यात्रा और यात्री

यात्रा का अर्थ किसी उद्देश्य से घर से बाहर जाना है। यात्रा 4 प्रकार की होती हैं।

  • प्रतिदिन कार्यस्थल पर जाना या बाजार से सामान खरीदने जाना ।
  • शहर के बाहर किसी कार्यक्रम में सम्मिलित होने जाना ।
  • मनोरंजन या धर्मार्थ किसी स्थान की यात्रा ।
  • विदेश यात्रा ।

प्रतिदिन की यात्रा का संकेत लग्नेश और तृतीयेश और उनकी स्थिति वाले भावों के मध्य निर्मित इत्थसाल से प्राप्त होता है। तृतीयेश या लग्नेश राशि कुंडली या नवमांश में चर राशि में होनी चाहिए।

किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए शहर से बाहर जाने का संकेत 1, 3 और 7 भाव और उनके स्वामियों से मिलता है।

विदेश यात्रा का संकेत 3, 7, 9 और 12 भाव और उनके स्वामियों से प्राप्त होता है।

सामान्यतः लग्न के अधिक अथवा कम अंशों द्वारा दीर्घ या लघु यात्राओं का ज्ञान होता है। सप्तम भाव द्वारा गंतव्य स्थान और वहां से वापसी का बोध होता है।

चतुर्थ भाव से यात्रा के परिणाम और लौट आने का पता चलता है।

दशम भाव से यात्रा के उद्देश्य और इरादे का पता चलता है। तृतीय भाव से लघु यात्राओं का ज्ञान होता है जबकि नवम भाव से लघु दीर्घ यात्राओं का बोध होता है।

यात्रा का अर्थ है घर से दूर चले जाना। इसका अर्थ यह है कि चतुर्थ भाव और चतुर्थेश का संबंध अशुभ ग्रहों से होना चाहिए।

दशम भाव कर्म का संकेतक है तथा चतुर्थ के सामने स्थित होने से जातक को सुख की हानि बताता है। यात्रा करते समय जातक कर्म करता है। अतः यात्रा के समय गोचर ग्रहों का प्रभाव दशम भाव और दशमेश पर भी होना चाहिए।

लग्न जातक स्वयं होता है। चतुर्थ भाव जातक का घर होता है, सप्तम भाव यात्रा का अंत बताता है तथा यात्रा समाप्त करने का ख्याल मन में आता है। दशम भाव यात्रा का आरंभ है तथा यात्रा करने का मन बनता है। अतः यात्रा के लिए सभी केंद्र महत्वपूर्ण हैं।

देश में अन्य शहरों की यात्रा

व्यापार, विवाह, सम्मेलन आदि से संबंधित अन्य नगरों की यात्रा के लिए 3, 7 भाव और उनके स्वामियों का अध्ययन करना चाहिए 3 या 7 भाव में चर राशि होना या इनके स्वामियों का चर राशि में स्थित होना या चर राशि में स्थित ग्रह की इन पर दृष्टि होना यात्रा दर्शाता है ।

रेलयात्रा

रेलयात्रा के कारक मंगल और चंद्र हैं तथा भाव 3 और 7 हैं। मंगल चर राशि में होना चाहिए तथा बली चंद्र केंद्र या त्रिकोण में हो। केंद्र में अशुभ ग्रह (राहु या शनि) स्थित नहीं हों या उनकी दृष्टि नहीं होनी चाहिए। अशुभ ग्रह उपचय भाव (3, 6, 11) में हों (दशम को छोड़कर) तथा शुभ ग्रह केंद्र या त्रिकोण में हों तो यात्रा सुरक्षित रहती है।

वायु यात्रा

वायु यात्रा के कारक शनि (वात) और बृहस्पति (आकाश तत्व) हैं। यही ग्रह विदेश की वायु यात्रा का संकेत देते हैं। कारक 10, 9 और 12 भाव तथा इन भावों में स्थित वायु तत्व राशियां हैं।

मतांतर से शुक्र सप्तम राशि का स्वामी होने के कारण वायु यात्रा का कारक है। वायु तत्व राशि से युक्त सप्तम भाव वायु यात्रा का संकेतक है।

समुद्र या जल यात्रा

समुद्र द्वारा या नाव द्वारा यात्रा के लिए अष्टम भाव और जल राशियां विशेषकर वृश्चिक महत्वपूर्ण हैं ।

क्या मैं यात्रा पर जाउंगा ?

हां जातक यात्रा पर जाएगा, अगर

1. लग्न और चंद्र चर राशि में हों, शुभ ग्रहों की इनसे युति या दृष्टि हो और चतुर्थ भाव दूषित हो ।

2. लग्नेश और नवमेश में इत्थसाल हो या इनकी लग्न में युति हो अथवा चंद्र और नवमेश में इत्थसाल होकर लग्नेश नवम में हो ।

3. लग्न और चंद्र से नवमेशों में इत्थसाल हो ।

4. लग्नेश और तृतीयेश के मध्य केंद्र में इत्थसाल हो और निर्दोष शुभ ग्रह से युति हो ।

5. चतुर्थेश लग्न में हो और लग्नेश तृतीय भाव में या केंद्र में स्थित हो तथा शुभ ग्रहों की युति / दृष्टि हो ।

6. अशुभ ग्रह चतुर्थ या दशम भाव में हों।

7. लग्नेश और नवमेश चर राशि में हों।

8. नवमेश लग्न में स्थित हो और लग्नेश केंद्र में दुष्प्रभाव से रहित होकर स्थित हो ।

9. दशम भाव में चर राशि हो तथा शुभ ग्रहों की युति या दृष्टि हो ।

10. लग्नेश या चंद्र नवम या तृतीय भाव में स्थित हो। लग्न में चर राशि हो तो जातक यात्रा पर शीघ्र जाएगा। लग्न में द्विस्वभाव राशि हो तो यात्रा में कुछ देरी होगी। स्थिर राशि होने पर यात्रा नहीं होगी।

11. लग्न में शीर्षोदय राशि हो और शुभ ग्रह या लग्नेश की दृष्टि हो ।

12. लग्न, आरूढ़ लग्न या दशम भाव में चर राशि हो तथा शुभ ग्रह की युति / दृष्टि हो ।

क्या जातक अमेरिका का भ्रमण करेगा ?

2 सितंबर 1998 को 8:45 दिल्ली

लग्न में चर राशि है, दशम में चर राशि है, नवांश चर है, आरूढ़ लग्न चर है, नवमेश द्वादश में है, लग्नेश मंगल और बृहस्पति (वक्री) एक दूसरे से त्रिकोण में हैं लेकिन इशराफ का निर्माण कर रहे हैं। नवमेश वक्री है।

लग्नेश मंगल और तृतीयेश बुध की चतुर्थ भाव में (केंद्र में) युति है लेकिन बुध मंदगति मंगल से आगे है। अतः इशराफ योग है। मंगल और बुध की दशम पर दृष्टि है। मंगल कार्य प्रणाली और बुध दस्तावेज लेखन और सिफारिश के प्रतिनिधी हैं। नवमेश बृहस्पति वक्री है और लगभग 1° पर स्थित है।

लग्न में वक्री शनि स्थित है, लग्नेश चतुर्थ में नीचस्थ है। चतुर्थेश चंद्र त्रिकोण में होकर बली है और मित्र राशि में है। जातक अमेरिका की यात्रा नहीं कर सका, उसको वीसा प्राप्त नहीं हो पाया।

यात्री कब वापस लौटेगा ?

खोया हुआ व्यक्ति लौट आएगा

1. जब सप्तमेश लग्न पर गोचर करे।

2. सप्तमेश और लग्नेश इत्थसाल में हों।

3. लग्न और सर्वाधिक बली ग्रह के मध्य जितने भाव हों तो उतने ही मास में (सर्वाधिक बली ग्रह अगर नवमांश में चर राशि में हो), उससे दुगुने मास में (अगर सर्वाधिक बली ग्रह नवमांश में स्थिर राशि में हो) अथवा तीन गुने मास में (अगर उपरोक्त राशि द्विस्वभाव हो) वापस लौट आएगा। (प्रश्न तंत्र)

4. अगर सप्तमेश वक्री हो ।

5. शुभ ग्रह का चतुर्थ भाव पर गोचर हो।

6. चंद्रमा का चतुर्थ भाव पर गोचर हो ।

7. शुभ ग्रह का सप्तम भाव पर गोचर हो। इससे लौटने के समय का संकेत भी मिलता है।

8. बृहस्पति और शुक्र साथ-साथ 2, 3 या 5 भाव में हों तो व्यक्ति उसी दिन वापस लौट आएगा ।

9. 6 या 7 भाव में कोई ग्रह हो और बृहस्पति केंद्र में स्थित हो तो व्यक्ति 7 या 27 दिन में लौटेगा।

10. लग्न से सर्वाधिक बली ग्रह जितने भाव आगे हो, उन्हें गिन लें और 12 भाव से गुणा करें यात्री इतने दिनों में वापस लौट आएगा।

मान लीजिए बृहस्पति सर्वाधिक बली ग्रह होकर कर्क में स्थित है।

मीन लग्न से कर्क के बीच 4 भाव माने जाएंगे, 5 नहीं लग्न को न गिनें। 4 x 12 = 48 दिन ( प्रश्नतंत्र के अनुसार यह संख्या महीनों की संकेतक है) । अतः यात्री 4 महीनों में चर राशि में लौट आएगा।

11. पणफर भावों (2, 5, 8, 11) में ग्रह हो तो यात्री उस समय लौटता है, जब कोई ग्रह इन भावों से गोचर करेगा ।

12. जब 2, 5 या 11 से चंद्रमा का गोचर हो।

13. चतुर्थ भाव में चर राशि में बुध, बृहस्पति और शुक्र स्थित हों तो यात्री लौट आता है।

14. मतांतर से राशि स्वामी को देखना चाहिए। ग्रह के अनुसार लौटने के समय का अनुमान होता है। सूर्य से अयन, चंद्र से मुहूर्त तथा मंगल से दिन आदि जाने जाते हैं।

खोया हुआ व्यक्ति कब लौटेगा ?

प्रश्नकर्ता का बड़ा भाई खो गया था

17.04.1998 को 20:30 दिल्ली

मंगल केंद्र और स्वराशि में स्थित होकर सर्वाधिक बली है। वह सप्तमेश भी है। चंद्र का मंगल से इत्यसाल है। बड़े भाई, एकादशेश सूर्य का भी मंगल से इत्थसाल है। सूर्य, चंद्र और सप्तमेश मंगल त्रिकोण और इत्थसाल में हैं।

अतः प्रश्नकर्ता का बड़ा भाई सुरक्षित लौट आएगा क्योंकि चंद्र केंद्र में नहीं है तथा केंद्र स्थित ग्रह से इत्थसाल में है, खोया व्यक्ति घर लौटने के लिए चल पड़ा है। कितना समय लगेगा? कार्येश मंगल दिनों का संकेत करता है चंद्रमा और मंगल के मध्य 2 से कुछ अधिक का अंतर है।

अतः प्रश्नकर्ता को सलाह दी गयी कि खोया व्यक्ति तीन दिन के अंदर लौट आएगा। वास्तव में वह तीसरे दिन लौट आया। अधिकांश ज्योतिर्विद उपरोक्त पद्धति का उपयोग करते हैं।

प्रश्न ज्योतिष

  1. प्रश्न ज्योतिष क्या है ?
  2. राशियों का वर्गीकरण
  3. ग्रह की विशेषताएं
  4. ताजिक दृष्टियां और योग
  5. भावों के कारकत्व
  6. प्रश्न की प्रकृति
  7. लग्न और भावों के बल
  8. घटनाओं का समय निर्धारण
  9. प्रश्न कुंडली से रोगी और रोग का ज्ञान
  10. प्रश्न कुंडली से यात्रा और यात्री का विचार
  11. प्रश्न कुंडली से चोरी और गायब सामान की वापसी
  12. प्रश्न कुंडली से विवाह का विचार
  13. प्रश्न कुंडली से संतान का विचार
  14. प्रश्न कुंडली से न्यायाधीन विवाद का विचार
  15. प्रश्न कुंडली से लाभ-हानि का विचार
  16. प्रश्न कुंडली से राजनीति का विचार
  17. प्रश्न कुंडली से जेल यात्रा का विचार
  18. विविध प्रश्न

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