धनु लग्न में केतु का फलादेश

धनु लग्न वालों के लिए केतु लग्नेश गुरु का मित्र है।

धनु लग्न में केतु का फलादेश प्रथम स्थान में

केतु यहां प्रथम स्थान में धनु राशि का है। ऐसा जातक लड़ाकू, कृतघ्न, चुगलखोर व असज्जनों के साथ रहने वाला होता है। जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। केतु यहां शुभ ग्रहों के साथ शुभ फल देगा तथा अशुभ ग्रहों के साथ अशुभ फल देगा।

निशानी – ऐसा जातक वात रोगी होता है व उद्विग्न रहता है।

दशा – केतु की दशा अंतर्दशा शुभ फल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य राजयोग को पुष्ट करेगा। जातक समाज का प्रभावशाली व्यक्ति होगा।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा जातक की निर्णयशक्ति नष्ट कर देगा।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ मंगल होने से जातक पुरुषार्थी होगा। जातक भाग्यशाली होगा पर कुण्डली ‘मांगलिक’ होने के कारण पत्नी पक्ष से चिंतित रहेगा।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध होने से जातक ‘कुल का दीपक’ होगा। पत्नी सुन्दर होगी। गृहस्थ सुख ठीक होगा।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु होने से हंस योग बनेगा। जातक राजा होगा व वैभवशाली जीवन जीयेगा।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ शुक्र होने से जातक के शरीर का कोई भाग अवश्य (भंग) टूटेगा। अपघात भी संभव है।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि जातक को धनी एवं पराक्रमी व्यक्ति बनायेगा। जातक हठी होगा। जातक की सोच लड़ाकू होगी।

धनु लग्न में केतु का फलादेश द्वितीय स्थान में

धनु लग्न वालों के लिए केतु लग्नेश गुरु का मित्र है। केतु यहां द्वितीय स्थान में मकर (मूल त्रिकोण) राशि का है। जातक का धन शुभ कार्य में खर्च होगा। कुटम्बीजनों का सहयोग मिलता रहेगा। विद्या कम और अनुभव ज्यादा होगा। जातक को मुख का रोग संभव है। जातक संतोषी स्वभाव का होता है।

निशानी – विवाह में विलम्ब होगा। ऐसा जातक कुटुम्बीजनों का विरोधी होता है। असत्य बोलता है।

दशा – केतु की दशा-अंतर्दशा शुभ फल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य शत्रुक्षेत्री होगा। जातक अहंकारी होगा एवं उसकी वाणी धमण्डी होगी।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा अशुद्ध वाणी देगा। धन का व्यर्थ खर्च करायेगा।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ मंगल उच्च का होगा। जातक महाधनी होगा एवं क्रोधी होगा। लड़ाकू होगा। जातक की वाणी में डांट-डपट, झगड़े की भावना अधिक रहेगी।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध राजा से एवं पत्नी से झगड़ा करायेगा। पर झगड़ा सुलझ जायेगा।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु नीच का होगा। जातक की वाणी गंभीर होगा। धन धीमी गति से कमायेगा।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ शुक्र दांतों में कष्ट एवं तकलीफ देगा। मुख रोग या मुख का कैंसर संभव है।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि स्वगृही होने से जातक महाधनी एवं पराक्रमी होगा।

धनु लग्न में केतु का फलादेश तृतीय स्थान में

केतु यहां तृतीय स्थान में कुंभ (मित्र) राशि का है। जातक पराक्रमी एवं कीर्तिवान होगा। जातक को प्रत्येक कार्य में भाई एवं मित्रों की मदद मिलेगी। जातक की बुद्धि सकारात्मक व अच्छी होगी। ऐसा जातक लोकप्रिय एवं बाहुबली होगा। ऐसा जातक धैर्यशाली होता तथा अपने शत्रुओं का समूल नाश करने वाला पराक्रमी व्यक्ति होता है।

निशानी – जातक के छोटे भाई नहीं होंगे।

दशा – केतु की दशा अंतर्दशा शुभ जायेगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य जातक का भाग्योदय शीघ्र करायेगा। जातक पराक्रमी एवं राजवर्चस्वी होगा।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा भाई-बहनों में विरोध करायेगा।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ मंगल जातक को विद्यावान एवं सुयोग्य संतति का स्वामी बनायेगा। ऐसा जातक कुटम्बीजनों के साथ रहना पसंद करता है।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध जातक को पराक्रमी ससुराल देगा। राज्य सरकार में जातक का प्रभाव होगा।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु जातक को सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाएं देगा।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ षष्टेश शुक्र शत्रु पीड़ा देगा। बांह में कष्ट देगा।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि होने से जातक धनी-मानी एवं प्रबल पराक्रमी होगा।

धनु लग्न में केतु का फलादेश चतुर्थ स्थान में

केतु यहां चतुर्थ स्थान में मीन (उच्च) राशि का है। जातक को सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाएं मिलेंगी। जातक को उत्तम वाहन सुख मिलेगा। केतु यहां एक प्रकार का राजयोग बनाता है जातक को अकस्मात् उत्तम सुख सुविधाएं मिलेंगी।

निशानी – ऐसा जातक दूसरों की आलोचना बहुत करता है। अतः लोग ऐसे जातक से दूर रहना पसंद करते हैं।

दशा – केतु की दशा अंतर्दशा में भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य राज्यसुख कारक है। जातक का अपना सुन्दर मकान होगा।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा माता को अल्पायु में मृत्यु देगा।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ मंगल जातक को उत्तम विद्या एवं संतति सुख प्रदान करेगा।

4. केतु + बुध – केतु के साथ ‘कुलदीपक योग’ बनायेगा। ऐसा जातक अपने उत्तम कार्यों से कुटुम्ब परिवार का नाम रोशन करेगा।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु ‘हंस योग’ बनायेगा। जातक राजा तुल्य पराक्रमी एवं ऐश्वर्यवान होगा।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ शुक्र ‘मालव्य योग’ बनायेगा। जातक राजा के समान वैभवशाली एवं ऐश्वर्यपूर्ण जीवन जीयेगा। जातक के पास अनेक वाहन होंगे।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि होने से जातक धनवान एवं पराक्रमी होगा।

धनु लग्न में केतु का फलादेश पंचम स्थान में

केतु यहां पंचम स्थान में मेष (मित्र) राशि का है। संतान सुख उत्तम होगा। जातक शास्त्रों का ज्ञाता एवं विद्वान होगा। जातक के बन्धु सुखी होते हैं। जातक का शत्रुओं से वाद-विवाद होता रहता है। पर जातक किसी से डरता नहीं।

निशानी – ऐसा जातक मठाधीश होता है। जातक मंत्र-तंत्र व कपट से धन एवं वैभव की प्राप्ति करता है। ऐसा जातक पानी से बहुत डरता है।

दशा – केतु की दशा अंतर्दशा शुभ फल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य उच्च का होगा। जातक को उच्च शैक्षणिक उपाधि मिलेगी। जातक की संतति भी पढ़ी-लिखी होगी।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा विद्या में बाधा, संतान में रुकावट देगा।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ मंगल स्वगृही होने से ऐसा जातक शास्त्रार्थ में हमेशा विजयी रहता है।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध होने से जातक की पत्नी पढ़ी-लिखी एवं समझदार होगी। जातक स्वयं बुद्धिमान होगा।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु जातक को धर्मशास्त्रों का ज्ञाता बनायेगा।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ शुक्र गर्भपात, गर्भस्राव एवं संतति नाश करायेगा। जातक की शिक्षा अधूरी छूटेगी।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि नीच का होगा एवं जातक की विद्या में बाधा उत्पन्न होगी। जातक विदेशी भाषा पढ़ेगा।

धनु लग्न में केतु का फलादेश षष्टम स्थान में

केतु यहां छठे स्थान में वृष (नीच) राशि का है। जातक का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। ऐसा जातक नगर का प्रमुख अधिकारी, अच्छे घर में विलास के साथ रहने वाला, शत्रुओं का नाश कर विजय श्री वरण का करने वाला सम्मानित एवं अच्छे कुल में जन्म लेता है।

निशानी – जातक के शत्रु भी मित्र बनने की चेष्टा करेंगे। जातक मामा से वैर (द्वेष) रखता है।

दशा – केतु की दशा अंतर्दशा में शत्रुओं की तरफ से विशेष लाभ मिलता है।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य ‘भाग्यभंग योग’ बनायेगा। जातक को भाग्योदय हेतु काफी दिक्कतों परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा सरल नामक विपरीत राजयोग बनायेगा। जातक धनी मानी अभिमानी एवं भौतिक सुख-सुविधाओं से युक्त होगा।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ मंगल ‘संतानहीन योग’ बनाता है साथ ही ‘विमल नामक’ विपरीत राजयोग भी बनाएगा। जातक धनी-मानी अभिमानी होगा। उसे संसार की सभी सुख-सुविधाएं मिलेगी।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध होने से ‘विलम्बविवाह योग बनता है। कभी-कभी अविवाह योग भी बनता है।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु ‘सुखहीन योग’ एवं ‘लग्नभंग योग’ बनता है। जातक को परिश्रम का फल नहीं मिलता।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ शुक्र यहां ‘हर्षनामक’ ‘विपरीतराज योग’ की सृष्टि करेगा। जातक धनी मानी अभिमानी होगा एवं समस्त प्रकार के भौतिक सुख संसाधनों से युक्त होगा।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि ‘धनहीन योग’ एवं ‘पराक्रमभंग योग’ बनायेगा। ऐसा जातक आर्थिक विषमताओं से परेशान होगा। कई बार मान भंग के अवसर भी आयेगे।

धनु लग्न में केतु का फलादेश

धनु लग्न में केतु का फलादेश सप्तम स्थान में

केतु यहां सातवें स्थान में मिथुन राशि में नीच का है। जातक की पत्नी धार्मिक होगी। जातक स्वयं व्यभिचारी एवं अस्थिर स्वभाव का होता है। बार बार जगह बदलता रहता है। जातक को हृदय में राजा की अकृपा, सरकार (अदालत) से दण्ड का भय रहता है। ऐसा जातक शत्रुओं से भी भयभीत रहता है।

निशानी – ऐसा जातक अतिकामी होने के कारण विधवा या नीच जाति की स्त्री से अवैध संबंध रखता है।

दशा – केतु की दशा अंतर्दशा मिश्रित फल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य गृहस्थ सुख में विच्छेदक कराने वाला है पर जातक का भाग्योदय विवाह के बाद होगा।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा, जीवन साथी की अकाल मृत्यु करायेगा।

3. केतु + मंगल – पत्नी से तरकार यॉ तलाक होगी।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध ‘भद्र योग’ बनायेगा। ऐसा जातक राजा के समान पराक्रमी एवं वैभवशाली होगा।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु गृहस्थ सुख के लिए उत्तम है। लग्नाधिपति योग के कारण जातक को प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ शुक्र जातक का गुदारोग, गुप्तरोग करायेगा।

7. केतु + शनि – केतु के साथ होने से जातक का ससुराल धनी होगा। जीवनसाथी कमाऊं होगा।

धनु लग्न में केतु का फलादेश अष्टम स्थान में

केतु यहां आठवें स्थान में कर्क (शत्रु) राशि में है। जातक को अचानक अकाल्पनिक मदद मिलेगी। ऐसे जातक के शुभ कर्म धीरे-धीरे, पापकर्म तत्काल प्रकट होते हैं। जीवन में शल्य चिकित्सा जरूर होगी। बायें पैर की चोट पहुंच सकती है।

निशानी – ऐसा जातक परस्त्री में आसक्त व नेत्ररोगी होता है।

दशा – केतु की दशा-अंतर्दशा अशुभफल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य ‘भाग्यहीन योग’ की सृष्टि करेगा। जातक को भाग्योदय, रोजी रोजगार की प्राप्ति हेतु बहुत संघर्ष करना पड़ेगा।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा स्वगृही होने से ‘सरल नामक’ विपरीत राज योग बनेगा। जातक धनी मानी अभिमानी होगा तथा सांसारिक सुख एवं वैभव से युक्त जीवन जीयेगा।

3. केतु + मंगल – अचानक दुर्घटना संभव है।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध होने से द्विविवाह योग बनते हैं। जातक के गृहस्थ सुख में न्यूनता बनी रहेगी।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु उच्च का होगा परन्तु ‘लग्नभंग योग’ एवं ‘सुखहीन योग’ बनायेगा। ऐसा जातक कठोर परिश्रमी होने के बावजूद भी उसे वांछित सफलताएं नहीं मिलेगी।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ शुक्र होने से हर्षनामक ‘विपरीत राज योग’ बनेगा। जातक धनी मानी, अभिमानी एवं भौतिक सुख-सुविधाओं से युक्त जीवन जीयेगा।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि होने से ‘धनहीन योग’ एवं पराक्रम भंग योग की सृष्टि होगी। ऐसा जातक आर्थिक विषमताओं से घिरा रहेगा तथा अनेक बार मान प्रतिष्ठा भंग होने के अवसर भी आयेंगे।

धनु लग्न में केतु का फलादेश नवम स्थान में

केतु यहां नवम् स्थान में सिंह (मूलत्रिकोण) राशि में होगा। फलत: उच्च जैसा फल देगा। ऐसे जातक को पिता एवं गुरु का आर्शीवाद मिलता रहेगा। ऐसा जातक राजा अथवा राजमंत्री न्यायकर्त्ता या न्यायाधीश होता है। जातक कीर्तिवन्त दयालु व धार्मिक होता है।

निशानी – जातक शूरवीर व अभिमानी होता है। सच्चे काम का साथ देता है।

दशा – केतु की दशा अंतर्दशा शुभ फल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य स्वगृही राज योग देगा। जातक राजसरकार (राजनीति) में उच्च पद प्राप्त करेगा। सरकारी नौकरी के अवसर प्राप्त होंगे।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्र होने से जीवन के उतार-चढ़ाव बहुत आएगें। भाग्य में झटका लगेगा।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ मंगल होने से जातक पढ़ा-लिखा शिक्षित होगा। उसकी संतानों भी शिक्षित होगी। जातक बड़ी भू-सम्पत्ति का स्वामी होगा।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध होने से जातक का भाग्योदय विवाह के बाद होगा। जातक स्वयं तेजस्वी तीव्र बुद्धि का स्वामी होगा।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु होने से जातक को परिश्रम का मीठा फल मिलेगा। जातक उन्नति मार्ग की ओर आगे बढ़ेगा।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ शुक्र होने से भाग्य में बाधाएं आयेगी। स्त्री-मित्र जातक के लिए घातक साबित होंगे।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि होने से जातक धनी होगा। पराक्रमी होगा। जीवन में संघर्ष तो रहेगा परन्तु अंतिम सफलता जातक के साथ रहेगी।

धनु लग्न में केतु का फलादेश दशम स्थान में

केतु यहां दशम स्थान में कन्या राशि में नीच का होगा। जातक सिद्धान्तवादी होगा। उसे समाज में, राजनीति व सरकार में यश कीर्ति मिलेगी। ऐसे जातक को पिता का सुख नहीं मिलता। जातक दुर्भागी, वाहनों से पीड़ित तथा वातरोगी होता है। केतु कन्या राशि में होने से जातक को सुख और दुःख दोनों का अनुभव होता है। जातक अपने शत्रु समूह का नाश अवश्य करता है।

निशानी – शत्रु भी युद्ध के मैदान में जातक के शौर्य की कीर्ति गाते हैं।

दशा – केतु की दशा-अंतर्दशा सफलता एवं विजय दिलाने वाली होगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य राजयोग में वृद्धि कराता है। जातक को अच्छी नौकरी लगेगी।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा नौकरी में कष्ट-तकलीफ देगा। जातक की माता बीमार रहेगी।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ मंगल जातक को उत्तम भूमि, भवन का सुख देगा। ‘दिग्बली’ मंगल के कारण जातक अपने कुटुम्ब परिवार का नाम रोशन करेगा।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध ‘भद्र योग’ बनायेगा। जातक राजा तुल्य पराक्रमी एवं यशस्वी होगी।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु जातक उत्तम भवन, वाहन एवं उत्तम नौकरों का स्वामी बनायेगा।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ शुक्र कोर्ट-कचहरी में पराजय देगा। शुक्र यहां नीच का होकर व्यापार में हानि करायेगा ।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि की युति जातक को धनी एवं पराक्रमी बनायेगी।

धनु लग्न में केतु का फलादेश एकादश स्थान में

केतु यहां एकादश स्थान में तुला (मित्र) राशि में होगा। जातक बुद्धिशाली व धनवान होगा। जातक को मित्र मण्डली से वैराग्य हो जायेगा। ऐसा जातक मीठा बोलता है। विनोदी स्वभाव का होता है। विद्वान्, ऐश्वर्य सम्पन्न, तेजस्वी, उत्तम आभूषणों एवं श्रेष्ठ वस्त्र अलंकारों को धारण करता है। ऐसा जातक जीवन में एक बार राजा द्वारा सम्मानित भी होता है।

निशानी – ऐसा जातक हाथ में लिया हुआ कार्य अधूरा नहीं छोड़ता।

दशा – केतु की दशा अंतर्दशा शुभ फल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य नीच का होने से एक हजार राज योग नष्ट करेगा। जातक व्यापार व्यवसाय में धन कमायेगा।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ अष्टमेश चंद्रमा जातक के चलते व्यापार को तोड़ेगा। जातक को रोजी-रोजगार हेतु संघर्ष करना पड़ेगा ।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ मंगल जातक को उच्च शिक्षा देगा। जातक को संतान सुख भी मिलेगा। जातक धनी व सुखी व्यक्ति होगा ।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध जातक को उत्तम विवाह सुख देगा। जातक बुद्धिबल में खूब धन कमायेगा।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु जातक को सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाएं देगा। जातक एक धनी व्यक्ति होगा।

6. केतु + शुक्र – केतु के साथ स्वगृही शुक्र व्यापार में लाभ तो देगा परन्तु हानि भी देगा। जातक स्त्री-मित्रों से बचे।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि यहां उच्च का होगा। जातक एक धनी व्यक्ति ‘होगा। उद्योगपति होगा। समाज में उसकी प्रतिष्ठा होगी।

धनु लग्न में केतु का फलादेश द्वादश भाव में

केतु यहां द्वादश स्थान में वृश्चिक (मित्र) राशि में होगा। जातक तीर्थ यात्रा, देशाटन करेगा। खर्च बढ़-चढ़ कर होंगे। जातक का धन शुभकार्य व परोपकार में खर्च होगा। ऐसा जातक लड़ाई में डरपोक होता है।

निशानी – ऐसा जातक प्रवास बहुत करता है तथा खर्चीले स्वभाव का होने से ऋणग्रस्त रहता है।

दशा – केतु की दशा अंतर्दशा मिश्रित फल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. केतु + सूर्य – केतु के साथ सूर्य ‘भाग्यभंग योग’ बनायेगा। जातक को भाग्योदय हेतु काफी दिक्कते एवं परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

2. केतु + चंद्र – केतु के साथ चंद्रमा जातक को व्याभिचारी बनायेगा ।

3. केतु + मंगल – केतु के साथ स्वगृही मंगल के कारण ‘विमल नामक’ विपरीत राजयोग बनेगा। जातक धनी-मानी एवं अभिमानी व्यक्ति होगा। उसके पास उत्तम वाहन होगा।

4. केतु + बुध – केतु के साथ बुध ‘द्विभार्या योग’ बनाता है। गृहस्थ सुख में बाधा, सरकारी नौकरी में भी बाधा का योग बनता है।

5. केतु + गुरु – केतु के साथ गुरु ‘सुखहीन योग’ एवं ‘लग्नभंग योग’ बनायेगा। जातक को परिश्रम का फल नहीं मिलेगा।

6. केतु + शुक्र – क्रेतु के साथ शुक्र जातक को व्यभिचारी बनायेगा ।

7. केतु + शनि – केतु के साथ शनि होने के कारण ‘धनहीन योग’ एवं ‘पराक्रमभंग योग’ बनेगा। ऐसे जातक को अपने जीवन में आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ेगा तथा कई बार मानहानि के प्रसंग भी उपस्थित होंगे।

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