बुध रत्न पन्ना

पन्ना बुध ग्रह का रत्न कहा गया है। इसे संस्कृत में मरकत मणि, फारसी में जमरन, हिन्दी में पन्ना और अंग्रेजी में एमराल्ड (Emerald) कहते हैं। इसका रंग हरा होता है तथा अधिकतर दक्षिण महानदी, हिमालय, गिरनार और सोमनदी के पास पाया जाता है। इस रत्न को धारण करने वाले वस्तुतः सौभाग्यशाली होते हैं । पन्ना मुख्यतः पांच रंगों का होता है :-

  1. तोते के पंख के समान रंग वाला ।
  2. हरे पानी के रंग जैसा ।
  3. सरेस के पुष्प के रंग जैसा ।
  4. मयूर पंख जैसा, और
  5. हल्के सें दुल पुष्प के समान ।

पन्ना हृदय से कोमल होता है और इसके अंग-प्रत्यंग नरम होते हैं । पन्ने में मुख्य छः गुण पाये जाते हैं :-

  • पन्ना चिकना होता है ।
  • यह साफ पारदर्शीवत् होता है।
  • इसकी चमक तेजस्वी होती है ।
  • इसका रंग हरा होता है ।
  • इसके कोण उत्तम कोटि के होते हैं, और
  • अन्य पत्थरों की अपेक्षा यह कोमल होता है ।

सच्चे पन्ने की परीक्षा

पन्ने को परखने की कई विधियाँ हैं, जिनसे ज्ञात किया जा सकता है कि पन्ना सच्चा है या नहीं। सच्चे पन्ने की परीक्षा निम्न प्रकार से सम्भव है :-

  • पन्ने को यदि पानी के गिलास में डाल दिया जाय तो पानी में से हरी किरणें निकलती-सी दिखाई देती हैं ।
  • सफेद वस्त्र पर पन्ना थोड़ी ऊंचाई पर रखें, तो वस्त्र हरे रंग का दिखाई देने लगता है।
  • यह औसत वजन से हल्का प्रतीत हो तो पन्ना शुद्ध समझना चाहिए ।

पन्ने से लाभ

समस्त रत्नों में पन्ने को काफी महत्त्व दिया गया है, क्योंकि इसके पहिनने से चित्त की विकलता मिटती है। विद्यार्थी यदि पन्ना पहिने तो बुद्धि तीक्ष्ण होती है एवं सरस्वती की कृपा बनी रहती है। यह रोगियों के लिए बलवर्द्धक, आरोग्यदायक एवं सुख देने वाला है। जिस घर में यह रत्न होता है, वहाँ अन्न-धन की वृद्धि, सुयोग्य संतानवृद्धि, भूत-प्रेत-बाधा शान्त तथा सर्प-भय का नाश होता है। जिस पुरुष या स्त्री की उँगली में पन्ना पहिना हुआ होता है, उस पर जादू-टोने का कोई असर नहीं होता । यदि प्रातःकाल पन्ने को पाँच मिनट साफ पानी में फिरावे और फिर उस पानी से आँखें छिटकी जायें, तो नेत्र रोग होते ही नहीं हैं, और हों तो ठीक हो जाते हैं। गर्भिणी स्त्री यदि अपनी कमर पर बाँध ले, तो शीघ्र प्रसव होता है ।

पन्ने के दोष

पन्ने में मुख्यत: बारह दोष माने गए हैं। पन्ना खरीदते समय इन दोषों से बचना चाहिए :-

1. जाल – जिस पन्ने में जाल-सा गुंथा हुआ दिखाई दे, वह पन्ना अशुभ होता है तथा इसके पहनने से अस्वस्थता बढ़ती है।

2. गंजा – जिस पन्ने में चमक न हो, यह उलटने पर सुन्न-सा दिखाई दे, वह पन्ना व्यर्थ है । ऐसा पन्ना धन-हानि कराने में समर्थ होता है।

3. धुन्ध – जिस पन्ने में डोरे के समान छोटी-छोटी टूटी हुई धारियाँ दिखाई दें, वह पन्ना वंश-वृद्धि के लिए घातक कहा गया है ।

4. रूक्ष – जो पन्ना खुरदरा हो तथा आकाश में देखने पर रंग फटा हुआ-सा नजर आवे, तो वह पन्ना धारण करने पर पशु-धन का नाश करता है ।

5. गड्ढा – जिस पन्ने में गड्ढा या खड्डा हो वह पन्ना पहिनने वालों के लिए शस्त्र भय की वृद्धि करता है।

6. धब्बा – जिस पन्ने में काला-सा धब्बा या छोटे-छोटे धब्बे दिखाई दें, वह स्त्री के लिए घातक कहा गया है।

7. चोरित – जिस पन्ने में एक सीधी रेखा या कई पतली-पतली रेखाएं दिखाई दें, वह लक्ष्मी का नाश करने वाला होता है ।

8. दुरंगा – जिस पन्ने में दो रंग दिखाई दें, वह पन्ना बल, वीर्य, बुद्धि इत्यादि को नष्ट करने वाला होता है ।

9. सुन्नी – जिस पन्ने में पीली बिंदियाँ दिखाई दें, वह पुत्रों का नाश करने वाला माना गया है ।

10. रक्तबिन्दु – जिस पन्ने में लाल बिन्दु दिखाई दे, वह सुख-सम्पत्ति नष्ट करने वाला होता है ।

11. मधुक – जिस पन्ने का रंग शहद के समान हो, वह माता-पिता के लिए कष्टप्रद होता है।

12. स्वर्णमुखी – जिस पन्ने का रंग सोने के समान हो, या उसका मुँह पीला हो तो ऐसा पन्ना मनुष्य के लिए सभी प्रकार के कष्ट बढ़ाता है ।

पन्ने के उपरत्न

पन्ने के तीन उपरत्न हैं-

1. सगपन्ना – यह मोटा होता है, इसके किनारे गहरे रंग के होते हैं, पर बीच में सफेद-सा होता है ।

2. मरगज – ग्रह चिकना होने के साथ-साथ पूरे का पूरा सफेद होता है और हल्की-सी हरी झाई मारता है ।

3. पीतपनी – यह चिकना हल्का हरा होता है तथा इस पर पीले या लाल रंग के छींटे लगे हुए होते हैं ।

जो व्यक्ति पन्ना नहीं खरीद सकते, वे बुध ग्रह के लिए पन्ने के उपरत्न पहिन सकते हैं । यह पन्ने की अपेक्षा कम प्रभावशाली होता है ।

पन्ना कौन पहिने ?

पन्ने के लिए कहा गया है कि इसे कोई भी धारण करे तो उसे लाभ ही मिलता है, फिर भी उन व्यक्तियों को तो पन्ना विशेष रूप से पहिनना चाहिए जिनकी जन्मकुंडली में निम्न प्रकारेण स्थितियाँ पाई जाती हों :-

1. मिथुन लग्न वाले के लिए पन्ना धारण करना सर्वोत्तम है। ऐसे व्यक्तियों को तो शीघ्र ही इस रत्न को धारण करना चाहिए ।

2. कन्या लग्न वालों के लिए भी पन्ना अत्यन्त लाभप्रद माना गया है ।

3. जिस कुण्डली में बुध छठे, आठवें या बारहवें भाव में पड़ा हो, उसे पन्ना धारण करना चाहिए।

4. जिस व्यक्ति की जन्मकुण्डली में बुध मीन राशि में स्थित हो उसे पन्ना पहिनना श्रेष्ठ रहता है।

5. यदि बुध धनेश होकर नवम भाव में, पराक्रमेश होकर दशम भाव में, चतुर्थेश होकर आय स्थान में स्थित हो तो पन्ना धारण करना कल्याणकारी माना गया है।

6. यदि बुध सप्तमेश होकर दूसरे भाव में, नवमेश होकर चौथे भाव में, आयेश होकर छठे भाव में हो तो पन्ना शुभ फलप्रद है ।

7. यदि बुध श्रेष्ठ भाव का स्वामी होकर अपने भाव से अष्टम स्थान में हो तो पन्ना अवश्य धारण करना चाहिए।

8. यदि बुध की अन्तर्दशा या महादशा चल रही हो, तो पन्ना पहिनना शुभ रहता है ।

9. यदि बुध जन्मकुण्डली में श्रेष्ठ भाव – 2, 3, 4, 5, 7, 9, 10, 11 का स्वामी होकर अपने भाव से छठे स्थान में पड़ा हो तो पन्ना धारण करना श्रेष्ठ माना गया है ।

10. यदि बुध, मंगल, शनि, राहु अथवा केतु के साथ स्थित हो तो पन्ना पहिनना शुभ रहता है।

11. यदि बुध पर शत्रु ग्रहों की दृष्टि हो तो पन्ना अवश्य पहिना जाना चाहिए।

12. व्यापार वणिक् कार्य, गणित सम्बन्धी कार्य, (एकाउन्टेन्ट वगैरह) बैंक आदि में काम करने वाले पन्ना पहिनें तो अत्यन्त शुभ फल प्राप्त होता है ।

रोगों पर पन्ने का प्रभाव

  • पन्ने को इक्कीस दिन तक केवड़े के जल में रखें और फिर उसे घिस कर मलाई के साथ खावें, प्रबल बल-बुद्धि एवं वीर्य बढ़ता है ।
  • पथरी, बहुमूत्र आदि रोगों में पन्ने की भस्म अचूक औषधि है ।
  • आधा सीसी, बवासीर, ज्वर, गुर्दा, रक्त सम्बन्धी बीमारी आदि में पन्ने की भस्म शहद के साथ चाटी जाय तो शीघ्र लाभ मिलता है ।

पन्ने का प्रयोग

बुधवार के दिन आश्लेषा, ज्येष्ठा या रेवती नक्षत्र हो उस दिन सूर्योदय से 10:30 बजे तक सोने की अंगूठी बनवायें । छः रत्ती से कम सोना प्रभावशाली नहीं होता । इसमें इसी समय के बीच तीन रत्ती का पन्ना जड़वायें। तीन रत्ती से कम वजन का पन्ना कम प्रभावशाली होता है । छः रत्ती या इससे ज्यादा वजन का पन्ना श्रेष्ठ माना गया है ।

तत्पश्चात् 11 बजे के बाद से यज्ञ करें, सर्वतोभद्र चक्र बनावें, उस पर चाँदी का कलश रखें और उस कलश की सर्वोपचार पूजा कर उसमें पन्ना जड़ी अँगूठी रख दें तथा ‘ओ३म् ह्वां-हली बुं ग्रहनाथ बुधाय नमः’ मंत्र से अभिषित करें।

तत्पश्चात् बुध का बाणवत् स्थंडिल बनावें, उसकी पूजा करें और बुध मंत्र से 4000 आहुतियाँ दें। बुध मंत्र इस प्रकार है-

ओ३म् उद्बुध्यस्वाग्ने प्रतिजागृहित्व मिष्टापूर्ते सधूं सृजेथामयंच ।

अस्मिन्त्सधस्थेऽ अध्युत्तरस्मिन् विश्वे देवा यजमानश्चसीदतः ॥

आहुतियों के पश्चात् छः तोले के चांदी के पत्र पर उत्कीर्ण बुध यन्त्र को बुध स्थंडिक पर स्थापित करें एवं उस पर कलश में से अंगूठी निकाल कर रखे एवं कलश के जल से उसे अभिषेक दें तथा प्राण-प्रतिष्ठा करें एवं अँगूठी धारण कर पूर्णाहुति करें ।

पूर्णाहुति के पश्चात् बुध यन्त्र, उत्तम कोटि का पन्ना, स्वर्ण, नील-वस्त्र, कांस्य, कस्तूरी एवं चावल का दान करें । इस प्रकार करने से स्थायी लक्ष्मी प्राप्ति एवं विद्या, बुद्धि, बल प्राप्त होता है ।

पन्ना का वजन

पन्ने के साथ स्वर्ण धातु ही प्रभावयुक्त मानी गई है। तीन रत्ती से छोटा पन्ना कम प्रभावशाली, तीन से छः रत्ती का प्रभावशाली एवं छः रत्ती से बड़ा पन्ना श्रेष्ठ प्रभावशाली माना गया है । अँगूठी में जड़वाने के दिन से तीन वर्ष तक उस पन्ने का प्रभाव रहता है, तत्पश्चात् उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है, अतः तीन वर्ष के उपरान्त दूसरा पन्ना धारण करना चाहिए ।


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