हाथों की बनावट और प्रकार
हस्तरेखा विज्ञान वास्तव में पूरे हाथ का अध्ययन है। इसे दो भागों में विभक्त किया गया है। पहला है हस्ताकृति-विज्ञान और दूसरा है हस्तरेखा शास्त्र। पहले का सम्बन्ध हाथों व उंगलियों की बनावट से है, जिससे व्यक्ति के चरित्र और उस पर हो चुके पैतृक प्रभावों का विश्लेषण होता है, जबकि दूसरे भाग का सम्बन्ध हाथ की रेखाओं, चिह्नों तथा व्यक्ति की भूत, वर्तमान एवं भविष्य की घटनाओं से होता है।
अतः यह सिद्ध होता है कि एक भाग का अध्ययन दूसरे भाग की जानकारी के बिना अधूरा रह जायेगा। यह बात आसानी से समझ में आने वाली है कि हस्तरेखाविद् को हाथ की रेखाओं और चिह्नों को देखकर किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हाथ की बनावट, उसकी आकृति, त्वचा एवं नाखूनों आदि का परीक्षण अवश्य करना चाहिये।
अनेक हस्तरेखाविद् इस बात को बिलकुल अप्रासंगिक मानते हैं और इस पर कोई ध्यान नहीं देते तथा उनकी पुस्तकों में इस बारे में कोई विशेष विवरण नहीं मिलता। वे इन बातों को छोड़कर सीधे हस्तरेखाओं के विवरण पर आ जाते हैं।
लेकिन यदि विचारपूर्वक देखा जाए तो ऐसा करना बड़ी भारी भूल है। विषय का पूर्णरूपेण अध्ययन करने के लिए हाथों की बनावट का निरीक्षण रेखाओं की जानकारी से अधिक आवश्यक है और यह अत्यन्त आसान भी है। हस्तरेखाविद् किसी ट्रेन में सफर कर रहा हो अथवा मन्दिर में बैठा हो या फिर किसी संगीत सभा में ही क्यों न हो, हाथों की आकृति के सहारे वह कहीं भी बैठा-बैठा अजनबी व्यक्तियों के चरित्र का अध्ययन कर सकता है।
हाथों की आकृति में पूरे राष्ट्र की विशेषताएं समाहित होती हैं। आगे के अध्यायों में मेरा यह प्रयत्न रहेगा कि मैं आपको ऐसी कुछ विशेषताओं के बारे में जानकारी दूं, जिन्हें मैंने इस शास्त्र का अध्ययन करते हुए स्वयं देखा है। हाथों की बनावट में प्रायः भिन्नता होती है और यह भिन्नता ही विभिन्न व्यवसायों के लिए व्यक्ति की अनुकूलता का पता देती है । यद्यपि हम अपनी इच्छाशक्ति के अनुसार अपनी किसी भी शारीरिक कमी को किसी हद तक सुधार कर उसमें परिवर्तन ला सकते हैं, तथापि यह तथ्य नहीं भुलाया जा सकता कि किसी एक कार्य के लिए कुछ व्यक्ति अधिक उपयुक्त होते हैं, जबकि दूसरे व्यक्ति किसी दूसरे कार्य के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। अतः हम सबसे पहले विभिन्न प्रकार के हाथों तथा उनकी विशेषताओं के सम्बन्ध में ही अध्ययन करेंगे।
मुख्यतः हाथ सात प्रकार के होते हैं, जिनका क्रम इस प्रकार है :
- अविकसित अथवा निम्न श्रेणी के हाथ। The Elementry or the lowest type.
- चमचाकार अथवा गतिशील हाथ। The Stapulate or the nervous active type.
- दार्शनिक अथवा गांठदार हाथ। The Philosophic or the knotty hand.
- नुकीले अथवा कलात्मक हाथ। The Conic or the artistic type.
- आदर्श हाथ। The Psychic or the idealistic hand.
- मिश्रित हाथ। The Mixed hand.
- वर्गाकार अथवा उपयोगी हाथ। The Square or the useful hand.
हाथों के यह सात आकार उनकी किसी-न-किसी विशेषता को ध्यान में रखकर ही निश्चित किये गये हैं, परन्तु आज के सभ्य समाज में अविकसित हाथ प्रायः दिखाई नहीं देते, इसलिये हम हाथों के वर्गाकार होने की बात करते हैं। ये भी सात प्रकार के होते हैं।
1. छोटी वर्गाकार उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ । 2. लम्बी वर्गाकार उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ। 3. गांठदार उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ। 4. चमचाकार उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ। 5. नुकीली उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ। 6. दार्शनिक उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ । 7. मिश्रित उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ ।
1. अविकसित अथवा निम्न श्रेणी के हाथ
इस प्रकार के हाथ प्रायः उन लोगों के होते हैं जिनका वैचारिक स्तर अत्यन्त निम्न कोटि का होता है। ऐसे हाथ देखने में बड़े मोटे, भद्दे, थुलथुले एवं भारी हथेली वाले होते हैं तथा इनकी उंगलियां और नाखून छोटे होते हैं।
इस प्रकार के हाथों के बारे में कुछ जानने से पहले हथेली व उंगलियों की लम्बाई पर ध्यान देना बहुत महत्त्वपूर्ण है। हस्तरेखा विज्ञान के सम्बन्ध में लिखे कुछ ग्रन्थों के अनुसार यह आवश्यक है कि जो लोग बुद्धिप्रधान होते हैं उनकी उंगलियां हथेली से अधिक लम्बी होनी चाहियें, परन्तु परीक्षण करने पर यह विश्वास सही नहीं पाया गया। यह सिद्ध नहीं हो सका कि उंगलियां हथेली से अधिक लम्बी हों तभी कोई व्यक्ति बुद्धिप्रधान होगा। हथेली और उंगलियों की लम्बाई लगभग समान हो, यह तो पाया गया, किन्तु यह नहीं पाया गया कि दोनों बिल्कुल समान लम्बाई की हों।
यह सच है कि यदि उंगलियां हथेली के अनुपात से कुछ बड़ी हों तो व्यक्ति उन लोगों के मुकाबले अधिक बुद्धिमान् होता है, जिनकी उंगलियां हथेलियों के अनुपात में छोटी होती हैं।
डाक्टर कैर्न ने अपनी पुस्तक में लिखा है – हिंसक पशुओं की हथेलियों की हड्डियां ही उनका पूरा हाथ होती हैं। अतः इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि हथेली जितनी बड़ी होगी, व्यक्ति में पाशविकता उतनी ही अधिक होगी। अविकसित हाथों के बारे में यह तथ्य बहुत महत्त्वपूर्ण है। ऐसे हाथों की हथेलियां सदा ही मोटी और खुरदरी होती हैं तथा उंगलियां छोटी और बेढंगी। ऐसी हथेलियों पर रेखाएं भी बहुत कम होती हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्तियों की मानसिक क्षमता बहुत कम होती है तथा उनमें पाशविक वृत्ति ही अधिक पाई जाती है।
ऐसे व्यक्तियों का न तो अपनी इच्छाओं पर कोई नियन्त्रण होता है और न ही अपने काम पर किसी भी प्रकार के रूप, रंग अथवा सौन्दर्य के प्रति भी उन्हें कोई लगाव नहीं होता। ऐसे हाथों में अंगूठा छोटा और मोटा होता है तथा उनके ऊपर नाखून भी प्रायः वर्गाकार होते हैं। ऐसे व्यक्ति हिंसक स्वभाव के तथा शीघ्र आवेश में आ जाने वाले तथा अपनी वृत्तियों के दास होते हैं, पर साहसी नहीं होते।
यदि वे किसी की हत्या भी करना चाहें तो क्रोध में उत्तेजित हो जाने पर ही करेंगे। ऐसे व्यक्ति अपनी प्रकृति के कारण थोड़े चालाक भी प्रतीत होते हैं, लेकिन उनकी यह चतुराई तर्कसंगत नहीं होती। ऐसे लागों की एक ही मनोकामना होती है, खाओ-पीओ और मर-खप जाओ।
2. चमचाकार अथवा गतिशील हाथ
ऐसे हाथों को चमचाकार इसलिये कहा जाता है क्योंकि उनकी कलाई अथवा उंगलियों की जड़ों के पास हथेली असाधारण रूप से चौड़ी होती है। ऐसी हथेलियां जब कलाई के पास अधिक चौड़ी होती हैं तो उंगलियों की ओर जाते हुए कुछ नुकीली हो जाती हैं, लेकिन यदि हथेलियों की चौड़ाई उंगलियों की जड़ के पास अधिक हो तो नुकीलापन कलाई की ओर दिखाई पड़ता है। इन दोनों बातों की चर्चा हम बाद में करेंगे, अभी तो चमचाकार हाथों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें।
इस प्रकार के हाथ यदि कठोर अथवा दृढ़ हों तो व्यक्ति की उत्तेजित मनः स्थिति की ओर इशारा करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को अपने लक्ष्य के प्रति अति उत्साहित देखा जाता है। लेकिन यदि हाथ गद्देदार अथवा कोमल हों तो व्यक्ति का स्वभाव अस्थिर एवं चिड़चिड़ा होता है। ऐसा व्यक्ति किसी भी काम में कुछ देर जमकर नहीं लगा रह सकता, बल्कि टुकड़ों में काम करता है।
लेकिन फिर भी ऐसे हाथों वाले व्यक्ति क्रियाशील होते हैं तथा स्वाधीनता के प्रति उनमें गहरा मोह होता है। ऐसे व्यक्ति आविष्कारक, खोजकर्ता, इंजीनियर, नाविक अथवा मैकेनिक होते हैं। प्रायः हर क्षेत्र में ऐसे व्यक्ति मिल जाते हैं जिनके हाथ काफी बड़े होते हैं तथा उंगलियां भी सुविकसित होती हैं। ऐसे व्यक्तियों में स्वाधीनता की भावना अत्यधिक बलवती होती है और अपनी इसी वृत्ति के कारण वे परम्परागत नियमों की लीक को छोड़कर अनजाने सत्य की खोज में जुट जाते हैं तथा प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।
ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी स्थान और कैसी भी स्थिति में रहें, दूसरों का अनुसरण स्वीकार नहीं करते, वरन् अपनी राह स्वयं निश्चित करते हुए उभर कर ऊपर आ जाते हैं और अपनी स्वतन्त्र सत्ता की धाक जमा देते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति गायक, अभिनेता, डाक्टर अथवा उपदेशक कुछ भी हों, सभी स्थापित नियमों को तोड़ कर अपनी मौलिकता की छाप लगा देते हैं।
प्रायः ऐसे लोगों को सनकी भी कहा जाता है, क्योंकि उन्हें पहले से बनी लीक पर चलना स्वीकार नहीं होता। ऐसे व्यक्ति जब भी कोई काम आरम्भ करते हैं तो उन्हें ग़लत कहा जाता है, लेकिन सच तो यह है कि वे अधिकांशतः अपने समय से आगे की बात सोचते हैं तथा अपने नये विचारों के कारण समाज में अगुआ बनकर कुछ समय बाद दूसरों के लिये उपयोगी सिद्ध होते हैं।
आइये अब इस अध्याय के आरम्भ में बताई गई दोनों बातों का अर्थ भी जान लें। जिन व्यक्तियों का हाथ उंगलियों की जड़ के पास अधिक चौड़ा होता है, वे अधिक व्यावहारिक होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपनी प्रतिभा का उपयोग जीवन की अनेक उपयोगी वस्तुओं के निर्माण में करते हैं, किन्तु यदि हाथ कलाई के पास अधिक चौड़ा हो तो ऐसे व्यक्ति के मस्तिष्क और विचारों में अधिक गतिशीलता विचार करते हैं तथा छोटी से छोटी बात में भी अत्यन्त सावधानी बरतते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी साधारण शब्द का भी प्रयोग करते हैं तो भी कुछ इस प्रकार से कि वे दूसरों से भिन्न प्रकट हों ।
यद्यपि उनमें धीरज और सन्तोष बहुत होता है तथापि यदि कोई उन्हें चोट पहुंचाये तो उसे भूलते नहीं। वे धैर्यपूर्वक अवसर की प्रतीक्षा करते हैं और अवसर आते ही सारा हिसाब-किताब चुकता कर देते हैं। सदा ही अवसर की खोज में लगे रहने वाले ऐसे व्यक्तियों को सुअवसर प्राप्त भी होते रहते हैं।
ऐसे व्यक्तियों का जीवन आत्माभिमान का सूचक होता है। यदि ऐसे व्यक्तियों के हाथ अधिक विकसित हो जाएं तो वे कट्टरपन्थी भी बन जाते हैं। भारत में इस प्रकार के अनेक अद्भुत उदाहरण मिलते हैं, जहां योगी बचपन से ही सांसारिक बन्धनों से पृथक् हो जाते हैं।
मैंने देखा है कि अधिकांश लेखकों ने अपनी पुस्तकों में प्रायः उन्हीं बातों को दोहरा दिया है, जिन्हें अन्य विद्वानों ने लिखा है। उन्होंने अपनी ओर से कोई निरीक्षण-परीक्षण करने का कष्ट नहीं किया। हस्तरेखाओं के अध्ययन का काम उन्होंने केवल शौकिया किया ताकि वे कुछ नाम कमा सकें। मैंने अपने इस बलाग पर पूर्वाग्रहों से मुक्त रहने का प्रयत्न किया है और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उसके पक्ष अथवा विपक्ष में बड़ी सावधानी से विचार किया है। छोटी से छोटी बात के बारे में लिखने से पहले मैंने सैंकड़ों हाथों के परीक्षण किये और पर्याप्त समय लगाया। इसलिये मैं समझता हूं कि मेरे इस अनुभूत ज्ञान के गलत सिद्ध होने की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती।
इस प्रकार के हाथों के बारे में यह बात विशेष ध्यान रखने की है कि यदि व्यक्ति की उंगलियों के जोड़ गांठदार होंगे तो व्यक्ति विचारप्रधान होगा, जबकि नुकीली उंगलियां इसके विपरीत होने की सूचक हैं। यदि उंगलियों के जोड़ गांठदार होंगे तो व्यक्ति का झुकाव प्रत्येक बात के सूक्ष्म विश्लेषण के प्रति अधिक होगा, लेकिन यदि उंगलियों की नोक वर्गाकार अथवा नुकीली होगी या दोनों का मिश्रण होगा तो व्यक्ति की विशेषताओं में गम्भीरता दृष्टिगोचर होगी, जिसके कारण उसके व्यक्तित्व में रहस्यवाद का जन्म होगा तथा उसके विचार धार्मिकता लिये हुए होंगे।
4. नुकीले अथवा कलात्मक हाथ
ऐसे हाथों का आकार प्रायः मध्यम होता है। इनमें हथेली कुछ लम्बी होती है। तथा उंगलियां जड़ के पास भरी हुई तथा नाखूनों की ओर जाकर कुछ नुकीली हो जाती हैं। ऐसे हाथ प्रायः आदर्श हाथों से मिलते-जुलते होते हैं।
भावावेश और अन्तर्ज्ञान ऐसे हाथों की दो प्रमुख विशेषताएं होती हैं। ऐसे व्यक्तियों को प्रायः भावावेश की सन्तति ही कहा जाता है। इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्ति प्रायः दीख पड़ते हैं। ऐसे हाथ भरे-भरे पर कोमलता लिये हुए तथा लम्बी उंगलियों एवं लम्बे नाखूनों वाले होते हैं। हाथों का ऐसा होना व्यक्ति की कलात्मक रुचि एवं भावावेश सम्पन्न प्रकृति का परिचायक होता है।
ऐसे व्यक्ति सुख-शान्ति के प्रहरी, पर थोड़े चिड़चिड़े मिजाज के होते हैं। उन्हें चतुर एवं प्रत्युत्पन्नमति कहा जाए तो ठीक होगा, लेकिन उनमें धीरज की कमी होती है तथा वे जल्दी ही ऊब जाते हैं। अजनबी लोगों के साथ उनके सम्बन्ध बहुत जल्दी बन जाते हैं, क्योंकि वे बातचीत करने की कला में बहुत निपुण होते हैं। ऐसे व्यक्ति बातचीत के प्रवाह को बड़े जल्दी भांप लेते हैं और क्योंकि उनमें सतही ज्ञान अधिक होता है इसलिये वे तर्क से बचते हैं।
अपनी इसी विशेषता के कारण ऐसे व्यक्ति प्रेम-सम्बन्धों और मैत्री के मामले में कान के कच्चे सिद्ध होते हैं। अपने सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों तथा आस-पास के वातावरण से भी ऐसे व्यक्ति तुरन्त प्रभावित हो जाते हैं। प्रणय सम्बन्धों में वे अत्यन्त प्रभावग्राही सिद्ध होते हैं तथा अपनी पसन्द अथवा नापसन्द की सीमा तक जा पहुंचते हैं। इन व्यक्तियों के स्वभाव में जल्दबाजी बहुत होती है। यदि ये क्रोध में आ जायें तो इतने अधीर हो जाते हैं कि अपनी बातों और शब्दों को बिना सोचे-समझे कह जाते हैं।
ऐसें व्यक्ति उदार एवं सहानुभूतिपूर्ण भी होते हैं, पर अपने सुख के मामले में सदा स्वार्थी होते हैं। रुपये-पैसे के मामले में बहुत उदार होते हैं तथा दान आदि के लिये ऐसे व्यक्तियों को बड़ी आसानी से प्रभावित किया जा सकता है। आपने उनके मन में अपने प्रति तनिक भी सहानुभूति पैदा कर दी तो वे आपको अपना सर्वस्व भी दे सकते हैं।
इस प्रकार के हाथों को कलात्मक भी कहा जाये तो भी अनुचित न होगा, बल्कि कलात्मक कहने की अपेक्षा यदि इन्हें कलात्मकता से प्रभावित कहा जाये तो अधिक उचित रहेगा। ऐसे व्यक्ति चित्रकारी, संगीत, वाक्पटुता, प्रसन्नता अथवा दुःख आदि से बहुत शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः भावुक होते हैं तथा किसी छोटी-सी बात पर भी दुःख की गहराई या सुख की चरम सीमा तक पहुंच जाते हैं।
यदि ऐसा हाथ सख्त और थोड़ा लचकदार भी हो तो व्यक्ति में ऊपर बताई गई विशेषताओं के अतिरिक्त इच्छाशक्ति की दृढ़ता भी पाई जाती है। ऐसे सख्त हाथ
वाले व्यक्तियों को यदि कलात्मक जीवन के प्रति प्रेरित कर दिया जाए तो वह अपनी सारी शक्ति और संकल्प को सफलता प्राप्ति के लिये लगा देते हैं। अभिनेता, गायक, वक्ता आदि इसी प्रकार के व्यक्ति होते हैं। ऐसे व्यक्ति तर्क, विचार अथवा अध्ययन की अपेक्षा क्षण विशेष की प्रेरणागत भावनाओं पर अधिक जोर देते हैं। यदि वे कोई बढ़िया काम कर जायें तो उन्हें यह पता नहीं चलता कि वे उस काम को कैसे कर गये। इसलिये ऐसे व्यक्तियों के हाथ का सम्बन्ध उनके प्रकृत स्वभाव से होता है।
उदाहरण के लिये एक वर्गाकार उंगलियों वाली महिला भी उतनी ही बड़ी गायिका हो सकती है जितनी कि नुकीली उंगलियों वाली महिला वर्गाकार उंगलियों वाली महिला और भी ऊंचा उठने की चेष्टा करती है, लेकिन वह अपने अभ्यास, अध्ययन, परिश्रम, सहनशक्ति और धीरज आदि गुणों के द्वारा ही ऊंचा उठ पायेगी, जबकि कलात्मक हाथ वाली महिला अपने स्वभाव के अनुरूप ही अधिक शक्तिशाली सिद्ध होगी ।
कलात्मक हाथों की उंगलिया किसी कलाकार को अधिक व्यापकता प्रदान करती हैं। ऐसे हाथों वाला व्यक्ति अधिक साहसी होता है तथा अपनी मौलिकता के कारण अधिक प्रसिद्ध भी होता है।
5. आदर्श हाथ
विभिन्न सात प्रकार के हाथों में इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्ति को प्रायः अभागा कहा जाता है। जैसा कि इसके नाम से प्रतीत होता है। इस प्रकार का हाथ मिलना बहुत दुर्लभ है। ऐसे हाथों वाले व्यक्ति का सम्बन्ध प्रायः आध्यात्मिकता से होता है। यद्यपि ऐसा हाथ मिलना कठिन है, पर फिर भी इस आकृति से मिलते-जुलते अनेक हाथ दिखाई देते हैं। आकृति के आधार पर इन हाथों को सर्वाधिक सुन्दर कहा जाता है, क्योंकि इनकी बनावट लम्बी व संकरी, उंगलियां पतली एवं ढलवां तथा नाखून लम्बे व बादाम का सा आकार लिये होते हैं। इस प्रकार के हाथों वाले व्यक्ति में ऊर्जा की कमी और निष्क्रियता प्रायः दिखाई पड़ती है।
इस प्रकार के व्यक्ति परिश्रम करने में बिल्कुल ही अक्षम होते हैं। अतः जीवनयात्रा में संघर्षो का सामना नहीं कर पाते।
इस प्रकार के व्यक्ति सपनों के संसार में रहते हैं तथा आदर्शवादी होते हैं। वे प्रत्येक वस्तु में सौन्दर्य ढूंढ निकालने वाले तथा स्वभाव से भी नम्र एवं शान्तिप्रिय होते हैं। वे किसी पर अविश्वास नहीं करते और जो भी उनके प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करता है, वे उसी के होकर रहते हैं। अपनी इच्छाओं के विरुद्ध वे परिस्थितियों के वश में होकर बड़ी सरलता से दूसरों के प्रभाव में आ जाते हैं।
रंगों के प्रति भी ऐसे हाथ वाले व्यक्ति बहुत आकर्षित होते हैं। ऐसे हाथ वाले कुछ व्यक्तियों में रंगों के प्रति इतना अधिक मोह होता है कि उन्हें रंगों में संगीत का. स्वर, प्रसन्नता और दुःख तक दृष्टिगोचर होता है। ऐसे लोग अनजाने ही धार्मिक वृत्ति के भी हो सकते हैं, पर वे यह नहीं जानते कि सत्य का अनुभव कैसा होता है। सत्य पाने की क्षमता उनमें नहीं होती। ऐसे व्यक्तियों को देखकर लगता है कि वे आध्यात्मिकता में डूबे हुए हैं, परन्तु वे नहीं जानते कि ऐसा क्यों होता है।
जादू के खेल उन्हें अत्यन्त प्रिय होते हैं। यदि कोई उनके प्रति छल करे तो उन्हें बहुत बुरा लगता है। ऐसे व्यक्तियों का अतीन्द्रिय ज्ञान बहुत विकसित होता है और वे अत्यन्त सूक्ष्मग्राही एवं परोक्षदर्शी होते हैं। ऐसे हाथों वाले व्यक्तियों के अभिभावक प्रायः यह नहीं समझ पाते कि उनके साथ किस प्रकार का व्यवहार किया जाये, जबकि ऐसे व्यक्ति प्रायः व्यावहारिक लोगों की सन्तान होते हैं।
यदि ऐसे व्यक्तियों के माता-पिता अपने बच्चों को अपनी ही तरह का बनाने का प्रयत्न करें तो यह एक ऐसी गलती होगी, जिससे उन बच्चों का जीवन पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा। इस सत्य को जितनी जल्दी जान लिया जाय, उतना ही बेहतर है।
प्रायः इस प्रकार के हाथों वाले व्यक्ति अपने को पूरी तरह निकम्मा और अनुपयोगी मान बैठते हैं। परिणामस्वरूप वे मान बैठते हैं कि उनका जीवन निरर्थक है, परन्तु उनका ऐसा सोचना असंगत होता है। प्रकृति ने जो कुछ भी बनाया है, उनमें कुछ भी अनुपयोगी नहीं है। ऐसे लोगों को सदा प्रोत्साहन मिलना चाहिये। उनकी सदा सहायता करनी चाहिये।
6. मिश्रित हाथ
मिश्रित हाथों के बारे में लिखना या वर्णन करना सबसे कठिन है। वर्गाकार हाथ के सन्दर्भ में मैंने मिश्रित जंगलियों के बारे में समझाया था। यद्यपि वर्गाकार हाथ मिश्रित उंगलियों के लिये आधार का काम करता है तथापि वास्तविक रूप से मिश्रित हाथ के सम्बन्ध में कोई भी आधार नहीं माना जा सकता।
ऐसे हाथों को मिश्रित इसीलिये कहा जाता है क्योंकि इन्हें किसी भी वर्ग अथवा श्रेणी में रखना सम्भव नहीं होता। इसमें उंगलियां मिश्रित लक्षणों वाली होती हैं। एक नुकीली तो दूसरी वर्गाकार, तीसरी चपटी तो चौथी दार्शनिक।
अतः मिश्रित हाथों को विचारों एवं उद्देश्य में परिवर्तनशील होने वाले हाथ मानें तो अधिक सही रहेगा। ऐसे हाथों वाले व्यक्ति हर स्थिति में सामंजस्य बनाये रखते हैं, पर्याप्त चतुर होते हैं, परन्तु अपनी योग्यताओं के उपयोग में परिवर्तनशील और मनमौजी भी होते हैं।
बातचीत का विषय चाहे विज्ञान हो अथवा कला या फिर कोरी गपशप ही क्यों न हो, ऐसे व्यक्ति बड़े मेधावी सिद्ध होते हैं। हो सकता है कि वे संगीत प्रेमी हों या चित्रकार हों या ऐसे ही किसी क्षेत्र में प्रवीण हों, लेकिन वे महान् कभी नहीं हो सकते। यदि हाथ में बलवान् मस्तिष्क रेखा हो तो ऐसे व्यक्ति अपनी अनेक योग्यताओं में से सर्वश्रेष्ठ को चुनकर उसका उपयोग करने में समर्थ सिद्ध हो सकते हैं।
ऐसे व्यक्तियों के लिये कूटनीति और चतुराई के क्षेत्रों में अनेक अवसर प्राप्त होते हैं। उनकी प्रतिभा बहुमुखी होती है और वे हर प्रकार की परिस्थिति को अपने अनुकूल बना लेते हैं। ऐसे व्यक्ति अन्य लोगों की भांति भाग्य के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होते और हर प्रकार के काम को अत्यन्त साधारण समझते हैं। उनकी सूझ-बूझ प्रायः मौलिक होती है, पर उनकी प्रकृति थोड़ी अस्थिर रहती है, इसीलिये वे किसी एक स्थान पर अधिक समय तक टिक नहीं सकते। उनके मस्तिष्क में सदा ही नये-नये विचार आते रहते हैं। वे अभी नाटक लिखने को तैयार हो जाते हैं तो कुछ देर बाद हो सकता है कि वे कोई स्टोव बनाना शुरू कर दें अथवा राजनीति में छलांग लगा जायें। अपनी इसी परिवर्तनशील प्रकृति के कारण वे कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते।
यह बात ध्यान में रहने की है कि यदि हथेली किसी विशिष्ट प्रकार की हो तो ऊपर बतायी गई विशेषताएं बदल भी सकती हैं। मिश्रित हाथों वाले व्यक्तियों में अनेक गुणों का समावेश होता है, लेकिन ऐसे व्यक्ति किसी भी कार्य के विशेषज्ञ नहीं होते।
7. वर्गाकार अथवा उपयोगी हाथ
इस प्रकार के हाथों की हथेलियां कलाई के पास वर्गाकार होती हैं तथा उंगलियों की जड़ें एवं उंगलियां भी कुछ-कुछ वर्गाकार ही प्रतीत होती हैं । ऐसे हाथों को ही प्रायः उपयोगी हाथ भी कहा जाता है, क्योंकि इस प्रकार के हाथ जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई पड़ते हैं। ऐसे हाथों के नाखून प्रायः छोटे और वर्गाकार होते हैं।
जिन व्यक्तियों के हाथ वर्गाकार होते हैं, वे समय का पालन करने वाले, व्यवहार में प्रवीण तथा नियमानुसार चलने वाले होते हैं। देखा जाए तो ऐसा करना उनकी आदत होती है। ऐसे व्यक्ति राज्य का सम्मान करने वाले एवं अनुशासनप्रिय भी होते हैं। उनके जीवन में हर वस्तु के लिये एक निश्चित स्थान होता है। न केवल घर और दफ्तर में, बल्कि मन-मस्तिष्क में भी वे नियमपालन का सम्मान करते हैं।
ऐसे व्यक्ति झगड़ालू नहीं होते, किन्तु जब किसी का विरोध करते हैं तो उसमें उनके दृढ़ निश्चय की झलक अवश्य दिखाई पड़ती है। ऐसे व्यक्ति तर्कसंगत तथा शान्तिप्रिय होते हैं। लड़ाई-झगड़ा उन्हें पसन्द नहीं होता। वे अपने काम से काम रखते हैं। उनकी हर बात में सुघड़ता नजर आती है। ऐसे व्यक्तियों में धैर्य की मात्रा भी विशेष होती है तथा वे दृढनिश्चयी भी होते हैं। ऐसे व्यक्ति भावुक कम, भौतिकतावादी अधिक होते हैं, इसीलिये व्यावहारिक जगत् में प्रायः कम सफल होते हैं। ऐसे व्यक्ति धार्मिक होने का दिखावा नहीं करते, बल्कि सोच – कर्म में विश्वास रखते हैं। ऐसे व्यक्ति सिद्धान्तप्रिय होते हैं, केवल विचारों पर भरोसा नहीं करते।
वे कुछ करके दिखाना चाहते हैं, पर क्योंकि उनमें मौलिकता तथा कल्पनाशक्ति अधिक नहीं होती इसलिये वे लोगों के अनुकूल नहीं ढल पाते। अपने कार्यक्षेत्र में उनकी चारित्रिक शक्ति एवं दृढ़ता अधिक दीख पड़ती है और वे कुशल भी होते हैं। इसीलिये प्रायः अपने से अधिक मेधावी प्रतिस्पर्धियों से काफी आगे निकल जाते हैं। ऐसे व्यक्ति कृषि और वाणिज्य को प्रोत्साहन देने वाले होते हैं तथा अपने घरेलू दायित्व को सहर्ष निभाते हैं।
ऐसे व्यक्ति कोरे श्रेय का प्रदर्शन नहीं करते, बल्कि अपनी बात के प्रति सच्चे सिद्ध होते हैं। सिद्धान्त के पक्के और अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदार ऐसे व्यक्ति यदि किसी से दोस्ती कर लेते हैं तो उसे प्राणपण से निभाते हैं। ऐसे व्यक्तियों में एक ही कमी होती है, वे हर बात को तर्क के तराजू पर तौलकर ही मानते हैं और जो बात उन्हें समझ में नहीं आती उस पर विश्वास नहीं करते।
छोटी वर्गाकार उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ: इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्ति प्रायः देखने में आते हैं और अपने हाथ की इस विशेषता के कारण वे बड़ी जल्दी पहचान में भी आ जाते हैं। ऐसे व्यक्ति पक्के भौतिकवादी होते हैं। वे अपनी आंख से देखे अथवा कान से सुने बिना किसी बात पर विश्वास नहीं करते।
ऐसे व्यक्ति किसी सीमा तक हठी भी कहे जा सकते हैं और उनकी मानसिकता प्रायः संकुचित भी मानी जाती है, पर फिर भी यदि ऐसे व्यक्ति किसी पर विश्वास कर लें तो कर भी सकते हैं। ऐसे व्यक्ति व्यापारिक एवं व्यावहारिक बुद्धि के होते हैं और अपने बाहुबल से खूब पैसा कमाते हैं। भौतिक सुख-समृद्धि की ओर भी उनका रुझान होता है तथा वे पैसा जोड़ना भी पसन्द करते हैं।
लम्बी वर्गाकार उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ: ऐसे हाथों वाले व्यक्तियों का मानसिक विकास छोटी उंगलियों वाले व्यक्ति की अपेक्षा कहीं अधिक होता है। ऐसे व्यक्ति तर्क तथा नियम-कानून से अधिक बंधे होते हैं, पर फिर भी घिसी-पिटी लीक पर नहीं चलते। ऐसे व्यक्ति किसी पूर्वाग्रह से भी प्रभावित नहीं होते, बल्कि सावधानीपूर्वक तर्कसंगत निष्कर्षों पर पहुंच कर ही दम लेते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः किसी वैज्ञानिक क्षेत्र में ही जाते हैं अथवा उनका कार्य-व्यवसाय ऐसा होता है जहां तर्क को प्राथमिकता दी जाए।
गंठीली उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ: ऐसे हाथों में उंगलियां प्रायः लम्बी होती हैं तथा उनमें गांठें होती हैं। ऐसे व्यक्ति किसी भी बात के सूक्ष्म विवरण के प्रति गहरा लगाव रखते हैं। ऐसे व्यक्तियों को निर्माण कार्यों का शौक होता है तथा वे हर समय कोई-न-कोई योजना बनाते रहते हैं। भले ही ऐसे व्यक्ति बड़े आविष्कारक न बन सकें, लेकिन महान् शिल्पकार अथवा गणितज्ञ आदि अवश्य होते हैं। यदि ऐसे व्यक्ति विज्ञान अथवा चिकित्सा के क्षेत्र में चले जाएं तो वे किसी क्षेत्र विशेष को ही अपना कार्यक्षेत्र बनाते हैं और छोटे से छोटे विवरण के प्रति भी सचेष्ट होने के कारण विशेषज्ञ कहलाते हैं।
चमचाकार उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ: ऐसे हाथ वाले व्यक्ति प्रायः आविष्कारक होते हैं, परन्तु व्यावहारिक भी होते हैं। ऐसे व्यक्ति अनेक घरेलू उपकरणों के निर्माता होते हैं तथा अच्छे इंजीनियर भी होते हैं। हर प्रकार का मशीनी काम उन्हें पसन्द होता है। श्रेष्ठ एवं उपयोगी मशीनी उपकरण इसी प्रकार के लोगों के हाथों द्वारा ही निर्मित होते हैं।
नुकीली उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ: इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्ति अपनी व्यावहारिक शक्ति के कारण स्वयं को भी प्रेरणा देते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः संगीतकार एवं भावुक होते हैं। उनकी कल्पनाशक्ति की उड़ान ऐसी होती है कि वे कल्पना और आदर्श से गुजरते हुए अज्ञात तक जा पहुंचते हैं। संगीतकारों के हाथों का अध्ययन करते हुए मैंने इस तथ्य को कहीं भी खण्डित होते नहीं देखा, बल्कि मैंने देखा कि यह नियम साहित्यिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों पर भी लागू होता है। ऐसे व्यक्ति प्रायः कवि एवं कलाकार भी होते हैं। हस्तरेखाविद् ऐसे हाथों को देखकर प्रायः धोखा खा जाते हैं, क्योंकि वे ऐसे हर स्त्री-पुरुष को कलाकार मान बैठते हैं जिनके हाथों की उंगलियां इस प्रकार की हों, लेकिन ऐसे हाथों वाले सभी व्यक्तियों में वह योग्यता नहीं होती जो मिश्रित वर्गाकार या नुकीले वर्गाकार हाथ वालों में होती है।
दार्शनिक उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ: ऐसे हाथों वाले व्यक्ति प्रायः देखने में नहीं आते, लेकिन इनसे मिलते-जुलते हाथों वाले प्रायः देखे जा सकते हैं। ऐसे हाथों में हथेली वर्गाकार होती है, उंगलियां लम्बी और नुकीली तथा नाखून लम्बे । ऐसे व्यक्ति अपने जीवन का आरम्भ तो बड़े ढंग से करते हैं, परन्तु अपनी सनक के कारण सदा अधूरे रह जाते हैं। यदि ऐसे हाथों वाले व्यक्ति कलाकार और व्यापारी भी हों तो उनके हर काम में और उनकी हर योजना में अधूरापन दिखाई देता है। ऐसे व्यक्तियों में अनेक विपरीत गुणों का समन्वय दीख पड़ता है। उनकी कार्यपद्धति कुछ ऐसी विरोधाभासी होती है कि उन्हें सफलता मिल ही नहीं सकती।
मिश्रित उंगलियों वाला वर्गाकार हाथ: इस प्रकार के हाथ स्त्रियों की तुलना में पुरुषों में अधिक दीख पड़ते हैं। ऐसे हाथों की प्रायः प्रत्येक उंगली अलग ही आकार की होती है। ऐसे हाथों के अंगूठे प्रायः काफी लचकदार होते हैं अर्थात् बीच के जोड़ से पीछे की ओर काफी मुड़ जाते हैं। ऐसे हाथों की तर्जनी नुकीली, मध्यमा वर्गाकार, अनामिका चपटी तथा कनिष्ठिका नुकीली होती है। ऐसे हाथों वाले व्यक्तियों के विचारों का आयाम बड़ा विस्तृत होता है। वे कभी बड़ी प्रेरणा से भरे दीखते हैं तो कभी अति वैज्ञानिक एवं तर्कसंगत दृष्टिकोण वाले, कभी कल्पना में खोये तो कभी व्यावहारिक धरातल पर घूमते । ऐसे व्यक्ति उद्देश्य की निरन्तरता के अभाव में कभी भी सफलता की ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच पाते।
हथेली और लम्बे व छोटे हाथ
यदि हथेली पतली, कठोर अथवा शुष्क हो तो व्यक्ति कायर, शीघ्र घबरा जाने बाला एवं चिन्तापूर्ण स्वभाव वाला होता है।
यदि हथेली मोटी, भरी हुई तथा कोमल हो तो व्यक्ति के विषय-वासना एवं भोग-विलास की ओर संकेत करती है।
यदि हथेली मजबूत और लचीली हो तथा उंगलियों के साथ उसका सन्तुलन ठीक हो तो व्यक्ति स्थिरचित्त होता है। ऐसे व्यक्ति का मस्तिष्क भी उर्वर होता है।
यदि हथेली बहुत मोटी न हो, किन्तु कोमल और गद्देदार हो तो ऐसा व्यक्ति अकर्मण्य तथा आलसी होता है। उसका झुकाव धन और विषयवासना की ओर विशेष रूप से होता है।
गड्ढेदार हथेली प्रायः दुर्भाग्य की सूचक मानी जाती है। ऐसे व्यक्तियों को अपने जीवन में जितनी निराशाओं का सामना करना पड़ता है, उतना किसी अन्य को नहीं। हस्तरेखा विज्ञान की अनेक पुस्तकों में इस बात की चर्चा नहीं की गई,
किन्तु मैंने अपने अनुभव से पाया है कि ऐसी गहराई हाथ की किसी एक रेखा या उसके भाग पर अधिक दिखाई पड़ती है।
- यदि यह गहराई जीवन रेखा की ओर हो तो व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में निराशाओं और संकट का संकेत करती है। यदि हाथ में अच्छे स्वास्थ्य के लक्षण न हों तो व्यक्ति की दुर्बलता का प्रतीक होती है।
- यदि गड्ढा भाग्य रेखा के नीचे हो तो व्यक्ति के लिए व्यवसाय में, धन के सम्बन्ध में एवं अन्य सांसारिक मामलों में असफलता का द्योतक होता है।
- यदि गड्ढा हृदय रेखा के नीचे हो तो व्यक्ति के प्रेम सम्बन्धों में असफलता का द्योतक होता है।
मैं इस विषय की अन्य पुस्तकों में दिये गये इस विचार से सहमत नहीं हूं कि यदि उंगलियां हथेली से लम्बी हों तो व्यक्ति की प्रकृति बौद्धिक होती है। वास्तव में उंगलियां कभी भी हथेली से अधिक लम्बी नहीं होतीं। इसलिये यह कहना कि उंगलियां हथेली से लम्बी होनी चाहियें, बिल्कुल गलत है।
बड़े और छोटे हाथ
प्रायः देखा जाता है कि बड़े हाथों वाले व्यक्ति अच्छा काम कर दिखाते हैं तथा काम के सूक्ष्म विश्लेषण पर बहुत ध्यान देते हैं, जबकि छोटे हाथों वाले व्यक्ति बड़े-बड़े कामों की ओर ध्यान तो देते हैं, पर काम का निर्वाह नहीं कर पाते।
एक बार मैंने एक प्रसिद्ध जौहरी के कारखाने में हीरे जड़ने वाले तथा नक्काशी का काम करने वाले कारीगरों के हाथों का अध्ययन किया तो सौ में से एक व्यक्ति भी इस नियम का अपवाद नहीं निकला। एक व्यक्ति का हाथ तो असामान्य रूप से बड़ा था और वह अपने काम की बारीकी और नजाकत के लिये बड़ा प्रसिद्ध भी हुआ।
छोटे हाथ वाले व्यक्ति बड़े-बड़े विचारों को क्रियान्वित करना तो चाहते हैं, परन्तु वे केवल योजनाएं ही बना सकते हैं। वे बड़े-बड़े संस्थानों के प्रमुख बनना तथा दूसरों पर शासन करना भी चाहते हैं। प्रायः छोटे हाथ वाले व्यक्तियों की लिखाई भी बड़े-बड़े अक्षरों में होती है।
रेखाओं से भरा हाथ
यदि व्यक्ति का पूरा हाथ अनेक रेखाओं से भरा हुआ हो और ऐसा प्रतीत होता हो मानों हाथ की सतह पर रेखाओं का जाल – सा फैला है तो यह स्थिति व्यक्ति की कातर एवं संवेदनशील प्रकृति की द्योतक होती है। ऐसा व्यक्ति ऐसे अनेक छोटे-छोटे विचारों तथा बातों से क्षुब्ध और चिन्तित हुआ रहता है, जिन्हें दूसरे व्यक्ति कोई महत्त्व नहीं देते।
- यदि हाथ कोमल हो तो ऐसे व्यक्ति मामूली बीमारी या मुसीबत आने पर भी अनेक प्रकार की बातें सोचने लग जाते हैं।
- लेकिन यदि हाथ कठोर व सख्त हो तो यह व्यक्ति की स्फूर्ति का द्योतक होता है। ऐसे व्यक्ति दूसरों को तो सफल होते दिखाई देते हैं, परन्तु वह स्वयं को सफल हुआ नहीं मानते।
सपाट या चिकने हाथ
जिन लोगों के हाथ सपाट या चिकने होते हैं तथा जिनमें रेखाएं भी कम होती हैं, वे प्रायः शान्त प्रकृति के होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को क्रोध बहुत ही कम आता है तथा जब आता है तो उन्हें उसके कारण का भी पता होता है। ऐसे व्यक्ति बहुत कम चिन्ता करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की प्रकृति उनके हाथ के कोमल अथवा कठोर होने से परिवर्तित हो जाती है। यदि हाथ दृढ़ हो तो व्यक्ति अपने ऊपर नियन्त्रण करने में सक्षम होता है, जबकि कोमल हाथ वाले व्यक्ति इतना नियन्त्रण नहीं रख पाते । दे उदासीन रहते हैं तथा उन्हें क्रोध भी कम ही आता है।
हाथ की त्वचा
यदि हाथ की त्वचा स्वाभाविक रूप से चिकनी और सुन्दर हो तो व्यक्ति मोटी त्वचा वाले व्यक्तियों की तुलना में अधिक समय तक युवकों के समान उत्साही एवं उल्लास से परिपूर्ण होता है। हाथों से अधिक काम करने पर त्वचा खुरदरी हो जाती है, पर इस कारण व्यक्ति के व्यक्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। दो हाथ एक जैसे नहीं होते, पर काम करने के परिणामस्वरूप त्वचा खुरदरी हो जाती है।
हथेली की रंगत
हाथ के बाहरी रंग की अपेक्षा हथेली का रंग अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। इसका कारण हथेली का स्नायुओं एवं स्नायविक तरल पदार्थ के नियन्त्रण में होना है। वैज्ञानिकों के मतानुसार शरीर के किसी भी भाग की तुलना में हाथ में अधिक स्नायु होते हैं तथा हाथ के किसी भी अन्य हिस्से से अधिक स्नायु हथेली में होते हैं।
- यदि हथेली का रंग फीका या सफेद-सा होता है तो व्यक्ति अपने अतिरिक्त अन्य किसी में कोई दिलचस्पी नहीं लेता। ऐसे व्यक्ति प्रायः स्वार्थी, अहंकारी एवं सहानुभूतिहीन होते हैं।
- यदि हथेली का रंग पीला हो तो व्यक्ति निराश उदास एवं आधा पागल जैसा होता है।
- यदि हथेली का रंग हल्का गुलाबी हो तो व्यक्ति आशावान एवं स्थिर स्वभाव का होता है।
- यदि हथेली का रंग गहरा लाल हो तो व्यक्ति का स्वास्थ अत्यन्त सुदृढ़ होता है। ऐसे व्यक्तियों में उत्तेजना एवं कामवासना अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक होती है तथा उन्हें क्रोध भी बहुत जल्दी आ जाता है।
विभिन्न जातियों एवं राष्ट्रों के हाथ
यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि नाना प्रकार के शरीर व चेहरों की बनावट भिन्न-भिन्न देशों की विशिष्ट पहचान होती है। एक प्रसिद्ध कहावत है कि प्रकृति
का जो नियम ओस की एक बूंद को गोल बनाता है, वही विश्व को भी आकार देता है। इसलिये जब कुछ नियम विभिन्न प्रकार की सृष्टि का निर्माण करते हैं तो वही नियम विभिन्न आकारों के हाथ और शरीर भी उत्पन्न करते हैं। विवाह आदि के द्वारा जातियों के परस्पर मेल-जोल से शरीर के प्रकारों में परिवर्तन होता है, किन्तु फिर भी एक विशेष प्रकार की स्वतन्त्र सत्ता कभी समाप्त नहीं होती ।
अविकसित हाथ : इस प्रकार के हाथ अपने शुद्ध रूप में सभ्य जातियों में बहुत कम पाये जाते हैं। हां, आदिम जातियों में, जो कि अत्यन्त ठण्डे इलाकों में रहती हैं, जैसे एस्किमो या आइस्लैण्ड, लैपलैण्ड अथवा रूस एवं साईबेरिया के उत्तर में रहने वाले लोगों में इस प्रकार के हाथ अवश्य मिल जाते हैं।
इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्ति अत्यन्त भावनाशून्य एवं मूर्ख होते हैं। इनके शरीर के स्नायुकेन्द्र पूरी तरह विकसित नहीं हुए होते। तभी तो ऐसे व्यक्ति दूसरों के दर्द को अनुभव नहीं कर पाते। अपनी इच्छाओं और वृत्तियों के फलस्वरूप वे क्रूर और पाशविक होते हैं और उनकी कोई आकांक्षा नहीं होती।
मानसिकता के नाम पर वे दो पैरों वाले आदमी होते हुए भी चार पैरों वाले पशुओं से अधिक नहीं होते, पर उनकी गणना मनुष्यों में ही की जाती है। अविकसित हाथों का थोड़ा सुधरा हुआ रूप कभी-कभी सभ्य राष्ट्रों में भी देखने को मिल जाता है।
वर्गाकार हाथ : वर्गाकार हाथ सामान्यतः स्वीडिश, डैनिश, जर्मन, डच, इंगलिश और स्काटिश लोगों में पाये जाते हैं। इस प्रकार के हाथों वाले व्यक्तियों के लक्षण हैं उनका व्यवस्था के प्रति प्रेम, तर्क, संगीत, अनुशासन तथा रीति-रिवाजों की मान्यता । इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्तियों का स्वभाव न तो प्रदर्शनप्रिय होता है और न ही भावनाशून्य। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति पिटी-पिटाई लीक पर चलना नहीं चाहते, वे अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित्त होते हैं तथा पक्के मकान, रेलों एवं मन्दिर-मस्जिदों के निर्माता होते हैं।
दार्शनिक हाथ : इस प्रकार के हाथ अनिवार्य रूप से पूर्वी देशों में पाये जाते हैं। यूरोपीय देशों के लोग इस प्रकार के हाथों वाले लोगों के ऋणी हैं, जिन्होंने बौद्धमत तथा दर्शन आदि के सिद्धान्तों, उद्देश्यों और विचारों को उन तक पहुंचाया। वास्तव में ऐसे हाथों वाले व्यक्ति रहस्यवाद के अनुमोदक तथा धर्म के प्रति निष्ठावान् होते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति उस धर्म की रक्षा के लिये जिसके वे अनुयायी होते हैं, कैसे भी कठोर व्रत, नियम अथवा निषेधों को सहन कर सकते हैं, भले ही सारी दुनिया उन्हें पागल कहें। लेकिन दुनिया ने तो ईसा को भी सूली पर चढ़ा दिया और महान् से महान् धर्मगुरुओं की भी खिल्ली उड़ाई तथा उन्हें दण्डित किया।
नुकीले हाथ : इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्ति प्रायः यूरोप के दक्षिण में पाये जाते हैं, परन्तु जातियों का मिश्रण हो जाने से अब इस प्रकार के हाथ संसार के प्रायः हर देश में देखे जा सकते हैं। फिर भी यूनानी, इटैलियन, स्पेनिश, फ्रांसिसी और आइरिश लोगों में इस प्रकार के हाथ बहुतायत से देखे जाते हैं।
ऐसे हाथ वाले व्यक्तियों की यह विशेषता होती है कि वे भावनाप्रधान होते हैं। उनके प्रत्येक कार्य एवं विचार में कलात्मकता, उत्तेजना, संवेदनशीलता एवं आदेश विशेष रूप से दृष्टिगोचर होता है। यद्यपि ऐसे हाथ वाले व्यक्ति वर्गाकार अथवा चमचाकार हाथ वालों की अपेक्षा अधिक धन उपार्जित करने वाले नहीं होते तथा उनमें व्यापारिक सूझ-बूझ की भी कमी होती है, तथापि ऐसे व्यक्तियों का रुझान काव्य, कल्पना एवं रोमांस के प्रति होता है।
चमचाकार हाथ : आज अमरीका में सभी प्रकार की जातियों और सभी देशों के निवासी पाये जाते हैं। जातियों का सम्मिश्रण इसी देश में सर्वाधिक हुआ है। इसी कारण वहां अन्य प्रकार के हाथों की अपेक्षा चमचाकार हाथ अधिक दिखाई पड़ते हैं। मेरे विचार में तो चमचाकार हाथ वाले व्यक्तियों ने अमरीका के इतिहास को ही बदल डाला है। मेरा विश्वास है कि व्यक्ति के हाथों का अध्ययन करने की भांति राष्ट्रों के हाथों को पढ़ने में भी मेरी दृष्टि किसी पूर्वाग्रह से मुक्त रहती है।
जैसा कि मैं पहले भी लिख चुका हूं, चमचाकार हाथ वाले व्यक्ति शक्ति, मौलिकता एवं उद्विग्नता के प्रतीक होते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति नई-नई खोज करने वाले तथा कला एवं मशीनों के आविष्कार करने वाले होते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति कभी भी रूढ़िवादी नहीं होते । कानून के प्रति उनके मन में कोई श्रद्धा का भाव नहीं रहता तथा अधिकार एवं सत्ता के प्रति वे कोई सम्मान प्रदर्शित नहीं करते। ऐसे व्यक्ति अपने विचारों की जल्दबाजी के कारण सफल आविष्कारक बनते हैं। वे दूसरों के विचारों का प्रयोग तो करते हैं, पर उनका प्रयत्न यही रहता है कि वे उनमें और अधिक सुधार लायें। किसी भी प्रकार का जोखिम उठाने में ऐसे हाथ वाले व्यक्तियों को तनिक भी संकोच नहीं होता। उनकी प्रतिभा बहुमुखी होती है।
ऐसे व्यक्तियों का सबसे बड़ा अवगुण उनकी परिवर्तनशीलता होता है। जब भी उनके मन में आता है, वे एक काम को छोड़कर दूसरे को हाथ में ले लेते हैं। अपने सनकीपन में वे एक प्रकार से अन्धे हो जाते हैं तथा अपने अति उत्साह के कारण प्रायः उलझनें पैदा कर लेते हैं। लेकिन इस अवगुण के बावजूद भी ऐसे व्यक्ति संसार को नये आविष्कार नई खोजें नये विचार तथा ज्ञान-विज्ञान एवं भौतिकवाद में नयी से नयी विशेषतायें दे जाते हैं।
बहुत नुकीला हाथ : इस प्रकार के हाथ आज किसी एक देश अथवा जाति तक सीमित न रहकर संसार के लगभग प्रत्येक देश में पाये जाते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति कभी अत्यन्त व्यवहारकुशल होते हैं तो कभी अत्यधिक उत्साही, लेकिन फिर भी इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्ति न तो वास्तव में व्यावहारिक होते हैं और न उत्साही । ऐसे हाथ वाले व्यक्ति किसी समुदाय या जाति विशेष में ही नहीं मिलते, बल्कि सभी जातियों में पाये जाते हैं। इस प्रकार के लोगों के हाथ कठिन काम करने के लिये नहीं होते। इसी प्रकार उनके विचार भी भौतिकवादी पदार्थों के अनुकूल नहीं होते। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति मानवता को उसका प्रतिबिम्ब ही दे सकते हैं। इस प्रकार के लोगों की कल्पना में वह बुद्धिमत्ता दिखाई देती है जो सभी प्रकार की चीजों का औचित्य और उपयोगिता निर्धारित करती है।
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