तुला लग्न में राहु का फलादेश

लग्नेश शुक्र राहु का मित्र ग्रह है।

तुला लग्न में राहु का फलादेश प्रथम स्थान

ऐसा जातक विषयासक्त, असंयमी, व्यसनी, दुराचारी लम्पट और स्वेच्छाचारी होता है। इनका पारिवारिक जीवन, गृहस्थ जीवन असंतोष जनक होता है। जातक को शिक्षा नौकरी व व्यवसाय में रुकावटों का सामना करना पड़ेगा।

निशानी – जातक का जन्म ननिहाल या अस्पताल में होता है।

दशा – यदि कालसर्प योग न हो तो राहु की दशा-अन्तर्दशा शुभ फल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – कार्य में रुकावट, नौकरी में रुकावट होगी।

2. राहु + सूर्य – सरकारी पक्ष में रुकावट ।

3. राहु + मंगल – भाईयों में विवाद ।

4. राहु + बुध – भाग्य में रुकावट ।

5. राहु + बृहस्पति – मित्रों से मनमुटाव ।

6. राहु + शुक्र – परिश्रम का लाभ नहीं।

7. राहु + शनि – शिक्षा में रुकावट सम्भव ।

तुला लग्न में राहु का फलादेश द्वितीय स्थान में

यहां द्वितीय स्थान में राहु वृश्चिक राशि का होगा। वृश्चिक राशि में राहु नीच का होता है। यहां राहु की उपस्थिति धन के घड़े में छेद के समान है। जातक में वाणी दोष, गुप्तरोग, कुटुम्ब में असंतोष, प्रारम्भिक विद्या में रुकावट होगी।

दशा – राहु की दशा धन प्राप्ति में बाधक

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – नेत्र विकार सम्भव है।

2. राहु + सूर्य – राजदण्ड से धननाश होगा। नेत्र विकार सम्भव है।

3. राहु + मंगल – धन आएगा पर खर्च होता चला जाएगा।

4. राहु + बुध – भाग्य में रुकावटें ।

5. राहु + बृहस्पति – धन के कारण भाईयों में विवाद सम्भव ।

6. राहु + शुक्र – परिश्रम के धन में विवाद सम्भव ।

7. राहु + शनि – विद्या में व्यवधान ।

तुला लग्न में राहु का फलादेश तृतीय स्थान में

यहां तृतीय स्थान में राहु धनु राशि का होगा। धनु राशि राहु की शत्रु राशि है। ऐसे जातक को धन व कीर्ति अर्जित करने में बाधा होगी। परिजनों में, भाईयों में भागीदारों में अविश्वास की स्थिति रहेगी।

दशा – राहु की दशा से पराक्रम में रुकावट होगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – भाई-बहनों में विवाद ।

2. राहु + सूर्य – सरकारी कर्मचारियों में विवाद ।

3. राहु + मंगल – एकाध भाई की अकाल मृत्यु ।

4. राहु + बुध – शिक्षा में रुकावट।

5. राहु + बृहस्पति – बड़ों के प्रति अनादर की भावना ।

6. राहु + शुक्र – परिश्रम में रुकावट ।

7. राहु + शनि – शिक्षा व संतति में रुकावट ।

तुला लग्न में राहु का फलादेश चतुर्थ स्थान में

यहां चतुर्थ स्थान में राहु मकर राशि का होगा। मकर राशि राहु की सम राशि है। ऐसे जातक जमीन-जायदाद, आर्थिक मामलों, वैभव, ऐश्वर्य एवं प्रतिष्ठा के मामले में खुश किस्मत नहीं होते। जीवन में प्रगति एवं सामान्य सुख से वंचित रहते हैं। अच्छा घर अच्छा वाहन एवं अच्छे नौकर के मामले में भाग्यशाली नहीं होते।

दशा – राहु की दशा में सुख प्राप्ति में बाधा आएगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + मंगल – भाईयों को कष्ट, धन हानि।

2. राहु + बुध – उच्च शिक्षा में व्यवधान।

3. राहु + चंद्र – माता को कष्ट।

4. राहु + सूर्य – पिता को कष्ट ।

5. राहु + बृहस्पति – गुरु से द्वेष, बड़ों का अनादर ।

6. राहु + शुक्र – वाहन दुर्घटना योग ।

7. राहु ‌+ शनि – वाहन से चोट पहुंचेगी।

तुला लग्न में राहु का फलादेश पंचम स्थान में

यहां पंचम स्थान में राहु कुंभ राशि का होगा। कुंभ राशि राहु की स्वराशि है। ऐसे जातक की विद्या में बाधा आती है। बुद्धि एवं प्रतियोगी परीक्षा, लॉटरी सट्टे व शेयर में भाग्य साथ नहीं देता। संतान की प्राप्ति में बाधक है।

दशा – राहु की दशा चिन्ताकारक, विद्या संतान में रुकावट वाली सिद्ध होगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – कन्या की अकाल मृत्यु।

2. राहु + सूर्य – पुत्र संतति का नाश।

3. राहु + मंगल – पुत्र व भाई का नाश ।

4. राहु + बुध – पुत्री का नाश ।

5. राहु + बृहस्पति – गुरु व ज्ञान का शोषण।

6. राहु + शुक्र – गुप्त बीमारी।

7. राहु + शनि – शिक्षा में बाधा। सुख में बाधा।

तुला लग्न में राहु का फलादेश षष्टम स्थान में

यहां छठे स्थान में राहु मीन राशि का होगा। मीन राशि राहु की प्रिय राशि नहीं है। शास्त्रकारों ने छठे स्थान में राहु की स्थिति को राजयोग कारक माना है। ऐसे जातक का जीवन उन्नतिशील, प्रतिष्ठा जनक, आर्थिक एवं भौतिक सुख-सुविधाओं से सम्पन्न होता है। जातक अपने शत्रुओं का नाश करने में सक्षम व समर्थ होता है।

दशा – यदि कुण्डली में कालसर्प योग न हो तो राहु की दशा शुभफल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – राज्य सम्मान में बाधा।

2. राहु + सूर्य – सरकारी कार्य में रोड़ा।

3. राहु + मंगल – भाईयों द्वारा धन नाश।

4. राहु + बुध – बहनों का सुख नहीं।

5. राहु + बृहस्पति – गुरुजनों का सम्मान ।

6. राहु + शुक्र – परिश्रम के फल में बाधा।

7. राहु + शनि – शिक्षा व सुख में बाधा ।

तुला लग्न में राहु का फलादेश

तुला लग्न में राहु का फलादेश सप्तम स्थान में

यहां सप्तम स्थान में राहु मेष राशि का होगा। मेष राशि राहु की सम राशि है। ऐसे जातक को धन, पद, प्रतिष्ठा, नौकरी एवं व्यापार में भरपूर सफलता मिलती है। ऐसे जातक राजनीतिज्ञ व कूटनीतिज्ञ होते हैं।

गृहस्थ सुख, पत्नी सुख में राहु की यह स्थिति बाधक होती है। जीवन साथी से मनमुटाव, खटपट, तनाव या विद्रोह की स्थिति बनती है।

निशानी – जातक स्वेच्छाचारी एवं व्याभिचारी होता है।

दशा – राहु की दशा-अन्तर्दशा शुभ फल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – पत्नी सुंदर पर गृहस्थ सुख में विवाद रहेगा।

2. राहु + सूर्य – राज्यपक्ष में लाभ पर नौकरी में विवाद रहेगा।

3. राहु + मंगल – भाईयों से लाभ पर व्यक्तिगत विवाद रहेगा।

4. राहु + बुध – बुद्धि में लाभ पर बुद्धि कुण्ठित होगी।

5. राहु + बृहस्पति – भाईयों से लाभ, ज्ञान से लाभ, पर कुतर्क अधिक।

6. राहु + शुक्र – परिश्रम का पूरा लाभ पर खुद के निर्णय कई बार गलत होंगे।

7. राहु + शनि – सुख प्राप्ति पर उपकरण (रास्ता) गलत। विदेशी पढ़ाई व स्त्री में रुचि, अर्न्तजातीय विवाह ।

तुला लग्न में राहु का फलादेश अष्टम स्थान में

यहां अष्टम स्थान में राहु वृष राशि का होगा। वृष राशि में राहु उच्च का कहलता है। यहां राहु की स्थिति दीर्घायु व उत्तम स्वास्थ्य के लिये घातक है। राहु गुप्त रोग देता है। अचानक दुर्घटना की स्थिति बनती

है। जातक के पैरों में कष्ट हो सकता है। यदि लापरवाही रही तो लाइलाज बीमारी होगी।

दशा – राहु की दशा-अन्तर्दशा कष्ट पूर्ण होगी। यदि कुण्डली में कालसर्पयोग है तो आयु के लिए घातक दशा होगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – दुर्घटना भय, जलभय रहेगा।

2. राहु + सूर्य – दुर्घटना भय, अग्निभय रहेगा।

3. राहु + मंगल – दुर्घटना भय, रक्तचाप रहेगा।

4. राहु + बुध – भाग्योदय में भयंकर बाधा होगी।

5. राहु + बृहस्पति – पिता, श्वसुर, बड़े भाई की चिंता होगी।

6. राहु + शुक्र – परिश्रम के लाभ में रुकावट।

7. राहु + शनि – शिक्षा व संतति में बाधा, पुत्र की दुर्घटना सम्भव है।

तुला लग्न में राहु का फलादेश नवम स्थान में

यहां नवम स्थान में राहु मिथुन राशि का होगा। मिथुन राशि में राहु स्वगृही राशि कहा गया है। ऐसा जातक राजा के समान ऐश्वर्यशाली व पराक्रमी होता है। राहु राक्षसों का सेनापति है अतः ऐसा जातक साहस, वीरता में अजेय होता है जातक बुद्धिमान, राजनीतिज्ञ व कूटनीतिज्ञ होता है।

दशा – राहु की दशा-अन्तर्दशा में जातक का भाग्योदय होगा उसे वैभव, पद-प्रतिष्ठा व धन की प्राप्ति होगी। यदि कुण्डली में कालसर्प योग न हो तो दशा शुभफल ही देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – भाग्योदय के निर्णय में विवाद रहेगा।

2. राहु + सूर्य – व्यापार के निर्णय में विवाद होगा।

3. राहु + मंगल – भाईयों के निर्णय में विवाद रहेगा एवं सगाई के निर्णय में विवाद रहेगा।

4. राहु + बुध – विद्या सम्बन्धी निर्णय में विवाद रहेगा।

5. राहु + बृहस्पति – गुरुजनों के निर्णय में विवाद रहेगा।

6. राहु + शुक्र – स्वयं के निर्णय विवादास्पद होंगे।

7. राहु + शनि – संतति के निर्णय में विवाद रहेगा।

तुला लग्न में राहु का फलादेश दशम स्थान में

यहां दशम स्थान में राहु कर्क राशि का होगा। कर्क राशि राहु की शत्रु राशि है। राहु को केन्द्रगत यह को स्थिति जातक को पराक्रमी प्रभावशाली व्यक्तित्व प्रदान करती है। जातक हठी, अति अभिमानी एवं समाजसेवी होता है परन्तु नौकरी, व्यवसाय, व्यापार एवं राजकार्य में बाधा महसूस होगी।

दशा – राहु की दशा-अन्तर्दशा में मिले-जुले फल मिलेंगे। यदि कुण्डली में कालसर्प योग है तो नौकरी एवं सुख-संसाधनों की प्राप्ति में विशेष संघर्ष की दशा होगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – राज्य व नौकरी पक्ष ठीक पर बाधाएं निरन्तर रहेंगी।

2. राहु + सूर्य – सरकारी क्षेत्र में कष्ट पहुंचेगा।

3. राहु + मंगल – पत्नी व भाईयों में विवाद रहेगा।

4. राहु + बुध – भाग्य में बाधा बनी रहेगी।

5. राहु + बृहस्पति – ‘हंसयोग’ के कारण जातक राजातुल्य पराक्रमी होगा परंतु परिजनों में विवाद रहेगा।

6. राहु + शुक्र – जातक उन्नति पथ पर ठोकर खाकर आगे बढ़ेगा।

7. राहु + शनि – सुख प्राप्ति एवं शिक्षा में बाधा। संतति आज्ञा में नहीं रहेगी।

तुला लग्न में राहु का फलादेश एकादश स्थान में

यहां एकादश स्थान में राहु सिंह राशि का होगा। सिंह राशि राहु के परम शत्रु सूर्य की राशि है। शास्त्रकारों ने एकादश स्थान में स्थित राहु को राजयोग कारक माना है। जातक महान् पराक्रमी एवं शत्रुओं पर विजय पाने वाला होता है जातक परिश्रम एवं बौद्धिक चातुर्य के माध्यम से जीवन के कंटकाकीर्ण मार्गों में सफलता प्राप्त करता है।

दशा – राहु की दशा-अन्तर्दशा में शुभफलों की प्राप्ति होगी। यदि कुण्डली में कालसर्प योग है तो दशा अशुभ फल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – जातक लोकप्रिय व्यापारी होगा।

2. राहु + सूर्य – जातक राज्य सरकार से फायदा उठाएगा।

3. राहु + मंगल – जातक को पत्नी के नाम के व्यापार से लाभ मिलेगा।

4. राहु + बुध – जातक उद्योगपति होगा पर स्थिति संघर्षशील रहेगी।

5. राहु + बृहस्पति – जातक के परिजनों में विवाद रहेगा।

6. राहु + शुक्र – उन्नति में बाधा पर अन्त में लाभ होगा।

7. राहु + शनि – सुख व संतति में बाधा पर अन्त में लाभ होगा।

तुला लग्न में राहु का फलादेश द्वादश स्थान में

यहां द्वादश स्थान में राहु कन्या राशि का होगा। कन्या राशि में राहु स्वगृही माना गया है। ऐसा जातक विदेशों में कमाता है। Export-Import का काम इनके अनुकूल रहता है। जातक की आर्थिक, सामाजिक व व्यवसायिक स्थिति अच्छी होती है। ऐसा जातक कभी भी निराश व हताश नहीं होता। जातक का आत्मबल एवं बुद्धिबल बढ़ा-चढ़ा होता है।

दशा – राहु की दशा-अन्तर्दशा शुभ फल देगी। यदि कुण्डली में कालसर्प योग है तो यह दशा अशुभ फल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + चंद्र – नेत्र विकार, पीड़ा।

2. राहु + सूर्य – नेत्र विकार, पीड़ा. सरकारी नुकसान।

3. राहु + मंगल – धन का अपव्यय अधिक पत्नी से झगड़ा ।

4. राहु + बुध – भाग्योदय होगा पर संघर्ष का साथ, यात्रा ट्रेवल्स ऐजेन्सी से लाभ होगा ।

5. राहु + बृहस्पति – भाईयों से मनमुटाव या सुख नहीं मिलेगा।

6. राहु + शुक्र – परिश्रम का लाभ कठिनता से मिलेगा।

7. राहु + शनि – शिक्षा व संतति में विलम्ब होगा।

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