कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश
कुंभ लग्न में शुक्र चतुर्थेश एवं भाग्येश है। शुक्र शनि का मित्र होने से कुंभ लग्न वालों के लिए शुक्र परम राजयोग कारक ग्रह है।
कुंभ लग्न में शुक्र शुक्र का फलादेश प्रथम स्थान में
शुक्र यहां प्रथम स्थान में कुंभ (मित्र) राशि में है। शुक्र के कारण ‘कुलदीपक योग’ बना। ऐसा जातक सुन्दर व आकर्षक स्वस्थ व हंसमुख होगा। जातक की पत्नी भी सुन्दर होगी। जातक का मकान एवं वाहन सुख उत्तम होगा। ऐसा जातक गीत-संगीत, फल-फूल, सुगन्ध, अभिनय एवं सुंदर वस्त्रों का शौकीन होगा। जातक अपने कुटुम्ब परिवार का नाम दीपक के समान रोशन करेगा।
दृष्टि – लग्नस्थ शुक्र की दृष्टि सप्तम भाव (सिंह राशि) पर होगी। फलतः जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय होगा।
निशानी – भाग्येश लग्न में होने से जातक बड़ा ही भाग्यशाली यशस्वी एवं कीर्तिवान् होता है।
दशा – शुक्र की दशा अंतर्दशा खूब उत्तम फल देगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा होने से जातक का जीवनसाथी सुन्दर होगा। रंगीन मिजाज का होगा।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य जातक का जीवनसाथी प्रभावशाली होगा एवं धन के मामलें में आत्मनिर्भर होगा।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल जातक को भूमि लाभ देगा।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध जातक को विद्या का लाभ देगा। जातक की उन्नति प्रथम संतति के बाद होगी।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति जातक को माता की सम्पत्ति दिलायेगा।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि यहां ‘शश योग’ बनायेगा। जातक राजा तुल्य ऐश्वर्यशाली व पराक्रमी होगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु ‘लम्पट योग’ बनाता है। जातक कामी होगा।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक को धंधे में कीर्ति देगा।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश द्वितीय स्थान में
शुक्र यहां द्वितीय स्थान में उच्च का है। मीन राशि में 27 अंशों में शुक्र परमोच्च का होता है। जातक मिष्टभाषी, विनम्र एवं धनवान होगा। कुटुम्ब सुख उत्तम, मां का सुख उत्तम, जातक का पिता धनवान व प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा।
दृष्टि – द्वितीय भावगत शुक्र की दृष्टि अष्टम स्थान (कन्या राशि) पर होगी। जातक ऋण, रोग व शत्रु का नाश करने में सक्षम होगा।
निशानी – सुखेश द्वितीय स्थान में होने से जातक सभ्य समाज में आदरणीय, साहसी, पराक्रमी, मिष्टभाषी, कुटुम्ब से युक्त भोग विलास में रहकर धन का उपयोग करता है।
दशा – शुक्र की दशा अंतर्दशा शुभ फल देगी। जातक उत्तम धन कमायेगा। जातक का भाग्योदय होगा।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा जातक को धनी बनायेगा। माता का सुख मिलेगा।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य जातक को धनी ससुराल दिलायेगा। जीवनसाथी सुशील होगा।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल जातक को सुन्दर भवन व भूमि का स्वामी बनायेगा |
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध ‘नीचभंग राजयोग’ करायेगा। जातक राजा के समान पराक्रमी व धनी होगा।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति ‘किम्बहुना नामक राजयोग’ बनायेगा। जातक उद्योगपति एवं महाधनी होगा।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि होने से जातक कठोर परिश्रमी होगा। कठोर परिश्रम से जातक बहुत धन-सम्पत्ति अर्जित करेगा। पर व्यक्ति परम स्वार्थी होगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु होने से जातक के धनागमन में रुकावट आयेगी।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु होने से जातक को आर्थिक विषमता का सामना करना पड़ेगा।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश तृतीय स्थान में
शुक्र यहां तृतीय स्थान में मेष (सम) राशि का है। ऐसा जातक पराक्रमी होगा। जातक के बहने अधिक होगी। जातक को माता का प्रेम नहीं मिलेगा। जातक यात्रा बहुत करेगा परन्तु पिता से अधिक धन कमायेगा। जातक स्वार्थी एवं भोगविलास प्रिय होगा ।
दृष्टि – तृतीय भावगत शुक्र की दृष्टि भाग्यभवन अपने ही घर तुला राशि पर होगी। ऐसा जातक को धन, पद-प्रतिष्ठा एवं भाग्योदय के उत्तम अवसर प्राप्त होंगे।
निशानी – सुखेश तृतीय स्थान में होने से मनुष्य सदैव बीमार रहता है। भले ही वह पराक्रमी हो।
दशा – शुक्र की दशा-अंतर्दशा शुभफल देगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा जातक को स्त्री मित्रों से लाभ दिलायेगा।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ उच्च का सूर्य जातक को महान् पराक्रमी बनायेगा। जातक को ससुराल से लाभ होगा।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल ‘किम्बहुना नामक’ राजयोग बनायेगा। जातक का जनसम्पर्क लाजबाब होगा।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध जातक के बहने अधिक होगी। जातक को स्त्री-मित्रों से लाभ होगा।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति परिजनों व मित्रों से लाभ देगा।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि नीच का मित्र से अच्छे संबंध बनायेगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु भाइयों में विवाद करायेगा।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु मित्रों में विवाद करायेगा।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश चतुर्थ स्थान में
शुक्र यहां वृष राशि में स्वगृही होगा। शुक्र के कारण ‘कुलदीपक योग’ एवं ‘मालव्य योग’ बनेगा। ऐसा जातक निश्चय ही राजा के समान पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा। ऐसा व्यक्ति माता-पिता, स्त्री-संतान, विद्या-बुद्धि, मित्र- बंधु, धन, यश, पद-प्रतिष्ठा का पूरा सुख भोगेगा। वैवाहिक जीवन सुखी होगा। जातक लम्बी आयु कीर्ति-यश अर्जित करेगा।
दृष्टि – चतुर्थभावगत शुक्र की दृष्टि दशम स्थान (वृश्चिक राशि) पर होगी। जातक उत्तम व्यवसाय-व्यापार करेगा। जातक सौन्दर्य प्रसाधन से कमायेगा। जातक के पास उत्तम वाहन होगा। जातक का सामाजिक एवं राजनैतिक वर्चस्व रहेगा।
दशा – शुक्र की दशा अंतर्दशा अत्यंत शुभ फल देगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा ‘किम्बहुना नामक राजयोग’ बनायेगा। जातक को माता का सुख एवं संपत्ति मिलेगी। जातक के पास चार पहियों की गाड़ी होगी।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य जातक को सुन्दर पत्नी देगा। पत्नी धनवान एवं भाग्यशाली होगी।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल होने से जातक के पास उत्तम भूमि व भवन होगा।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध होने से जातक विद्यवान होगा। जातक की सही उन्नति प्रथम संतति के बाद होगी।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति होने से जातक को माता-पिता का सुख मिलेगा। माता-पिता की सम्पत्ति मिलेगी।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि जातक को उत्तम वाहन सुख देगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु माता का सुख तोड़ेगा।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक की माता को बीमार करायेगा।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश पंचम स्थान में
शुक्र यहां पंचम स्थान में मिथुन (मित्र) राशि में है। जातक को विद्या सुख उत्तम मिलेगा। जातक संगीत-साहित्य, अभिनय कला का प्रेमी होगा। जातक को कन्या संतति अधिक होगी। जातक बड़ा ही भाग्यशाली होगा। स्वाभिमानी एवं गुरु भक्त होगा।
दृष्टि – पंचमस्थ शुक्र की दृष्टि एकादश स्थान (धनु राशि) पर होगी। जातक को व्यापार से लाभ होगा। जातक को सामाजिक व राजनैतिक सफलता मिलेगी।
दशा – शुक्र की दशा-अंतर्दशा में शुभफल देगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा ‘बहुपुत्र योग’ कराता है। जातक की प्रथम संतति ‘शल्य चिकित्सा’ से होगी।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य जातक की पत्नी भाग्यशाली होगी। जातक को विद्या में सफलता मिलेगी।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल जातक को पुत्र संतति भी देगा। जातक को व्यापार में लाभ होगा।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध शैक्षणिक उपाधि देगा।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति जातक को संतान द्वारा धन की प्राप्ति करायेगा।
6. शनि + शुक्र – शुक्र के साथ शनि जातक को विदेश विद्या, विदेशी भाषा से लाभ दिलायेगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु पुत्र संतान सुख में बाधा डालेगा।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु संतान से चिंता करायेगा।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश षष्टम स्थान में
शुक्र यहां छठे स्थान में कर्क (शत्रु) राशि में है। शुक्र की इस स्थिति से ‘सुखहीन योग’ एवं ‘भाग्यभंग योग’ बना। जातक का विवाह विलम्ब से हो। विवाह सुख में बाधा बनी रहेगी। जातक के शत्रु अधिक होंगे। मूत्राशय में बीमारी संभव है।
दृष्टि – छठे भावगत शुक्र की दृष्टि व्ययभाव (मकर राशि) पर होगी। जातक खर्चीले स्वभाव का होगा। आवक से अधिक खर्च होगा।
निशानी – नवमेश छठे होने से जातक को अपने बड़े भाई एवं मामा का सुख नहीं मिलता। जातक के जन्म के बाद पिता को आर्थिक नुकसान होगा।
दशा – शुक्र की दशा-अंतर्दशा अशुभ फल देगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा ‘विपरीत राजयोग’ बनायेगा। जातक धनी होगा पर गुप्त बीमारी से ग्रसित रहेगा।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य ‘विवाहभंग योग’ कराता है। जातक का विवाह विलम्ब से होता है अथवा पत्नी के होते हुए भी वैवाहिक सुख का नितांत अभाव रहता है।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल ‘पराक्रमभंग योग’ एवं ‘राजभंग योग’ की सृष्टि करता है। जातक पूर्ण परेशान रहता है उसे अपयश मिलता है।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध ‘संतानहीन योग’ बनाता है। जातक को विवाह व संतान सुख की न्यूनता रहेगी।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति ‘धनहीन योग’ एवं ‘लाभभंग योग’ बनाता है। जातक को आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ता है।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि ‘लग्नभंग योग’ बनायेगा। जातक को परिश्रम का फल नहीं मिल पायेगा। जातक को पक्षाघात का भय रहेगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु गुप्त रोग देगा।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक को सैक्स रोग देगा।

कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश सप्तम स्थान में
शुक्र यहां सप्तम स्थान में सिंह राशि (शत्रु राशि) में है। शुक्र के कारण ‘कुलदीपक योग’ बनेगा। जातक की पत्नी सुन्दर होगी। जातक का वैवाहिक जीवन सुखी होगा। माता का सुख उत्तम, जातक को धन, यश,
कीर्ति मिलेगी। जातक को श्रृंगार में रस एवं परयुवती में रुचि रहेगी।
दृष्टि – सप्तमस्थ शुक्र की दृष्टि लग्नस्थान (कुंभ राशि) पर होगी। जातक को परिश्रमपूर्वक किये गये प्रयत्न का पूरा-पूरा लाभ मिलेगा।
निशानी – नवमेश सातवें होने से जातक भाग्यवान, गुणवान यशस्वी एवं कीर्तिमान् होता है।
दशा – शुक्र की दशा अंतर्दशा शुभ फल देगी। जातक को उत्तम गृहस्थ सुख मिलेगा। भाग्योदय के अवसर प्राप्त होंगे।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा जातक को अत्यंत सुन्दर व सुडौल जीवन साथी देगा।
3. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य पत्नी व ससुराल प्रभावशाली देगा। जातक की पत्नी आत्मनिर्भर होगी।
4. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल होने पर जातक कामी होगा एवं अन्य स्त्रियों को पीछे भटकता फिरेगा। स्त्री मित्रों से लाभ है।
5. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध विवाह के बाद भाग्योदय देगा एवं दूसरा भाग्योदय प्रथम संतति के बाद देगा।
6. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति से धन लाभ दिलायेगा। पत्नी वफादार होगी।
7. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि ‘लग्नाधिपति योग’ बनाता है जातक को परिश्रमपूर्वक किये गये पुरुषार्थ का मीठा फल मिलेगा।
8. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु ‘लम्पट योग’ बनाता है। जातक कामी व दुष्चरित्र होता है।
9. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक की काम शक्ति बढ़ायेगा ।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश अष्टम स्थान में
शुक्र यहां अष्टम स्थान में नीच राशि में है। कन्या राशि के 27 अंशों में शुक्र परमनीच का होगा। शुक्र की इस स्थिति से ‘सुखहीन योग’ एवं ‘भाग्यभंग योग’ बना। जातक को माता का सुख कमजोर होगा। शुक्र नवम भाव से बारहवें होने के कारण पिता से भी संबंध कमजोर रहेंगे। मकान का सुख भी ठीक नहीं।
दृष्टि – अष्टमस्थ शुक्र की दृष्टि धनभाव (मीन राशि) पर होगी। जातक का धन व्यर्थ के कार्यों में खर्च होगा।
दशा – शुक्र की दशा अंतर्दशा अशुभ फल देगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा ‘विपरीत राजयोग’ बनायेगा। ऐसा जातक धनी व ऐश्वर्यशाली होता है।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य ‘विवाहभंग योग’ बनाता है। प्रथमतः विवाह देरी से हो फिर बनी बनाई शादी टूट जावे।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल ‘पराक्रमभंग योग’ एवं ‘राजभंग योग’ बनाता है। ऐसे जातक को अच्छे काम करते रहने पर भी अपयश मिलता है।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध ‘संतानहीन योग’ बनाता है। विद्या में रुकावट के साथ संतान बाधा भी रहेगी।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति ‘धनहीन योग’ एवं ‘लाभभंग योग’ बनाता है। ऐसे जातक को आर्थिक विषमताओं व दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि ‘लग्नभंग योग’ बनाता है। ऐसे जातक को परिश्रम का फल नहीं मिलता जातक को पक्षाघात का भय रहेगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु ‘लम्पट योग’ बनाता है। ऐसे जातक व्यभिचारी होते हैं। गुप्त रोग संभव है।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु गुप्त बीमारी देगा।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश नवम स्थान में
शुक्र यहां नवम स्थान में स्वगृही होगा। जातक का भाग्य बलवान होगा। जातक का पिता, धनवान, दीर्घायु होता है। जातक को मकान व वाहन का सुख उत्तम होगा।
दृष्टि – नवम भावगत शुक्र की दृष्टि तृतीय स्थान (मेष राशि) पर होगी। ऐसे जातक के बहनें अधिक होगी। बहनें सभी धनवान व सम्पन्न होगी।
निशानी – भाग्येश भाग्य स्थान में होने से जातक धन-धान्य से परिपूर्ण, अन्न-धन सम्पत्ति वैभव से युक्त जीवन जीता है। उसके अनेक भाई-बहन होते हैं, सभी सुखी होते हैं।
दशा – शुक्र की दशा अंतर्दशा में जातक का जबरदस्त भाग्योदय होगा। जातक को भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा भाग्योदय में सहायक है। जातक को माता-पिता की सम्पत्ति मिलेगी।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य ‘नीचभंग राजयोग’ बनायेगा। जातक राजा के समान पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा भाग्योदय विवाह के बाद होगा।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल भूमि लाभ दिलायेगे। जातक को भाई-बहनों का सुख मिलेगा।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध उत्तम विद्या योग दिलायेगा। जातक मैनेजमेन्ट कोर्स में आगे बढ़ेगा।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति धन प्राप्ति के उत्तम अवसर प्रदान करता रहेगा। जातक धार्मिक एवं आध्यात्मिक विचारों वाला होगा।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि उच्च का होने से ‘किम्बहुना नामक राजयोग’ बनेगा। जातक राजा के समान पराक्रमी एवं वैभवशाली होगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु ‘लम्पट योग’ बनायेगा। जातक के भाग्योदय में विशेष बाधाएं आयेगी।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक को महत्वाकांक्षी बनायेगा। महत्वाकांक्षाएं पूरी होगी।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश दशम स्थान में
शुक्र यहां दशम स्थान में वृश्चिक (सम) राशि में है। शुक्र के कारण ‘कुलदीपक योग’ बनेगा। जातक को उच्च शैक्षणिक उपाधि (Higher Educational Degree) मिलेगी। जातक का पिता धनवान एवं दीर्घजीवी होगा। वैवाहिक जीवन आदर्शमय होगा। जातक को स्त्री संतान, पद-प्रतिष्ठा का सुख उत्तम श्रेणी का होगा।
दृष्टि – दशमस्थ शुक्र की दृष्टि चतुर्थ भाव (वृष राशि) पर होगी। ऐसे जातक को माता का सुख उत्तम। मकान वाहन का सुख अति उत्तम होगा।
निशानी – भाग्येश दशम स्थान में होने से व्यक्ति राजमंत्री, सेनापति I.A. S. अधिकारी जैसे उच्च पद को प्राप्त करता है।
दशा – शुक्र की दशा अंतर्दशा में अति उत्तम फलदायक होगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा नीच का होते हुए भी जातक को उत्तम वाहन सुख देगा। जातक चंचल स्वभाव का होगा।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य विवाह के बाद जातक को रोजी-रोजगार के उन्नत अवसर प्राप्त होंगे।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल हो तो ‘रुचक योग’ बनेगा। जातक राजा तुल्य पराक्रमी होगा पर उसके अनेक पत्नियां होगी।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध जातक को विद्याध्ययन के कारण आगे बढ़ायेगा। जातक व्यापारी होगा।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति माता का धन दिलायेगा। माता का जातक पर विशेष कृपा होगी। जातक को उत्तम भवन भी होगा।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि होने से जातक परिश्रमी होगा तथा अपने परिश्रम से मकान बनायेगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु ‘लम्पट योग’ बनायेगा। जातक कामी स्वभाव का होगा तथा राजसुख में उसका यह स्वभाव बाधक होगा।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक को व्यापार करने में प्रेरित करेगा।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश एकादश स्थान में
शुक्र यहां एकादश स्थान में धनु (सम) राशि में है। चौथे भाव का अधिपति होकर चौथे भाव से आठवें स्थान पर होने के कारण माता का सुख ठीक नहीं। जातक की विद्या भी अधूरी छूट जायेगी। जातक धनवान होगा। मित्र बहुत होंगे। आवक के जरिए शक्तिशाली होंगे।
दृष्टि – एकादश भावगत शुक्र की दृष्टि पंचम भाव (मिथुन राशि) पर है। ऐसे जातक को कन्या संतति अधिक होगी।
निशानी – सुखेश एकादश में होने से जातक बहुत पराक्रमी होगा परन्तु सदैव बीमार रहेगा।
दशा – शुक्र की दशा अंतर्दशा सामान्य (मिश्रित) फलदायक होगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा जातक को उद्योगपति बनायेगा। जातक व्यापार प्रिय होगा।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य विवाह के बाद उन्नति करायेगा। जातक अत्याधिक कामुक होगा।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल भूमि लाभ के साथ जातक व्यापार की ओर प्रवृत होगा। व्यापार में लाभ होगा।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध व्यापार में लाभ। संतानसुख श्रेष्ठ एवं विद्यासुख भी श्रेष्ठ होने का संकेत देता है।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति जातक को बड़े भाई से लाभ एवं धनी बनायेगा। जातक उद्योगपति होगा।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि जातक का व्यवहारिक ज्ञान से परिपूर्ण व्यापारी बनायेगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु ‘लम्पट योग’ बनाता है। जातक कामी होगा। व्यापार में बाधा आयेगी। उद्योग फैल होगा।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु व्यापार में उतार-चढ़ाव लाता रहेगा।
कुंभ लग्न में शुक्र का फलादेश द्वादश स्थान में
शुक्र यहां द्वादश स्थान में मकर (मित्र) राशि में है। शुक्र यहां ‘सुखहीन योग’ एवं ‘भाग्यभंग योग’ बना। चौथे भाव का अधिपति होकर बाहरवें जाने से जातक का माता छोटी उम्र में गुजर जावे अथवा बीमार रहे। मकान वाहन का सुख ठीक नहीं। जातक को भाग्योदय हेतु बहुत कठोर परिश्रम करना पड़ेगा। जीवन में व्यक्तिगत समस्याएं बहुत होगी।
दृष्टि – द्वादश भावगत शुक्र की दृष्टि व्ययभाव (मकर राशि) पर होगी। जातक गलत कार्यों में रुपया खर्च करेगा। उसके शत्रु बहुत होंगे। परदेश में रहने से लाभ है।
दशा – शुक्र की दशा अंतर्दशा अशुभ फल देगी।
शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. शुक्र + चंद्र – शुक्र के साथ चंद्रमा ‘विपरीत राजयोग’ बनायेगा। ऐसा जातक धनवान होगा। सैक्सी होगा।
2. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य ‘विवाहभंग योग’ बनाता है। जातक की कामुक प्रवृत्ति विवाह सुख में बाधक है।
3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल उच्च का जातक कामी होगा। स्त्रियों के पीछे भागेगा एवं गलत कार्यों में धन का अपव्यय करेगा।
4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध विद्या में रुकावट एवं संतान संबंधी चिंता बनी रहेगी।
5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ बृहस्पति ‘धनहीन योग’ एवं ‘लाभभंग योग’ बनाता है जातक को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि स्वगृही होकर ‘लग्नभंग योग’ बनायेगा। जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा। जातक गलत कार्यों में रुपया खर्च करेगा। जातक को पक्षाघात का भय रहेगा।
7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु ‘लम्पट योग’ बनायेगा। जातक व्याभिचारी होगा। तथा भाग्योदय संबंधी कष्ट भोगेगा।
8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक को स्त्री से विरक्ति दिलायेगा। जातक यात्राएं बहुत करेगा।
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