मेष लग्न में बुध का फलादेश

मेष लग्न में बुध तृतीयेश व षष्टेश होने से पापी है। लग्नेश मंगल बुध का मित्र नहीं है।

मेष लग्न में बुध का फलादेश प्रथम स्थान में

प्रथम स्थान में बुध मेष राशि का होगा। जातक विद्यवान्, विद्वान, उच्च शिक्षित होगा। जातक ज्योतिषी, मंत्र शास्त्र ज्ञाता एवं विदेशी विद्या, कम्प्यूटर से लाभ कमाने वाला होता है।

लग्न में बुध वाला जातक व्यापारिक बुद्धि से ओत-प्रोत होता है। प्रायः सी.ए. या अच्छा सलाहकार होता है। जातक को कम्प्यूटर लाईन से लाभ होता है। जातक उतावला होगा।

दशा – बुध की दशा उत्तम फल देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – पंचमेश सूर्य की तृतीयेश-षष्टेश बुध के साथ लग्न में युति होने के कारण बुधादित्य योग बना। यह एक प्रकार का शक्तिशाली राजयोग है। जातक महान पराक्रमी एवं इन्द्रतुल्य ऐश्वर्य को भोगने वाला राज्यमंत्री या सांसद होगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ यदि सुखेश चन्द्रमा हो तो जातक का जीवन साथी सुन्दर होगा। जातक की माता बीमार रहेगी।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल हो तो जातक शूरवीर साहसी होने के साथ-साथ बुद्धिमान भी होगा तथा शत्रु को परास्त करने में बुद्धिबल का प्रयोग करेगा। ‘रुचक योग’ के कारण राजा का मंत्री होगा। केबिनेट मिनिस्टर होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु होने पर जातक परम भाग्यशाली होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ धनेश-सप्तमेश शुक्र हो तो जातक का जीवन साथी अति सुन्दर एवं पुष्ट शरीर वाला होगा। जातक के पास सुन्दर वाहन एवं सुन्दर मोबाईल होगा।

6. बुध + शनि – शनि यहां नीच का होगा। पराक्रमेश बुध की लाभेश के साथ युति व्यक्ति को बुद्धिमान होने के साथ-साथ हठी व जिद्दी बनाती है। व्यक्ति निःसदेंह धनवान होगा।

7. बुध + राहु – राहु यहां जातक को लड़ाकू बनाएगा। जातक महान् बुद्धिमान एवं चालाक होगा।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु जातक को युद्ध में विजय दिलाएगा। जातक बुद्धिबल में शत्रुओं को निरुत्तरित कर देगा।

प्रथम भाव में बुध का उपचार

  • शुभ काम (धर्म-कर्म) करे, मांसाहार न करे। गणपति की उपासना करें।
  • हरे रंग का प्रयोग कम किया करें।

मेष लग्न में बुध का फलादेश द्वितीय स्थान में

द्वितीय स्थान में बुध वृष राशि का होगा। ऐसा जातक सबको तारने वाला हाजिर जबाब, धनवान सुखी, वक्ता एवं वाचाल होता है। जातक पुस्तकों के व्यापार से लाभ कमाने वाला, व्यापारी होता है।

ऐसा जातक बुद्धि बल से धन कमाएगा। जातक अच्छा वक्ता होगा। बुध यहां स्वगृहाभिलाषी होने से जातक महत्वाकांक्षी होगा तथा अन्जान व्यक्ति को अपना हितैषी मित्र बनाने में कुशल होगा। जातक मीठी-मधुर वाणी बोलता है।

दशा – बुध की दशा जातक को धनवान बनाएगी। मित्रों द्वारा लाभ होगा। बुध की दशा में जातक व्यापार द्वारा धन अर्जित करेगा ।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। यह एक प्रकार का राजयोग है। जो जातक की उन्नति हेतु विविध आमदनी के जरिए खोलेगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ यदि चन्द्रमा हो तो जातक अत्यधिक धनी व्यक्ति होगा। वाणी विनम्र होगी पर कभी-कभी अपनी बात को खुद ही काट देगा। विरोधाभाषी बयान देगा। धन का अपव्यय जीवन में होता रहेगा।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ लग्नेश-अष्टमेश मंगल हो तो जातक स्व पराक्रम से खूब कमायेगा।

4. बुध + गुरु – यदि बुध के साथ गुरु हो या बुध गुरु से दृष्ट हो तो जातक गणितशास्त्र, कम्प्यूटर क्षेत्र का विलक्षण विद्वान् होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ यदि शुक्र हो तो ‘मित्रमूल धनयोग’ एवं ‘शत्रुमूल धनयोग’ की सृष्टि होगी। जातक को मित्रों द्वारा एवं शत्रुओं द्वारा यथेष्ट धन की प्राप्ति होगी।

6. बुध + शनि – बुध के साथ दसमेश लाभेश शनि जातक को निसंदेह धनवान बनाएगा। जातक व्यापारी होगा। वाणी कुटिल एवं व्यंग्यात्मक होगी।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु धन के घड़े में भारी छेद को बताता है। जातक भारी आर्थिक संघर्ष में से गुजरेगा।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु वाणी में लड़खड़ाहट देगा।

9. यदि यहां बुध, चन्द्र, शुक्र, गुरु की युति हो तो जातक (राजा) मिनिस्टर होगा। इसके आवक के अनेक जरिए होने से वह अति धनवान व्यक्ति होगा।

द्वितीय भाव में बुध का उपचार

  • तोता, भेड़, बकरी न पालना ।
  • दूध या चावल मंदिर में देना ।
  • गणपति की नित्य उपासना करना।

मेष लग्न में बुध का फलादेश तृतीय स्थान में

तृतीय स्थान में बुध मिथुन राशि का स्वगृही होगा। ऐसा जातक भाइयों के सुख से युक्त, लम्बी आयुवाला, उच्च शिक्षा वाला व्यक्ति होता है । ऐसा जातक पच्चीस वर्ष की आयु में धनवान हो जाता है। ऐसा जातक अध्ययन-अध्यापन कार्यों में लाभ प्राप्त कर सकता है।

‘भोजसंहिता’ के अनुसार तृतीयस्थ स्वगृही बुध जातक को कम से कम दो बहिनों का सुख देगा। जातक को स्त्री-मित्र से लाभ होगा। तीसरे भाव में बुध भाइयों में मतभेद पैदा करता है।

दशा – बुध की दशा बहुत अच्छी जाएगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ यदि सूर्य हो तो ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। यहां तृतीयेश पंचमेश की युति सार्थक होगी। जातक की सन्तति उत्तम होगी। जातक स्वयं विद्वान्, समाज का प्रतिष्ठित एवं पराक्रमी व्यक्ति होगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ यदि चन्द्रमा हो तो जातक की पीठ पीछे निन्दा होगी। मित्र विश्वासनीय नहीं होगे ।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ लग्नेश मंगल जातक को महान् पराक्रमी बनाएगा। जातक को भाई-बहन दोनों का सुख होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु जातक को परम सौभाग्यशाली बनाता है। जातक को मित्रों से लाभ होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ धनेश शुक्र मित्रों से धन दिलायेगा। जातक की बहन जातक की मददगार होगी।

6. बुध + शनि – बुध के साथ राज्येश लाभेश शनि जातक को महान् पराक्रमी, कुशल व्यापारी एवं यशस्वी समाजसेवी बनाएगा।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु जातक को कुटुम्बीजनों में विवाद कराता है।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु जातक को धर्मध्वज बनाता है। जातक लेखन विद्या व ज्योतिष विद्या का जानकार होगा।

9. यदि यहां बुध के साथ सूर्य, चन्द्र, गुरु हो तो जातक महान पराक्रमी होगा। उसे पैतृक सम्पत्ति (धरोहर) मिलेगी, वह (राजा) मिनिस्टर तुल्य ऐश्वर्य को भोगेगा।

तृतीय भाव में बुध का उपचार

  • दुर्गा पूजन कर कन्याओं का आशीर्वाद लेना ।
  • तोते को चुरी देना या मिर्च खिलाना ।
  • रात को साबित मूंग भिगोकर सुबह पक्षियों को डालना।
  • गणपति की आराधना करना।
  • द्वार पर हरे रंग के वास्तुदोष नाशक गणपति लगावे ।

मेष लग्न में बुध का फलादेश चतुर्थ स्थान में

बुध चतुर्थ स्थान में कर्क राशि का शत्रुक्षेत्री होगा। केंद्वर्ती बुध वाला जातक अपने कुल का दीपक होता है। दूसरों का कष्ट अपने ऊपर झेलने वाला राज्याधिकारी, लम्बी आयु वाला, उत्तम मकान, उत्तम वाहन से युक्त, धन-धान्य, रत्नों से परिपूर्ण सुखी जातक होता है। ऐसा जातक कम्प्यूटर एवं विदेशी व्यापार से लाभ कमाता है। जातक की मां बीमार रहेगी।

दशा – बुध की दशा अच्छी जाएगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। यहां तृतीयेश व पंचमेश की युति राजयोग प्रदाता साबित होगी।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ यदि चन्द्रमा हो तो जातक राजा तुल्य ऐश्वर्य को भोगेगा। उसे मां की ननिहाल की सम्पत्ति मिलेगी। जातक को मित्रों से लाभ होगा। उसका पराक्रम तेज रहेगा।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ नीच का मंगल जातक की माता को बीमार करेगा एवं भूमि में विवाद उत्पन्न करेगा |

4. बुध + गुरु – बुध के साथ भाग्येश गुरु उच्च का होकर ‘हंसयोग’ बनाएगा। जातक चक्रवर्ती राजा होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ धनेश शुक्र जातक को शत्रु से धन दिलाएगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ दसमेश लाभेश शनि होने से जातक बुद्धिबल से व्यापार से धन कमाएगा।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु जातक को मातृपक्ष से, मामा से नुकसान कराएगा।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु जातक को शल्य चिकित्सा कराएगा।

9. यदि यहां बुध, सूर्य, चन्द्रमा, गुरु की युति हो तो जातक राजा (मिनिस्टर) होगा। लालबत्ती की गाड़ी का स्वामी होगा एवं पूर्ण ऐश्वर्य को भोगेगा।

चतुर्थ भाव में बुध का उपचार

  • तोता, बकरी की पालना न करना ।
  • पलाश (ढाक) के पत्ते दूध से धोकर जल में प्रवाहित करें।
  • गणपति को नित्य अथवा प्रति बुधवार दूर्वा चढ़ावे ।
  • प्रवेश द्वार पर वास्तुदोषनाशक गणपति लगावे ।

मेष लग्न में बुध का फलादेश पंचम स्थान में

पंचम स्थान में बुध सिंह राशि का मित्रक्षेत्री होगा। ऐसा जातक शिक्षित, बुद्धिमान, मुकाबले की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाला सी.ए. कानूनी सलाहकार, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, आयुर्वेद का पंडित (जानकार) होता है। पंचमस्थ सिंह का बुध एक कन्या सन्तति जातक को अवश्य देगा।

दशा – बुध की दशा अच्छा फल देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – यदि बुध के साथ सूर्य हो तो ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। जातक का पुत्र पराक्रमी होता है। उसे कुटम्बीजनों एवं मित्रों से लाभ होता है। बलवान पंचमेश की तृतीयेश से युति जातक को महान पराक्रमी बनाएगी।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ सुखेश चन्द्रमा उत्तम विद्यायोग कराता है। जातक के तीन कन्याएं होगी। कल्पना शक्ति प्रखर होगी।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल प्रथम पुत्र कराता है। जातक तकनीकी विद्या, मैकेनिकल कार्यों का जानकार होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु जातक को महान् भाग्यशाली बनाता है। जातक अध्ययन-अध्यापन के कार्य में रुचि लेगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ धनेश शुक्र स्त्री मित्रों से लाभ दिलाएगा। जातक धनवान होगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ दसमेश लाभेश शनि होने से जातक गूढ़ एवं रहस्यमय विद्याओं का जानकार होगा। बड़ा व्यापारी होगा।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु संतान उत्पत्ति में बाधक है।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु गर्भपात कराएगा। प्रथम सन्तति शल्य चिकित्सा से होगी।

9. यदि यहां बुध, चन्द्र, सूर्य, गुरु की युति हो तो जातक राजातुल्य ऐश्वर्यशाली पराक्रमी एवं लालबत्ती की गाड़ी का हकदार होगा।

पंचम भाव में बुध का उपचार

  • चांदी का छल्ला बायें हाथ में पहनना चाहिए।
  • गाय की सेवा करे या नित्य चारा खिलावे ।
  • गणपति की उपासना करे।
  • पन्ना रत्न अभिमंत्रित कर धारण करे।

मेष लग्न में बुध का फलादेश षष्टम स्थान में

षष्टम स्थान में बुध कन्या राशि में उच्च का होता है। जातक को समुद्री यात्रा. हवाई यात्रा से लाभ होता है। जातक उच्च शिक्षित, डॉक्टर, केमिस्ट, आयुर्वेद, ज्योतिष का ज्ञाता होता है। जातक की छापाखाना, पुस्तक, व्यवसाय में रुचि होती है। जातक दम्भी, विवादशूर व उच्च उन्नति के योग बनेंगे।

यदि छठे घर का स्वामी छठे स्थान में स्वगृही हो तो हर्ष नामक विपरीत राजयोग बनता है। जातक भाग्यशाली सुखी, अजेय, स्वस्थ व धनी होता है। शत्रु, रोग, ऋण नहीं होगा।

यदि मंगल 4 या 8 भाव में हो तो माता का साथ बचपन में छूट जाएगा।

यहां बुध पराक्रमेश होकर छठे जाने से ‘पराक्रमभंग योग’ बना। जातक के मित्र दगा देंगे। कोई ऐसी घटना घटित होगी। जिससे जातक की कीर्ति भंग होगी। जातक का यश कलंकित होगा।

दशा – बुध की दशा मिश्रित फल देगी। जातक धार्मिक यात्राएं तीर्थ यात्राएं करेगा।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। पंचमेश सूर्य की षष्टेश बुध से युति राजयोग कारक होते हुए भी सन्तान सुख में बाधक है।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा ‘सुखहीन योग’ की सृष्टि करेगा। जातक को माता सुख, ननिहाल का सुख नहीं मिलेगा।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल ‘लग्नभंगयोग’ एवं ‘विपरीतराज योग’ दोनों बनाएगा। जातक धनी होगा। गाड़ी का सुख होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु ‘भाग्यभंग योग’ एवं ‘विपरीतराज योग’ दोनों बनायेगा। जातक धनी होगा। गाड़ी बंगले का सुख होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ यदि शुक्र हो तो ‘नीचभंग राजयोग की सृष्टि होगी। शुक्र का नीचत्व समाप्त हो जाएगा। ऐसे में मित्रमूल धनयोग’ एवं ‘शत्रुमूल धनयोग’ की सृष्टि होगी। जातक को शत्रु द्वारा धन लाभ मित्रों द्वारा धन लाभ एवं बीमा कम्पनी द्वारा धन लाभ की प्राप्ति होगी।

6. बुध + शनि – बुध के साथ ‘राजभंग योग’ एवं ‘लाभभंग योग’ दोनों बनाएगा। जातक को आजीविका की प्राप्ति हेतु काफी संघर्ष करना पड़ेगा।

7. बुध + राहु – यहां राहु योगकारक है तथा बुध भी विपरीत राजयोग कारक है। अत: जातक महान पराक्रमी एवं धनी होगा।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु जातक को धनी बनाता है परन्तु गुप्त बीमारी की शल्य चिकित्सा भी कराता है। जातक के जीवन में गुप्त शत्रु रहेंगे।

षष्टम भाव में बुध का उपचार

  • चांदी की अंगूठी बांये हाथ में पहने।
  • गंगा जल बोतल में रखकर (शीशे के ढक्कन वाली) खेती की जमीन में बुधवार के दिन गाढ़े।
  • किसी शुभ कार्य हेतु जाते समय खस का इत्र लगा कर जावे।
  • दोहती, भानजी को खुश रखे। कन्याओं का आशीर्वाद लें।
  • साबित मूंग या बुध की वस्तुओं का दान करें।
  • ‘बुध कवच’ का पाठ करें।
  • हरे रंग का सुगंधित रुमाल जेब में रखें।
मेष लग्न में बुध का फलादेश

मेष लग्न में बुध का फलादेश सप्तम स्थान में

सप्तम स्थान में बुध तुला राशि में होकर केन्द्रवर्ती होगा। शास्त्रों के अनुसार ऐसा जातक तेजस्वी एवं प्रतिष्ठित होता है। जातक विदेशी व्यापार, कम्प्यूटर केमिस्टरी, दवाइयों के व्यापार से कमाएगा। जातक का जीवन साथी उच्चशिक्षित होगा। जातक अपनी पसन्द का विवाह करेगा।

सप्तमस्थ तुला राशि का बुध होने से जीवनसाथी विनम्र होगा। ससुराल पक्ष व्यापारवर्गीय होगा। पत्नी बीमार रहेगी।

दशा – बुध की दशा उन्नति देगी। जातक का विवाह होगा। यदि विवाहित है तो गृहस्थ सुख में अपूर्व वृद्धि होगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। पंचमेश सूर्य की युति षष्टेश तृतीयेश बुध के साथ केन्द्र में है यह राजयोगकारक है। ऐसा जातक राज्यपूज्य एवं विख्यात कीर्तियुक्त होता है।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ यहां चन्द्रमा होने से जातक का जीवनसाथी सुन्दर, चंचल एवं बुद्धिमान होगा।

3. बुध + मंगल – बुध के कारण लग्नेश मंगल होने से कुण्डली ‘मांगलीक’ बनेगी। ऐसा जातक कठोर परिश्रमी होगा तथा उसे परिश्रम का फल भी मिलेगा परन्तु जीवन साथी में विचार नहीं मिलेंगे।

4. बुध + गुरु – बुध के गुरु होने से जीवनसाथी एवं जातक स्वयं भाग्यशाली होगा। पत्नी धार्मिक, पतिव्रता स्वामीभक्त होगी।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ स्वगृही शुक्र ‘मालव्य योग’ बनाएगा। ऐसा जातक राजा समान ऐश्वर्यशाली, वैशाली एवं भनी होगा। पत्नी अतिसुन्दर होगी।

6. बुध + शनि – बुध के साथ यहां शनि उच्च का होने से ‘शशयोग’ बनेगा। ऐसा जातक राजा के समान परम पराक्रमी, धनवान, गाड़ी बंगला, नौकर-चाकर से युक्त वैभवशाली मनुष्य होगा।

7. बुध + राहु – यहां बुध के साथ राहु जीवनसाथी का बिछोह (तलाक) अथवा पूर्व मृत्यु का संकेत देता है।

8. बुध + केतु – यहां बुध के साथ केतु गृहस्थ सुख में बाधक है। पत्नी-पत्नी के मध्य वैमनस्थता सम्भव है। गुप्त बीमारी भी सम्भव है।

9. यदि बुध के साथ सूर्य, गुरु, मंगल हों तो जातक राजातुल्य ऐश्वर्य भोगेगा। वह लालबत्ती की गाड़ी का हकदार होगा।

10. यदि यहां बुध, सूर्य, गुरु, मंगल, चन्द्र की युति हो तो जातक राजा (मिनिस्टर) ही हो या एवं लाल बत्ती की गाड़ी का स्वामी आजीवन रहेगा।

11. बुध सातवें एवं शुक्र छठे हो तो जातक की पत्नी स्थाई रूप से बीमार रहेगी।

सप्तम भाव में बुध का उपचार

  • माता-लड़की के साथ एक जैसा व्यवहार करना।
  • पन्ने की अंगूठी पहनना। (पन्ने के अभाव में पन्नी पहन सकते हैं।)
  • अधिक थूकना या बार-बार थूकना बंद करे। गुटका न खाये।
  • पन्ना जड़ा हुआ बुध यंत्र धारण करे।
  • गणपति की उपासना करें।

मेष लग्न में बुध का फलादेश अष्टम स्थान में

अष्टम स्थान में बुध वृश्चिक राशि में होगा। जातक विद्वान् धनवान, राज्यदरबार (सरकार) से मान-सम्मान, इज्जत पाने वाला राज्याधिकारी होगा। स्त्री पक्ष से लाभ प्राप्त करने वाला होता है। पच्चीस वर्ष की आयु में अनेक कीर्ति प्रतिष्ठा व सफलता प्राप्त करने वाला होग।

भोजसंहिता के अनुसार वृश्चिक राशि गत अष्टमस्थ बुध कीर्तिभंग कराता है। मित्र दगाबाज साबित होंगे। कोई ऐसी सामाजिक घटना परिवार में घटित होगी जिससे यश कलंकित होगा। साथ ही विपरीत राजयोग भी बनाता है। ऐसा जातक धनी होगा।

दशा – बुध की दशा अर्नाष्ट फल देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ यदि सूर्य हो तो ‘बुधादित्य योग’ बनेगा पर यह योग ज्यादा सार्थक नहीं होगा क्योंकि पंचमेश का आठवें जाना संतानहीन योग एवं अन्य दुर्योग की सृष्टि भी करता है।

2. बुध + चन्द्र – यदि बुध के साथ चन्द्रमा है तो चन्द्र नीच का होगा एवं ‘सुखभंग योग’ बनेगा। मातृसुख में कमी आएगी। माता की अकाल मृत्यु होगी।

3. बुध + मंगल – यहां बुध के समय मंगल होने कुण्डली मांगलीक होगी पर अष्टमेश अष्टम स्थान में स्वगृही होने से विपरीत राजयोग बनेगा। जातक धनी होगा। गाड़ी बंगले का स्वामी होगा।

4. बुध + गुरु – यहां बुध के साथ गुरु ‘भाग्यभंग योग’ बनाता है परन्तु व्यमेश अष्टम में होने से ‘विपरीत राजयोग’ भी बनता है। ऐसा जातक धनी होगा। भागेदय संघर्ष के बाद होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ ‘विलम्बविवाह योग’ एवं ‘धनहीन योग’ की सृष्टि करता है। ऐसा जातक आर्थिक विषमता का शिकार होता है। समय पर विवाह सुख नहीं मिलता।

6. बुध + शनि – बुध के साथ शनि ‘राजभंग योग’ एवं ‘लाभभंग योग’ बनाता है। ऐसा जातक ठेकेदारी एवं व्यापार में नुकसान उठाता है।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु होने जीवन से गुप्त शत्रुओं का प्रकोप रहेगा। पैर की हड्डी टूटेगी।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु होने से व्यक्ति विषय परिस्थिति में से गुजरेगा। दाये पांव में चोट पहुचेंगी।

अष्टम भाव में बुध का उपचार

  • लड़का के नाम में चांदी का छल्ला डालना।
  • हरा अण्डरवियर पहने।
  • जन्म दिवस के दिन मिट्टी के बर्तन में शहद या चीनी भरकर वीरान जगह में दबाना ।
  • सीढ़ियों की मरम्मत का ध्यान रखना।
  • गणपति की उपासना करें. प्रत्येक बुधवार को दूर्वा एवं लड्डू चढावे ।

मेष लग्न में बुध का फलादेश नवम स्थान में

नवम स्थान बुध धनु राशि का होगा। ऐसा जातक परिवार की सेवा करने वाला धार्मिक कार्य एवं परोपकार के कार्यों में रुचि रखने वाला होता है। ऐसा जातक धर्मशास्त्र नीति संगीत का ज्ञाता एवं चतुर होता है। ऐसा जातक पिता का भक्त एवं परिजनों का प्यारा होता है।

धनु राशिगत नवमस्थ बुध 32 वर्ष की आयु में जातक का भाग्योदय कराएगा। मित्रों की मदद से जातक आगे बढ़ेगा। परिजनों का सहयोग रहेगा।

दशा – बुध की दशा उत्तम फल देगी। भाग्योदय कराएगी। यदि गुरु की स्थिति कुण्डली में अच्छी हो तो बुध की दशा का शुभत्व 40% और बढ़ जाएगा।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। पंचमेश तृतीयेश की युति यहां ज्यादा अच्छी तरह से मुखरित होकर जातक को प्रबल राजयोग देती है।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा होने से जातक सुखी होगा उत्तम वाहन एवं भवन का स्वामी होगा। माता सहायक होगी।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ लग्नेश मंगल होने से जातक महापराक्रमी होगा। मंगल उच्चाभिलाषी होने से जातक महत्वाकांक्षी होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ यदि गुरु हो तो जातक राजातुल्य ऐश्वर्य भोगेगा । जातक को पुत्र सन्तति अवश्य होगी। प्रथम भाग्योदय 29 से 32 की आयु में हो जाएगी।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ शुरू होने से जातक को पत्नी से, स्त्री- मित्रों से धनलाभ होता रहेगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ शनि होने से जातक उच्च श्रेणी का व्यापारी होगा। व्यापार से धन कमाएगा।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु होने से जातक कठोर परिश्रमी होगा तथा संघर्ष के साथ आगे बढ़ेगा। पिता की सम्पत्ति नहीं मिलेगी।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु संघर्ष में सफलता का द्योतक है। पिता से विचार नहीं मिलेंगे।

9. यदि यहां बुध, सूर्य, गुरु, चन्द्रमा की युति हो तो जातक (राजा) मिनिस्टर होगा एवं लालबत्ती की गाड़ी का हकदार होगा।

नवम भाव में बुध का उपचार

  • शरीर पर चांदी पहने।
  • कौवे को भोजन का हिस्सा देना ।
  • गाय की सेवा करें, गायों को घास दे।
  • गणपति की उपासना करें। प्रति बुधवार को लड्डू चढ़ाये ।

मेष लग्न में बुध का फलादेश दशम स्थान में

दशम स्थान में बुध मकर राशि का केन्द्रवर्ती होगा – ‘कुलदीपक योग’ के कारण जातक तेजस्वी व यशस्वी होता है। ऐसा जातक शरारती व चालबाज होता है। ऐसा जातक समुद्री यात्रा हवाई यात्रा से लाभ कमाने वाला, लेखन सम्पादन में रुचि रखता है। जातक अनेक गुप्त व रहस्यमय विद्याओं का जानकार होता है।

मकरस्थ बुध का दशम भाव में होना शुभ है। 32 वर्ष की आयु में जातक राजा (जिलाधीश) द्वारा सम्मानित होगा। व्यापार व्यवसाय में लाभकारी स्थितियां बनेंगी। जातक अच्छा गणितज्ञ, लेखक या ज्योतिषी हो सकता है।

दशा – बुध की दशा शुभ फलदायक साबित होगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ यदि सूर्य की युति हो तो ‘बुधादित्य योग’ बनगा । पचमेश तृतीयेश की यह युति शुभफलदाई एवं प्रबल राजयोग कारक है।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा जातक के जीवन में सुख वैभव, ऐश्वर्य से परिपूर्ण करेगा।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल उच्च का होने से ‘रुचक योग’ बनेगा। जातक राजा के समान ऐश्वर्यशाली एवं पराक्रमी होगा। व्यक्तित्व आकर्षक होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु नीच का होगा। जातक भाग्यशाली होगा पर भाग्य मन्दा होगा। जीवन में खर्च बहुत रहेगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ शुक्र होने से जातक महाधनी होगा। पत्नी का सुख उत्तम होगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ शनि होने से ‘शशयोग’ बनेगा। जातक निश्चय ही राजातुल्य पराक्रमी, ऐश्वर्यशाली एवं सम्पन्न होगा।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु जातक को राजपक्ष से दण्ड दिला सकता है।

8. बुध + केतु – बुध के साथ कंतु जातक को राजकीय वैभव में कटौती कराएगा। सरकारी अधिकारी धाखा देगे।

9. यदि यहां बुध के साथ सूर्य, मंगल, शनि हो तो जातक (राजा) मिनिस्टर होकर लालबत्ती की गाड़ी का स्वामी होगा।

दशम भाव में बुध का उपचार

  • जीभ का चसका कम करे. मांसाहार व शराब से दूर रहे तो बुध शुभ होगा।

मेष लग्न में बुध का फलादेश एकादश स्थान में

एकादश स्थान में बुध कुम्भ राशि में होगा। जातक की किस्मत 34 वर्ष बाद चमके। ऐसा जातक बहन भाइयों को पालने वाला जीवन सम्पूर्ण सुख-सुविधाओं से सम्पन्न होगा। ऐसे व्यक्ति की आमदनी के जरिए अनेक प्रकार के होंगे।

कुम्भ राशिगत बुध यदि लाभ स्थान में हो तो जातक प्रजावान होगा। उसे पुत्र व पुत्री दोनों प्रकारी की सन्तति का लाभ होगा। सन्तान सत्पुत्र व सुयोग्य होंगे। जातक स्वयं पढ़ा-लिखा होगा।

दशा – बुध की दशा मिश्रित फल देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। पंचमेश तृतीयेश की युति कुम्भ राशि में राजयोग कारक है। जातक महान पराक्रमी होगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा जातक को विद्यावान एवं प्रजावान बनाएगा।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल जातक को व्यापार या उद्योग में लाभान्वित करेगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु जातक को पुत्र सन्तति देगा एवं व्यापार में भी लाभ देगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ शुक्र जातक को धनवान बनाएगा पत्नी एवं स्त्री-मित्रों से सहायता मिलती रहेगी।

6. बुध + शनि – यदि बुध के साथ शनि स्वगृही होने से जातक उद्योगपति होगा। बड़े कारोबार का स्वामी होगा।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु जातक को व्यापार में अचानक नुकसान देगा। ऐसा जातक दो-तीन बार व्यापार बदलेगा ।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु जातक को चलते कारोबार में घाटा देगा।

9. यदि यहां बुध, सूर्य, शनि, गुरु की युति हो तो जातक (राजा) मिनिस्टर होगा । उसके पुत्र भी जातक के समान ही पराक्रमी होंगे।

एकादश भाव में बुध का उपचार

  • नया कपड़ा दरिया में धोकर गंगा जल का छीटा देकर पहने।
  • बुध यंत्र पन्ना डालकर गले में पहने तो धनहानि से बचाव होता है। पाठक चाहे तो यह यंत्र लेखक से सम्पर्क कर प्राप्त कर सकते हैं।

मेष लग्न में बुध का फलादेश द्वादश स्थान में

द्वादश स्थान में बुध ‘मीन राशि’ का होगा जो बुध की नीच राशि है। जातक गुप्त विद्याओं का तंत्र-मंत्र, ज्योतिष आयुर्वेद का ज्ञाता होगा। इसके जन्म से परिवार, धन-दौलत की वृद्धि पाने वाला, बुजुर्गों की सम्पत्ति पाने वाला होता है। जातक की बहन लड़की अपने घर में

दु:खी पर ससुराल में सुखी होती है। बुध द्वादश भाव में जातक का रुपया शिक्षा कार्य में खर्च कराता है।

भोजसंहिता के अनुसार मीन राशिगत बुध यदि द्वादश भाव में हो तो जातक विदेशी व्यापार (Export-Import) में कमाएगा। ऐसे जातक का छोटा भाई नहीं होता है।

दशा – बुध की दशा अनिष्ट फल देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – यदि बुध के साथ सूर्य हो तो ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। वस्तुतः यह पंचमेश सूर्य की तृतीयेश-षष्ठेश बुध के साथ द्वादश भाव में युति होगी जहां बुध नीच का होगा। यह स्थिति राजयोग प्रदाता है पर जातक को सन्तान सम्बन्धी चिन्ता भी मिलेगी। कीर्तिभंग योग बनता है।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा माता की सम्पत्ति से जातक को वंचित कराएगा। ‘सुखहीन योग’ के कारण जातक को आराम कम मिलेगा।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल ‘लग्नभंग योग’ के साथ कुण्डली को ‘मांगलिक’ बनाता है। जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु होने से ‘नीचभंग राजयोग’ बनेगा। ऐसा जातक धनी, ऐश्वर्यशाली एवं खर्चीले स्वभाव का होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ यदि शुक्र हो तो ‘नीचभंग राजयोग’ बनेगा। बुध का नीचत्व समाप्त होगा। जातक राजातुल्य ऐश्वर्य को भोगेगा। सुन्दर स्त्री का पति होगा एवं अन्य स्त्रियां भी उस पर मोहित रहेंगी।

6. बुध + शनि – यहां बुध-शनि की युति अथवा बुध-राहु की युति हो तो जातक को जेल जाना पड़ सकता है।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु व्यर्थ की यात्राएं कराएगा। जातक के खर्च इतने बढ़े चढ़ें होगे कि कई बार ऋण लेने की नौबत आएगी।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु व्यवहार में कमी लाएगा। जातक के घर चोरी होगी।

9. यदि यहां बुध, शुक्र, गुरु, चन्द्र की युति हो तो जातक (राजा) मिनिस्टर होगा या उससे कम की हस्ती नहीं होगा। जातक अत्यधिक खर्चीले स्वभाव का होगा। धार्मिक परोपकारी व दयालु होकर नगरसेठ या ‘मेयर’ होगा।

द्वादश भाव में बुध का उपचार

  • एक स्टील का छल्ला जल प्रवाह करना एक (एक ही बार) पहनना।
  • कोरा घड़ा जल प्रवाह करना 12 बार।
  • किया हुआ वायदा पूरा करना, जबान का पक्का रहना।
  • अपनी जबान का शब्द ले डूबेगा (गन्दा शब्द न बोलना) ।
  • प्रति बुधवार गणपति का लड्डू चढ़ाना।
  • पन्ना जड़ित ‘बुधयंत्र’ गले में धारण करना ।

मेष लग्न का फलदेश

  1.  मेष लग्न में सूर्य का फलादेश
  2. मेष लग्न में चन्द्रमा का फलादेश
  3.  मेष लग्न में मंगल का फलादेश
  4. मेष लग्न में बुध का फलादेश
  5. मेष लग्न में गुरु का फलादेश
  6. मेष लग्न में शुक्र का फलादेश
  7. मेष लग्न में शनि का फलादेश
  8. मेष लग्न में राहु का फलादेश 
  9. मेष लग्न में केतु का फलादेश  
  10. मेष लग्न के योग

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