नाखूनों द्वारा स्वभाव का ज्ञान
व्यक्ति की स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी तथा रोगों से प्रभावित होने की सम्भावना जानने के लिये नाखून असाधारण रूप से मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं तथा इस सम्बन्ध में अचूक जानकारी प्रदान करते हैं। लन्दन और पैरिस दोनों ही स्थानों पर डाक्टरों ने नाखूनों के अध्ययन में काफी दिलचस्पी दिखाई है। प्रायः कोई भी रोगी यह नहीं जानता या फिर भूल जाता है कि उसकी माता की मृत्यु किस रोग के कारण हुई, लेकिन नाखूनों का परीक्षण करने से यह महत्त्वपूर्ण जानकारी कुछ ही क्षणों में उपलब्ध हो जाती है। मैं इस अध्याय में नाखूनों की बनावट तथा उनके आकार की ही बात करूंगा।
नाखूनों की देखभाल कितनी ही सावधानी से व किसी भी प्रकार की जाये, उनके प्रारूप को कभी भी बदला नहीं जा सकता। भले ही काम करते हुए नाखून टूट जायें या फिर पूरी तरह सजा-संवार कर रखे गये हों, उनका प्रारूप अपरिवर्तित ही रहता है। उदाहरण के रूप में एक मैकेनिक के नाखून लम्बे हो सकते हैं और एक आराम का जीवन जीने वाले व्यक्ति के नाखून छोटे व चौड़े हो सकते हैं, लेकिन उनके प्रारूप को नहीं बदला जा सकता।
नाखून चार प्रकार के होते हैं- 1. लम्बे 2. छोटे 3. चौड़े व 4. संकरे ।
लम्बे नाखून
लम्बे नाखून उतनी शारीरिक शक्ति के सूचक नहीं होते जितने छोटे और चौड़े नाखून होते हैं। जिन व्यक्तियों के नाखून बहुत लम्बे होते हैं, उन्हें छाती और फेफड़ों के रोग होने की सम्भावना बनी रहती है तथा यह सम्भावना तब और भी अधिक बढ़ जाती है जब नाखून टेढ़े भी हों तथा ऊपर से पीछे उंगली की ओर मुड़े हुए तथा उंगली की चौड़ाई में टेढ़े हों।
यदि नाखूनों पर धारियां बन जाएं तो यह प्रवृत्ति और भी अधिक बढ़ जाती है। इस प्रकार के नाखून यदि छोटे हों तो व्यक्ति में गले के रोगों, दमा, श्वास नली की सूजन या लैरिनजाइटिस आदि रोगों की सूचना देते हैं।
ऊपर से काफी चौड़े, लम्बे और नीलापन लिये हुए नाखून व्यक्ति की अस्वस्थता के कारण शरीर के रक्त संचार में दोष के सूचक होते हैं। ऐसा प्रायः चौदह से इक्कीस और बयालीस से सैंतालीस वर्ष की आयु वाली महिलाओं में देखने को मिलता है।
छोटे नाखून
जिन परिवारों में हृदय रोगों के प्रति प्रवृत्ति होती है, उसके सदस्यों के नाखून प्रायः छोटे होते हैं। यदि नाखून अपनी जड़ में सपाट और पतले हों तथा उनमें चन्द्र का आकार बहुत छोटा या न के बराबर हो तो यह व्यक्ति के हृदय के दुर्बल होने का पक्का प्रमाण होता है।
यदि नाखूनों में चन्द्र का आकार बड़ा हो तो यह व्यक्ति के शरीर में सुचारु रक्त संचार का परिचायक होता है। यदि नाखून सपाट और जड़ में धंसते हुए प्रतीत होते हों तो यह स्नायविक रोग की पहचान है।
अत्यन्त चपटे और अपने किनारों पर मुड़ते या ऊपर उठते हुए छोटे नाखून व्यक्ति को पक्षाघात या लकवा रोग की सूचना देते हैं। यदि नाखून सफेद, भुरभुरे और चपटे भी हों तो यह इस बात का लक्षण है कि व्यक्ति में पक्षाघात का रोग काफी बढ़ चुका है।
छोटे नाखून वाले व्यक्तियों में लम्बे नाखून वाले व्यक्तियों की अपेक्षा हृदय रोगों तथा शरीर के धड़ और उससे नीचे के भागों के रोगों से ग्रस्त होने की प्रवृत्ति होती है।
लम्बे नाखून वाले व्यक्तियों में शरीर के ऊपरी भागों, जैसे फेफड़े, छाती व सिर आदि के रोग होने की अधिक सम्भावना रहती है।
यदि नाखूनों पर दाग-धब्बे हों तो ऐसे व्यक्ति कातर प्रकृति के होते हैं। वे बहुत जल्दी घबरा जाते हैं या आवेश में आ जाते हैं। यदि नाखून धब्बों से भरे हों तो यह मान लेना चाहिये कि स्नायुमण्डल की परीक्षा कराने की आवश्यकता है। पतले नाखून यदि छोटे भी हों तो दुर्बल स्वास्थ्य तथा शारीरिक ऊर्जा की कमी के सूचक होते हैं। बहुत संकरे और लम्बे नाखून यदि मुड़े हुए और ऊंचे हों तो रीढ़ की बीमारी के द्योतक होते हैं। ऐसे व्यक्तियों से अधिक शारीरिक शक्ति की आशा नहीं की जानी चाहिये ।
नाखूनों द्वारा स्वभाव का ज्ञान
लम्बे नाखून वाले व्यक्ति छोटे नाखून वालों की अपेक्षा कम आलोचना करने वाले, स्वभाव से शान्त एवं मिष्टभाषी होते हैं। लम्बे नाखून व्यक्ति की तटस्थता एवं उसकी शक्ति का निर्देश देते हैं। ऐसे व्यक्ति हर बात को शान्तिपूर्वक ग्रहण करते हैं। उन्हें अपनी कलात्मक रुचि का आभास रहता है। वे आदर्शवादी होते हैं और गीत-संगीत एवं चित्रकला आदि के शौकीन होते हैं।
लम्बे नाखून वाले व्यक्ति प्रायः स्वप्नदर्शी या कल्पनाशील होते हैं तथा किसी भी तथ्य को ज्यों का त्यों स्वीकार करने से बचते हैं। विशेषकर ऐसे तथ्यों से जो उन्हें अरुचिकर प्रतीत होते हों ।
छोटे नाखून वाले व्यक्ति कटु आलोचक होते हैं। यहां तक कि स्वयं के सम्पर्क में आने वाली चीजों का भी वे खूब विश्लेषण करते हैं। ऐसे व्यक्तियों का रुझान तर्क, युक्ति और तथ्यों के प्रति अधिक होता है, जबकि लम्बे नाखून वाले व्यक्ति स्वप्नदर्शी होने के कारण ऐसा नहीं करते। छोटे नाखून वाले व्यक्ति शीघ्र निर्णय लेते हैं और अपने कार्य को अविलम्ब सम्पन्न कर डालते हैं। बहस करते हुए भी ऐसे व्यक्ति अपनी बात को प्रमाणित करने के लिये अपने तर्क पर अन्त तक डटे रहते हैं। हास-परिहास के प्रति भी छोटे नाखून वाले व्यक्तियों का रुझान अधिक होता है, लेकिन ऐसे व्यक्ति स्वभाव से जल्दबाज और तीखे ही होते हैं और जो बातें उन्हें समझ नहीं आतीं, उनके बारे में उनके मन में सदा सन्देह बना रहता है।
यदि नाखून लम्बाई की अपेक्षा अधिक चौड़े हों तो व्यक्ति के कलहप्रिय होने की सूचना देते हैं। ऐसे व्यक्तियों में दूसरों के कार्यों में हस्तक्षेप करने की भी आदत होती है।
यदि नाखून छोटे हों और व्यक्ति को नाखूनों को दांत से काटने की आदत हो तो यह इस बात का सूचक है कि व्यक्ति अधीर स्वभाव का है तथा छोटी-सी बात भी उसे चिन्ताग्रस्त कर सकती है।
हाथों पर उगे बाल
यदि किसी हस्तरेखाविद् को पर्दे के पीछे बैठे किसी व्यक्ति के हाथ की परीक्षा करनी हो तो हाथों पर उगे हुए बाल, जो देखने में महत्त्वहीन लगते हैं, अत्यधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध होंगे। इस सम्बन्ध में यह जानना आवश्यक है कि ऐसे कौन-से नियम हैं, जिनसे नियन्त्रित होकर बाल उगते हैं। वास्तव में बालों का उपयोग प्रकृति द्वारा शरीर में अनेक लाभकारी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है। यहां मैं उनमें से केवल उन्हीं का उल्लेख करूंगा जो हस्तरेखाविद् के लिये आवश्यक हैं।
इस सम्बन्ध में यह जानना भी आवश्यक है कि बालों के रंगों तथा उनके मोटा या बारीक होने के क्या कारण हैं तथा वे व्यक्ति के स्वभाव की सूचना किस प्रकार देते हैं।
समझन का बात यह है कि प्रत्येक बाल एक बारीक ट्यूब के समान होता है, जिसका सम्बन्ध त्वचा और त्वचा की नाड़ियों से होता है। वास्तव में बाल का शाब्दिक अर्थ ट्यूब हैं, जो शरीर के भीतर के विद्युत् प्रवाह को बाहर निकालने के लिए आवश्यक है। यही विद्युत् प्रवाह रंगों के द्वारा बालों में समा जाता है, जिनके द्वारा हस्तरेखाविद् व्यक्ति के स्वभावगत गुणों की जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है।
उदाहरण के लिये यदि शरीर में लोहा अथवा लाल रंग का द्रव्य अधिक हो तो विद्युत का प्रवाह बालों से गुजरता हुआ इन पदार्थों को बालों में भर देता है और तब बालों का रंग काला, भूरा, स्लेटी, सुनहरा अथवा सफेद हो जाता है। सुनहरे अथवा सफेद बालों वाले व्यक्तियों के शरीर में लौह तत्व व रंगद्रव्य की मात्रा कम होती है। ऐसे व्यक्ति थके-थके, निस्तेज तथा अपने चारों ओर से वातावरण के तुरन्त प्रभावित होने वाले होते हैं। जबकि गहरे रंग के बालों वाले व्यक्तियों पर इस प्रकार का प्रभाव बहुत कम पड़ता है।
यद्यपि गहरे रंग के बालों वाले व्यक्ति हल्के रंग के बालों वाले व्यक्तियों की तुलना में कम उत्साही होते हैं, तथापि उनके मिजाज में आवेश, चिड़चिड़ापन तथा जोश अधिक होता है। वे प्रायः तुनकमिजाज होते हैं। इसी प्रकार हल्के रंग के बालों वाले व्यक्तियों में प्रेम या स्नेह अधिक पाया जाता है। यदि हम लाल रंग के बालों वाले व्यक्तियों को देखें तो पायेंगे कि लाल रंग के बाल काले, भूरे या सुनहरे बालों की अपेक्षा मोटे, रूखे और कम चिकने होते हैं। इसका कारण उनके बालों में पहुंचने वाले विद्युत् प्रवाह की मात्रा का अधिक होना है, जिसके परिणामस्वरूप लाल रंग के बालों वाले व्यक्ति काले, भूरे या सुनहरी रंग के बालों वाले व्यक्तियों के मुकाबले अधिक भावावेश में आ जाने वाले अथवा शीघ्र ही किसी काम के लिये प्रेरित किये जा सकने वाले होते हैं।
जब व्यक्ति का शरीर शक्ति के अपव्यय अथवा कमी के कारण कमजोर हो जाता है या वह बूढ़ा हो जाता है तो उसके शरीर में विद्युत् के बनने की मात्रा भी कम हो जाती है और जो भी विद्युत् बनती है वह सारी की सारी उसके शरीर द्वारा ही प्रयोग कर ली जाती है, जिसके कारण रंगों का बालों में जाना बन्द हो जाता है और बाल सफेद होना शुरू हो जाते हैं। ऐसा तब तक होता रहता है जब तक कि सारे बाल सफेद न हो जाएं। किसी आकस्मिक झटके अथवा दुःख के कारण भी ऐसा ही होता है। कभी-कभी आप देखते होंगे कि बाल अपनी जड़ों पर खड़े हो जाते हैं और कुछ ही घण्टों में सफेद हो जाते हैं। ऐसा भी बालों में विद्युत् प्रवाह की कमी के कारण ही होता है। एक बार बाल सफेद हो जायें तो फिर शायद ही कभी अपना मूल रंग प्राप्त कर सकें।
मेरे विचार से दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में सफेद बाल वाले व्यक्ति अमरीका में सबसे अधिक होते हैं। शायद इसका कारण अमरीकी लोगों का तनावयुक्त जीवन है।
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