां – तुला से मीन तक

विषुव राशियां – मेष और तुला

उष्ण कटिबंधी राशियां – कर्क और मकर

फलप्रद राशियां –  कर्क, वृश्चिक और मीन । ये राशियां सफलता और आकांक्षाओं की पूर्णता की द्योतक हैं।

अर्धफलप्रद राशियां – वृष, धनु, तुला और मकर ।

निष्फल राशियां – मेष, मिथुन, सिंह और कन्या इन जातकों के प्रयास सफल नहीं होते हैं।

मूक राशियां – कर्क, वृश्चिक और मीन जातकों में परिहार (व्रत-उपवास) की शक्ति होती है।

हिंसक राशियां – मेष और वृश्चिक जातक प्रत्येक कार्य में अतीव साहस का परिचय देते हैं और भय से अनभिज्ञ रहते हैं।

नर राशियां – मिथुन, कन्या, तुला, कुंभ और धनु का पूर्वार्ध ये राशियां लग्न में होने पर बहुत शक्तिशाली होती हैं ।

चतुष्पाद राशियां – मेष, वृष, सिंह, धनु का उत्तरार्ध, मकर का पूर्वार्ध ये राशियां दशम भाव में होने पर सशक्त होती हैं।

कीट राशियां – वृश्चिक कीट राशि है। यह सप्तम भाव में बली होती है।

जल राशियां : कर्क, मकर का उत्तरार्ध और मीन ये राशियां चतुर्थ भाव में बली होती हैं।

शुष्क राशियां – वृष, मिथुन, कन्या और कुंभ

शीर्षोदय राशियां – मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और कुंभ

पृष्ठोदय राशियां – मेष, वृष, कर्क, धनु, मकर

उभयोदय राशि – मीन

रात्रि में बली राशियां (सूर्यास्त से सूर्योदय तक) – मेष, वृष, मिथुन, कर्क, धनु और मकर

दिन में बली राशियां – सिंह, कन्या, तुला वृश्चिक और कुंभ (सूर्योदय से सूर्यास्त तक)

धुंधले प्रकाश में बली राशि – मीन

दिशा

मेष और वृष – पूर्व

मिथुन – दक्षिण-पूर्व

कर्क और सिंह – दक्षिण

कन्या – दक्षिण-पश्चिम

तुला और वृश्चिक – पश्चिम

धनु – उत्तर-पश्चिम

मकर और कुंभ – उत्तर

मीन – उत्तर-पूर्व

मतांतर से

मेष, सिंह और धनु – पूर्व

वृष, कन्या और मकर – दक्षिण

मिथुन, तुला और कुंभ – पश्चिम

कर्क, वृश्चिक और मीन – उत्तर

ह्रस्व राशियां – मकर से मिथुन तक (दोनों इसमें सम्मिलित हैं)। वसंत संपात के दोनों ओर 90° । इसे उत्तरायण कहते हैं ।

दीर्घ राशियां – कर्क से धनु तक (दोनों इसमें सम्मिलित हैं)। शरद संपात के दोनों ओर 90° । इसे दक्षिणायण कहते हैं ।

लघु आकार राशियां – मेष, वृष और कुंभ का आकार लघु होता है।

मध्यम आकार राशियां – मिथुन, कर्क, धनु, मकर और मीन का आकार मध्यम होता है।

दीर्घ आकार राशियां – सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक का आकार दीर्घ होता है।

धातु राशियां – मेष, कर्क, तुला और मकर

मूल राशियां – वृष, सिंह, वृश्चिक और कुंभ

जीव राशियां – मिथुन, कन्या, धनु और मीन

ब्राह्मण राशियां – कर्क, वृश्चिक, मीन

क्षत्रिय राशियां – मेष, सिंह, धनु

वैश्य राशियां – वृष, कन्या, मकर

शूद्र राशियां – मिथुन, तुला, कुंभ

अधोमुख राशियां – जिस राशि में सूर्य स्थित हो तथा सूर्य राशि से 4, 7, 10 वीं राशियां । ये राशियां नीचे दृष्टि डालती हैं।

ऊर्ध्वमुख राशियां – सूर्य राशि से 3, 6, 9, 12 वीं राशियां ये राशियां ऊपर की ओर दृष्टिपात करती हैं।

तिर्यकमुख राशियां – अगल-बगल या सामने दृष्टि डालने वाली राशियां सूर्य राशि से 2, 5, 8, 11 राशियां ।

प्रश्न ज्योतिष

  1. प्रश्न ज्योतिष क्या है ?
  2. राशियों का वर्गीकरण
  3. ग्रह की विशेषताएं
  4. ताजिक दृष्टियां और योग
  5. भावों के कारकत्व
  6. प्रश्न की प्रकृति
  7. लग्न और भावों के बल
  8. घटनाओं का समय निर्धारण
  9. प्रश्न कुंडली से रोगी और रोग का ज्ञान
  10. प्रश्न कुंडली से यात्रा और यात्री का विचार
  11. प्रश्न कुंडली से चोरी और गायब सामान की वापसी
  12. प्रश्न कुंडली से विवाह का विचार
  13. प्रश्न कुंडली से संतान का विचार
  14. प्रश्न कुंडली से न्यायाधीन विवाद का विचार
  15. प्रश्न कुंडली से लाभ-हानि का विचार
  16. प्रश्न कुंडली से राजनीति का विचार
  17. प्रश्न कुंडली से जेल यात्रा का विचार
  18. विविध प्रश्न

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