जीवन रेखा
मैं पहले ही कह चुका हूं कि प्रकृति ने जिस प्रकार व्यक्ति के चेहरे पर नाक, आंख आदि के लिये एक स्थान निश्चित किया है, उसी प्रकार हाथ पर भी जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा या अन्य चिह्नों के लिए भी स्वाभाविक जगह निश्चित की है। यदि हस्तरेखायें असाधारण हों अथवा वे अपने प्राकृतिक स्थान से हटकर दिखाई दें तो व्यक्ति में असामान्य चारित्रिक विशेषताओं की अपेक्षा की जानी चाहिये। फिर जब व्यक्ति के स्वभाव के बारे में यह परिवर्तन सत्य सिद्ध होंगे तो स्वास्थ्य के बारे में भी सही होंगे। जो व्यक्ति इस विषय को महत्त्वहीन समझते हैं, वे इस बात पर विश्वास नहीं करते कि हस्तरेखाविद् व्यक्ति को होने वाले किसी रोग अथवा उसकी मृत्यु के सम्बन्ध में भी भविष्यवाणी कर सकता है। किन्तु यदि इस विषय पर ध्यानपूर्वक विचार किया जाए तो पता चलता है कि सावधानीपूर्वक किये गये परीक्षण से ऐसा फलादेश करना बिल्कुल सम्भव है।
यह माना जा चुका है कि प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में कुछ ऐसे कीटाणु या प्रवृत्तियां होती हैं जो एक दिन उसकी मृत्यु का कारण बन सकती हैं। फिर इस बात को कैसे अस्वीकार किया जा सकता है कि ये कीटाणु अपनी उपस्थिति से स्नायु-द्रव्य को दूषित करते रहते हैं, जिसके फलस्वरूप हाथ भी प्रभावित होते हैं। फिर यदि हम मस्तिष्क के निश्चेष्ट एवं सक्रिय रहस्यों को स्वीकार कर लें तो यह भी स्वीकार करना होगा कि शरीर में रोग के छोटे-से-छोटे कीटाणु की स्थिति और अवस्था की सूचना मस्तिष्क को मिल जाएगी और तब उसका प्रभाव मस्तिष्क द्वारा हाथ में रेखाओं तक पहुंच जाएगा, जिसे देखकर हस्तरेखाविद् यह बताने में समर्थ होगा कि कौन सा रोग किस समय व्यक्ति की बीमारी का कारण बनेगा एवं उसके क्या परिणाम होंगे। उपरोक्त सब बातों को ध्यान में रखते हुए अब हम जीवन रेखा के परीक्षण के लिये आगे बढ़ते हैं।
जीवन रेखा (देखिए रेखाकृति – 1) वह रेखा है जो गुरु पर्वत क्षेत्र के नीचे से उठकर शुक्र पर्वत क्षेत्र को घेरती हुई हथेली पर नीचे की ओर बढ़ती है। इस रेखा पर समय, बीमारी एवं मृत्यु अंकित रहती है तथा अन्य महत्त्वपूर्ण रेखाओं द्वारा जिन घटनाओं का पूर्वाभास होता है, यह रेखा उनका सत्यापन एवं पुष्टि भी करती है।
जीवन रेखा लम्बी, संकरी, गहरी, अनियमितताओं से रहित तथा बिना टूटी हुई होनी चाहिये। उस पर किसी प्रकार के गुणन चिह्न भी नहीं होने चाहियें। इस प्रकार की जीवन रेखा व्यक्ति के उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु एवं स्फूर्ति की सूचक होती है।
- यदि जीवन-रेखा श्रृंखलाकार या टुकड़ों से जुड़ी अथवा बनी हुई हो तो यह व्यक्ति के निर्बल स्वास्थ्य की सूचक होती है। ऐसा विशेषतः तब होता है जब हाथ कोमल हो। जब ऐसी रेखा दोबारा अपनी क्षमता प्राप्त कर लेती है या नियमित हो जाती है तो व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक हो जाता है।
- यदि यह रेखा हाथ में टूटी हुई हो तथा दायें हाथ में जुड़ी हुई दिखाई दे तो व्यक्ति के लिए भयंकर रोग के खतरे की सूचना देती है, लेकिन यदि दोनों हाथों में टूटी हुई हों तो प्रायः मृत्यु की सूचक होती है। ऐसा उस समय तो और भी निश्चित हो जाता है जब टूटी हुई जीवन रेखा शुक्र पर्वत क्षेत्र पर भीतर की ओर मुड़ती दिखाई दे (देखिए रेखाकृति 3 c-c ) । तब तो व्यक्ति की मृत्यु निश्चित ही मान लेनी चाहिए।
- यदि जीवन रेखा हथेली पर गुरु पर्वत क्षेत्र के आधार से आरम्भ हो तो इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति जीवन के आरम्भ से ही महत्त्वाकांक्षी रहा है।
- यदि जीवन रेखा आरम्भ होते समय श्रृंखलाकार हो तो यह जीवन के प्रारम्भिक भाग में व्यक्ति की अस्वस्थता की सूचक होती है।
- यदि जीवन रेखा मस्तिष्क रेखा से बहुत घनिष्ठता से जुड़ी हो तो व्यक्ति का जीवन तर्कसंगत एवं बुद्धिमत्ता के द्वारा परिचालित हुआ मानना चाहिये। ऐसे व्यक्ति उन सब बातों और कार्यों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, जिनका सम्बन्ध उनके स्वयं से होता है (देखिए रेखाकृति 2 d-d)
- यदि जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच मध्यम दूरी हो तो व्यक्ति अपनी योजनाओं और विचारों को कार्यरूप में परिणित करने के लिये अधिक स्वतन्त्र होता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति स्फूर्तिवान तथा जीवट वाला होता है (देखिए रेखाकृति 3 d-d) |
- यदि जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के मध्य अन्तर बहुत अधिक हो तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक आत्मविश्वासी एवं जल्दबाज होता है। यह इस बात का भी द्योतक है कि व्यक्ति दुःसाहसी एवं आवेशात्मक है तथा तर्क और युक्ति का उसके जीवन में कोई स्थान नहीं है।
- यदि जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा एक साथ जुड़ी हुई हों तो यह एक अत्यन्त अशुभ चिह्न माना जाता है (देखिए रेखाकृति 4 a-a) । यह इस बात का सूचक है कि व्यक्ति अपनी बुद्धिहीनता अथवा आवेश के कारण किसी भी खतरे में कूद पड़ता है। यह चिह्न इस बात का भी सूचक है कि व्यक्ति को आने वाले संकटों का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है, जो उस पर दूसरों से सम्पर्क के कारण आ सकते हैं।
- यदि जीवन रेखा हथेली के लगभग बीच में विभाजित हो जाए तथा उसकी एक शाखा चन्द्र पर्वत क्षेत्र की ओर चली जाती हो (देखिए रेखाकृति 4 e-e) तो यह दृढ़ हाथ वाले व्यक्ति के अस्थिर जीवन या यात्रा की अदम्य लालसा का सूचक होता है । अन्ततः इस इच्छा की सन्तुष्टि हो जाती है। यदि इस प्रकार का चिह्न कोमल हाथ पर हो तथा मस्तिष्क रेखा ढलवां हो तो व्यक्ति का स्वभाव अस्थिर एवं अधीर होता है तथा वह उत्तेजनापूर्ण अवसरों के लिये लालायित रहता है।
इस तथ्य को तर्क द्वारा भी सिद्ध किया जा सकता है। चन्द्र पर्वत क्षेत्र को काटती हुई जीवन रेखा परिवर्तन की इच्छुक एवं व्यक्ति की अस्थिर पद्धति की सूचक होती है, किन्तु हाथ के कोमल हो जाने से व्यक्ति इतना आलसी और निष्क्रिय बन जाता है कि अपनी इच्छा को यात्रा करके भी पूरा नहीं कर पाता। इसके साथ ही ढलवां मस्तिष्क रेखा व्यक्ति की निर्बल प्रकृति की सूचक है, अतः उक्त तथ्य की पुष्टि होती हैं।
यदि जीवन रेखा से निकल कर कुछ रेखाएं बालों जैसी झूमती हुई या नीचे की ओर गिरी हुई अथवा उससे जुड़ी हुई हों तो आयु के जिस भाग में वे दिखाई पड़ती हैं, उस आयु में व्यक्ति की जीवनी शक्ति के ह्रास की सूचना देती हैं। प्रायः ऐसी रेखाएं जीवन रेखा के अन्त में ही दीखती हैं और तब वे जीवनी-शक्ति के विघटन की सूचक होती हैं। लेकिन जो रेखाएं जीवन रेखा से निकल कर ऊपर की ओर जाती हैं, वे व्यक्ति के अधिकार, आर्थिक लाभ तथा सफलता की द्योतक होती हैं। (देखिए रेखाकृति 2 a-a ) ।
यदि जीवन रेखा से कोई शाखा गुरु पर्वत क्षेत्र की ओर उठती दिखाई दे या उसमें जा मिले (देखिये रेखाकृति 4 c-c) तो इसका अर्थ यह समझना चाहिये कि जिस समय से वह रेखा जीवन रेखा से ऊपर उठती है, व्यक्ति को उसी समय में पद अथवा व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होती है।
इसके विपरीत यदि जीवन रेखा से कोई शाखा शनि पर्वत क्षेत्र की ओर उठकर भाग्य रेखा के साथ-साथ चलती दिखाई दे तो इसका अर्थ यह होता है कि व्यक्ति को सम्पति लाभ होगा अथवा उसकी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति होगी। लेकिन ऐसा व्यक्ति की अपनी इच्छाशक्ति के कारण ही सम्भव होता है। (देखिए रेखाकृति 4 d-d) ।
यदि जीवन रेखा से उठकर कोई शाखा बुध पर्वत क्षेत्र की ओर चली जाए तो यह व्यक्ति की व्यापारिक अथवा वैज्ञानिक क्षेत्र में सफलता की सूचक होती है। लेकिन ऐसा तभी सम्भव होता है जब हाथ वर्गाकार, चमचाकार अथवा नुकीला हो । वर्गाकार हाथ पर ऐसी शाखा व्यवसाय एवं विज्ञान के क्षेत्र में सफलता की सूचक होती है। चमचाकार हाथ में किसी आविष्कार अथवा नयी खोज के विषय में तथा नुकीले हाथों वाले व्यक्तियों के लिए आर्थिक दृष्टि से प्रसन्नता की सूचक होती है। नुकीले हाथ वाले व्यक्तियों को ऐसी सफलता सट्टे अथवा व्यापार से भी हो सकती है।
यदि जीवन रेखा अपनी समाप्ति पर दो शाखाओं में विभक्त हो जाए और दोनों शाखाओं के बीच अन्तर काफी अधिक हो तो व्यक्ति की मृत्यु अपने जन्म स्थान से दूर होती है (देखिये रेखाकृति 5 a-a) |
यदि जीवन रेखा पर किसी द्वीप का चिह्न हो तो व्यक्ति तब तक किसी रोग से पीड़ित बना रहता है, जब तक वह चिह्न विद्यमान रहता है (देखिए रेखाकृति 5 (b)), लेकिन यदि ऐसा द्वीप चिह्न किसी व्यक्ति की जीवन रेखा के आरम्भ में ही हो तो यह इस बात का संकेत है कि व्यक्ति के जन्म के सम्बन्ध में कोई रहस्य छिपा हुआ है।
यदि जीवन रेखा पर वर्ग का चिह्न हो या जीवन रेखा किसी वर्ग से होकर गुजरे तो वह मृत्यु से बचाव की सूचक होती है। जब जीवन रेखा वर्ग से होकर गुजरती हुई द्वीप के बगल से निकलती हो तो व्यक्ति कि किसी रोग से रक्षा होती है। (देखिए रेखाकृति 5 c)
जीवन रेखा पर वर्ग की स्थिति सदा ही सुरक्षा की सूचक होती है।
मैं जीवन रेखा की उस बड़ी सहायक रेखा का विवेचन बाद में करूंगा जो अन्दर की ओर होती है तथा जिसे मंगल रेखा कहते हैं। यहां पर मैंने इन रेखाओं का जिक्र इसलिये किया है कि उनको मंगल रेखा न समझ लिया जाए। मंगल रेखा मंगल पर्वत क्षेत्र से ही उठती है। इस मंगल रेखा को उन रेखाओं के साथ मिलाकर नहीं देखना चाहिये जो जीवन रेखा से उठती हैं। और न ही उन रेखाओं के साथ इनका कोई सम्बन्ध होना चाहिये जो बुध पर्वत के ऊपर उठती दिखाई देती हैं।
यहां यह बात सर्वाधिक ध्यान में रखने की है कि वे सभी रेखाएं जो जीवन रेखा के अनुकूल होती हैं, जीवन पर अनुकूल प्रभावों की सूचक होती हैं, लेकिन जो रेखाएं विपरीत दिशाओं में उठती हैं और जीवन रेखा को काटती हैं वे व्यक्ति के जीवन में दूसरों के द्वारा विरोध चिन्ताओं और रुकावटों की द्योतक होती हैं। इसलिये रेखाओं के आरम्भ होने एवं उनके समाप्त होने के स्थान का ध्यान में रखे जाना बहुत आवश्यक है।
- जब वे रेखाएं केवल जीवन रेखा को काटें तो यह मान लेना चाहिये. कि व्यक्ति के जीवन में उसके सगे-सम्बन्धियों का दखल है और वे हस्तक्षेप करके उसे परेशान कर रहे हैं (देखिये रेखाकृति 3 g-g)।
- यदि वे रेखाएं जीवन रेखा को पार करके भाग्य रेखा पर आक्रमण करती दिखाई दें (देखिए रेखाकृति 2 e-e) तो वे इस बात की सूचक होती हैं कि व्यक्ति के सगे-सम्बन्धी उसके व्यवसाय अथवा अन्य सांसारिक मामलों में उसका विरोध करेंगे और उसे क्षति पहुंचायेंगे । ऐसा उस समय होगा जहां वे रेखाएं भाग्य रेखा को काटती हैं।
- यदि वे रेखाएं मस्तिष्क रेखा पर जा पहुंचें (देखिए रेखाकृति 2 f-f) तो वे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा व्यक्ति की विचारधारा में हस्तक्षेप की सूचक होती हैं।
- जब इस प्रकार की रेखाएं हृदय रेखा पर पहुंच कर उसे काटती हों (देखिए रेखाकृति 2 g-g) तो वे व्यक्ति के प्रेम सम्बन्धों में उसके विरोधियों द्वारा हस्तक्षेप की द्योतक होती हैं, पर वहां हस्तक्षेप का समय वह होगा जहां वे रेखायें जीवन रेखा को काटती हैं, न कि हृदय रेखा को छूती हैं।
- जब वे रेखाएं सूर्य रेखा को काटती हों तो इस बात की द्योतक हैं कि व्यक्ति के जीवन में दूसरे व्यक्ति हस्तक्षेप करेंगे तथा उसकी स्थिति को बिगाड़ेंगे और ऐसा तब होगा जब वे रेखाएं सूर्य रेखा को काटती होंगी। इस प्रकार के विरोध से व्यक्ति की बदनामी हो सकती है तथा उसकी प्रतिष्ठा को भी आंच आ सकती है (देखिए रेखाकृति 2 h-h)
- यदि ऐसी रेखा में द्वीप अथवा उससे मिलता-जुलता कोई चिह्न हो तो यह इस बात का द्योतक है कि जिसके हाथ में यह चिह्न है, उसे अपने विरोध या अपमान का जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है।
- लेकिन जब ऐसी रेखाएं जीवन रेखा के समानान्तर चलती दीखती हों तो यह समझना चाहिये कि व्यक्ति के जीवन पर किन्हीं दूसरे व्यक्तियों का भी प्रभाव हुआ है।
- यदि कोई रेखा मंगल पर्वत क्षेत्र से ऊपर उठती हुई नीचे आकर जीवन रेखा को स्पर्श करे या काटे (देखिए रेखाकृति 4 e-e) तो जिस स्त्री के हाथ में इस प्रकार की रेखा हो, उसके बारे में इस बात की सूचक है कि उस स्त्री का पहले किसी व्यक्ति के साथ अनुचित सम्बन्ध रहा था जो उसके लिये संकट का कारण बना हुआ है।
- यदि मंगल पर्वत क्षेत्र से आने वाली ऐसी रेखाओं से कुछ सूक्ष्म शाखाएं जीवन रेखा तक पहुंच रही हों (देखिए रेखाकृति 4 f-f) तो उसका भी ऐसा ही प्रभाव होता है जिसके कारण उस स्त्री को बार-बार परेशान होना पड़ता है। इस प्रकार की रेखा से यह भी ज्ञात होता है कि जो व्यक्ति उस स्त्री की चिन्ता का कारण है, वह कामुक अथवा पाशविक वृत्ति वाला होगा।
- यदि जीवन रेखा के अन्दर की ओर उसकी बगल से उठकर कोई छोटी रेखा जीवन रेखा के साथ-साथ चलती हो (देखिए रेखाकृति 3 f-f) और ऐसी रेखा किसी स्त्री के हाथ में हो तो यह इस बात का संकेत है कि उस स्त्री के जीवन में जो व्यक्ति प्रवेश करेगा, वह अत्यन्त नम्र प्रकृति का होगा तथा वह स्त्री उस व्यक्ति को पूरी तरह प्रभावित करेगी।
- यदि कोई छोटी रेखा कहीं से भी प्रारम्भ होकर जीवन रेखा के साथ चलती हुई शुक्र पर्वत क्षेत्र की ओर मुड़ जाए और इस प्रकार जीवन रेखा से दूर भी हो जाए तो यह इस बात की द्योतक है कि उस स्त्री से सम्बन्धित व्यक्ति उसके प्रति आकर्षण कम होने के कारण उससे अलग हो जाएगा तथा उसको बिल्कुल भुला देगा (देखिए रेखाकृति 2 i-i)।
- यदि यह रेखा किसी द्वीप में जा मिले या स्वयं ही एक द्वीप बन जाए तो यह इस बात का संकेत है कि उस पुरुष से सम्बन्धों के कारण स्त्री को समाज में कलंकित होना पड़ेगा।
- यदि कोई रेखा जीवन रेखा के बगल में धुंधली पड़कर पहले समाप्त हो जाए तथा बाद में फिर से सजीव हो उठे तो यह इस बात का संकेत है कि पुरुष का प्रेम कुछ समय के लिये फीका पड़ जाएगा, किन्तु कुछ समय बाद पुनः जागृत हो उठेगा।
- यदि ऐसी रेखा बिल्कुल ही फीकी पड़ जाए अथवा समाप्त हो जाए तो पुरुष की मृत्यु अथवा किसी अन्य कारण से प्रेम सम्बन्धों की समाप्ति की सूचक होती है।
- यदि ऐसी कोई रेखा किसी गुणन चिह्न वाली रेखा से मिलकर हाथ पर चलती दिखाई दे तो यह इस बात का संकेत होता है कि व्यक्ति का स्नेह सम्बन्ध किसी अन्य व्यक्ति के कारण घृणा में बदल जाएगा तथा उस समय हानि पहुंचायेगा जब यह रेखा जीवन रेखा, भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा अथवा हृदय रेखा का स्पर्श करेगी। (देखिए रेखाकृति 5-c )
ऐसी रेखाएं जीवन रेखा से जितनी अधिक दूर होंगी, व्यक्ति के जीवन को उतना ही कम प्रभावित करेंगी। लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा इस विषय पर पूरे-पूरे ग्रन्थ लिखे जा सकते हैं, क्योंकि ये रेखाएं हिन्दुओं में प्रचलित हस्तरेखा विज्ञान से सम्बन्धित उनका मूल आधार हैं। इस प्रकार यह मान लेना युक्तिसंगत है कि इसी आधार पर हस्तरेखाविद् इन रेखाओं का सम्बन्ध जीवन रेखा के साथ जोड़कर व्यक्ति के विवाह आदि की भविष्यवाणी भी कर सकता है। हम इस विषय में विवाह की बात करते समय पुनः विचार करेंगे।
इस विषय में इन रेखाओं की संख्या पर विचार करना भी कम मनोरंजक नहीं है। यह याद रखते हुए भी कि जो रेखाएं जीवन रेखा के निकट हैं केवल वहीं महत्त्वपूर्ण हैं। अधिकतर रेखाएं व्यक्ति के स्नेह सम्बन्धों पर उसकी प्रकृति की द्योतक होती हैं। ऐसे व्यक्तियों को उनके स्वभाव के कारण कामुक भी कहा जाता है तथा वे एक से अधिक प्रेम-सम्बन्ध भी रख सकते हैं, क्योंकि उनकी दृष्टि में प्रेम सबके लिये मुक्तिदायक है। लेकिन दूसरी ओर भरा पूरा एवं स्पष्ट शुक्र पर्वत क्षेत्र इस बात का द्योतक है कि ऐसा व्यक्ति उन लोगों से कम प्रभावित होता है, जिनसे वह सम्बन्धित है।
यदि जीवन रेखा दूर तक फैलती हुई शुक्र पर्वत क्षेत्र के लिए पर्याप्त स्थान छोड़ देती है तो यह व्यक्ति की शारीरिक क्षमता एवं दीर्घायु की सूचक है।
इसके विपरीत जब जीवन रेखा शुक्र पर्वत क्षेत्र के निकट होती है तो व्यक्ति स्वस्थ और सुगठित नहीं होता। जीवन रेखा जितनी छोटी होगी, व्यक्ति का जीवन भी उतना ही कम होगा।
मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं कि जीवन रेखा से मृत्यु अथवा आयु की ठीक-ठीक जानकारी नहीं मिलती। यह रेखा व्यक्ति के जीवन की दीर्घता की केवल सूचना भर देती है, क्योंकि अन्य रेखाओं द्वारा प्रदर्शित अनेक प्रकार की दुर्घटनाएं व्यक्ति के दीर्घ जीवन को छोटा भी बना सकती हैं।
उदाहरण के लिए यदि मस्तिष्क रेखा टूटी हुई हो तो हस्तरेखाविद् मृत्यु की उतनी ही निश्चित भविष्यवाणी करेगा। इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य रेखा भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। स्वास्थ्य रेखा के विषय में हम आगे विचार करेंगे। यहां तो मैं केवल इतना कहना चाहूंगा कि जब यह रेखा जीवन रेखा जितनी ही शक्तिशाली दृष्टिगोचर होती है। तो जिस स्थान पर ये दोनों मिलती हैं, वही स्थान व्यक्ति की मृत्यु की सूचना देता है। भले ही वह स्थान जीवन रेखा की समाप्ति से कितना ही पहले हो और जीवन रेखा उसके बाद भी चलती रहे। इस प्रकार की मृत्यु स्वास्थ्य रेखा द्वारा ही निश्चित की जा सकती हैं।
यहां मैंने उपरोक्त जानकारी के अतिरिक्त द्वीपों एवं वर्गों आदि का भी उल्लेख किया है। इन बातों का सविस्तार वर्णन के किसी अध्याय में किया गया है। पाठक इन सबकी जानकारी वहां से ले चुके होंगे। घटना घटित होने के समय निर्धारण के सम्बन्ध में मैं अलग से किसी लेख में लिखूंगा।
मंगल रेखा
मंगल रेखा जीवन रेखा की सहायक रेखा होती है जो मंगल पर्वत क्षेत्र से उठती है तथा जीवन रेखा की बगल में उसके साथ-साथ चलती है (देखिए रेखाकृति 1)। यह रेखा अन्दर की ओर पाई जाने वाली अन्य छोटी-छोटी रेखाओं से भिन्न होती है, जिनका हमने पिछले अध्याय में जिक्र किया है।
मंगल रेखा की विशेषता यह है कि यह वर्गाकार और चौड़े हाथों में प्रबल स्वास्थ्य की सूचक होती है। ऐसे व्यक्तियों की प्रकृति युद्धप्रिय होती है। यदि यह जीवन रेखा के निकट हो तो इस बात की सूचक है कि व्यक्ति नाना प्रकार के झगड़ों में उलझ जाता है, जिसके कारण उसमें युद्धप्रियता जैसी चेष्टाएं सक्रिय हो जाती हैं। किसी सैनिक के हाथ में इस प्रकार की रेखा एक उत्तम चिह्न होती है।
यदि मंगल रेखा से निकल कर कोई शाखा चन्द्र पर्वत क्षेत्र की ओर मुड़ जाए (देखिए रेखाकृति 6 b-b) तो इस बात की द्योतक होती है कि व्यक्ति की प्रवृत्ति अत्यधिक उद्धत है। लम्बे व संकरे हाथों पर एक अन्य प्रकार की मंगल रेखा भी पाई जाती है जो प्रायः नाजुक किस्म की जीवन रेखा के पास होती है। ऐसे हाथों में इस प्रकार की रेखा जीवन रेखा को सहारा देती है तथा उसके टूटा होने के बावजूद व्यक्ति को खतरों से निकाल ले जाती है तथा उसे बल प्रदान करती है। यदि जीवन रेखा टूटी हुई हो और ऐसी कोई मंगल रेखा उसकी बगल में हो तो जीवन रेखा के टूटने के स्थान पर व्यक्ति की मृत्यु की निकटता की सूचक होती है, किन्तु इस प्रकार की मंगल रेखा द्वारा शक्ति प्राप्त कर व्यक्ति मौत के मुंह से भी बच निकलता है।
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