मस्तिष्क रेखा

मस्तिष्क रेखा का सम्बन्ध व्यक्ति की मानसिकता से होता है, जिससे उसकी मानसिक शक्ति, विचार पद्धति अथवा उसकी प्रतिभा के सम्बन्ध में उसके गुणों का पता चलता है (देखिए रेखाकृति 1)।

मस्तिष्क रेखा
रेखाकृति 1

इस रेखा के सम्बन्ध में एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि अलग-अलग प्रकार के हाथों की विशेषताओं को ध्यान में रखकर ही इस रेखा पर विचार करना चाहिये। उदाहरण के लिये जो मस्तिष्क रेखा किसी नुकीले अथवा दार्शनिक हाथ में नीचे की ओर झुककर चलती है, वर्गाकार हाथ पर मिलने वाली इसी प्रकार की ढलवां मस्तिष्क रेखा से उसका महत्त्व आधा भी नहीं रह जाता।

आइये, पहले हम इस रेखा की सामान्य विशेषताओं पर ध्यान दें। मस्तिष्क रेखा तीन विभिन्न स्थानों से आरम्भ हो सकती है।

  1. गुरु पर्वत के केन्द्र से।
  2. जीवन रेखा के आरम्भ से।
  3. जीवन रेखा के भीतर मंगल पर्वत क्षेत्र से।

यदि यह रेखा बृहस्पति पर्वत क्षेत्र से आरम्भ हो तथा जीवन रेखा का स्पर्श करती हुई लम्बी भी हो तो अत्यन्त सबल मानी जाती है।

ऐसे व्यक्ति में प्रतिभा, ऊर्जा, लक्ष्य के प्रति साहस, दृढ़ता एवं युक्तिसंगतता की बड़ी आकांक्षा होती है। ऐसा व्यक्ति दूसरों के ऊपर शासन करता हुआ सा लगता है तथा वह अपने साहसी अभियान के प्रति बहुत अधिक सावधान रहता है। उसे अपनी व्यवस्थापकीय क्षमता पर गर्व होता है, परन्तु वह नियमों के मामले में दृढ़ होते हुए भी किसी के साथ अन्याय नहीं करता।

इस रेखा का एक परिवर्तित रूप भी देखने को मिलता है और वह भी पूर्ण सबल होता है। यह रेखा भी गुरु पर्वत क्षेत्र से ही आरम्भ होती है, परन्तु जीवन रेखा से कुछ अलग रहती है। ऐसी रेखा वाले व्यक्तियों में गुण तो पहली रेखा के समान ही होते हैं, परन्तु उनमें प्रशासन और कूटनीति का गुण कम होता है। ऐसे व्यक्ति निर्णय लेते समय थोड़े उतावले हो जाते हैं। संकट की घड़ी में ऐसे व्यक्तियों को अपने नेतृत्व की क्षमता दिखाने का पूर्ण अवसर प्राप्त होता है। यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के बीच अन्तर अधिक हो तो व्यक्ति दुःसाहसी, घमण्डी एवं बिना कुछ सोचे-समझे खतरे में कूद जाने वाला होता है।

यदि जीवन रेखा के आरम्भ में मस्तिष्क रेखा उससे जुड़ी हुई हो तो व्यक्ति अत्यन्त संवेदनशील एवं कातर स्वभाव का होता है। वह हर बात में सावधानी बरतता है तथा बहुत सोच-समझकर ही किसी काम में हाथ डालता है।

रेखाकृति 2

यदि मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के भीतर मंगल पर्वत से प्रारम्भ होती दिखाई दे तो यह विशेष शुभ नहीं मानी जाती (देखिए रेखाकृति 2 f-f ) । ऐसा व्यक्ति चिड़चिड़े स्वभाव का, चिन्ता करने वाला, अस्थिरमति एवं चंचल प्रकृति का होता है। समुद्रतट की खिसकती हुई बालू भी ऐसे व्यक्ति के विचारों से अधिक स्थिर होती है। ऐसा व्यक्ति अपने पड़ोसियों से सदा झगड़ता रहता है तथा उसे हर बात में दूसरों के दोष ही दोष दिखाई देते हैं।

मस्तिष्क रेखा की सामान्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

  • यदि यह रेखा सीधी और स्पष्ट हो तो व्यक्ति कल्पना से अधिक व्यावहारिक एवं वास्तविकता में विश्वास रखने वाला होता है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा आरम्भ में सीधी हो तथा उसके बाद थोड़ी ढलवा हो तो यह व्यक्ति की कल्पनाशीलता का आभास देती है। ऐसा व्यक्ति कल्पनाप्रधान कार्यों को करते हुए भी जागरूक बना रहता है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा में थोड़ा ढलवांपन होता है तो व्यक्ति का झुकाव कल्पनाशील कार्यों की ओर होता है, लेकिन हाथ की बनावट के अनुकूल होने से यह कल्पनाशीलता व्यक्ति को साहित्य, संगीत, चित्रकला अथवा तकनीकी आविष्कारों की ओर प्रवृत्त करती है। यदि ढलवांपन अधिक हो तो व्यक्ति के कार्यों से रोमांस, आदर्शवाद एवं अरूढ़िवादी होने का संकेत मिलता है। यदि यह रेखा ढलवां होती हुई चन्द्र पर्वत के क्षेत्र पर जाकर समाप्त होती हो तथा वहां पहुंचकर दो शाखाओं में बंट जाती हो तो व्यक्ति की कल्पनाप्रधान साहित्यिक प्रतिभा का संकेत देती है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा अत्यधिक लम्बी और सीधी हो तथा हथेली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंच जाए तो यह इस बात का संकेत देती है कि व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता सामान्य से अधिक है, परन्तु वह इस क्षमता का प्रयोग अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए ही करता है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा हाथ में सीधी जाती हुई अन्त में मंगल पर्वत क्षेत्र पर कुछ ऊपर की ओर मुड़ जाए (देखिए रेखाकृति 2 g-g) तो ऐसा व्यक्ति व्यापार के क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त करता है। ऐसा व्यक्ति पैसे की कद्र करने वाला होता है और शीघ्र ही धन संचय भी कर लेता है, परन्तु अपने अधीनस्थ व्यक्तियों से कठिन परिश्रम भी कराता है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा छोटी हो तथा हथेली के बीच तक भी मुश्किल से पहुंचती हो तो ऐसे व्यक्ति पूरी तरह सांसारिक दिखाई पड़ते हैं। ऐसे व्यक्तियों में कल्पनाशक्ति का अभाव होता है, परन्तु वे पूर्ण रूप से व्यावहारिक होते हैं।
  • यदि मस्तिष्क रेखा असाधारण रूप से छोटी हो तो ऐसे व्यक्ति की मृत्यु मानसिक रोगों के कारण होती है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत क्षेत्र के नीचे टूट कर दो हिस्सों में बंट जाए तो यह किसी घातक कारण से व्यक्ति की आकस्मिक मृत्यु की सूचक होती है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा श्रृंखलाकार अथवा छोटे-छोटे टुकड़ों से बनी दिखाई दे तो व्यक्ति अस्थिरमति होता है। ऐसे व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती । यदि मस्तिष्क रेखा में छोटे-छोटे द्वीप या सूक्ष्म रेखाएं हों तो व्यक्ति के सिर में पीड़ा तथा मस्तिष्क सम्बन्धी किसी रोग की सूचना देती हैं।
  • यदि मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के बीच में अन्तर कम हो तो यह इस बात का द्योतक है कि हृदय पर मस्तिष्क का पूर्ण आधिपत्य रहेगा।

यदि मस्तिष्क रेखा अपने अन्त पर मुड़ती हुई तथा हाथ पर नीचे की ओर जाती दिखाई दे अथवा उसमें से कोई शाखा किसी पर्वत क्षेत्र पर पहुंचती दिखाई दे तो उसमें उस पर्वत के गुणों का समावेश हो जाता है।

  • चन्द्र पर्वत की ओर मुड़ने पर व्यक्ति का रुझान कल्पना, रहस्यवाद एवं किन्हीं गूढ़ वस्तुओं की ओर होगा।
  • बुध पर्वत की ओर मुड़ने पर व्यक्ति की रुचि वाणिज्य अथवा विज्ञान की ओर होगी।
  • सूर्य पर्वत की ओर बदनामी की आशंका होती है।
  • शनि पर्वत की ओर जाने पर संगीत, धर्म अथवा गम्भीरता के प्रति झुकाव होता है।
  • गुरु पर्वत की ओर मुड़ती दिखाई दे तो आत्माभिमान एवं अधिकार प्राप्त करने की आकांक्षा होती है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा से उठकर कोई शाखा हृदय रेखा से मिल जाए तो यह इस बात का संकेत होता है कि व्यक्ति का किसी के प्रति इतना अधिक आकर्षण या गहरा लगाव होता है कि वह उस समय बुद्धिमानी एवं युक्तिसंगतता का भी परित्याग कर डालता है तथा संकटों की भी कोई चिन्ता नहीं करता।
  • प्रायः हाथ पर दोहरी मस्तिष्क रेखाएं नहीं दिखाई पड़तीं, किन्तु यदि दिखाई दे जाएं तो व्यक्ति में प्रबल मानसिक एवं शारीरिक शक्ति की द्योतक होती हैं। ऐसे व्यक्तियों की प्रकृति दोहरी होती है। वे एक ओर संवेदनशील एवं अत्यन्त विनम्र होते हैं तो दूसरी ओर आत्मविश्वास से भरे हुए, भावनाहीन एवं क्रूर भी होते हैं। ऐसे व्यक्ति अत्यधिक प्रखर बुद्धि के होते हैं। भाषा पर उनका पूर्ण अधिकार होता है तथा उनकी इच्छाशक्ति एवं दृढ़ निश्चय अपूर्व होता है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा दोनों हाथों में टूटी हुई या टुकड़ों में बंटी हुई दिखाई दे तो यह किसी आघात द्वारा दुर्घटना की या सिर पर किसी भारी चोट की द्योतक होती है।
  • मस्तिष्क रेखा पर द्वीप का चिह्न व्यक्ति की दुर्बलता का प्रतीक है। जब यह चिह्न पूरी तरह स्पष्ट हो और रेखा उससे आगे जाती दिखाई न दे तो व्यक्ति को उस रोग से कभी मुक्ति नहीं मिलती।
  • यदि मस्तिष्क रेखा से कोई शाखा निकल कर गुरु पर्वत तक पहुंच जाए तो यह व्यक्ति के प्रत्येक कार्य में अपार सफलता की सूचक होती है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा से निकल कर अनेक छोटी-छोटी रेखाएं हृदय रेखा की ओर जाती दिखाई दें या हृदय रेखा से मिल कर एक गुच्छा-सा बनाती हों तो यह इस बात का सूचक है कि व्यक्ति का प्रेम केवल गहन आकर्षण तक ही सीमित रह जाएगा, उसमें वास्तविकता नहीं होगी।
रेखाकृति 3
  • यदि मस्तिष्क रेखा किसी वर्ग को पार करती हुई दिखाई दे या वर्ग चिह्न में जा मिले तो यह व्यक्ति की अपनी प्रत्युत्पन्नमति और साहस से किसी दुर्घटना अथवा हिंसात्मक आघात से बच निकलने की सूचक होती है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के बीच अन्तर कम हो तो यह शुभ लक्षण होता है। यदि यह फासला मध्यम हो तो व्यक्ति की स्फूर्ति एवं आत्मविश्वास का सूचक होता है। ऐसा व्यक्ति कार्य करने में तत्पर एवं विचार करने में बहुत तीव्र होता है (देखिए रेखाकृति 21 f-f) वकीलों, अभिनेताओं तथा धार्मिक उपदेशकों के हाथों में ऐसी रेखा एक उपयोगी चिह्न माना जाता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने ही निर्णयों पर विश्वास नहीं करना चाहिये, क्योंकि उनमें जो जल्दबाजी, आत्मविश्वास एवं अधीरता होती है, उसके कारण उनके काम बिगड़ सकते हैं।
  • यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के बीच अन्तर अधिक होता है तो व्यक्ति दुःसाहसी एवं निश्चिन्त प्रकृति का होता है तथा उसका आत्मविश्वास सीमा को लांघ जाता है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से जुड़ी हुई हो तथा हाथ पर काफी नीचे भी हो तो व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी की सूचक होती है। ऐसे व्यक्ति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। छोटी-सी बात भी उनके मन को दुखी कर सकती है।

हाथ के विभिन्न आकारों के अनुसार मस्तिष्क रेखा का फल

इस महत्त्वपूर्ण विषय के सम्बन्ध में जिन सामान्य बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, वे इस प्रकार हैं:-

मस्तिष्क रेखा प्रायः उसी प्रकार की होती है, जिस प्रकार के हाथ पर वह दिखाई पड़ती है, जैसे व्यावहारिक हाथ में व्यावहारिक अथवा नुकीले या कलात्मक हाथों में कल्पनापूर्ण। इसका अर्थ यह हुआ कि इस रेखा के अनुरूप जो लक्षण हाथ पर दिखाई देते हैं, वे इतने महत्त्वपूर्ण नहीं हैं, जितने कि उस हाथ के अन्य चिह्न। इसलिये यह जान लेना महत्त्वपूर्ण है कि यदि मस्तिष्क रेखा हाथ की बनावट के अनुसार न हो तो उसका क्या प्रभाव होगा।

मस्तिष्क रेखा में इस प्रकार की विविधताएं तभी होती हैं जब मस्तिष्क की प्रक्रिया में अस्वाभाविकता आ जाती है। बीस वर्ष की अवस्था में व्यक्ति के मस्तिष्क में जो विकास होता है उसके कारण तीस वर्ष की आयु में पहुंचने पर उसके सारे जीवन में परिवर्तन हो सकता है। इसका कारण यह है कि वह परिवर्तन मस्तिष्क में पहले ही शुरू हो चुका था। इसलिये वह स्नायुओं को तथा उनके द्वारा हाथ को भी प्रभावित करता है। इस प्रकार परिवर्तन की कोई भी प्रवृत्ति अपना संकेत व्यक्ति के हाथ में वर्षों पूर्व प्रकट कर देती है।

अविकसित हाथों में मस्तिष्क रेखा सीधी, छोटी और भारी होती है। परिणामस्वरूप इसके असाधारण रूप से विकसित होने के कारण व्यक्ति के गुणों में भी असाधारणता दिखाई देगी। उदाहरण के लिए यदि मस्तिष्क रेखा चन्द्र पर्वत की ओर झुकी हुई दिखाई दे तो व्यक्ति की कल्पनाशीलता, किन्तु उसके अन्धविश्वासी होने की प्रवृत्ति की द्योतक होती है, पर यह प्रवृत्ति अविकसित हाथों की पाशविक प्रवृत्तियों के प्रतिकूल होगी। यही कारण है कि आदिम जातियों में अन्धविश्वास की भावना अधिक पाई जाती है।

मस्तिष्क रेखा और वर्गाकार हाथ : जैसा कि मैं पहले लिख चुका हूं, वर्गाकार हाथ उपयोगी और व्यावहारिक होते हैं, जिनका सम्बन्ध युक्ति, व्यवस्था, तर्क एवं विज्ञान आदि से होता है।

ऐसे हाथों पर मस्तिष्क रेखा भी हाथ की स्वाभाविक विशेषता के अनुरूप सीधी और लम्बी होती है। यदि ऐसे हाथों में मस्तिष्क रेखा थोड़ी सी भी नीचे की ओर ढलवां दिखाई दे तो व्यक्ति में नुकीले या बहुत नुकीले हाथों वाले व्यक्ति की अपेक्षा अधिक कल्पनाशीलता आ जाएगी। लेकिन दोनों ही प्रकार के व्यक्तियों के कार्य की श्रेणी में अन्तर होगा और यह अन्तर उनकी मानसिक प्रवृत्तियों के कारण होगा।

वर्गाकार हाथ में ढलवां मस्तिष्क रेखा होने पर व्यक्ति की कल्पनाशीलता का आधार उसकी व्यावहारिकता होगा, जबकि अन्य प्रकार के हाथों में मस्तिष्क रेखा के इस ढलान के कारण व्यक्ति में केवल कल्पनाशीलता और प्रेरणात्मक प्रवृत्तियां ही होंगी। प्रायः लेखकों, चित्रकारों एवं संगीतकारों आदि के हाथों में यह अन्तर स्पष्ट दीख सकता है।

मस्तिष्क रेखा और चमचाकार हाथ : चमचाकार हाथ के विशेष गुण हैं- सक्रियता, आविष्कारक प्रवृत्ति, स्वतन्त्रता और मौलिकता। इस प्रकार के हाथों में मस्तिष्क रेखा लम्बी, स्पष्ट और थोड़ी ढलवां होती है। यदि ऐसे हाथों में मस्तिष्क रेखा का ढलवांपन कुछ अधिक हो तो व्यक्ति के ये सभी गुण द्विगुणित हो जाते हैं। लेकिन यदि चमचाकार हाथों में मस्तिष्क रेखा सीधी हो तो व्यक्ति के व्यावहारिक विचार एवं उसकी योजनाएं दूसरों पर इतना अधिक अंकुश रखती हैं कि उन योजनाओं का कार्यान्वित होना ही कठिन हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति बेचैन, चिड़चिड़ा एवं असन्तुष्ट हो जाएगा।

मस्तिष्क रेखा और दार्शनिक हाथ : दार्शनिक हाथों की विशेषताएं हैं – विचारशीलता, मनन एवं कल्पनाशीलता व सनकीपन । इस प्रकार के हाथों पर मस्तिष्क रेखा अपने स्वाभाविक रूप में लम्बी, जीवन रेखा से जुड़ी हुई तथा हाथ में कुछ नीचे की ओर झुकी होती है। यदि ऐसे हाथ में मस्तिष्क रेखा सीधी हो और ऊपर की ओर स्थित हो तो व्यक्ति हर बात में दूसरों की आलोचना करने वाला, हर बात का विश्लेषण करने वाला तथा हर बात में दोष ढूंढने वाला होता है।

यदि ऐसा व्यक्ति किसी विषय अथवा अपने साथियों का भी अध्ययन करेगा तो ज्ञान-वृद्धि के लिए नहीं, अपितु उनमें कोई कमी या दोष ढूंढ निकालेगा और तब उसका स्वभाव कुछ विचित्र प्रकार का हो जाएगा। तब वह रहस्यवादी होते हुए भी किसी से डरेगा नहीं, बल्कि कभी व्यावहारिक बन जाएगा तो कभी कल्पनाशील। ऐसा व्यक्ति प्रतिभाशाली एवं विशिष्ट होता है जो प्रतिभावान् होते हुए भी प्रतिभा की अवहेलना एवं आलोचना करता है तथा स्वयं दार्शनिक प्रवृत्ति का होने पर भी दर्शन का मजाक उड़ाता है।

मस्तिष्क रेखा और नुकीले हाथ : नुकीले हाथ वाले व्यक्ति कलाप्रिय एवं भावुक विचारों में खोए रहने वाले होते हैं। ऐसे हाथों में मस्तिष्क रेखा अपने स्वाभाविक रूप से नीचे को झुकती हुई चन्द्र पर्वत क्षेत्र तक जा पहुंचती है। मस्तिष्क रेखा की ऐसी स्थिति व्यक्ति के सौन्दर्योपासक होते हुए भी खानाबदोशी जैसी स्वतन्त्रता प्रदान करती है। वर्गाकार हाथ वाले व्यक्तियों में स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत होती है जबकि नुकीले हाथ वाले व्यक्तियों में भावुकता, रोमांस एवं आदर्शवाद के विचार कूट-कूट कर भरे होते हैं। ऐसे व्यक्ति कला की प्रशंसा के लिये हर क्षण तत्पर रहते हैं, लेकिन कलात्मक विचारों को अभिव्यक्त करने में असमर्थ होते हैं।

यदि इस प्रकार के हाथों में मस्तिष्क रेखा सीधी हो तो यह व्यक्ति भी व्यावहारिक बन जाते हैं और अपने कलात्मक विचारों एवं प्रतिभा का पूर्ण प्रयोग कर योजना को कार्यान्वित कर डालते हैं। उन्हें यह ज्ञात होता है कि लोग क्या चाहते हैं। ऐसे व्यक्तियों की रुचि कला की अपेक्षा उसके माध्यम से आने वाले धन की ओर अधिक होती है। ऐसे व्यक्ति अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़ निश्चय के कारण हर प्रकार की सुविधाओं को दबाने में समर्थ हो जाते हैं।

ढलवां मस्तिष्क रेखा वाला व्यक्ति जब तक एक चित्र बना सकेगा, नुकीले हाथ वाले व्यक्ति जिनके हाथों पर ऐसी मस्तिष्क रेखा होती है, दस चित्र बना लेंगे तथा उनको बेच भी लेंगे, क्योंकि अपनी व्यावहारिक बुद्धि के कारण उनको यह ज्ञात होता है कि जनता की क्या मांग है

मस्तिष्क रेखा और आदर्श हाथ : इस प्रकार के हाथों पर मस्तिष्क रेखा अपने स्वाभाविक रूप में बहुत ढलवां होती है, जिसके कारण ऐसे व्यक्ति सपनों के संसार में खोए रहते हैं। ऐसे हाथों में सीधी मस्तिष्क रेखा बहुत कम पाई जाती है। यदि कभी सीधी देखने को मिल भी जाए तो दाएं हाथ पर होगी, बाएं हाथ पर तो ढलवां ही होगी। ऐसे हाथ पर मस्तिष्क रेखा का सीधा होना इस बात का संकेत है कि व्यक्ति परिस्थितियों के दबाव के कारण व्यावहारिक बन गया है, परन्तु मस्तिष्क रेखा के सीधी रहने पर भी इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्तियों में सांसारिकता एवं व्यापारिकता की कमी बनी ही रहती है। कला के क्षेत्र में सीधी मस्तिष्क रेखा व्यक्ति को अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने का पर्याप्त अवसर प्रदान करती है, लेकिन ऐसे व्यक्तियों को अपनी प्रतिभा को व्यावहारिक एवं व्यापारिक रूप देने के लिये प्रेरणा की बहुत आवश्यकता होती है।

उपरोक्त उदाहरणों से हमारे पाठक समझ गये होंगे कि विभिन्न प्रकार के हाथों में मस्तिष्क रेखा का स्वाभाविक रूप परिवर्तन किस प्रकार व्यक्ति के गुणों एवं विशेषताओं को परिवर्तित कर सकता है। वास्तव में देखा जाए तो मस्तिष्क रेखा का परिवर्तित रूप हाथ के किसी भी अन्य चिह्न से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण होता है |

मस्तिष्क रेखा द्वारा प्रदर्शित पागलपन

व्यक्ति के उन्माद को या पागलपन को हाथ बड़ी स्पष्टता से प्रदर्शित करता है। भले ही यह रोग व्यक्ति को विरासत में मिला हो अथवा परिस्थितिजन्य हो। इस रोग का संकेत देने वाली रेखा के इतने प्रारूप हैं कि उन सबका इस वर्णन करना सम्भव नहीं । फिर भी मैं यहां कुछ ऐसे लक्ष्णों का उल्लेख कर रहा हूं जो अधिक सामान्य होते हैं।

यह बात ध्यान में रखने की है कि जो कुछ भी स्वाभाविकता से दूर है, वही असाधारण है, अस्वाभाविक है। इसलिये जब मस्तिष्क रेखा चन्द्र पर्वत क्षेत्र पर असाधारण रूप से झुकती हुई दिखाई पड़े तो व्यक्ति की कल्पना भी असाधारण और अस्वाभाविक रूप धारण कर लेती है। मस्तिष्क रेखा का इस प्रकार से झुकना अविकसित, वर्गाकार, चमचाकार एवं दार्शनिक हाथों में बड़ा महत्त्वपूर्ण होता है।

मस्तिष्क रेखा किसी बच्चे के हाथ में भी इस प्रकार असाधारण रूप से झुक जाए तो हो सकता है कि बड़ा होने तक उस पर कोई विशेष प्रभाव न हो, लेकिन यह निश्चित है कि जैसे ही उस पर कोई मानसिक दबाव या तनाव आएगा, उसका मस्तिष्क सन्तुलन नहीं रख सकेगा और वह पागलपन का शिकार हो जाएगा।

यदि हाथ में ऐसी मस्तिष्क रेखा हो तथा शनि पर्वत भी असामान्य रूप से ऊंचा उठा हुआ हो तो व्यक्ति शुरू से ही अस्वस्थ एवं कल्पनाशील होता है। ऐसे व्यक्तियों में अत्यधिक निराशा, चिड़चिड़ापन, उदासी एवं उत्साहहीनता होती है, जो बराबर बढ़ती जाती है और अन्त में व्यक्ति अपने मानसिक सन्तुलन को खो बैठता है। यदि ढलवां मस्तिष्क रेखा के बीच में द्वीप का चिह्न हो तो यह अस्थायी पागलपन का सूचक होता है। इस प्रकार का चिह्न किसी भी मस्तिष्क सम्बन्धी रोग अथवा ब्रेन फीवर का सूचक होता है।

जो व्यक्ति जन्म से ही मूर्ख होते हैं, उनका अंगूठा बिल्कुल अविकसित, छोटा व कुरूप होता है तथा उनके हाथों में मस्तिष्क रेखा श्रृंखलावत् द्वीपों की एक कड़ी सी दिखाई पड़ती है, मानो कोई जंजीर हो ।

मस्तिष्क रेखा द्वारा प्रदर्शित हत्या करने की प्रवृत्ति

यदि कोई व्यक्ति आवेश में आकर अथवा अपनी रक्षा करने के प्रयास में किसी दूसरे व्यक्ति की हत्या कर डाले तो हाथ पर ऐसी हत्या का संकेत देने वाला कोई चिह्न नहीं होता, लेकिन यदि उस घटना ने व्यक्ति की संवेदनशीलता पर कुछ प्रभाव डाला हो तो उसका संकेत हाथ पर मिल सकता है। यदि व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का हो तो वे प्रवृत्तियां कब व किस आयु में सक्रिय रूप धारण करेंगी, इस बात का संकेत हाथ पर अवश्य मिलेगा और यही मैं आगे सिद्ध करने जा रहा हूं।

यह तो मैं पहले ही बता चुका हूं कि जब मस्तिष्क रेखा किसी दिशा में असामान्य हो जाए तो उसके प्रभाव में असाधारण बातें उत्पन्न हो जाती हैं, जैसे पागलपन, निराशा, उदासीनता आदि। इन बातों से तंग आकर व्यक्ति आत्महत्या तक कर लेता है। ऐसी परिस्थितयां नीचे की ओर झुकती हुई मस्तिष्क रेखा के परिणामस्वरूप होती हैं।

आपको याद होगा, मैं पहले ही बता चुका हूं कि मस्तिष्क रेखा हथेली को दो गोलाद्धों में विभाजित करती है। एक गोलार्द्ध का सम्बन्ध व्यक्ति की मानसिकता से होता है, जबकि दूसरे का सम्बन्ध सांसारिकता से होता है।

यदि मस्तिष्क रेखा ऊपर को उठती दिखाई दे तो व्यक्ति अपनी सांसारिक इच्छापूर्ति करने के लिये क्रूर और पाशविक बन जाता है। अपराधपूर्ण जीवन जीते रहे लोगों के हाथों से यह तथ्य अनेक बार सिद्ध हो चुका है। विशेषतः तब जब उनमें हत्या करने की प्रवृत्ति भी थी।

यदि मस्तिष्क रेखा हाथ पर अपना स्वाभाविक अथवा उचित स्थान छोड़कर एवं ऊपर को उठकर हृदय रेखा पर अधिकार जमा लेती है या कभी-कभी उससे भी आगे चली जाती है तो व्यक्ति में हत्या की प्रवृत्ति का प्रदर्शन करती है। यहां यह प्रश्न ही नहीं उठता कि ऐसे लोग एक हत्या करते हैं या बीस।

अपनी उद्देश्य पूर्ति के लिये वे किसी भी रोक-टोक को नहीं मानते तथा साधारण से प्रलोभन अथवा उकसाने से इस प्रकार की अपराधात्मक प्रवृत्तियों को वास्तविक रूप देकर ही दम लेते हैं। इस विषय में एक अद्भुत बात यह है कि वही रेखा वर्षों पूर्व यह पूर्वाभास दे देती है कि व्यक्ति की यह प्रवृत्तियां कब उसके विनाश का कारण बनेंगी।

यदि मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत क्षेत्र के नीचे हृदय रेखा से मिलती हो तो ऐसी घटना व्यक्ति के पच्चीस वर्ष का होने से पूर्व ही घट जाएगी। यदि इन रेखाओं का मिलन शनि और सूर्य पर्वत क्षेत्रों के मध्य हो तो ऐसा पैंतीस वर्ष से पूर्व और यदि सूर्य पर्वत के नीचे हो तो पैंतालीस वर्ष से पूर्व की अवस्था में होगा। इसी प्रकार और आगे की गणना भी की जा सकती है।

हाथ के अध्ययन में यह एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और मनोरंजक तथ्य है और इससे यह सिद्ध हो जाता है कि यदि मस्तिष्क रेखा एक बार भी अपनी स्वाभाविक स्थिति से ऊपर या नीचे हो गई तो व्यक्ति की प्रकृति एवं उसके चरित्र में छिपी इस प्रकार की प्रवृत्तियां स्पष्ट हो जाती हैं। हाथ के अध्ययन द्वारा बच्चों और युवाओं को उचित प्रशिक्षण देने के लिये यह शास्त्र उपयोगी सिद्ध हो सकता है, क्योंकि मस्तिष्क रेखा का अध्ययन व्यक्ति की प्रवृत्तियों का प्रदर्शन कर देता है।

मैं इस बात को नहीं मानता कि मंगल पर्वत क्षेत्र पर लाल रंग का क्रास या गुणन चिह्न या शनि पर्वत क्षेत्र पर काला बिन्दु हत्या के सूचक होते हैं। मेरे विचार से तो इस प्रकार के चिह्न उस समय के अन्धविश्वास की देन हैं जब हस्तरेखा विज्ञान का अध्ययन वैज्ञानिक ढंग से नहीं होता था।


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