सिंह लग्न में राहु का फलादेश

सिंह लग्न में राहु लग्नेश सूर्य का परम शत्रु ग्रह है।

सिंह लग्न में राहु का फलादेश प्रथम स्थान में

यहां प्रथम स्थान में राहु सिंह (शत्रु) राशि में होगा। लग्नस्थ राहु वाला व्यक्ति उम्र से अधिक दिखता है। सिंह के राहु लग्न में होने से दंत रोग उत्पन्न होता है। जातक के दांत समय से पहले गिर जाते हैं। जातक क्रोधी एवं हठी होता है।

प्रभाव – सप्तम भाव पर राहु का प्रभाव विवाह सुख में बाधक हैं।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा जातक के जीवन में भटकाव एवं संघर्ष करायेगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु सूर्य की युति राज सरकार से दण्ड दिलाती है।

2. राहु + चंद्र – व्ययेश चंद्रमा राहु के साथ होने से जातक की आर्थिक स्थिति को विकृत करेगा। जातक एक स्थान पर टिक कर नहीं बैठ पायेगा।

3. राहु + मंगल – भाग्येश मंगल लग्न में राहु के साथ हो तो जातक को भाग्यशाली तो बनाता है पर जातक के भाग्य में उतार-चढ़ाव बहुत आयेगा ।

4. राहु + बुध – धनेश बुध राहु के साथ होने से धन प्राप्ति के अवसर मिलेंगे।

5. राहु + गुरु – यहां सिंहलग्न में अष्टमेश गुरु के साथ प्रथम स्थान में राहु होने से जातक का मन मस्तिष्क उद्विग्न रहेगा। ‘चाण्डाल योग के कारण जातक देव ब्राह्मणों एवं देहसुख से हीन होता है।

6. राहु + शुक्र – जातक का पराक्रम भंग होगा।

7. राहु + शनि – षष्टेश शनि लग्न में राहु के साथ होने से जीवनसाथी से मनमुटाव करायेगा |

सिंह लग्न में राहु का फलादेश द्वितीय स्थान में

यहां द्वितीय स्थान में राहु कन्या राशि में उच्च का होगा। यहां राहु धन के घड़े में छेद करता है पर राहु बुध की कन्या राशि में होने से ज्यादा नुकसानदायक साबित नहीं होगा। जातक अनीति से कमायेगा।

प्रभाव – राहु का प्रभाव अष्टम स्थान पर शत्रुओं का नाश करायेगा।

निशानी – जातक की वाणी कड़वी होगी।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में जातक के धन का नाश होगा पर साथ में शत्रुओं का भी नाश होगा।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य धन के घड़े में छेद करेगा।

2. राहु + चंद्र – व्ययेश चंद्रमा के साथ राहु धन का नाश करेगा।

3. राहु + मंगल – भाग्येश, सुखेश मंगल के साथ राहु सुख का नाश करेगा।

4. राहु + बुध – बलवान धनेश के साथ राहु जातक को धनी बनायेगा पर अचनाक धन का नाश भी करायेगा।

5. राहु + गुरु – सिंह लग्न के द्वितीय स्थान में पंचमेश गुरु के साथ राहु होने से ‘चाण्डाल योग’ बना। जिसके कारण जातक भुजबल से हीन होता है तथा जो कुछ उसका नष्ट (चोरी) हो जाता है या जो धन उधार चला जाता है, वो वापस नहीं मिलता।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश-दशमेश शुक्र के साथ धन स्थान में भाग्योदय में दिक्कतें पैदा करेगा।

7. राहु + शनि – षष्टेश शनि के साथ राहु धन स्थान में जातक के धन का नाश करायेगा। जातक मुंहफट भी होगा।

सिंह लग्न में का फलादेश तृतीय स्थान में

यहां तृतीय स्थान में राहु तुला (मित्र) राशि में होगा। ऐसा जातक विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होता है तथा आक्रामक रणनीति से अपना काम कराने में सक्षम होता है जातक की आयु लम्बी एवं पत्नी सुंदर होगी।

प्रभाव – नवम स्थान (मेष राशि) पर राहु की दृष्टि भाई व पिता से अनबन करायेगी।

निशानी – जातक को शत्रुओं पर बराबर विजय मिलेगी।

दशा – राहु की दशा-अंतर्दशा में जातक का पराक्रम बढ़ेगा।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – तृतीय स्थान में नीच के सूर्य के साथ राहु भाईयों, परिजनों से बैर करायेगा |

2. राहु + चंद्र – व्ययेश चंद्र के साथ राहु तृतीय स्थान में होने से परिजनों में धन को लेकर विवाद करायेगा।

3. राहु + मंगल – सुखेश, भाग्येश मंगल के साथ राहु जमीन-जायदाद को लेकर परिजनों में विवाद करायेगा।

4. राहु + बुध – धनेश, लाभेश बुध के साथ तृतीयस्थ राहु मित्रों से धन हानि करायेगा। जातक द्वारा मित्रों को उधार दिया गया पैसा डूब जायेगा।

5. राहु + गुरु – यहां सिंह लग्न में अष्टमेश गुरु तृतीय स्थान में राहु के साथ होने से ‘चाण्डाल योग’ बना। ऐसा जातक सहोदर भाईयों के सुखों से हीन होकर मित्रों से धोखा खाता है।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश दशमेश स्वगृही शुक्र के साथ राहु नौकरी या सरकारी कार्य में धनहानि करायेगा ।

7. राहु + शनि – षष्टेश, सप्तमेश शनि के साथ राहु पत्नी या ससुराल विवाद में धनहानि करायेगा।

सिंह लग्न में राहु का फलादेश चतुर्थ स्थान में

यहां चतुर्थ स्थान में राहु वृश्चिक (नीच) राशि में होगा। राहु की यह स्थिति जातक को धन, यश, पद-प्रतिष्ठा दिलाती है। जातक के पास स्थाई जमीन-जायदाद भी होती है पर उसमें विवाद रहेगा। राजनैतिक क्षेत्र में जातक को वांछित सफलता नहीं मिलती।

प्रभाव – राहु का प्रभाव दशम भाव (वृष राशि) पर होने से जमीन-जायदाद का विवाद होगा एवं मानसिक चिंता बनी रहेगी।

निशानी – जातक को दो माताएं होती हैं।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा खराब फल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – लग्नेश सूर्य चतुर्थ भाव में राहु के साथ हो तो पैतृक सम्पत्ति को लेकर विवाद होता है।

2. राहु + चंद्र – यहां चंद्रमा हो तो जातक को मानसिक अस्थिरता रहेगी।

4. राहु + मंगल – सुखेश, भाग्येश मंगल चतुर्थ स्थान में स्वगृही होने से ‘रुचक योग’ बना। ऐसा जातक राजा के समान पराक्रमी एवं साहसी होता है।

5. राहु + बुध – राहु के साथ बुध की युति मानसिक अस्थिरता व धन हानिं देगी।

6. राहु + गुरु – यहां सिंह लग्न में अष्टमेश गुरु चतुर्थ स्थान में राहु के साथ होने से ‘चाण्डाल योग’ बना। जातक मातृसुख से हीन होता है जातक घर जमीन से रहित होकर मित्रों का द्रोही होता है।

7. राहु + शुक्र – तृतीयेश-दशमेश शुक्र चतुर्थ भाव में राहु के साथ होने से जातक का माता से विवाद कराता है।

8. राहु + शनि – षष्टेश, सप्तमेश शनि राहु के साथ गृहस्थ सुख में न्यूनता एवं विवाह में बाधा डालता है।

सिंह लग्न में राहु का फलादेश पंचम स्थान में

यहां पंचम स्थान में राहु धनु (नीच) का होगा। ऐसे जातक को पुत्रों का अभाव रहता है जातक की माता की मृत्यु भी शीघ्र होती है। फिर भी जातक को अच्छी शिक्षा मिलती है। धार्मिक मनोवृत्ति के कारण जातक को पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी। जातक सर्पदोष, पितृदोष से परेशान रहेगा।

प्रभाव – पंचमस्थ राहु का प्रभाव एकादश स्थान (मिथुन राशि) पर होने से जातक को नौकर अच्छे नहीं मिलेंगे। नौकर वफादार नहीं होंगे।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में चिंताएं बढ़ेंगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – पंचमस्थ राहु के साथ सूर्य ईश्वर उपासना के बाद उत्तम संतति का सुख देगा।

2. राहु + चंद्र – राहु के साथ चंद्रमा पुत्र संतान का नाश करायेगा।

3. राहु + मंगल – सुखेश, भाग्येश मंगल के साथ राहु जातक को तीन पुत्रों का लाभ देगा।

4. राहु + बुध – धनेश, लाभेश बुध के साथ राहु जातक को कन्या संतति भी देगा। जातक की संतति धनवान होगी।

5. राहु + गुरु – यहां सिंहलग्न में अष्टमेश गुरु पंचम स्थान में स्वगृही होकर राहु के साथ होने से चाण्डाल योग बना। जातक का प्रथमतः पुत्र नहीं होंगे। पुत्र होंगे तो भी मूर्ख एवं संस्कारहीन होंगे। विद्या में बाधा निश्चित है। जातक का खान-पान दूषित होगा।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश दशमेश शुक्र के साथ राहु कन्या संतति देगा। जातक की संतति पराक्रमी होगी।

7. राहु + शनि – षष्टेश, सप्तमेश शनि के साथ राहु गर्भपात, दुर्घटना से संतान नाश का संकेत देता है।

सिंह लग्न में राहु का फलादेश षष्टम् स्थान में

छठे स्थान में राहु मकर (सम) राशि का होगा। छठे स्थान में राहु राजयोग कारक होता है। ऐसा जातक विषम परिस्थितियों में भी निरन्तर आगे बढ़ता है। जातक का स्वभाव कलहकारी होता है। फलतः शत्रुओं की वृद्धि होती है। ऐसे जातक का अधिकतम समय शत्रुओं का दमन करने में नष्ट हो जाता है। जातक की आवक गुप्त होगी।

प्रभाव – षष्टमस्थ राहु का प्रभाव द्वादश भाव (कर्क राशि) पर होने से जातक को लकवा या कोढ़ की बीमारी हो सकती है।

दशा – राहु की दशा-अंतर्दशा में भययुक्त जीवन, दुर्घटना या मृत्यु का भय रहेगा।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – छठे भाव में राहु के साथ सूर्य जातक के पुरुषार्थ को नष्ट करता है।

2. राहु + चंद्र – छठे स्थान में व्ययेश चंद्र के साथ राहु जातक को विदेश व निन्दित कार्यों से जोड़ता है।

3. राहु + मंगल – सुखेश, भाग्येश उच्च के मंगल के साथ राहु हो तो जातक को धनी बनाता है पर वाहन दुर्घटना से नुकसान का संकेत देता है।

4. राहु + बुध – धनेश, लाभेश बुध के साथ राहु धन का संग्रह कष्ट से कराता है।

5. राहु + गुरु – यहां सिंह लग्न में अष्टमेश गुरु छठे स्थान में नीच राशि का होकर राहु के साथ होने से ‘चाण्डाल योग’ बनायेगा। ऐसे जातक को बाल्यावस्था में जलभय, सर्पदंश का भय रहता है। जातक के लिए आयु का 6, 8, 18 व 20वां वर्ष घातक है।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश दशमेश शुक्र के साथ राहु पराक्रम भंग करता है या सरकारी अनदेखी से नुकसान पहुंचाता है।

7. राहु + शनि – षष्टेश, सप्तमेश शनि विपरीत राजयोग के साथ राहु की युति से दुश्मनों की संख्या में वृद्धि करेगा।

सिंह लग्न में राहु का फलादेश

सिंह लग्न में राहु का फलादेश सप्तम स्थान में

सप्तम भाव में राहु कुंभ (स्वगृही मूलत्रिकोण) राशि में होगा। जातक को गृहस्थ व स्त्री का सुख कमजोर रहेगा। जातक की पत्नी एवं उसे स्वयं को प्रमेह, मधुमेह, गुप्तेन्द्री में रोग हो सकता है। ऑपरेशन की संभावना रहेगी।

प्रभाव – सप्तमस्थ राहु का प्रभाव लग्न स्थान (सिंह राशि) पर रहेगा। फलत: जातक स्वयं एवं उसकी पत्नी उड़ाऊ स्वभाव की होगी ।

निशानी – जातक प्राय: अन्य जाति में विवाह करता है। स्त्रियों के कारण जातक के धन का नाश होगा।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में जातक को अशुभ परिणाम प्राप्त होंगे।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – सप्तमस्थ राहु के साथ लग्नेश की युति जातक को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।

2. राहु + चंद्र – व्ययेश चंद्रमा सप्तम स्थान में राहु के साथ होने से गृहस्थ सुख में बाधक है। जातक की पत्नी सुन्दर होगी पर विचार नहीं मिलेंगे।

3. राहु + मंगल – सुखेश भाग्येश मंगल के साथ राहु द्विभार्या योग बनाता है।

4. राहु + बुध – धनेश, लाभेश बुध के साथ राहु पत्नी को लेकर धन खर्च करायेगा।

5. राहु + गुरु – सिंहलग्न के सातवें स्थान में अष्टमेश गुरु के साथ राहु होने से क्रूर ‘चाण्डाल योग’ बनेगा। जातक की मृत्यु सर्पदंश से अथवा धीमी गति के जहर के कारण शान्ति पूर्वक होगी। जातक की पत्नी विधवा होगी।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश-दशमेश शुक्र के साथ राहु सप्तम स्थान में होने से पत्नी को घमण्डी बनायेगा।

7. राहु + शनि – पष्टेश, सप्तमेश शनि के साथ राहु पत्नी को विधवा बनाता है।

सिंह लग्न में राहु का फलादेश अष्टम स्थान में

यहां राहु अष्टम स्थान में मीन (सम) राशि में होगा। ऐसे जातक का गृहस्थ सुख कमजोर रहता है जातक बीमार रहेगा। जातक की आयु कम होगी।

प्रभाव – राहु की सप्तम दृष्टि का प्रभाव द्वितीय स्थान (कन्या राशि) पर होने से जातक हकला कर अटक-अटक कर बिना सोचे समझे बोलता है।

निशानी – जातक की स्त्री विधवा होगी।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में जातक एकान्तवासी होगा एवं जातक की आत्मघाती मनोवृत्ति को बल मिलेगा।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – लग्नेश सूर्य अष्टम स्थान में राहु के साथ होने से अकाल मृत्यु का द्योतक है।

2. राहु + चंद्र – व्ययेश चंद्रमा आठवें राहु के साथ शल्य चिकित्सा के दौरान जातक की मृत्यु का द्योतक है।

3. राहु + मंगल – सुखेश-भाग्येश मंगल के साथ राहु भाग्य में रुकावटें लायेगा।

4. राहु + बुध – धनेश, लाभेश बुध के साथ राहु धनहीन योग से जातक को दिवालिया बना देगा।

5. राहु + गुरु – सिंह लग्न के आठवें स्थान में अष्टमेश गुरु होने से सरल नाम विपरीत राजयोग होगा पर यहां राहु होने से चाण्डाल योग बना। जातक धन-वैभव सं परिपूर्ण जीवन जीयेगा। परन्तु अचानक दुर्घटना का भय रहेगा।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश, दशमेश शुक्र के साथ राहु होने से जातक मित्रों के षड्यंत्र से फंसेगा।

7. राहु + शनि – षष्टेश, सप्तमेश शनि के साथ राहु हो तो जातक की पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी स्त्री से विवाह करायेगा।

सिंह लग्न में राहु का फलादेश नवम स्थान में

यहां नवम स्थान में राहु मेष (सम) राशि में होगा। जातक को पिता की सम्पत्ति नहीं मिलेगी। नवम भाव में मेष के राहु की उपस्थिति पिता के लिए शुभ नहीं है । असावधानी होने पर जातक शत्रु द्वारा पराजित हो सकता है।

प्रभाव – नवमस्थ राहु की दृष्टि तृतीय स्थान (तुला राशि) पर होने से जातक का सगे भाईयों के साथ मन-मुटाव रहेगा।

निशानी – जातक कूटनीतिज्ञ होता है।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में पिता की मृत्यु संभव है। जातक परदेश जाएगा। जातक के धन का नाश होगा।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – लग्नेश सूर्य उच्च के राहु के साथ भाग्य स्थान में होने से जातक का भाग्य प्रबल होगा पर उतार-चढ़ाव आते रहेंगे।

2. राहु + चंद्र – व्ययेश चंद्रमा भाग्य स्थान में राहु के साथ होने से जातक मानसिक रूप से उद्विग्न रहेगा। जातक क्रोधी व चिड़चिड़ा होगा।

3. राहु + मंगल – भाग्येश-सुखेश स्वगृही मंगल, राहु के साथ होने से जातक बड़ी भू-सम्पत्ति का स्वामी होगा।

4. राहु + बुध – धनेश, लाभेश बुध का भाग्य स्थान में राहु के साथ होना जानक की उन्नति में सहायक है।

5. राहु + गुरु – सिंह लग्न में नवम स्थान में अष्टमेश बृहस्पति के साथ राहु होने में चाण्डाल योग बनता है। ऐसा जातक परनिन्दक होता है। जातक धर्म के विपरीत आचरण करता है तथा नास्तिक होता है। जातक परधन हर्ता एवं दुःशीला स्त्रियों के साथ रहता है।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश-दशमेश शुक्र राहु के साथ होने से जातक के पराक्रम में वृद्धि करायेगा। जातक की पीठ पीछे उसकी निन्दा होगी।

7. राहु + शनि – षष्टेश, सप्तमेश शनि नीच का होकर राहु के साथ होने से जातक को नौकरी में व्यापार में अपने ही विश्वस्त व्यक्ति द्वारा भारी धोखा होगा।

सिंह लग्न में राहु का फलादेश दशम स्थान में

यहां दशम भाव में राहु वृष राशि में उच्च का होगा। दशम स्थान में राहु की यह स्थिति राजयोग कारक है। ऐसा जातक विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ता है। जातक दूसरों के धन पर गिद्ध दृष्टि रखेगा। जातक की अपने पिता के साथ नहीं बनेगी।

प्रभाव – दशमस्थ राहु का प्रभाव चतुर्थ भाव (वृश्चिक राशि) पर होगा, फलतः जातक की माता का स्वास्थ्य खराब होगा।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में जातक को नौकरी मिलेगी। जातक की यात्राएं शुभद रहेगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – लग्नेश सूर्य दशम भाव में राहु के साथ होने से राज्य पक्ष में गड़बड़ का संकेत देता है।

2. राहु + चंद्र – व्ययेश चंद्रमा उच्च का होकर राहु के साथ ‘राजयोग’ तो देता है। पर जातक को राज्य पक्ष के षड्यंत्र का शिकार होना पड़ेगा ।

3. राहु + मंगल – भाग्येश सुखेश मंगल राहु के साथ दशम भाव में होने पर जातक को राजा के समान ऐश्वर्यशाली बनायेगा।

4. राहु + बुध – धनेश, लाभेश बुध दशम स्थान में राहु के साथ जातक को वाहन सुख देगा साथ में वाहन दुर्घटना भी करायेगा।

5. राहु + गुरु – सिंह लग्न के दशम स्थान में अष्टमेश गुरु के साथ राहु होने से चाण्डाल योग बनता है। ऐसा जातक पिता के सुख से हीन, चुगलखोर एवं कर्महीन होता है।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश दशमेश शुक्र दशम स्थान में स्वगृही होने से ‘मालव्य योग’ बनायेगा। फलत: जातक राजा के सामन पराक्रमी होगा, पर कभी-कभी बहक जायेगा।

7. राहु + शनि – षष्टेश, सप्तमेश शनि दशम भाव में होने से जातक के लिए राजा के द्वारा, कोर्ट के द्वारा दण्डित होने का योग है।

सिंह लग्न में राहु का फलादेश एकादश स्थान में

यहां एकादश स्थान में राहु मिथुन (उच्च) राशि का होगा। एकादश स्थान में राहु की यह स्थिति राजयोग कारक है। ऐसा जातक विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ता है। जातक विज्ञान एवं रहस्यमय विद्याओं का जानकार होगा । जातक को भूमि की प्राप्ति होगी।

प्रभाव – एकादश भावगत राहु की दृष्टि पंचम स्थान (धनु राशि) पर होगी फलत: जातक की विद्या में बाधा संभव है।

निशानी – जातक को कान का रोग होगा।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में राज सरकार से मान-सम्मान या धन मिलेगा।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – लग्नेश सूर्य राहु के साथ एकादश स्थान में होने से जातक को उद्योगपति बनायेगा।

2. राहु + चंद्र – व्ययेश चंद्रमा शत्रुक्षेत्री होकर यदि एकादश में हो तो चलती फैक्ट्री बन्द होगी।

3. राहु + मंगल – सुखेश, भाग्येश मंगल एकादश स्थान में होने से जातक को धनी बनायेगा।

4. राहु + बुध – धनेश बुध एकादश में स्वगृही होकर राहु के साथ होने से जातक उद्योग फैक्ट्री का स्वामी होगा।

5. राहु + गुरु – सिंह लग्न के एकादश स्थान में अष्टमेश गुरु के साथ राहु होने से ‘चाण्डाल योग’ बनता है। ऐसा जातक बचपन से दुःखी, धनहीन एवं कपट आचरण करने में माहिर होता है। जातक जैसा दिखता है, वैसा होता नहीं।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश दशमेश शुक्र एकादश स्थान में राहु के साथ होने से पराक्रम से धन कमाने का योग बनाता है।

6. राहु + शनि – षष्टेश, सप्तमेश शनि राहु के साथ चलते व्यापार एवं कार्य में शत्रु के द्वारा रुकावट पैदा करता है।

सिंह लग्न में राहु के फलादेश द्वादश स्थान में

यहां द्वादश स्थान में राहु कर्क (शत्रु) राशि में होगा। द्वादश स्थान में राहु व्यर्थ की यात्राओं से नुकसान कराता है। जातक अनेक प्रयत्न करने पर भी धन संग्रह नहीं कर पाता।

प्रभाव – द्वादश भावगत राहु का प्रभाव छठे स्थान (मकर राशि) पर होने से जातक निराशावादी होगा। जातक को खराब सपने आयेंगे।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में जातक को नुकसान, मानसिक कष्ट तथा धन हानि होगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – लग्नेश सूर्य द्वादश स्थान में राहु के साथ होने से जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा।

2. राहु + चंद्र – व्ययेश चंद्रमा व्यय भाव में धन खर्च करायेगा। यात्रा से ज्यादा रुपया खर्च होगा।

3. राहु + मंगल – सुखेश, भाग्येश मंगल बारहवें राहु के साथ होने से विदेश यात्रा करायेगा।

4. राहु + बुध – धनेश, लाभेश बुध राहु के साथ होने से धन हानि करायेगा। जातक के दिवालिया होने का योग है।

5. राहु + गुरु – सिंह लग्न के द्वादश स्थान में अष्टमेश गुरु के साथ राहु होने से ‘चाण्डाल योग’ बना। ऐसा जातक गलत कार्य में रुपया खर्च करता है। जातक अल्पायु होता है तथा पाप कर्मों में निमग्न रहता है।

6. राहु + शुक्र – तृतीयेश-दशमेश शुक्र राहु के साथ व्यय भाव में होने से जातक सेक्स के कारण, नशे के कारण फंसेगा।

7. राहु + शनि – षष्टेश शनि राहु के साथ होने से गृहस्थ सुख में बाधा होगी। जातक जेल भी जा सकता है।

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