कर्क लग्न में बुध का फलादेश

तीसरे व बारहवें घर का स्वामी होने से कर्क लग्न के लिए बुध परम पापी हो गया है।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश प्रथम भाव में

लग्न में यह शत्रुक्षेत्री होते हुए भी ‘कुलदीपक योग’ बना रहा है। ऐसा जातक अपने कुटुम्ब परिवार का नाम दीपक के समान रोशन करने वाला बुद्धिमान, विद्वान, उच्चपदाधिकारी, ज्योतिष एवं अध्यात्म विद्या का ज्ञाता होता है।

इसके स्वभाव में उत्साह के साथ कुछ झगड़ालू मनोवृत्ति होती है। आयु के 27वें वर्ष में यह जातक तीर्थाटन (देशाटन) करता है।

कर्कस्थ बुध लग्न में होने से जातक शरारती दिमाग का होता है। इनका शरीर प्रायः कृश, ऊंचा तथा आंखें छोटी एवं रंग गोरा होता है। प्रायः इनका पेट खराब होता है। ससुराल व संतान पक्ष से ये प्रायः दुःखी व चिन्तित रहते हैं। इनकी प्रवृत्ति कुछ जल्दबाजी की रहती है।

लेखनी व कल्पना शक्ति से इनका गहरा सम्बन्ध होता है दृढ़ निश्चय की कमी एवं विचारों को बदलते रहना, इनकी मानसिक कमजोरी कही जा सकती है। जातक कुछ खर्चीले स्वभाव का होता है। बुध लग्न में विदेश यात्रा द्वारा धन प्राप्ति का अवसर देता है।

दशाफल – बुध की दशा उत्तम फल देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ धनेश सूर्य उत्तम श्रेणी के ‘बुधादित्य योग’ की सृष्टि करता है। ऐसा जातक धनवान एवं परम प्रतापी व्यक्ति होगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा स्वगृही होने से ‘यामिनीनाथ योग’ बनाएगा। ऐसे जातक धनी, सुखी एवं वैभवशाली जीवन जीयेगा। उसे माता की सम्पत्ति मिलेगी।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल नीच का होते हुए भी परम योगकारक होने से जातक का सरकार में दबदबा रहेगा। जातक उत्तम भूमि एवं वाहन का स्वामी होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ उच्च का गुरु ‘हंस योग’ बनाएगा। जातक राजा तुल्य, पराक्रमी, वैभवशाली एवं साधन सम्पन्न होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ शुक्र होने से जातक के पास एक से अधिक वाहन होगे। जातक व्यापार के द्वारा प्रचुर धन कमाएगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ सप्तमेश शनि होने से जातक का गृहस्थ जीवन थोड़ा अशान्त रहेगा। जातक के गुप्त शत्रु बहुत रहेंगे। जिससे मानसिक तनाव रहेगा।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु जातक को अस्थिर एवं चिड़चिड़े स्वभाव का बनाएगा। जातक अपनी बात से मुकरने में द्वेष नहीं करेगा।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु जातक को थोड़ा झगड़ालू स्वभाव का बनाएगा।

प्रथम भाव के बुध का उपचार

  • शुभ काम (धर्म-कर्म) करें, मांसाहार न करें।
  • गणपति की उपासना करें।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश द्वितीय भाव में

कर्क लग्न में बुध द्वितीयस्थ सिंह राशि में होगा। यह तृतीय भाव से बारहवें स्थान पर बैठकर अष्टम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। ऐसा व्यक्ति सबको तारने वाला, हाजिर जबाब होता है। जातक की वक्तृत्व शक्ति उत्तम होगी। जातक सद्गुणी, वाचाल, विद्वान एवं धनी भी होगा।

तृतीय भाव से बारहवें होने के कारण एवं तृतीय भाव के कारक ग्रह मंगल का शत्रु होने के कारण बुध तृतीय भाव का शुभ फल नहीं देगा। जातक के छोटे भाई-बहनों से सम्बन्ध अच्छे नहीं रहेंगे।

बुध यहां खर्चेश भी है। खर्चेश धन स्थान में होने से जातक को धन सम्बन्धी आर्थिक नुकसान भी होंगे।

दशाफल – बुध की दशा शुभ फल देगी पर आर्थिक नुकसान भी देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ यदि सूर्य हो तो ‘बुधादित्य योग’ बनेगा परन्तु बलवान धनेश की तृतीयेश से युति होने के कारण ‘मित्रमूलधन योग’ बनेगा। जातक मित्रों के माध्यम से खूब धन कमाएगा। भाइयों से कुटुम्बीजनों से भी उसे लाभ होगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा होने से जातक स्वपराक्रम से खूब धन कमाएगा पर धन की बरकत नहीं होगी।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ पंचमेश मंगल धन स्थान में होने से जातक का पुत्र महान पराक्रमी होगा। पुत्र जन्म के बाद जातक धनी होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ भाग्येश गुरु होने से जातक भाग्यशाली होगा। जातक की वाणी गम्भीर एवं उपदेशात्मक होगी। जिसका प्रभाव पड़ेगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ सुखेश लाभेश शुक्र होने से जातक महाधनी होगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि धन स्थान में शत्रुक्षेत्री होगा। ऐसे जातक को आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ेगा। जातक का जीवनसाथी लड़ाकू स्वभाव का होगा।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु धन के घड़े में छेद का होना बताता है। ऐसे जातक के पास धन का संग्रह बड़ी कठिनता से होगा।

द्वितीय भाव के बुध का उपचार

  • तोता, भेड़, बकरी न पालना ।
  • दूध या चावल मंदिर में दान देना ।
  • हरा रंग, तुलसी, माला, ताबीज, भभूति, साधुओं की तस्वीरें आदि घर में न रखना।
  • गणपति का नित्य उपासना करना ।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश तृतीय भाव में

कर्क लग्न में तृतीयस्थ बुध उच्च का होगा। जहां बैठकर यह भाग्यभवन को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। ऐसा बुध तृतीय भाव के शुभ फल देगा। जातक की उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा होगी। समाज में एवं राजदरबार में जातक को उच्च मान मिलेगा। कीर्ति अखण्ड होगी। उच्च के बुध की दृष्टि नवम भाव पर होने से जातक का पिता बहुप्रतिष्ठित एवं धनवान होगा। जातक के पिता के साथ अच्छे सम्बन्ध होंगे। जातक को पिता की सम्पत्ति मिलेगी।

बुद्धि एवं विद्या का कारक होने से जातक तीव्र बुद्धिशाली होगा। उसे उच्च स्तर की शैक्षणिक उपाधि मिलेगी परन्तु व्ययेश होने से विद्या में विघ्न एवं रुकावट अवश्य आएगी। जातक लम्बी आयु वाला होगा।

व्ययेश उच्च का होने से जातक धर्म मार्ग, परोपकार एवं सामाजिक कार्यों में रुपया खर्च करेगा। लेखक एवं व्यंग्यकार होगा। मध्यायु के बाद जातक संन्यासी भी हो सकता है। उसे संसार से वैराग्य हो जाएगा।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग’ बनेगा एवं जातक जनसम्पर्क, मित्र, भागीदार एवं राजपुरुषों द्वारा धन अर्जित करेगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ यहां चन्द्रमा शत्रुक्षेत्री होगी। जातक पराक्रमी होगा पर मित्रों एवं परिजनों में विवाद रहेगा।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ पंचमेश दशमेश मंगल तृतीय स्थान में होने से जातक म्हान पराक्रमी होगा। उसे भाई-बहनों का सुख प्राप्त होगा व समाज में उसकी कीर्ति-प्रतिष्ठा रहेगी।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ भाग्येश गुरु होने से जातक भाग्यशाली होगा। उसे बड़े भाई का सुख मिलेगा। जातक धार्मिक एवं समाजसेवी लोगों के सम्पर्क में ज्यादा रहेगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ शुक्र ‘हो तो ‘नीचभंग राजयोग’ बनेगा। जातक का दो-तीन मंजिला उत्तम मकान होगा। जातक के पास एक से अधिक मकान होंगे। जातक के पास चार पहियों वाली गाड़ी होगी तथा वाहन सुख उत्तम होगा। वाहन भी एक से अधिक होंगे।

6. बुध + शनि – बुध के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि की युति तृतीय स्थान में होने से जातक के पराक्रम को विवादास्पद बनाती है। जातक के बारे शत्रु अफवाह उड़ाते रहेंगे।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु जातक की कीर्ति को मलिन करेगा। मित्र व परिजनों के मध्य मनोमालिन्यता रहेगी।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु कीर्तिदायक है। जातक का अपने समाज व जाति में बड़ा भारी नाम होगा।

तृतीय भाव के बुध का उपचार

  • दूर्गा पूजन कर कन्याओं का आशीर्वाद लेना ।
  • तोते को चूरी देना या मिर्ची खिलाना ।
  • रात को मूंग साबित भिगोकर सुबह पक्षियों को डालना ।
  • दवाई मुफ्त बांटना |
  • गणपति की आराधना करना।
  • द्वार पर हरे रंग के वास्तुदोष नाशक गणपति लगाना।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश चतुर्थ भाव में

कर्क लग्न में चतुर्थस्थ बुध तुला राशि का होकर दशम भाव पर पूर्ण दृष्टि डालेगा। बुध की यह स्थिति ‘कुलदीपक योग’ बनाती है। ऐसा जातक अपने कुटुम्ब परिवार का नाम दीपक के समान रोशन करने वाला सबका चहेता व प्यारा होता है।

तृतीयेश बुध तीसरे भाव से दूसरे स्थान पर होने से भाई-बन्धु मित्र उत्तम होंगे पर उनके लिए जातक को खर्च करना पड़ेगा। जातक बड़ी-बड़ी आंखों वाला एवं माता-पिता के सुख से युक्त होता है।

व्ययेश चौथे भाव में होने से चौथे भाव के फल बिगाड़ेगा। विद्याध्ययन में रुकावट आएगी। जातक को अपनी पसन्द का धन्धा नहीं मिलेगा। मकान पर खूब रुपया खर्च होगा। वाहन पर रुपया खर्च होगा। माता से सम्बन्ध ठीक नहीं होंगे।

दशाफल – बुध की दशा मिश्रित फल देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – सूर्य यहां नीच का होगा पर धनेश, पराक्रमेश की युति ‘बुधादित्य योग’ के साथ यहां शुभ फलदाई है। जातक धनवान एवं पराक्रमी होगा।

2. बुध + चन्द्र – लग्नेश चन्द्र की पराक्रमेश बुध के साथ युति होने से भौतिक सुखों की प्राप्ति हेतु जातक को संघर्ष करना पड़ेगा। जातक की माता बीमार रहेगी।

3. बुध + मंगल – पंचमेश-दशमेश मंगल यहां पर कुण्डली को मांगलिक बनाएगा। जातक विद्यावान् एवं भाग्यशाली होगा।

4. बुध + गुरु – तृतीयेश बुध की भाग्येश गुरु के साथ युति शुभ फलदायक है। जातक के पास उत्तम वाहन एवं भवन का सुख होगा।

5. बुध + शुक्र – शुक्र यहां स्वगृही होने से ‘मालव्य योग’ बनेगा। ऐसा जातक राजा के समान ऐश्वर्यशाली एवं पराक्रमी होगा। उसके पास अनेक वाहन होगे एवं मकान भी एक से अधिक होगे।

6. बुध + शनि – बुध के साथ शनि उच्च का होने से ‘शशयोग’ बनेगा। ऐसा जाताक राजा के समान पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा। जातक के पास पुराने एवं आधुनिक दोनों प्रकार के मकान होंगे। वाहन भी एक से अधिक होंगे।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु होने से जातक को माता, मामा व ननिहाल का सुख कमजोर होगा। जातक को वाहन दुर्घटना का भय रहेगा।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु होने से जातक को ननिहाल का सुख नहीं मिलेगा। उच्च वाहन जातक के लिए शुभ नहीं होगा।

9. यदि चन्द्रमा दूषित हो तो जातक को माता सुख नहीं मिलेगा। क्योंकि बुध मातृकारक चन्द्रमा का शत्रु है।

10. यदि बुध के साथ राहु, केतु या शनि हो तो जातक कुलद्वेषी एवं कपट आचरण वाला होता है।

चतुर्थ भाव के बुध का उपचार

  • तोता, बकरी की पालना न करना ।
  • 101 पलाश (ढाक) के पत्ते दूध से धोकर जल में प्रवाहित करें।
  • गणपति को नित्य अथवा प्रति बुधवार दूर्वा चढ़ाएं।
  • प्रवेश द्वार पर वास्तुदोषनाक गणपति लगाएं।

कर्क लग्न में पंचम भाव में बुध का फलादेश

कर्क लग्न में बुध पंचम भाव में वृश्चिक राशि का होकर शत्रुक्षेत्री होगा एवं एकादश भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। ऐसा जातक शिक्षित बुद्धिमान, मुकाबले की परीक्षा में सफलता पाने वाला, उत्तम सलाहकार (मंत्री), ज्योतिष, कर्मकाण्ड, चिकित्सा विज्ञान व कम्प्यूटर विज्ञान का जानकार होता है।

तृतीयेश बुध पंचम भाव में होने से छोटे भाई बहनों का उत्तम सुख देगा।

व्ययेश बुध पंचमस्थ होने से संतान देरी से होगी। सन्तान के रख रखाव हेतु जातक को खूब रुपया खर्च करना होगा।

लाभ स्थान पर दृष्टि होने से जातक को मित्रों से लाभ होता है। व्यापार से लाभ है।

जातक की प्रथम संतान कन्या होगी। सम्भवतः दो कन्या होंगी पर मंगल की स्थिति पर विचार करके ही सन्तान सम्बन्धी फलादेश होंगे।

दशाफल – बुध की दशा मिश्रित फल देगी। ‘फलदीपिका’ के अनुसार कर्क लग्न में पंचमस्थ बुध की दशा योगकारक होकर शुभ फल देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। जातक को उच्च शैक्षणिक उपाधि मिलेगी। विद्या के बल पर जातक आगे बढ़ेगा। प्रथम पुत्र संतति उत्पन्न होने के बाद जातक के भाग्य का दरवाजा खुलेगा।

2. बुध + चन्द्र – पराक्रमेश बुध के साथ लग्नेश चन्द्रमा यहां नीच का होगा। जातक को कन्या संतति की बाहुल्यता रहेगी। उसे प्रथम संतति ऑपरेशन के द्वारा प्राप्त होगी।

3. बुध + मंगल – पराक्रमेश बुध के साथ दशमेश मंगल स्वगृही होगी। जातक को प्रथम कन्या के बाद पुत्र की प्राप्ति होगी। यदि मंगल की दशा चल रही हो तो प्रथम पुत्र होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ भाग्येश गुरु होने से पुत्र संतति की बाहुल्यता रहेगी। जातक उच्च विद्या प्राप्त करेगा एवं प्रथम पुत्र (संतति) के बाद विशेष भाग्योदय होगा।

5. बुध + शुक्र – पराक्रमेश बुध के साथ धनेश-लाभेश शुक्र पंचम भाव में होने से प्रथम संतति कन्या होगी एवं जातक के जीवन में कन्या संतति की बाहुल्यता रहेगी। जातक कला में रुचि रखेगा एवं विद्यावान होगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि का पंचम स्थान में होना ज्यादा शुभ नहीं है। विद्या में रुकावट आएगी। जातक आंग्लप्रेमी होगा। संतान से अनबन रहेगी । पुत्र संतति कष्ट से हाथ लगेगी।

7. बुध + राहु – पुत्र संतति में रुकावट, विद्या प्राप्ति में रुकावट संभव है।

8. बुध + केतु – विद्या प्राप्ति में संघर्ष की स्थिति रहेगी। प्रथम संतति ऑपरेशन द्वारा होगी या गर्भपात संभव है।

9. यहां यदि गुरु दूषित हो तो जातक को सन्तान सम्बन्धी सुख नहीं मिलेगा।

पंचम भाव के बुध का उपचार

  • चांदी का छल्ला बाएं हाथ में पहनना चाहिए।
  • गाय की सेवा करे या नित्य चारा खिलाएं।
  • गणपति की उपासना करें।
  • पन्ना रत्न अभिमंत्रित कर धारण करें।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश षष्टम भाव में

कर्क लग्न में बुध छठे भाव में धनु राशि का तृतीय भाव से चौथे एवं बारहवें भाव से सातवें होकर अपने ही घर (द्वादश भाव) को पूर्ण दृष्टि से देखेगा।

तृतीय भाव से छठें होने से तृतीय भाव का शुभ फल मिलेगा। जातक का भाई बहनों के साथ सम्बन्ध ठीक होगा। मामा से सम्बन्ध ठीक होंगे।

व्ययेश छठे भाव में जाने से जातक को चर्मरोग मूत्राशय के रोग होंगें व पाचन शक्ति कमजोर होगी।

तृतीयेश एवं व्ययेश होकर बारहवें स्थान पर दृष्टि होने के कारण जातक परोपकार एवं धर्म ध्यान पर रुपया खर्च करेगा।

दशाफल – बुध की दशा शुभ फल देगी।

कीर्तिभंग योग – तृतीयेश छठे होने से यह योग बना। जातक का पराक्रम भंग होगा तथा समाज में उसकी बदनामी होगी। किसी भी काम में यश नहीं मिलेगा।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – धनेश छठे जाने से ‘धनहीन योग’ बनता है। यहां ‘बुधादित्य योग’ ज्यादा सार्थक नहीं है। फिर भी जातक मध्यमवर्गीय होगा। धन की कमी से कोई काम रुका हुआ नहीं रहेगा।

2. बुध + चन्द्र – चन्द्रमा के छठे जाने से ‘लग्नभंग योग’ बनेगा। बुध-चन्द्र की युति यहां पर जातक के अंतर्विरोध को दर्शाती है। जातक के शत्रु बहुत होंगे। उसे परिश्रम का फल नहीं मिलेगा।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ दशमेश मंगल होने से ‘राजभंग योग’ एवं ‘विद्याभंग योग’ बनेगा। ऐसे जातक को विद्या में रुकावट एवं सरकारी नौकरी में रुकावट महसूस होगी।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु होने से ‘भाग्यभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ दोनों की सृष्टि होगी। ऐसा जातक धनी होगा। उसके पास वाहन एवं आधुनिक सुख-सुविधा भरपूर होगी।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ शुक्र होने से ‘धनहीन योग’ एवं ‘सुखहीन योग’ की सृष्टि होगी। ऐसे जातक को धन एवं भौतिक सुख-संसाधनों की प्राप्ति हेतु काफी संघर्ष करना पड़ेगा।

6. बुध + शनि – यहां बुध के साथ शनि ‘विलम्ब विवाह योग’ कराता है। परन्तु अष्टमेश के षष्टम में जाने से ‘विपरीत राजयोग’ भी बनता है। ऐसा जातक धनी होगा। उसके पास वाहन एवं भौतिक सुख-सुविधाएं रहेंगी।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु होने से जातक गुप्त शक्ति से युक्त विशिष्ट पराक्रमी होगा तथा अपने शत्रुओं का नाश करने में सक्षम होगा।

8. बुध + केतु – जातक गुप्त षड्यंत्र का शिकार होगा पर बच निकलेगा।

षष्ठम भाव के बुध का उपचार

  • चांदी की अंगूठी बांये हाथ में पहनें।
  • गंगा जल हरी बोतल में रखकर (शीशे की ढक्कन वाली) खेती की जमीन में बुधवार के दिन गाढ़े।
  • दोहिती भानजी व कुंवारी कन्याओं को खुश रखें।
  • साबुत मूंग एवं बुध की वस्तुओं को दान करें।
  • बुध कवच का पाठ करें।
  • हरे रंग का सुगन्धित रुमाल जेब में रखें।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश सप्तम भाव में

कर्क लग्न में सातवें स्थान पर स्थित बुध मकर राशि का मित्रक्षेत्री होकर लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। बुध की यह स्थिति ‘कुलदीपक योग’ बनाती है। ऐसा जातक अपने परिवार कुटुम्ब का नाम दीपक के समान रोशन करने वाला, सबका चहेता व प्यारा होता है।

बुध सप्तम भाव में होने से जातक की पत्नी सुन्दर होगी परन्तु शारीरिक शक्ति कमजोर होने से पत्नी असंतुष्ट रहेगी । धंधा, भागीदारी के लिए बुध की यह स्थिति ठीक है। भागीदार एवं भाई-बहनों के साथ जातक के सम्बन्ध मधुर रहेंगे। विदेश व्यापार से लाभ होगा।

व्ययेश बुध केन्द्र में होने से जातक फालतू के कामों में रुपया खर्च करेगा एवं उसका वैवाहिक जीवन दु:खी होगा।

निशानी – जातक का चेहरा कोमल एवं स्त्री जैसा होगा।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग’ बनेगा। ऐसे जातक को परिश्रम का लाभ मिलेगा। जातक पराक्रमी होगा एवं दानशील मनोवृत्ति वाला होगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ यहां चन्द्रमा हो तो ‘लग्नाधिपाति योग’ बनेगा बुध-चन्द्र परस्पर शत्रु ग्रह होते हुए भी उनको यह स्थिति शुभ है। जातक जिस कार्य में हाथ डालेगा। उसे उसमें सफलता मिलती चली जाएगी।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ दसमेश मंगल उच्च का होने से ‘रुचक योग’ बनेगा। जातक राजा के समान महान वैभवशाली एवं ऐश्वर्यशाली होगा। जातक की किस्मत विवाह के बाद चमकेगी। उत्तम वाहन, भवन एवं नौकर-चाकर होंगे।

4. बुध + गुरु – यहां गुरु नीच का होगा। फिर भी पराक्रमेश के साथ भाग्येश की युति जातक का भाग्योदय मित्रों की मदद से होना बताती है।

5. बुध + शुक्र – पराक्रमेश बुध के साथ सुखेश-लाभेश शुक्र की युति जातक का पराक्रम विवाह के बाद होना बताती है जातक को तथा बढ़िया ससुराल मिलेगा। पत्नी सुन्दर होगी।

6. बुध + शनि – पराक्रमेश बुध के साथ शनि स्वगृही होने से ‘शशयोग’ बनेगा। ऐसा जातक राजा के समान ऐश्वर्यशाली एवं पराक्रमी होगा। जातक उत्तम भवन, उत्तम वाहन का स्वामी होगा।

7. बुध + राहु – यहां राहु की युति व्ययेश बुध के साथ होने से जीवनसाथी की मृत्यु जातक से पहले होगी। जातक एकांकी जीवन जीना पसन्द करेगा।

8. बुध + केतु – गृहस्थ सुख में न्यूनता का संकेत देता है।

सप्तम भाव के बुध का उपचार

  • माता-लड़की के साथ एक जैसा व्यवहार करना।
  • पन्ने की अंगूठी पहनें। पन्ने के अभाव में पन्नी पहन सकते हैं।
  • अधिक थूकना या बार-बार थूकना बंद करे। गुटका न खाएं।
  • पन्ना जड़ा हुआ बुध यंत्र धारण करें।
  • गणपति की उपासना करें।
कर्क लग्न में बुध का फलादेश

कर्क लग्न में बुध का फलादेश अष्टम भाव में

कर्क लग्न में अष्टमस्थ बुध कुम्भ राशि का होकर मित्रक्षेत्री होगा। तीसरे भाव से छठे एवं बारहवें भाव से नवें स्थान पर होकर बुध धन भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। बुध की यह दृष्टि जातक की भाषा विनम्र एवं कुटुम्ब का सुख ठीक देगा।

तृतीयेश का आठवें जाना भाइयों के लिए शुभ नहीं। व्ययेश आठवें जाने से खर्च कम होगा तथा जातक को राजयोग जैसा अच्छा फल मिलेगा।

निशानी – जातक दुर्बल शरीर का स्वामी होगा एवं उसे कोई न कोई बीमारी लगी रहेगी। 35 वर्ष बाद धन व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

कीर्तिभंग योग – तृतीयेश आठवें जाने से यह योग बना । जातक का पराक्रम भंग होगा। उसे किसी काम में यश नहीं मिलेगा। समाज व मित्रों में बदनामी का योग है।

दशाफल – बुध की दशा अशुभ रहेगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – यहां पर ‘बुधादित्य योग’ ज्यादा सार्थक नहीं है, क्योंकि धनेश होकर सूर्य का आठवें जाने से ‘धनहीन योग बनता है जातक का जीवन संघर्षपूर्ण रहेगा। जातक मध्यम आयु के बाद धनी होगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा यहां ‘लग्नभंग योग’ कराएगा। ऐसे जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलता। जातक मानसिक रुप से उद्विग्न रहता है।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल कुण्डली को ‘मांगलिक’ बनाएगा। साथ ही ‘राजभंग योग’ एवं ‘विद्याभंग योग’ बनाता है। ऐसे जातक को शैक्षणिक उपाधि प्राप्त करने में बाधा आती है तथा उसका जीवन संघर्षमय रहता है।

4. बुध + गुरु – यहां गुरु होने पर ‘भाग्यभंग योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ दोनों बनेंगे। जातक निःसंदेह धनवान होगा।

5. बुध + शुक्र – यहां पर शुक्र होने से ‘सुखहीन योग’ एवं ‘लाभभंग योग’ बनेगा। ऐसे जातक को व्यापार में नुकसान होगा। पत्नी से थोड़ी कम बनेगी।

6. बुध + शनि – बुध के साथ शनि ‘विलम्ब विवाह योग’ कराता है। साथ ही ‘विपरीत राजयोग’ भी कराता है। फलतः ऐसा जातक धनी एवं उच्च वर्गीय व्यापारी होगा।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु गुप्त रोग एवं गुप्त शत्रु से परेशान कराएगा।

8. बुध + केतु – जातक के जीवन में शल्य चिकित्सा योग बनता है।

अष्टम भाव के बुध का उपचार

  • हरा अण्डरवियर पहनें।
  • जन्म दिवस के दिन मिट्टी के बर्तन में शहद या चीनी भरकर वीरान जगह में दबाना।
  • सीढ़ियों की मरम्मत का ध्यान रखना ।
  • गणपति की उपासना करे, प्रत्येक बुधवार को दूर्वा एवं लड्डू चढ़ाएं।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश नवम भाव में

कर्क लग्न में नवम भाव से स्थित बुध नीच (मीन) राशि का होगा। तृतीय भाव से सातवें स्थान पर एवं बारहवें भाव से दसवें स्थान पर होने से बुध की यह स्थिति तृतीय भाव का शुभ फल देगी। जातक अपने भाई-बहनों के साथ अच्छा सम्बन्ध रखेगा।

व्ययेश बुध नवम में होने से भाग्य में रुकावट होगी एवं जातक को अपने भाग्योदय हेतु काफी संघर्ष करना पड़ेगा।

निशानी – ऐसा जातक संगीत, वेदविद्या का विद्वान एवं बड़े कुटुम्ब परिवार का स्वामी होता है।

दशाफल – बुध की दशा मिश्रित फल देगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य ‘बुधादित्य योग’ बनाता है। धनेश सूर्य की पराक्रमेश के साथ यह युति शुभ है। जातक धनवान एवं भाग्यशाली होगा। सरकारी क्षेत्र में जातक का वर्चस्व रहेगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा जातक को परम भाग्यशाली बनाता है जातक पराक्रमी होगा तथा उसका जनसम्पर्क बहुत तेज रहेगा।

3. बुध + मंगल – पंचमेश-राज्येश मंगल भाग्य स्थान में पराक्रमेश बुध के साथ होने से जातक बड़ा पराक्रमी होगा। सरकार में उसका वर्चस्व रहेगा। जातक भूमि के क्रय-विक्रय से लाभान्वित होगा।

4. बुध + गुरु – यदि यहां बुध के साथ गुरु हो तो ‘नीचभंग राजयोग’ बनेगा। बुध की नकारात्मक शक्ति कमजोर हो जाएगी। ऐसे जातक को पिता की सम्पत्ति मिलेगी।

5. बुध + शुक्र – यदि बुध के साथ शुक्र हो भी ‘नीचभंग राजयोग’ बनेगा। बुध की नकारात्मक शक्ति नष्ट हो जाएगी। जातक को व्यापार में जमकर लाभ होगा तथा उत्तम वाहन, मकान व नौकर का सुख मिलेगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ सप्तमेश-अष्टमेश शनि भाग्य स्थान में होने से जातक का भाग्योदय विवाह के बाद होगा। पत्नी से वैचारिक साम्यता नहीं रह पाएगी।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु जातक को भाग्यशाली बनाता है। ऐसा जातक चतुर व्यापारी होता है तथा बुद्धिबल से खूब धन कमाता है।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु जातक को कीर्तिवान होगा। जातक शत्रुंजयी होगा।

नवम भाव के बुध का उपचार

  • शरीर पर चांदी पहनें।
  • कौवे को भोजन का हिस्सा देना।
  • गाय की सेवा करें, गायों को घास दें।
  • गणपति की उपासन करे। प्रति बुधवार को लड्डू चढ़ाएं।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश दशम भाव में

कर्क लग्न में दशमस्थ बुध मेष राशि का होकर शत्रुक्षेत्री होगा। शत्रुक्षेत्री होकर बुध चौथे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। जातक के व्यापार में नुकसान होगा। जमीन में लगाया हुआ रुपया कष्टप्रद साबित होगा।

बुध की यह स्थिति ‘कुलदीपक योग’ बनाती है। ऐसा जातक अपने कुटुम्ब परिवार का नाम दीपक के समान रोशन करने वाला सबका चहेता व प्यारा होता है।

निशानी – जातक व्यापार वर्गीय (प्रिय) होगा।

विशेष – जातक को बहन का सुख उत्तम नहीं मिलेगा। वाहन को लेकर जातक का रुपया फालतू खर्च होगा।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ यदि यहां सूर्य हो तो जातक की कुण्डली में शक्तिशाली ‘बुधादित्य योग’ बनता है।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ लग्नेश चन्द्रमा केन्द्रवर्ती होने से जातक व्यापार प्रिय व व्यवसायी होगा एवं एक से अधिक मकान का स्वामी होगा।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल स्वगृही होने से ‘रुचक योग’ बनेगा। ऐसा जातक राजा के समान ऐश्वर्यशाली एवं पराक्रमी होगा। जातक बड़ी भू-सम्पत्ति एवं मकान का स्वामी होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु होने से जातक परम सौभाग्यशाली होगा। जातक अध्ययन-अध्यापन एवं धार्मिक व परोपकार के कार्यों में रुचि लेगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ सुखेश व लाभेश शुक्र होने से जातक के पास एक से अधिक वाहन होंगे। जातक ऐश्वर्यशाली जीवन जीएगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि दशम स्थान में नीच का होगा। ऐसा जातक धनवान होगा। जातक व्यापार से खूब धनार्जन करेगा पर बुद्धि मलीन होगी।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु राजकार्य में बाधा पहुंचाएगा। सरकारी अधिकारी जातक को परेशान करेंगे।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु राजकाज में सफलतादायक है। बुद्धिबल से शत्रु परास्त होंगे।

9. मंगल यदि तृतीय स्थान में हो तो बुध के घर में होगा एवं बुध मंगल के घर में होने से परस्पर परिवर्तन योग बनेगा। ऐसे मंगल एवं बुध दोनों का प्रभाव सकारात्मक हो जाएगा। दोनों ग्रहों के अधीनस्थ घर तृतीय स्थान पंचम स्थान, दशम स्थान एवं द्वादश स्थान सुधर जाएंगे।

दशम भाव के बुध का उपचार

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  • ज़बान का चसका कम करें, मांसाहार व शराब से दूर रहें तो बुध शुभ होगा।
  • बुधवार को गणपति मन्दिर में जाकर दुर्वा लड्डू चढ़ाएं।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश एकादश भाव में

कर्क लग्न में एकादश भाव में स्थित वृष राशि का बुध तीसरे भाव से नवें में एवं बारहवें भाव से बारहवें स्थान पर होगा। जहां पर स्थित होकर यह पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा।

तृतीयेश लाभ स्थान में होने से जातक अपने भाई-बहनों का विशेष ध्यान रखेगा। व्ययेश, व्यय स्थान से बारहवें होने के कारण जातक मितव्ययी होगा। फालतू रुपया नहीं उड़ाएगा। जातक अनेक प्रकार के धंधों को करते हुए धनवान होगा।

निशानी – विद्या में बाधा आते हुए भी जातक पूरी शिक्षा प्राप्त करेगा। शैक्षणिक उपाधि मिलेगी। 34 वर्ष बाद किस्मत चमकेगी।

दशाफल – बुध की दशा शुभ फलदायक साबित होगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – बुध के साथ सूर्य होने से ‘बुधादित्य योग बनेगा। ऐसे जातक को धन लाभ व्यापार के द्वारा होगा। जातक उद्योगपति होगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ लग्नेश चन्द्रमा यहां उच्च का होगा। ऐसा जातक विद्यावान होगा जातक को उच्च शैक्षणिक उपाधि मिलेगी।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल पंचमेश दशमेश लाभ स्थान में होने से जातक उद्योगपति होगा।

4. बुध + गुरु – बुध के साथ गुरु भाग्येश होने से जातक उच्च शिक्षायुक्त होगा। जातक धार्मिक कार्य, परोपकार में रुचि रखने वाला, सच्चरित्र व्यक्ति होता है। जातक के पुत्र जरुर होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ सुखेश शुक्र स्वगृही होगा। ऐसा जातक उत्तम विद्या, उत्तम संतति प्राप्त करेगा । कन्या संतति की बाहुल्यता रहेगी।

6. बुध + शनि – तृतीयेश बुध के साथ सप्तमेश-अष्टमेश शनि विद्या में बाधक है। जातक विदेशी भाषा पढ़ेगा। जातक के गुप्त शत्रु व्यापार में रुकावट डालेंगे।

7. बुध + राहु – बुध के साथ राहु व्यापार में बदलाव लाएगा। चलते व्यापार में रुकावट आयेगी। रुकावट के बाद बदलाव होगा।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु कार्य में रुकावट का संकेत देता है। गुप्त शत्रु सदैव सक्रिय रहेंगे।

एकादश भाव के बुध का उपचार

  • नया कपड़ा दरिया में धोकर गंगा जल का छींटा देकर पहनें।
  • बुध यंत्र पन्ना डालकर गले में पहने तो धनहानि से बचाव होता है। पाठक चाहे तो यह यंत्र लेखक से सम्पर्क कर प्राप्त कर सकते हैं।

कर्क लग्न में बुध का फलादेश द्वादश भाव में

कर्क लग्न में बारहवें भाव में स्थित मिथुन राशि का बुध स्वगृही होगा। तृतीय भाव से दसवें होने के कारण यह बुध शुभ फलदायक हो गया है।

जातक बुद्धिशाली होगा तथा उसकी शिक्षा उत्तम होगी। धंधे व्यापार के लिए जातक यात्राएं बहुत करेगा। विदेश यात्रा भी सम्भव है।

निशानी – छोटे भाइयों के लिए बुध की यह स्थिति ठीक नहीं। प्रथम तो छोटे भाई होगा नहीं होगा तो उनसे निभेगी नहीं।

बुध की दृष्टि छठे भाव पर होने के कारण जातक को नौकर अच्छे मिलेंगे। जातक का मातृपक्ष सबल होगा परन्तु जातक को चर्मरोग होगा एवं पेट का रोग भी होगा।

कीर्तिभंग योग – जातक का पराक्रम भंग होगा। किसी भी काम में यश नहीं मिलेगा। समाज में, मित्रों में बदनामी होने का योग है।

दशा – बुध की दशा अच्छी नहीं जाएगी।

बुध का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध

1. बुध + सूर्य – यहां पर बुधादित्य योग’ ज्यादा सार्थक नहीं होगा। सूर्य के कारण ‘धनहीन योग तथा बुध के कारण ‘विपरीत राजयोग’ बनेगा। निःसंदेह जातक धनी एवं प्रभावशाली व्यक्ति होगा।

2. बुध + चन्द्र – बुध के साथ चन्द्रमा ‘लग्नभंग योग’ बनाएगा। जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा । नेत्रपीड़ा भी संभव है।

3. बुध + मंगल – बुध के साथ मंगल विद्याभंग योग एवं ‘राजभंग योग’ की सृष्टि करेगा। जातक के प्रारंभिक विद्या अध्ययन में रुकावट आयेगी। सरकारी नौकरी में बाधा आएगी।

4. बुध + गुरु – यहां गुरु ‘भाग्यभंग योग’ की सृष्टि करेगा। साथ ही विपरीत राजयोग भी बनाएगा। ऐसा जातक निश्चय ही धनवान, परोपकारी एवं दानी होगा।

5. बुध + शुक्र – बुध के साथ यहां शुक्र  दुखहीन योग’ एवं ‘लाभभंग योग’ की सृष्टि करेगा। जातक को चलते व्यापार में धक्का लगेगा।

6. बुध + शनि – बुध के साथ शनि ‘विलम्ब विवाह योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ बनाएगा। ऐसा जातक धनी होगा, व्यापारी होगा पर व्यापार बदलता रहेगा।

7. बुध + राहु – राहु के कारण यात्राएं बहुत होंगी। जातक खर्चीले स्वभाव का होगा। उसके सिर पर कर्जा रहेगा।

8. बुध + केतु – बुध के साथ केतु होने से जातक धार्मिक यात्राएं करेगा। जातक भारी खर्चे के कारण कर्ज से दबा रहेगा।

द्वादश भाव के बुध का उपचार

  • एक स्टील का छल्ला जल प्रवाह करें (एक ही समय) तथा एक पहनना ।
  • कोरा घड़ा जल प्रवाह करें 12 बार ।
  • किया हुआ वायदा पूरा करें, जबान के पक्के रहें।
  • अपनी जबान का शब्द ले डूबेगा (गन्दा शब्द न बोलें)
  • प्रति बुधवार गणपति को लड्डू चढ़ाएं।
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