मीन लग्न में राहु का फलादेश

मीनलग्न वालों के लिए राहु शुभ नहीं हैं। क्योंकि मीन राशि में राहु नीच का माना गया है। यह लग्नेश गुरु का शत्रु है। अतः राहु मीन में शत्रुवत् अशुभ फल देगा।

मीन लग्न में राहु का फलादेश प्रथम स्थान में

जातक शत्रु पर विजय प्राप्त करेगा। जातक के शारीरिक सौन्दर्य व स्वास्थ्य में कमी रहेगी। जातक उम्र में अधिक वय का दिखेग।

दृष्टि – लग्नस्थ राहु की दृष्टि सप्तम भाव (कन्या राशि) पर होगी। पत्नी एवं बालक बीमार रहेंगे। संसार से विरक्ती रहेगी।

निशानी – विवाह प्राय: बड़ी उम्र की स्त्री से होता है। कठोर परिश्रम करने पर भी जातक को ऋण, रोग व शत्रु परेशान करते रहेंगे।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में अशुभ फलों की प्राप्ति होगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य जातक को गुप्त शत्रुओं द्वारा मानसिक चिन्ता दिलायेगा ।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ चंद्रमा परिश्रम का लाभ दिलायेगा। जातक ख्याली पुलाव ज्यादा पकायेगा।

3. राहु + मंगल – जातक के दाम्पत्य जीवन में कटुता आयेगी ।

4. राहु + बुध – राहु के साथ नीच का बुध जातक की सोच को विध्वंसक विस्फोटक बनायेगा।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह मीन राशि में होंगे। लग्नस्थ गुरु स्वगृही होने के कारण ‘हंस योग’ बनायेगा पर राहु यहां नीच का होकर गुरु के साथ युति करने से ‘चाण्डाल योग’ बना। ऐसा जातक अपने धन व शक्ति का दुरुपयोग निन्दनीय कार्यों के लिए करेगा। जातक दूसरों को मूर्ख अपने महाबुद्धिमान् समझेगा।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ उच्च का शुक्र जातक को राजातुल्य पराक्रमी एवं वैभवशाली बनायेगा |

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि जातक को नकारात्मक चिन्तन देगा।

मीन लग्न में राहु का फलादेश द्वितीय स्थान में

यहां द्वितीय स्थान में राहु मेष (शत्रु) राशि में होगा। ऐसा जातक द्विअर्थी भाषा बोलेगा। जातक को मुख रोग की संभावना रहेगी। धन के धड़े में छेद होने से पैसा पास में रुकेगा नहीं।

दृष्टि – यहां द्वितीयस्थ राहु की दृष्टि अष्टम भाव (तुला राशि) पर होगी। जातक के गुप्त शत्रु जातक को कष्ट देंगे। जातक रोगी होगा।

निशानी – जातक का स्वभाव उतावला होगा। भाषा कटु एवं लडाकू (झगड़ालू) होगी।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में आर्थिक तकलीफ देखनी पड़ेगी। लोगों से अकारण झगड़ा होगा। जातक परेशान रहेगा।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य, धन की वजह से किसी काम को रुकने नहीं देगा। फिर भी अर्थाभाव बना रहेगा।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ चंद्रमा धन संग्रह करायेगा पर 80% धन फालतू कार्यों में खर्च होगा।

3. राहु + मंगल – राहु के साथ धनेश मंगल स्वगृही होने से जातक महाधनी होगा। जातक मुक्तहस्त से धन खर्च करेगा।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध होने से जातक बुद्धिबल से रुपया कमायेगा। राहु गुरु यहां दोनों ग्रह मेष राशि में होंगे। द्वितीयस्थ गुरु मित्र राशि में, तो राहु शत्रु राशि में होने से यहां ‘चाण्डाल योग बना। जातक जितना भी धन कमायेगा। उसकी बरकत नहीं होगी। परिश्रम का उचित फल नहीं मिलेगा।

5. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र धन संग्रह में बाधक है। जातक अपने यार-दोस्तों पर रुपया लुटायेगा।

6. राहु + शनि – राहु के साथ शनि धनसंग्रह में बाधक है। जातक कर्जदार होगा।

मीन लग्न में राहु का फलादेश तृतीय स्थान में

यहां तृतीय स्थान में राहु वृष राशि में उच्च का होगा। जातक धनवान एवं पराक्रमी होगा। जातक साहसी होगा एवं प्रबल पुरुषार्थ व हिम्मत से आगे बढ़ेगा। मित्र मददगार साबित होंगे।

दृष्टि – तृतीयस्थ राहु की दृष्टि नवम स्थान (वृश्चिक राशि) पर होगी। जातक भाग्यशाली होगा।

निशानी – विषम परिस्थितियों में भी जातक आगे बढ़ेगा। जीवन का स्तर उच्च होगा।

दशा – राहु की दशा-अंतर्दशा में शुभ फल मिलेगे। जातक का पराक्रम बढ़ेगा। मित्र भाग्योदय में मददगार साबित होंगे।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य भाइयों में विवाद-विद्वेष उत्पन्न करेगा।

2. राहु + चंद्रमा –  राहु के साथ उच्च का चंद्रमा होने से जातक का पराक्रम तेज होगा ।

3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल होने से जातक के पास बैंक बैलेंस होगा एवं भाइयों में भी संबंध बना रहेगा।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध जातक को भाई-बहन दोनों का सुख देगा।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह वृष राशि में होंगे। तृतीयस्थ गुरु शत्रु राशि में, तो राहु यहां अपनी उच्च राशि में होने से ‘चाण्डाल योग बना राहु यहां राजयोग देगा । जातक महान पराक्रमी होगा परन्तु भाई व कुटम्बियों में विद्वेष होगा।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र भाइयों में विवाद करायेगा ।

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि भाई कुटम्बियों मे मनमुटाव पैदा करेगा।

मीन लग्न में राहु का फलादेश चतुर्थ स्थान में

यहां चतुर्थ स्थान में राहु मिथुन राशि में होग। मिथुन में राहु उच्च का माना गया है। ऐसा जातक धनवान होगा पर सुखी नहीं होगा। जीवन में भौतिक उपलब्धियां मिलती रहेगी। पर परेशानियां भी बढ़ती रहेगी। पिता से विचार नहीं मिलेंगे। परन्तु भूमि-भवन एवं वाहन का सुख मिलेगा।

दृष्टि – चतुर्थस्थ राहु की दृष्टि दशम स्थान (धनु राशि) पर होगा। फलत: जातक का राज सरकार, राजनीति में विशिष्ट प्रभाव होगा।

निशानी – जातक के दो माता या दो पत्नी संभव है।

दशा – राहु की दशा-अंतर्दशा मिश्रित फल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य होने से जातक को माता-पिता का सुख एकदम न्यून रहेगा।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ चंद्रमा माता को बीमार करेगा या अल्पायु देगा।

3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल भौतिक सुखों में व्यवधान उत्पन्न करेगा।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध ‘भद्र योग’ बनायेगा। जातक राजातुल्य पराक्रमी होगा।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह मिथुन राशि में होंगे। गुरु यहां शत्रु राशि में होगा जबकि राहु केन्द्रस्थ होकर अपनी मूलत्रिकोण राशि में होने से ‘चाण्डाल योग’ बना। जातक अत्यधिक महत्वाकांक्षी होगा। जातक भौतिक सुखों की प्राप्ति हेतु अनर्गल व्यय करेगा। मकान व वाहन के रखरखाव में रुपया खर्च होगा।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र वाहन दुर्घटना करायेगा।

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि होने से नौकर चोरी करके भाग जायेगा। नौकर दगाबाज होंगे।

मीन लग्न में राहु का फलादेश पंचम स्थान में

राहु यहां पंचमस्थान में कर्क (शत्रु) राशि में होगा। ऐसे जातक को प्रारम्भिक विद्याध्ययन में रुकावट आयेगी। संतान पक्ष में भी दिक्कतें आयेगी । प्रथमतः संतान होगी नहीं। यदि हुई तो नष्ट होने के अवसर ज्यादा है। पूजा-पाठ से संतान सुख मिलेगा।

दृष्टि – पंचमस्थ राहु की दृष्टि एकादश स्थान (मकर राशि) पर होगी। ऐसे जातक को व्यापार-व्यवसाय में नुकसान होगा। यदि व्यापार शनि से संबंधित है तो निश्चित ही बड़ा नुकसान होगा।

निशानी – जातक के प्रथम कन्या होगी तथा संतान से अपेक्षित सहयोग प्रेम व स्नेह नहीं मिलेगा।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा अशुभफल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य होने से ज्येष्ठ संतति हाथ नहीं लगेगी।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ स्वगृही चंद्रमा, जातक को प्रारंभिक संघर्ष के बाद उच्च विद्या देगा।

3. राहु + मंगल – राहु के साथ नीच का मंगल पुत्र संतति में बाधक है। एक-दो गर्भपात संभव है।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध प्रारम्भिक शिक्षा में बाधक है।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह कर्क राशि में होंगे। गुरु यहां अपनी उच्च राशि में होगा, तो राहु अपनी परम शत्रु राशि में स्थित होकर ‘चाण्डाल योग’ बनायेगा | जातक के विद्याध्ययन में प्रारम्भिक रुकावटें आयेगी। पुत्र संतति की प्राप्ति हेतु चिंता रहेगी। संतान की चिंता जीवनपर्यन्त बनी रहेगी।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र पुत्र संतान की हानि करायेगा ।

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि व्यापार में बाधक है।

मीन लग्न में राहु का फलादेश षष्टम् स्थान में

जातक सुखी, धनवान, कीर्तिवान् होता है। ऐसा जातक शत्रुहन्ता होता है। ऐसा जातक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करता हुआ आगे बढ़ता है। शत्रु का समूल नाश करता है फिर भी शत्रुओं से दैहिक व मानसिक कष्ट पाता है।

दृष्टि – छठे भाव में स्थिति राहु की दृष्टि व्यय भाव (कुम्भ राशि) पर होगी। जातक खर्चीले स्वभाव का होगा।

निशानी – ऐसा जातक आक्रामक नीति में विश्वास रखता है। तामसिक मनोवृत्ति वाला होता है। शत्रु को छोड़ता नहीं। जिद्द का पक्का होता है।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा मिश्रित फल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – यहां सूर्य साथ में होने से जातक को ‘हर्ष नामक’ ‘विपरीत राजयोग’ का फायदा मिलेगा। जातक धनी होगा। सभी भौतिक सुविधाएं होगी पर नेत्र रोग व गुदा के रोग अवश्य होंगे।

2. राहु + चंद्रमा – चंद्रमा साथ होने से जातक का चरित्र खराब होगा। पुत्र कपूत होंगे।

3. राहु +‍ मंगल – राहु के साथ मंगल ‘धनहीन योग’ एवं ‘भाग्यहीन योग’ की उत्पन्न करता है। जातक का भाग्योदय हेतु संघर्ष करना पड़ेगा।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध ‘विवाहभंग योग’ एवं ‘सुखहीन योग’ बनाता है। जातक के विवाह में बाधा आयेगी सुख प्राप्ति हेतु जातक तरसेगा ।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह सिंह राशि में होंगे। गुरु यहां अपनी मित्र राशि में, तो राहु अपनी परम शत्रु राशि में स्थित होकर ‘चाण्डाल योग’ बनायेगा। गुरु के कारण यहां ‘लग्नभंग योग’ एवं ‘राज्यभंग योग’ बनेगा। जातक के परिश्रम का फल नहीं मिलेगा। बदनामी पीछा नहीं छोड़ेगी। राजदंड संभव है।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र सरल नामक ‘विपरीत राजयोग’ बनाता है जातक धनी-मानी एवं साधन सम्पन्न होगा।

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि विमल नामक ‘विपरीत राजयोग’ बनाता है। जातक धनी-मानी एवं वैभव सम्पन्न होगा।

मीन लग्न में राहु का फलादेश

मीन लग्न में राहु का फलादेश सप्तम स्थान में

सप्तम स्थानगत राहु यहां कन्या राशि में स्वगृही होगा। ऐसा जातक स्वतंत्र विचार वाला होगा। अपनी मनपसंद शादी करता है। वासना तीव्र होती है तथा परस्त्री में रत रहने की मनोवृत्ति तीव्र होती है। जिससे है दाम्पत्य जीवनं बिखरता है।

दृष्टि – सप्तमस्थ राहु की दृष्टि लग्न स्थान (मीन राशि) पर होगी। फलत: परिश्रमपूर्वक किये गये प्रयासों में जातक को बराबर सफलता मिलेगी।

निशानी – यदि शुभ ग्रहों की युति या दृष्टि संबंध न हो तो जातक के दो विवाह होंगे।

दशा – राहु की दशा-अंतर्दशा मिश्रित फल देगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य विवाह विच्छेद करायेगा।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ चंद्रमा पत्नी सुख देगा। संतान सुख भी देगा। पर पत्नी बीमार रहेगी।

3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल जातक का विलम्ब विवाह करायेगा। पति-पत्नी में नोक-झोक होती रहेगी।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध ‘भद्र योग’ बनायेगा। जातक राजा के समान पराक्रमी होगा भाग्योदय विवाह के बाद होगा।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह कन्या राशि में होंगे। गुरु यहां शत्रु राशि में, तो राहु अपनी मित्र राशि में स्वगृही होने से ‘चाण्डाल योग’ बना। पत्नी व ससुराल से वैमनस्य रहेगा। परिश्रम सार्थक होगा पर रोजी-रोजगार के साधन धीमी गति के रहेंगे।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र जातक को गलत औरतों से संबंध करायेगा।

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि पत्नी की मृत्यु करायेगा।

मीन लग्न में राहु का फलादेश अष्टम स्थान में

यहां अष्टम भाव में राहु तुला (मित्र) राशि में होगा। ऐसा जातक वात रोगी होगा। बीमार रहेगा। जातक के पिता की सम्पत्ति नष्ट होगा। भयानक शत्रु द्वारा हमला, वाहन दुर्घटना से प्राणों का भय रहेगा। जातक को शत्रु परेशान करेंगे। धन के अत्यधिक खर्च के कारण जातक को परेशानी रहेगी।

दृष्टि – अष्टमस्थ राहु की दृष्टि धन भाव (मेष राशि) पर होगी। जातक कर्जदार होगा।

निशानी – जातक को कुटम्बियों का सुख नहीं मिलेगा।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में अनिष्टफलों की प्राप्ति होगी।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – हर्ष नामक ‘विपरीत राजयोग’ के कारण जातक साधन सम्पन्न एवं धनी होगा पर राजदण्ड जरूर मिलेगा। दाये टांग की हड्डी टूटेगी। दुर्घटना का योग प्रबल है। नेत्र पीड़ा होगी।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ चंद्रमा ‘संतति हीन योग’ बनाता है। जातक के जीवन में विद्या व संतान को लेकर चिंता रहेगी।

3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल ‘द्विभार्या योग’ कराता है। जीवन में दूसरी स्त्री से संबंध रहेगा।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध गृहस्थ सुख में बाधक है। जीवनसाथी की मृत्यु संभव।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह तुला राशि में होंगे। गुरु यहां शत्रु राशि में, तो राहु अपनी मित्र राशि में होने से ‘चाण्डाल योग’ बना। गुरु के कारण यहां  ‘लग्नभंग योग’ एवं ‘राजभंग योग’ बना। जातक को परिश्रम का फल नहीं मिलेगा। राजदण्ड संभव है। बदनामी पीछा नहीं छोड़ेगी।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र ‘सरल नामक’ ‘विपरीत राजयोग’ करायेगा। जातक धनी मानी अभिमानी होगा पर गलत स्त्रियों के चक्कर में रहेगा।

7. राहु + शनि – शनि यहां उच्च का होकर विमल नामक ‘विपरीत राजयोग’ की सृष्टि करेगा। पर जातक की दुर्घटना व अकालमृत्यु का भय बना रहेगा।

मीन लग्न में राहु का फलादेश नवम् स्थान में

राहु यहां नवम स्थान में वृश्चिक (शत्रु) राशि में होगा। ऐसा जातक साहसी, पराक्रमी, परिश्रमी, दूरदर्शी, समाज व जाति का नेता होगा । जातक अपने शत्रुओं का नाश करने में सक्षम समर्थ होगा।

दृष्टि – नवमस्थ राहु की दृष्टि पराक्रम स्थान (वृषराशि) पर होगी।

निशानी – जातक नास्तिक विचारों वाला होगा। जातक रण क्षेत्र में शौर्यवान होगा। छोटे भाई से कम बनेगी।

दशा – राहु की दशा-अंतर्दशा में शुभ फल मिलेंगे।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य भाग्योदय में बाधक है।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ चंद्रमा नीच का होते हुए भी जातक का भाग्योदय शीघ्र होगा। विदेश में कमायेगा।

3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल जातक ऐश्वर्यशाली व वैभवशाली जीवन जीयेगा पर लड़ाकू होगा।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध जातक का भाग्योदय विवाह के बाद करायेगा। जातक पराक्रमी होगा।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह वृश्चिक राशि में होंगे। गुरु यहां मित्र राशि में है, तो राहु यहां नीच राशि में होने से ‘चाण्डाल योग’ बना। जातक को भाग्योदय हेतु काफी परेशानी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। परिश्रम सार्थक होंगे परन्तु सतत संघर्ष से मुक्त नहीं है।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र जातक का भाग्योदय शीघ्र करायेगा पर स्त्री-मित्र से धोखा है।

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि जातक को उन्नति मार्ग की ओर आगे बढ़ायेगा पर रुकावट के साथ।

मीन लग्न में राहु का फलादेश दशम स्थान में

यहां राहु दशम स्थान में धनु (शत्रु) राशि में होगा। राहु यहां नीच का होने से जातक का आत्मविश्वास, मनोबल कमजोर रहेगा। जातक शास्त्रज्ञाता एवं विद्वान होगा। यशस्वी होगा। जातक की उन्नति भाग्योदय जन्म भूमि में दूरस्थ देशों में होगी।

दृष्टि – दशमस्थ राहु की दृष्टि चतुर्थ भाव (मिथुन राशि) पर होगी। जातक को भौतिक सुखों की प्राप्ति में बाधा आयेगी।

निशानी – जातक परम स्वार्थी एवं षड्यंत्रकारी होंगे। संतान कमाती होगी।

दशा – राहु की दशा-अंतर्दशा में मानभंग होगा।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य राजकाज में बाधक तत्व का काम करेगा। कोर्ट से सजा संभव।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ चंद्रमा जातक उन्नति के साथ आगे बढ़ेगा पर सदैव चिंताग्रस्त रहेगा।

3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल, जातक महान् पराक्रमी एवं महत्वाकांक्षी होगा। मंगल का दिक्बली होकर उच्चाभिलाषी है। जातक के सभी शत्रु परास्त होंगे।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध जातक को अनेक वाहन देगा। मकान देगा।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह धनु राशि में होंगे। गुरु यहां स्वगृही होने से ‘हंस योग’ बनायेगा। जबकि राहु नीच का होकर ‘चाण्डाल योग’ बनायेगा। जातक राजा तुल्य पराक्रमी एवं प्रभुत्व सम्पन्न होगा परन्तु शक्ति व अधिकारों का दुरुपयोग करेगा। पिता से नहीं निभेगी।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र होने से जातक के पास अनेक वाहन होंगे पर दुर्घटना का भय रहेगा।

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि जातक को व्यापार में हानि करायेगा।

मीन लग्न में राहु का फलादेश एकादश स्थान में

यहां एकादश स्थान में राहु मकर (मित्र) राशि में होगा। जातक धनवान होगा। संतान उत्तम होगी। जातक को अचानक धन मिलेगा। जातक हिम्मत नहीं हारेगा। युक्ति बल से अपना कार्य निकालने में सफल होगा।

दृष्टि – एकादश भाव स्थित राहु की दृष्टि पंचम स्थान (कर्क राशि) पर होगी। जातक रहस्यमय एवं गूढ विद्याओं का जानकार होगा।

निशानी – जातक म्लेच्छों निम्न जाति के लोगों से धन कमायेगा।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में शुभ फल मिलेगे ।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य व्यापार में हानि करायेगा। बड़े भाई से नुकसान है।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ चंद्रमा जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करेगा पर चिन्ताग्रस्त रहेगा।

3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल जातक उद्योगपति व करोड़पति होगा।

4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध जातक पढ़ा-लिखा होगा बुद्धिजीवी एवं कूटनीतिज्ञ होगा।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह मकर राशि में होंगे। गुरु यहां नीच का होकर दुःखी होगा तो राहु सम (मित्र) राशि का होकर ‘चाण्डाल योग’ बनायेगा। व्यापार-व्यवसाय में नुकसान होगा। जातक को रोजी-रोजगार हेतु दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा फिर भी जातक राजसी ठाट-बाट से रहेगा।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र जातक व्यापारी होगा पर व्यापर में कष्ट रहेगा।

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि होने से जातक के व्यापार में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे।

मीन लग्न में राहु का फलादेश द्वादश स्थान में

यहां द्वादश स्थान में राहु कुम्भ राशि में होगा। जातक को नेत्र रोग होगा। जातक पापकर्म में रुचि लेगा। मृत्युकाल बिगड़ेगा। मृत्यु के बाद गति अशुभ।

दृष्टि – द्वादशस्थ राहु की दृष्टि छठे स्थान (सिंह राशि) पर होगी। फलत: खराब लोगों की सौबत होगी।

निशानी – जातक परदेश भूमि में धर्नाजक करेगा। विदेश यात्रा करेगा।

दशा – राहु की दशा अंतर्दशा में खर्च की चिंता एवं मानसिक परेशानी है।

राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य नेत्रपीड़ा देगा। जातक को दिवा स्वप्न आयेंगे। बुरे विचार आयेंगे। हर्ष नामक ‘विपरीत राजयोग’ भी बनेगा।

2. राहु + चंद्रमा – राहु के साथ चंद्रमा ‘संतानहीन’ योग बनायेगा। जातक विद्या एवं संतान संबंधी न्यूनता अनुभव करेगा।

3. राहु + बुध – राहु के साथ मंगल ‘धनहीन योग’, ‘भाग्यहीन योग’ एवं मांगलिक योग बनायेगा। जातक के गृहस्थ जीवन में भारी संघर्ष रहेगा।

4. राहु + मंगल – राहु के साथ बुध ‘सुखहीन योग’, ‘विलम्बविवाह योग’ बनाता है। जातक को यात्रा से कष्ट होगा। नींद कम आयेगी।

5. राहु + गुरु – यहां दोनों ग्रह कुम्भ राशि में होंगे। गुरु यहां दुःखी होकर सम राशि में होगा तो राहु अपनी मूल त्रिकोण राशि में हर्षित होकर ‘चाण्डाल योग’ बनायेगा। गुरु के कारण यहां ‘लग्नभंग योग’ एवं ‘राजभंग योग’ बनेगा। जातक को परिश्रम का फल नहीं मिलेगा। राजदण्ड मिलेगा। बदनाम पीछा नहीं छोड़ेगी। यात्राएं नुकसानदायक रहेगी। अकाल मृत्यु संभव है।

6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र सरल नामक ‘विपरीत राजयोग’ बनायेगा। जातक धनी-मानी एवं ऐश्वर्यशाली होगा।

7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि जातक को कर्जदार बनायेगा। शनि के कारण विमल नामक ‘विपरीत राजयोग’ बना फलस्वरूप जातक धनी-मानी एवं वैभवशाली जीवन जीयेगा।

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