मेष लग्न में शुक्र का फलादेश

मेष लग्न में शुक्र द्वितीयेश व सप्तमेश दो मारक स्थानों का स्वामी होने से परमपापी व अशुभफल देने वाला है।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश प्रथम स्थान में

ज्योतिषशास्त्र में लग्नस्थ शुक्र को शुभ माना है कहा है – ऐसा जातक दूसरों को पालने वाला पशुधन एवं वाहन सुख से युक्त, दानी, मानी शूरवीर, सुन्दर वस्त्र आभूषण व स्त्री का शौकीन धनवान व सुखी होता है।

ऐसा जातक बहुत यात्रा करने वाला यशस्वी पत्रकार होता है जातक की पत्नी सुन्दर होगी।

दशा – शुक्र की दशा अच्छा फल देगी। व्यक्ति की आर्थिक उन्नति होगी। पत्नी व ससुराल से लाभ होगा।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ यहां पंचमेश सूर्य उच्च का होगा। फलत: रविकृत राजयोग बनेगा। जातक I.A.S या IPS अधिकारी होगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ चन्द्रमा जातक को माता की सम्पत्ति दिलाएगा। सुखेश धनेश की युति के कारण जातक के पास चार पहियों वाली गाड़ी होगी।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ यदि यहा मंगल हो तो ‘रुचक योग’ बनेगा। धनेश के साथ लग्नेश की युति होने से जातक स्वपराक्रम से खूब धन कमाएगा। पत्नी सुन्दर होगी तथा विवाह के बाद जातक उन्नति पथ की ओर तीव्रता से आगे बढ़ेगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ तृतीयेश षष्टेश की युति जातक को पराक्रमी तो बनाएगी पर जीवन में गुप्त शत्रु बहुत होगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ भाग्येश गुरु जातक को भाग्यशाली बनाएगा। परन्तु जातक अत्यधिक खर्चीले स्वभाव का व्यक्ति होगा।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ राज्येश-लाभेश शनि नीच का होगा। ऐसा जातक लमपट, धूर्त एवं व्याभिचारी होगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु जातक को जिद्दी स्वभाव का रंगीले मिजाज का एवं पथभ्रष्ट किन्तु विख्यात व्यक्ति बनाएगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक लड़ाकू बनाएगा। जातक स्वार्थी होगा पर युद्ध में विजय प्राप्त करेगा।

9. शुक्र + सूर्य – मंगल बुध की युति यदि लग्न में हो तो जातक (राजा) मिनिस्टर होगा। लालबत्ती का मालिक होगा।

प्रथम भाव में शुक्र का उपचार

  • भोजन का कुछ हिस्सा कुत्ते, कौवे के लिए ग्रास के रूप में निकालना।
  • जौ सरसों, ज्वार व सतनाजा पशु-पक्षियों को चुगाना।
  • स्त्री के लिए आभूषण बनवाना ।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • शुक्र के वैदिक मंत्रों की साधना करें।
  • रुपया किसी को उधार न दें, वरना डूब जाएगा।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश द्वितीय स्थान में

यहां द्वितीय स्थान में वृष का शुक्र स्वगृही होगा। फलतः जातक व्यापार प्रिय एवं धनवान होगा। सुन्दर पोशाक पहनने वाला, शृंगार सामग्री से लाभ प्राप्त करने वाला, अच्छा (सुस्वादु) भोजन करने व कराने वाला, सुन्दर भवन वाला, 32वें वर्ष में विशेष लाभ, स्त्री सुख प्राप्त करने वाला जातक होता है।

भोज संहिता के अनुसार सप्तमेश यदि द्वितीय स्थान में हो तो जातक को विपरीत लिंगियों से अर्थलाभ होता है जातक की स्त्री सुन्दर होगी पर शुक्र सप्तम भाव से आठवें स्थान पर होने से जातक को पत्नी से संतोष नहीं होगा।

दशा – शुक्र की दशा धन देगी। विवाह कराएगी। पत्नी व ससुराल का सुख, व्यापार में बढ़ोतरी इस दशा में निश्चित सम्भव है।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ पंचमेश सूर्य धनस्थान में जातक को धनवान बनाएगा। धन का संघर्ष रहेगा। पर प्रथम पुत्र जन्म के बाद जातक विशेष रूप से धनवान होगा।

2. शुक्र + चन्द्र – यदि शुक्र के साथ चन्द्रमा होने से ‘किम्बहुना योग’ बनेगा । जातक राजा-महाराजा तुल्य ऐश्वर्य भोगेगा। दीखने में अत्यधिक सुन्दर होगा। जातक बहुत से मकान व वाहनों का स्वामी होगा। उसके नौकर वफादार होंगे। माता की विशेष कृपा उस पर बनी रहेगी।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल लग्नेश-अष्टमेश होने से व्यक्ति खूब धन कमाएगा पर धन खर्च होता चला जाएगा।

4. शुक्र + बुध – बलवान धनेश के साथ पराक्रमेश-षष्टेश बुध की युति जातक को मित्रों द्वारा धन लाभ कराएगी। पत्नी व ससुराल द्वारा भी धन लाभ का संकेत है।

5. शुक्र + गुरु – बलवान शुक्र के साथ भाग्येश-व्ययेश गुरु की युति जातक को सौभाग्यशाली बनेगी। जातक को पिता की सम्पत्ति मिलेगी।

6. शुक्र + शनि – बलवान धनेश के साथ राज्येश लाभेश शनि की युति जातक को व्यापार में प्रचुर मात्रा में धन दिलाएगी।

7. शुक्र + राहु – बलवान धनेश के साथ धनस्थान में राहु धन के घड़े में छेद करता है। जातक खूब कमाएगा पर धन खर्च होता चला जाएगा। धन संग्रह में परेशानी होगी।

8. शुक्र + केतु – बलवान धनेश के साथ धनस्थान में केतु जातक को फिजूल खर्ची बनाएगा। जातक को धन की तंगी महसूस होती रहेगी।

9. शुक्र, चन्द्र, गुरु, मंगल की युति जातक को राजा तुल्य ऐश्वर्यशाली एवं कुबेरतुल्य धनी बनाएगी।

द्वितीय भाव में शुक्र का उपचार

  • आलू दही का दान करना चाहिए।
  • पशु पालन डेयरी का काम करना चाहिए।
  • श्रीसूक्त कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • किसी की जमानत न दें वरना डूब जाएगी।
  • श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र को सुनहरी फेम में जड़वाकर नित्य पूजा अर्चना करें।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश तृतीय स्थान में

शुक्र यहां तृतीय स्थान में मिथुन राशि का होगा। ऐसा व्यक्ति यात्रा से लाभ पाता है। तीर्थ यात्राएं, धार्मिक यात्राएं होंगी। ऐसे जातक पर स्त्रियां विशेष रूप से मुग्ध रहती हैं। जातक कामक्रीडा में विशेष पटु होता है एवं वाणी के द्वारा दूसरों को मोहित करने में समर्थ होता है।

दशा – शुक्र की दशा में पराक्रम बढ़ेगा। दशा शुभफलदाई होगी।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य की युति पंचमेश की धनेश-सप्तमेश के साथ युति कहलाएगी। ऐसा जातक पराक्रमी होगा। धनवान होगा। भौतिक सुख-सुविधाओं से युक्त जीवन जीएगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ सुखेश चन्द्र की युति होने से जातक को भाई-बहनों का सुख है। स्त्री जातक से लाभ होगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ लग्नेश अष्टमेश मंगल तृतीय स्थान में होने से जातक महान् पराक्रमी होगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ यदि बुध हो तो बुध यहां स्वगृही होगा। बलवान, धनेश की तृतीयेश के साथ युति होने से ‘मित्रमूलधन योग’ बनेगा। फलतः मित्रों के द्वारा धन की प्राप्ति होगी। पराक्रम तेज रहेगा। भाई का धन मिलेगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ भाग्येश-व्ययेश गुरु होने से जातक को बड़े भाई का सुख रहेगा। जातक की जान-पहचान बड़े लोगों से होगी।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ राज्येश-लाभेश शनि जातक को षड्यंत्रकारी मित्रों से परिचय करेगा। मित्र नकारात्मक विचारों वाले होंगे।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु भाई-बहन व कुटुम्बीजनों से विद्रोह कराएगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु होने से स्त्री मित्र को लेकर बदनामी होगी।

तृतीय भाव में शुक्र का उपचार

  • राग-रंग, संगीत व गलत खाने-पीने का शौक बंद करें।
  • घर की पत्नी को महत्त्व देने पर गृहस्थी सुखी होगी।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • शुक्रवर के दिन तांत्रिक मंत्रों की साधना करें।
  • शुक्रवार को नमक और खटाई पूर्णत: वर्जित है।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश चतुर्थ स्थान में

यहां चतुर्थ स्थान में शुक्र केन्द्रवर्ती होगा। ऐसा जातक उच्च वाहन, जमीन-जायदाद का स्वामी होता है जातक बुजुर्गों की सम्पत्ति पाने वाला ‘कुल का दीपक’ सन्तान से सुखी होता है। ऐसा जातक स्त्रियों का प्रिय और एक समय में दो स्त्रियों से कामक्रीड़ा करने वाला काम कला मर्मज्ञ होता है।

ऐसे जातक के उत्तम सन्तति अधिक मात्रा में होती है। संतान पढ़ी-लिखी होती है। जातक की माता लम्बी आयु वाली होगी।

दशा – शुक्र की दशा में वाहन सुख मिलेगा। धन की प्राप्ति होगी। सुख में वृद्धि होगी। पत्नी पक्ष से लाभ होगा।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य व्यक्ति को उच्च शिक्षा दिलाएगा। जातक को माता-पिता दोनों का सुख मिलेगा।

2. शुक्र + चन्द्र – यदि शुक्र के साथ चन्द्रमा हो तो ‘यामिनीनाथ योग’ बनेगा। जातक की माता सुन्दर व समझदार होती है। जातक माता का विशेष भक्त होता है। माता की उम्र लम्बी होगी।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ यदि मंगल हो तो नीच का होगा। फिर भी कृषि भूमि व माता से लाभ होगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध होने जातक बुद्धि बल में तेज रहेगा। परन्तु षडयंत्र से सावधानी रखनी होगी।

5. शुक्र + गुरु – यदि शुक्र के साथ गुरु हो तो ‘हंसयोग’ बनेगा। जातक राजातुल्य ऐश्वर्य सम्पन्न होगा। उसे पैतृक सम्पत्ति एवं राज्य सरकार से सहयोग मिलेगा।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ राज्येश लाभेश शनि जातक को व्यापार में लाभ दिलाएगा। जातक के पास एक से अधिक वाहन होंगे।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु माता को बीमारी देगा। वाहन से दुर्घटना भी कराएगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु शरीरिक अस्वस्थ देगा। जातक को अचानक हृदयरोग होगा।

9. शुक्र, चन्द्र, गुरु, मंगल की युति जातक को (राजा) मिनिस्टर बनाएगी। जातक लालबत्ती की गाड़ी का स्वामी होगा।

चतुर्थ भाव में शुक्र का उपचार

  • विवाह समय पर गाय-बछड़े का दान करने पर किस्मत खुलेगी।
  • चांदी की गाय ब्राह्मण को भेंट करें।
  • पत्नी व बेटी को सुखी देखने के लिए जातक को अने घर की छत पर कचरा नहीं रखना चाहिए।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • शुक्र के तांत्रिक मंत्र की एक माला नित्य फेरे ।
  • अपना वाहन किसी को भी चलाने के लिए न दें।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश पंचम स्थान में

शुक्र यहां पांचवे भाव में होने से सिंह राशि का होगा। पंचम शुक्र शुभफलदाई है। जातक बुद्धिमान होगा। उच्च अधिकारी, सेनापति या नेता होगा। जातक की पत्नी उच्च घराने की होगी। जातक को जुआ, लाटरी, सट्टा एवं शेयरबाजार से धन मिल सकता है।

सप्तमेश यदि पंचम भाव में हो तो जातक छोटी उम्र में सुन्दर लड़की से विवाह करेगा। जातक को पत्नी धनवान एवं विनम्र होगी। कन्या सन्तति अधिक होगी। जातक प्रेम विवाह करेगा। स्त्री को प्रसन्न रखने पर परिवार में वृद्धि होगी।

दशा – शुक्र की दशा में अच्छा फल मिलेगा। संघर्ष से व्यक्ति निखरेगा। धन की प्राप्ति होगी। जीवनसाथी से लाभ होगा।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ यहां सूर्य स्वगृही होगा। ऐसे जातक को पुत्र व पुत्री दोनों सन्तति की प्राति होगी। विद्याध्ययन से किस्मत चमकेगी।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ यदि चन्द्रमा हो तो ‘यामिनी नाथ योग’ बनेगा। जातक को ननिहाल की सम्पत्ति मिलेगी। एक पुत्र दो कन्या का योग बनता है।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ यदि मंगल हो तो तीन पुत्र एवं दो कन्या होंगी।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ पराक्रमेश-षष्टेश बुध होने से जातक को कन्या सन्तति अधिक होगी। प्रयत्न (उपाय) करने पर पुत्र होगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ यदि गुरु हो तो भाग्य बराबर साथ देगा एवं पिता व राजदरबार से लाभ होगा।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि राज्येश लाभेश होने से जातक धनवान होगा। व्यापारी व उद्योगपति होगा। कन्या अधिक होगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु हो तो जातक सन्तानहीन होगा। ऐसे जातक को प्रेमविवाह में धोखा मिलेगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु गर्भस्राव, गर्भपात का संकेतक है। एकाध बार विद्या में बाधा आती है।

पंचम भाव में शुक्र का उपचार

  • गाय की सेवा करें।
  • प्रेम विवाह न करें अन्यथा पछताना पड़ेगा।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • शंखपुंखा की जड़ का ताबीज बनाकर पहनें।
  • शुक्र की वस्तुओं का दान करें।
  • शुक्रवार को नमक और खटाई पूर्णतः वर्जित है।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश षष्टम् स्थान में

षष्टम् स्थान में शुक्र कन्या राशि में नीच का होगा। धनेश होकर शुक्र छठे जाने से ‘धनहीन योग’ बनेगा। ऐसे जातक को आर्थिक क्षेत्र में उपलब्धि प्राप्त करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा।

ऐसा जातक कामक्रीड़ा में गन्दी व अमानवीय हरकतें करता है। इसे गुप्त व गुह्य बीमारियां सम्भव हैं। विवाह के बाद जातक को ज्यादा तकलीफों कष्टों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि सप्तमेश होकर शुक्र का छठे जाना ‘विवाहभंग योग’ विलम्बविवाह योग भी कराता है। जातक के विचार, जीवन साथी के साथ नहीं मिलेंगे।

‘भोज संहिता’ के अनुसार सप्तमेश यदि छठे हो तो जातक की पत्नी ननिहाल पक्ष से सम्बन्धित होगी। जातक की एक समय में दो पत्नी हो सकती हैं।

दशा – शुक्र की दशा मारकेश का काम करेगी। सावधानी अनिवार्य है। जीवनसाथी से बिछोह हो सकता है।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य ‘विद्याभंग योग’ एवं ‘सन्ततिहीन योग’ बनाता है। ऐसे जातक को आर्थिक संघर्ष के साथ-साथ गृहस्थ सुख में बाधा आती है।

2. शुक्र + चन्द्र – यदि यहां शुक्र के साथ चन्द्रमा हो तो जातक का अपनी माता के साथ झगड़ा रहेगा। ननिहाल या माता की सम्पत्ति को लेकर विवाद रहेगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल ‘लग्नभंग योग’ एवं विपरीत राजयोग बनाता है। जातक धनवान होगा पर वाहन दुर्घटना का भय रहेगा।

4. शुक्र + बुध – यदि यहां नीच के शुक्र के साथ ‘बुध’ हो तो नीचभंग राजयोग की सृष्टि होगी तथा शुक्र का नीचत्व समाप्त हो जायेगा। जातक को मित्रों से लाभ हो सकता है एवं आर्थिक स्थित विषम नहीं होगी। जातक की दो पत्नी हो सकती हैं।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ गुरु ‘भाग्यभंग योग’ एवं विपरीत राजयोग दोनों बनाएगा। ऐसे जातक को भाग्योदय हेतु परिश्रम करना पड़ेगा। जातक मध्यम आयु में जाकर धनवान होगा ।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि ‘राज्यभंग योग’ एवं ‘लाभभंग योग’ बनाता है। व्यापार में नुकसान होगा। सरकारी नौकरी में बाधा आएगी।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु यहां शुभ फलदायक है। जातक रोग व शत्रुओं का नाश करने में सक्षम होगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु भी अरिष्टनाशक है।

9. शुक्र छठे एवं बुध सातवें हो तो स्त्री स्थाई रूप से बीमार रहेगी।

षष्टम भाव में शुक्र का उपचार

  • घर की स्त्रियों को सम्मान दें।
  • स्त्रियों को नंगे पैर न चलने दें नहाते समय भी नंगा पैर जमीन पर न लगे।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • तेजगति के वाहन में सफर न करें।
  • शुक कवच का नित्य पाठ करें।
  • शुक शान्ति का प्रयोग करें।
  • चावल, शक्कर व शुक की वस्तुओं का दान करें।
  • असाध्य रोग की स्थिति में दूध-दही, शक्कर शहद व पंचामृत से ‘रुद्राभिषेक’ करावें।
  • शुक्रवार के दिन अग्निकोण की ओर यात्रा न करें।
  • छः दिन तक निरन्तर छः कन्याओं को खीर भोजन खिलाकर दक्षिणा दें।
  • छ: सफेद पत्थर दूध में धोकर, सफेद चंदन लगाकर छः शुक्रवार तक जल में प्रवाहित करें।
मेष लग्न में शुक्र का फलादेश

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश सप्तम स्थान में

सातवें स्थान पर शुक्र तुला का होकर स्वगृही होगा। फलत: मालव्य योग कुलदीपक योग की सृष्टि करेगा। ऐसा जातक दीर्घायु युक्त राजा तुल्य ऐश्वर्य वैभव को प्राप्त करने वाला होता है। जातक का भाग्योदय विवाह के बाद, गृहस्थ जीवन सुखमय होता है। भागीदारी में लाभ, व्यापार में लाभ अर्जित करता है।

ऐसा जातक अतिकामुक होता है । कामक्रीड़ा में स्त्रियों को विशेष रूप से संतुष्ट करने वाला, अन्य स्त्रियों से सम्पर्क रखने वाला, उत्तम वाहन का स्वामी एवं धनाढ्य होता है जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होगा।

शुक्र प्रधान कार्य में रुचि होगी। चित्रकारी, वीडियो फोटोग्राफी, पत्रकारिता, सौन्दर्य प्रसाधन कार्यों में रुचि, पर्यटन में रुचि, फिल्म क्षेत्र वस्त्र व्यवसाय द्वारा धन अर्जित करता है।

भोज संहिता के अनुसार जातक स्वयं सुन्दर होगा तथा पत्नी प्रतिष्ठित घराने की होगी।

दशा – शुक्र की दशा अच्छी जाएगी। विवाह होगा। जीवन साथी का सहयोग आगे बढ़ाएगा। धन की प्राप्ति होगी।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ यदि सूर्य हो तो सूर्य की नीचत्व भंग होकर, सूर्य शुभफल देने वाला होगा। जातक को उच्च शैक्षणिक डिग्री मिलेगी। उत्तम सन्तति होगी । पुत्र एवं कन्या दोनों का संयोग बनेगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ सुखेश चन्द्रमा ‘मातृमूल धनयोग’ बनाता है। जातक को माता से सम्पत्ति मिलेगी। वाहन का सुख प्राप्त होगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल होने से ‘शत्रुमूल धनयोग’ बनता है जातक को शत्रु से धन प्राप्त होगा। जातक के शत्रु नष्ट होंगे।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ ‘मातृमूल धनयोग’ बनाता है। जातक को भाइयों से मित्रों से धनलाभ होगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ गुरु ‘भाग्यमूल धनयोग’ बनाता है। जातक को भाग्य से धन मिलेगा।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि उच्च का हो तो जातक राजातुल्य ऐश्वर्य को भोगेगा। बहुत धनाढ्य होगा। बलवान धनेश की दशमेश के साथ युति होने से राज्यमूल धनयोग बना। जातक को राजदरबार (सरकार) से लाभ होगा एवं पैतृक सम्पत्ति भी मिलेगी।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु गृहस्थ सुख में बाधक है। गुप्त रोग, गुप्त सम्बंध से परेशानी होगी।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु गृहस्थ सुख में न्यूनता लाता है। जीवन में गुप्तांग का ऑपरेशन जरूर होगा।

9. यदि यहां शुक्र, शनि, गुरु, मंगल की युति हो तो जातक (राजा) मिनिस्टर होगा। वह लालबत्ती का गाड़ी की स्वामी होगा।

सप्तम भाव में शुक्र का उपचार

  • विवाह के समय गाय का दान करें।
  • बिल्ली की जेर को कम्बल के टुकड़े से लपेट कर पास रखे।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • शुक्र की वस्तुओं का दान करें।
  • यदि जीवन साथी पर कष्ट हो तो आठ किलो गाजर या जमीकन्द शुक्रवार के दिन धर्मस्थान में भेंट करें।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश अष्टम स्थान में

शुक्र अष्टम स्थान में वृश्चिक राशि का होगा। धनेश-सप्तमेंश होकर शुक्र अष्टम स्थान में वृश्चिक राशि का होगा। धनेश होकर शुक्र आठवें होने से ‘धनहीन योग’ बनेगा। धन के मामले में संघर्ष की स्थिति रहेगी।

जातक पत्नी का भक्त होगा। स्त्री की जबान का शब्द पत्थर की लकीर होगा। यहां शुक्र वाणी का अधिपति भी है। अतः जातक की वाणी से निकला अशुभ शब्द जल्दी पूरा होगा। शुक्र की दृष्टि वाणी स्थान पर होगी जो उसके स्वयं का घर है। वाणी विनम्र होगी।

‘भोजसंहिता’ के अनुसार जातक की मृत्यु विदेश या जन्मस्थान से बहुत दूर होगी। पत्नी की मृत्यु भी शीघ्र हो सकती है। सावधानी अनिवार्य है। पत्नी धनी परिवार से होगी। जातक की स्त्री यदि किसी को शाप दे दे तो वह अवश्य पूरा होगा।

दशा – शुक्र यहां मारकेश का काम करेगा। सावधानी अनिवार्य है। जीवन साथी से विछोह सम्भव है। धन की हानि भी हो सकती है।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ गंनमेश सूर्य होने से ‘सन्ततिहीन योग एवं विद्याभंग योग बता है। जातक के विद्याध्ययन में बाधा आएगी। प्रथम सन्तति विलम्ब से होगी।

2. शुक्र + चन्द्र – यदि शुक्र के साथ चन्द्रमा हो तो नीच का चन्द्र ‘सुखहीन योग’ की सृष्टि करेगा। जातक की मां बीमार रहेगी। उसमें रुपया खर्च होगा। नौकर चोरी करेगा। वाहन दुर्घटना का भय बना रहेगा।

3. शुक्र + मंगल – यदि शुक्र आठवें मंगल के साथ हो तो ‘धनहीन योग’ के साथ ‘लग्नभंग योग’ बनेगा और कुण्डली प्रबल मंगलिक होगी। ऐसे जातक को विलम्ब विवाह या कई बार अविवाह की स्थिति बनती है। मंगल का उपाय करने पर शीघ्र विवाह होगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ बुध ‘पराक्रमभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ दोनों बनाएगा। जातक धनवान होगा पर पीठ पीछे निन्दा होगी।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ गुरु ‘भाग्यभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ दोनों बनाएगा। ऐसे जातक का भाग्योदय संघर्ष के बाद होगा।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि ‘राज्यभंग योग’ एवं लाभभंग योग दोनों बनाएगा। जातक को व्यापार में लाभप्राप्ति में अचानक घाटा होगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु होने से जातक को ‘सेक्स रोग’ होगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु होने से जातक स्त्री-मित्रों से परेशान रहेगा।

अष्टम भाव में शुक्र का उपचार

  • पत्नी को बिना वजह तंग न करें।
  • शुक्र की वस्तुओं का दान न लें।
  • शुक्रवार के दिन गन्दे नाले में तांबे का पैसा या पुष्प गिरावें ।
  • बछड़े वाली गाय का दान करें।
  • शुक्रवार का व्रत, कथा, आरती करें। तेजगति के वाहन में सफर न करें।
  • ‘शुक कवच’ का नित्य पाठ करें।
  • शुक्र शान्ति का प्रयोग करें।
  • शुक्र की वस्तुओं का दान करें।
  • यदि मृत्यु तुल्य कष्ट हो तो शक्कर, दही दूध, शहद व पंचामृत से रुद्राभिषेक करावें ।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश नवम स्थान में

शुक्र यहां नवम स्थान में धनु राशि का होगा। ऐसे जातक का जन्म दादा-पिता, परिवार के लिए शुभ रहेगा। जातक उच्च पदाधिकारी होगा। धार्मिक विचारों वाला, तीर्थयात्रा करने वाला होगा। जातक को पत्नी व पुत्र दोनों का सुख भरपूर होगा। पिता की दीर्घायु होगी। जातक द्वारा किए गए मंत्र अनुष्ठान शीघ्र सफल सिद्ध होंगे।

भोज संहिता के अनुसार यदि सप्तमेश भाग्यस्थान में हो तो जातक के पिता एव श्वसुर दोनों धनवान होंगे। दोनों परदेश में कमाएंगे, जिसका लाभ जातक को भी मिलेगा। जातका को पिता की सम्पत्ति मिलेगी।

शुक्र की दृष्टि पराक्रम स्थान पर रहने से बहनों से लाभ अधिक होगा।

दशा – शुक्र की दशा उत्तम फल देगी। कार्य में सफलता के साथ भाग्य का उदय होगा। धन की प्राप्ति सम्भव है। व्यापार-व्यवसाय में सफलता मिलेगी।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ पंचमेश सूर्य होने से जातक का भाग्योदय विद्याध्ययन से होगा। जातक पूर्ण सुखी व राजपक्ष में प्रभाव सम्पंन व्यक्ति होगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ सुखेश चन्द्रमा होने से जातक को माता-पिता की सम्पत्ति, मिलेगी।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल होने से जातक को परिश्रम का लाभ मिलेगा। जातक बड़ी भू-सम्पत्ति का स्वामी होगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ पराक्रमेश बुध होने से जातक महान पराक्रमी होगा एवं बुद्धिवल से आगे बढ़ेगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ यदि गुरु हो गुरु स्वगृही कहलाएगा और शुक्र के फल में अकल्पनीय वृद्धि करेगा। जातक को पुत्र सन्तति अधिक होगी। जातक का सम्पर्क धार्मिक पुरुषों, साधु-सन्तों एवं परोपकार की सेवा में लगे सज्जनों से अधिक रहेगा। जातक पिता धनवान एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ राज्येश-लाभेश शनि होने से जातक बड़ा व्यापारी होगी। भौतिक सुख-सुविधा से सम्पन्न व्यक्ति होगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु जातक के भाग्योदय में बाधक है। भाग्योदय विलम्ब से होगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु जातक के भाग्योदय में संघर्ष का द्योतक है।

9. यदि यहां गुरु, शुक्र, चन्द्र, मंगल की युति हो तो जातक (राजा) मिनिस्टर होगा। जातक लाल बत्ती की गाड़ी का हकदार होगा।

नवम भाव में शुक्र का उपचार

  • स्त्री को चन्द्र चूड़ी (चादी का चूड़ो उपर लाल रंग) पहनना।
  • मकान की नींव में चांदी शहद रखना।
  • चांदी के नौ चौरस टुकड़े नीम के वृक्ष में शुक्रवार के दिन छेद करके दबाये।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र, श्रीयंत्र सुनहरे फ्रेम में जड़वाकर नित्य पूजा-अर्चना करें तो शीघ्र भाग्योदय होगा।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश दशम स्थान में

मेष लग्न में शुक्र द्वितीयेश व सप्तमेश दो मारक स्थानों का स्वामी होने से परमपापी व अशुभ है। दशम स्थान में शुक्र मकर राशि का होगा। यहां केन्द्रवर्ती शुक्र का शुभफल कहा गया है।

ऐसा जातक बुरे कामों से दूर रहने वाला, जमीन-जायदाद का स्वामी, विद्यावान, कीर्तिवान इंसाफ को तौलने वाला, रथ वाहन से युक्त सुखी व्यक्ति होता है। जातक ट्रांसपोर्ट, फोटोग्राफी, संगीत, शृंगार व अभिनय में रुचि रखता है।

‘भोज संहिता’ के अनुसार सप्तमेश यदि दशम भाव में हो तो जातक विदेश में कमाता है। ऐसा जातक डॉक्टर, रंग रसायन, सौन्दर्य प्रसाधन जैसे कार्यों में रुचि लेगा। माता का सुख अच्छा रहेगा।

दशा – शुक्र की दशा राज्यलाभ देगी। शुभ जाएगी धन की प्राप्ति सम्भव है। पत्नी पक्ष, ससुराल से लाभ सम्भव है।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ सूर्य जातक को उत्तम विद्या एवं उत्तम सन्तति का लाभ दिलाएगा।

2 शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ सुखेश चन्द्रमा जातक को माता का सुख एवं भौतिक सम्पन्नता एवं सुख देगा।

3. शुक्र + मंगल – यदि यहां मंगल हो तो रुचक योग के कारण जातक निश्चय ही राजा, सांसद एवं मंत्री होता हैं।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ पराक्रमेण शुभ जातक को पराक्रमी बनाएगा। ऐसे जातक को स्त्री-मित्रों से लाभ होगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ गुरु जातक को भाग्यशाली बनाएगा। गुरु यहां नीच का होगा। ऐसा जातक विद्या प्रेमी होगा। बिना मांगे सलाह देगा।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि यहां ‘शश योग’ बनाएगा। ऐसा जातक राजा के समान पराक्रमी एवं वैभव सम्पन्न होगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु राज्यसुख में बाधक है। सरकारी अधिकारियों के द्वारा धोखा होगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु भी प्रतिकूलता सम्पन्न है । राजदण्ड का भय रहेंगा।

9. यदि यहां गुरु, बुध, चन्द्र हो तो जातक के अनेक वाहन होते है। माता का सुख उत्तम होगा।

10. यदि यहां गुरु, मंगल, शुक्र, शनि की युति हो तो जातक (राजा) मिनिस्टर होगा। वह लालबत्ती की गाड़ी का हकदार होगा।

दसवें भाव में शुक्र का उपचार

  • कपिला गाय या चांदी की गाय ब्राह्मण को भेंट करें।
  • शराब, मांस-मछली से परहेज रखें।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • शुक्रवार के दिन सवा किलो चावल व शक्कर दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दें।

मेषलग्न में शुक्र का फलादेश एकादश स्थान में

एकादश स्थान में शुक्र कुम्भ राशि का होगा। ऐसा जातक विद्वान होती है। बहुत धन सम्पत्ति वाला होता है। स्थाई सम्पत्ति जमीन-जायदाद होता है। जातक सुन्दर स्त्री व सन्तान का स्वामी होगा। शुक्र यहां उच्चाभिलाषी होने से जातक अति महत्वाकांक्षी होगा।

‘भोजसंहिता’ के अनुसार सप्तमेश यदि लाभ स्थान में हो तो जातक की अनेक पत्नियां होती हैं। यदि यहां शनि धनस्थान में हो तो ऐसे जातक की पत्नियां जातक को कमाकर भी देती हैं।

जातक ज्योतिष तंत्र एवं रहस्यमय गुप्त विद्याओं का जानकार होगा। जातक की कन्या सन्तति अधिक होगी।

दशा – शुक्र की दशा अच्छी जाएगी। विवाह के बाद उन्नति होगी। शुक्र की दशा में व्यापार-व्यवसाय में बढ़ोतरी होगी।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ पंचमेश सूर्य जातक को पुत्र सन्तान का सुख अवश्य मिलेगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ सुखेश चन्द्रमा जातक को माता का सुख एवं उत्तम वाहन का सुख अवश्य देगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ लग्नेश मंगल जातक को परिश्रम का लाभ देगा। जातक उद्योगपति होगा।

4. शुक्र + बुध – शुक्र के साथ पराक्रमेश बुध जातक को महान् पराक्रमी बनाएगी। उच्च शिक्षा Degree दिलाएगा।

5. शुक्र + गुरु – शुक्र के साथ यदि गुरु हो तो जातक अनेक वाहनों का स्वामी होकर भाग्यशाली होगा।

6. शुक्र + शनि – यदि शुक्र के साथ शनि हो तो जातक उद्योगपति होगा। पर खुद के भाई-बहनों से कम बनेगी।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु व्यापार एवं विद्या में बाधक है।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु व्यापार में वृद्धि के साथ-साथ रुकावटें लाएगा।

9. यदि यहां शुक्र, शनि, सूर्य, गुरु हो तो जातक राजातुल्य ऐश्वर्य को भांगेगा। जातक के पास सुन्दर कुबेर तुल्य सम्पत्ति होगी।

एकादश भाव में शुक्र का उपचार

  • सरसों का तैल दान करने से लाभ होगा।
  • चांदी का गिलास में दूध पीये दूध की वस्तुओं का अधिक सेवन करें।
  • शुक्रवार को व्रत, कथा, आरती करें।
  • कनकधारा + श्रीयंत्र कुबेर यंत्र को सुनहरी फेम में जड़वाकर नित्य पूजा अर्चना करें तो व्यापार में लाभ होगा।
  • किसी की जमानत न दें, वरना डूब जाएगी।

मेष लग्न में शुक्र का फलादेश द्वादश स्थान में

द्वादश स्थान में शुक्र ‘मीन राशि’ में होगा। यहॉ शुक्र उच्च का होगा। द्वादश शुक्र एक प्रकार से राजयोग कहा गया है। जातक धनवान सम्पन्न, सुखी एवं खर्चीले स्वभाव का होता है। जातक की स्त्री सतवन्ती, सुखवन्ती होती है जातक संगीत प्रेमी यात्रा प्रेमी व अभिनय का प्रेमी होता है।

द्वादश स्थान में शुक्र ‘द्वादश शुक्रयोग’ बनाता है। ऐसे जातक की स्त्री धन-ऐश्वर्य प्रदान करने वाली होती है। जातक दीर्घायु प्राप्त करता है। जातक को शयन सुख श्रेष्ठ मिलता है। जातक परदेश में अधिक कमाएगा। जातक के कई स्त्रियों से संबंध रहेंगे।

दशा – शुक्र की दशा शुभफल देगी। शुक्र की दशा में जातक का अनेक स्त्रियों से सम्बन्ध होगा ।

शुक्र का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. शुक्र + सूर्य – शुक्र के साथ चन्द्रमा ‘सुखहीन योग’ बनाता है जातक को माता का सुख कमजोर मिलेगा। जातक को सामाजिक बंधन का परहेज नहीं रहेगा। अपने से बड़ी उम्र की स्त्रियों से गुप्त संबंध बनाएगा।

2. शुक्र + चन्द्र – शुक्र के साथ चन्द्रमा ‘सुखहीन योग’ बनाता है। जातक को माता का सुख कमजोर मिलेगा। जातक को सामाजिक बंधन का परहेज नहीं रहेगा। अपने से बड़ी उम्र की स्त्रियों से गुप्त संबंध बनाएगा।

3. शुक्र + मंगल – शुक्र के साथ मंगल ‘लग्नभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ दोनों बनाएगा। जातक को बहुत परिश्रम करना पड़ेगा पर अन्तिम सफलता मिलेगी। जातक धनवान होगा। जातक को अपमान का भय बना रहेगा।

4. शुक्र + बुध – यदि यहां शुक्र के साथ बुध हो तो ‘नीचभंग राजयोग’ बनेगा। बुध का नीचत्व भंग हो जायेगा। जातक महान पराक्रमी होगा। वाचाल होगा एवं राजनीति में उसका वर्चस्व होगा।

5. शुक्र + गुरु – यदि यहां गुरु हो तो ‘किम्बहुना योग’ बनेगा। जातक भाग्यशाली होगा। एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के कार्य से एवं विदेशों से धन कमाएगा। बड़ी-बड़ी तीर्थ यात्राएं करेगा। धार्मिक कार्य एवं परोपकार के कार्य में रुपया खर्च होगा।

6. शुक्र + शनि – शुक्र के साथ शनि ‘राज्यभंग योग’ एवं ‘लाभभंग योग’ बनाएगा। जातक को व्यापार व्यवसाय में अचानक घाटा होगा। जातक को अपमान का भय बना रहेगा।

7. शुक्र + राहु – शुक्र के साथ राहु जातक को बाहरी यात्रा कराएगा। विदेश में जातक खूब धन कमाएगा। विदेशी स्त्री से लाभ होगा।

8. शुक्र + केतु – शुक्र के साथ केतु विदेश यात्रा से तीर्थ यात्रा से लाभ दिलाएगा। यात्रा से धन व यश मिलेगा।

9. यदि यहां शुक्र, गुरु, चन्द्र, बुध की युति हो तो जातक राजातुल्य ऐश्वर्य वैभव को भोगेगा एवं महान पराक्रमी परोपकारी व दयालु होगा।

द्वादश भाव में शुक्र का उपचार

  • मंदिर में गाय के घी का दीया जलावें।
  • पत्नी के हाथों शुक सम्बंधी वस्तु का दान करावें ।
  • जातक की पत्नी शुक्रवार के दिन नीले रंग का पुष्प जंगल की जमीन में गाड़े।
  • चांदी की गाय बछड़े वाली ब्राह्मण को दान दें।
  • शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
  • शुक्र शान्ति का प्रयोग करें।
  • ‘शुक कवच’ का नित्य पाठ करें।
  • शुक्र की वस्तुओं का दान करें।
  • शुक्रवार के दिन ‘अग्निकोण’ की ओर सामान करें।
  • जीवन साथी बीमार हो तो उसके वजन के बराबर लाल ज्वार धर्म स्थान में भेंट करें।
  • काली गाय की सेवा करें।
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