कर्क लग्न में राहु का फलादेश
कर्क लग्न में राहु का फलादेश प्रथम भाव में
लग्न में कर्क राशिस्थ राहु शत्रु के घर में होने से जातक दयावान किन्तु जिद्दी होता है। इसका जन्म अस्पताल या ननिहाल में होता है। जातक राज दरबार में इज्जत व मान पाता है। इनको अपने कुल व कार्य का बड़ा अभिमान होता है। पर धंधे में स्थाईत्व नहीं रहेगा। धंधे में बदलाव आता रहेगा।
ऐसा व्यक्ति जीवन में अनेक प्रकार के धंधे करता है। जीवन संघर्षमय रहता है। किसी एक कार्य में उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं मिलती। कर्क लग्न के लिए राहु विशेष अशुभ फलदायक है क्योंकि लग्न स्वामी चन्द्रमा इसका शत्रु है जिसे वह राहु ग्रहणकाल में ग्रसित करता है।
व्यवहार – ये प्रायः पर छिन्द्रान्वेषी होते हैं। किसी भी कार्य में कमी या दोष ढूढ़ने में कुशल होते हैं। इनके बोलने एवं व्यवहार में परस्पर मेल नहीं होता अर्थात् मुंह से बोलते कुछ हैं तथा व्यवहार में करते कुछ और हैं।
दशा – राहु की दशा अशुभ रहेगी।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ धनेश सूर्य होने से जातक तेजस्वी व धनवान होगा।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ चन्द्रमा ‘यामिनीनाथ योग’ बनाता है। ऐसा जातक राजा के समान प्रतापी एवं ऐश्वर्यवान होता है।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल नीच का होगा। ऐसा जातक लड़ाकू एवं उग्र स्वभाव का व्यक्ति होगा।
4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध यहां शत्रुक्षेत्री होगा। ऐसा जातक अस्थिर मनोवृत्ति वाला होगा।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ गुरु उच्च का ‘हंस योग’ बनाएगा। ऐसा जातक राजा के तुल्य परम पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र वाला जातक हठी होगा पर अपने कुल का नाम रोशन करने वाला यशस्वी जातक होगा।
7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि होने से जातक हठी एवं लड़ाकू होगा जिसका दुष्प्रभाव जातक के गृहस्थ जीवन पर पड़े बिना नहीं रहेगा।
चन्द्रग्रहण – यदि लग्न स्थान में ग्रहण योग हो तो व्यक्ति मितव्ययी एवं सदा रोगी रहेगा।
प्रथम भाव के अशुभ राहु का उपचार
- शनिवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।
- शनिवार के दिन काला वस्त्र न पहनें।
- शनिवार के दिन जौ के आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं।
- सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण के समय दान-दक्षिणा, मंत्र पाठ करें।
- राहु के मंत्र का जाप करें, दशांश हवन करे एवं राहु की वस्तुओं का दान करें।
- हाथीदांत की मूर्ति या वस्तुएं घर में न रखें।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश द्वितीय भाव में
कर्क लग्न में राहु दूसरे में भाव में अग्निसंज्ञक सिंह राशि में होगा। यह राहु के शत्रु का घर है। यह राहु व्यर्थ के धन खर्च को बताता है। धन के घड़े में छेद है। जातक के पास रुपया नहीं टिकेगा। कुटुम्ब में विवाद रहेगा। जातक अनीति से रुपया कमाने में विश्वास रखेगा जो कि कष्ट का कारण होगा। धन कमाने की महत्वाकांक्षा तीव्र रहेगी।
जातक का वैवाहिक जीवन सुखद नहीं होगा। ज्योतिष में राहु को चोर माना गया है। द्वितीय स्थान धन और वाणी का स्थान है। ऐसा जातक चौर्यबुद्धि वाला होता है। द्वितीय में राहु होने से मुख रोग होता है अथवा जातक कपटपूर्ण वाणी बोलता है। द्वितीयस्थ राहु धन के घड़े में छेद का कार्य करता है। फलतः जातक कितना भी कमाये धन एकत्रित नहीं होता।
निशानी – जातक की भाषा ओछी व लड़ाकू किस्म की होगी। आंखें निर्बल, निस्तेज होंगी। जातक दंत रोगी हो सकता है।
दशा – राहु की दशा अनिष्ट फलदायक होगी।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – यहां राहु के साथ सूर्य स्वगृही होगा। ऐसा जातक धनवान होगा, पर धन संग्रह के मामले में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ चन्द्रमा जातक को मानसिक चिंता व तनाव से ग्रसित कर देगा।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल जातक को कटु सत्य बोलने वाला व्यक्ति बनाएगा। ऐसे जातक की अपने परिजनों से कम पटेगी।
4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध जातक को फिजूलखर्च बनाएगा। ऐसा जातक परवंचक होगा। उसकी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
4. राहु + गुरु – राहु के साथ गुरु जातक को वाणी में हकलाहट देगा। धन संग्रह में सफलता बड़ी कठिनाई से मिलेगी ।
5. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र धन स्थान में जातक को स्त्री लोलुप बनाएगा। जातक का धन ऐशो-आराम में ज्यादा खर्च होगा।
6. राहु + शनि – राहु के साथ शनि होने से जातक कूटनीतिज्ञ होगा एवं गुप्त षड्यंत्र में ज्यादा रुचि लेगा। जातक प्रायः मिथ्याभाषी होगा।
7. ग्रहणयोग – यदि धन स्थान में ग्रहण हो तो व्यक्ति को पूर्वार्जित सम्पत्ति प्राप्त नहीं होती, खुद की मेहनत से ही कमाएगा।
द्वितीय भाव के अशुभ राहु का उपचार
- श्रीसूक्त का सुबह-शाम नित्य पाठ करें।
- श्रीयंत्र कनकधारा यंत्र + कुबेर यंत्र का नित्य पूजन, दर्शन करें।
- राहु शान्ति का प्रयोग करें।
- कड़वा वचन किसी को न बोलें।
- धन प्राप्ति हेतु दूर्वा एवं काले तिल से राहु का हवन करें।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश तृतीय भाव में
कर्क लग्न में तृतीयस्थ राहु कन्या राशि मित्र क्षेत्री होगा। यह राहु भाग्य भवन को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। जातक अद्वितीय बहादुर एवं साहसी होगा। भाइयों का सुख ठीक होगा। जातक अदम्य साहसी होते हुए भी अन्दर से डरपोक होगा। पिता के साथ उसके सम्बन्ध ठीक (मधुर) नहीं होंगे। जातक को पिता की सम्पत्ति नहीं मिलेगी।
निशानी – जातक अधार्मिक एवं तर्की स्वभाव का होगा।
दशा – राहु की दशा ठीक जाएगी।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – यहां राहु के साथ सूर्य होने से जातक पराक्रमी होगा। उसके परिजन धनवान होंगे।
2. राहु + चन्द्र – यहां राहु के साथ चन्द्रमा शत्रुक्षेत्री होगा। ऐसे जातक के मित्र अविश्वासी होंगे। परिजनों में विद्वेष रहेगा।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल तृतीय स्थान में होने से जातक महान पराक्रमी होगा पर सगे भाइयों से उसकी नहीं निभेगी।
4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध उच्च का होगा। ऐसा जातक महान पराक्रमी होगा। मित्रों से उसे लाभ रहेगा।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ षष्टेश गुरु मित्रों से दगा दिलाएगा। बड़े भाई का व्यवहार भी संदिग्ध रहेगा।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र नीच का होगा। ऐसा जातक स्त्री-लोलुप होगा। स्त्री मित्रों से लाभ रहेगा। जातक का चरित्र संदिग्ध रहेगा।
7. राहु + शनि – राहु के साथ सप्तमेश अष्टमेश शनि गृहस्थ सुख में बाधक है। जातक को अपने ही आत्मीय लोगों के द्वारा भारी धोखा होगा।
8. ग्रहण योग यह जातक की बहनों के लिए घातक योग है। ऐसा व्यक्ति शोरगुल कम पसन्द करता है तथा वह एकान्त प्रिय होता है।
तृतीय भाव के अशुभ राहु का उपचार
- भाई-कुटुम्बीजनों को पलटकर जबाब न दें।
- गलत व्यक्तियों एवं व्यभिचारी स्त्रियों की सोहबत से बचें।
- जौ रात्रि में सिरहाने रखकर सोएं। प्रातः जानवरों या किसी गरीब को भेंट करें।
- बड़े भाई या बहन से लड़ने पर चूल्हे की आग बुझ जाएगी।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश चतुर्थ भाव में
कर्क लग्न में चतुर्थ भाव में स्थित राहु तुला राशि का मित्र के घर में होगा एवं दशम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। जातक को माता का प्रेम न मिलेगा। रहने का मकान अच्छा नहीं होगा । विद्याध्ययन में रुकावट आएगी। जातक को अपने कुटुम्बीजनों से दूर रहना पड़ेगा। जातक जिस काम में हाथ डालेगी उसमें कोई न कोई रुकावट (बाधा) जरूर आएगी।
दशा – राहु की दशा सुख में न्यूनता लाएगी।
विशेष – चतुर्थस्थ राहु वाहन सुख एवं मातृ-सुख में न्यूनता कराता है। ऐसा जातक हठबुद्धि वाला होकर कभी-कभी ही सुखी होता है।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ नीच का सूर्य एक हजार राजयोग नष्ट करता है। ऐसे जातक को पिता की सम्पत्ति नहीं मिलती।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ चन्द्रमा जातक को मानसिक संताप कराएगा। ऐसे जातक को माता का सुख कम मिलेगा।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल कुण्डली को ‘डबल मांगलिक’ बनाएगा। ऐसे जातक का विवाह विलम्ब से होगा तथा उसकी एक भूमि विवादित रहेगी।
4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध जातक को पराक्रमी बनाएगा पर मामा से उसकी कम पटेगी।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ गुरु ‘चाण्डाल योग’ बनाता है। जातक सौभाग्यशाली होगा पर जीवन में गुप्त शत्रुओं की स्थिति बनी रहेगी।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र ‘लम्पट योग’ बनाता है। ‘मालव्य योग’ के कारण जातक राजा के समान पराक्रमी एवं वैभवशाली होगा।
7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि ‘धूर्त योग’ बनाता है। ‘शशयोग’ के कारण जातक चार पहियों की गाड़ी का स्वामी होगा। नौकर-चाकर एवं जमीन भवन से मुक्त राजसी जीवन जीएगा।
8. ग्रहणयोग – चौथे स्थान में चन्द्र ग्रहण हो तो माता की मृत्यु सातवें वर्ष में हो जाती है। जातक ज्यादातर किराये के मकान में रहता है।
चतुर्थ भाव के अशुभ राहु का उपचार
- तेज गति के वाहन से दूर रहें।
- माता बुआ या बड़ी बहन की बीमारी में लापरवाही न रखें उनका दिल न दुःखाएं।
- राहु के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- राहु शान्ति का प्रयोग करें।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश पंचम भाव में
कर्क लग्न में पंचम भाव में स्थित राहु वृश्चिक राशि का शत्रुक्षेत्री होगा। यह राहु विद्या में रुकावट डालने वाला एवं सन्तान सुख में बाधक है।
जातक स्वभाव से लुच्चा होगा पर गुप्त विद्या, रहस्यमय शक्तियों का जानकार होगा। ऐसा व्यक्ति प्रायः नाक से बोलता है।
ऐसा जातक पुत्रहीन, कठोर हृदय वाला होता है। ऐसे व्यक्ति को पितृदोष एवं सर्पदोष होता है। जिसकी शान्ति कराने से जातक को राहत मिलती है।
दशा – राहु की दशा निष्फल जाएगी।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य जातक को विद्या हुनर द्वारा लाभ कराएगा। हालांकि जातक की विद्या अधूरी छूटेगी अथवा एक बार उसमें बाधा आएगी।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ चन्द्रमा जातक को स्वपुरुषार्थ से धनार्जन कराएगा। प्रथम संतति कन्या होगी। कन्या संतति की अधिकता रहेगी। विष भोजन का भय रहेगा।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल स्वगृही होने से जातक टैक्नीकल व मैकेनिकल कार्यों का जानकार होगा। जातक ठेकेदारी से धन कमाएगा।
4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध जातक को बुद्धिशाली बनाएगा। परन्तु विद्या का लाभ जातक को जीवन में नहीं मिल पाएगा। जातक की याददाश्त कमजोर होगी।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ गुरु जातक के भाग्य में बाधक है। जातक को गुरुजनों से असहयोग की प्राप्ति होगी। बड़ा भाई अपेक्षित मदद नहीं करेगा।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र ‘लम्पट योग’ बनाता है। ऐसे जातक को व्यापार में, मातृसुख में अपेक्षित लाभ नहीं मिलेगा।
7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि यहां ‘धूर्त योग’ बनाएगा। जातक षड्यंत्रकारी योजनाओं में रुचि लेगा। उसके जीवन में गुप्त शत्रु की उपस्थिति रहेगी।
8. ग्रहणयोग – पुत्र नहीं होने अथवा अल्पायु वाली सन्तति एवं गर्भपात होता है।
पंचम भाव के अशुभ राहु का उपचार
- संतान गोपाल स्तोत्र का नित्य पाठ करें।
- राहु के तांत्रिक मंत्रों का जाप, हवन एवं तर्पण करें।
- राहु की वस्तुओं का दान करें।
- पितृदोष या कालसर्प योग की शान्ति कराएं।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश षष्टम् भाव में
कर्क लग्न में छठे भाव में स्थित धनु राशि का राहु नीच का एवं उद्विग्न होगा। जहां बैठकर वह अपनी उच्च राशि बारहवें भाव को देखेगा। ऐसे जातक के गुप्त एवं प्रकट शत्रु बहुत होंगे पर जातक शत्रुओं को सबक सिखाने एवं ठिकाने लगाने में पूर्ण सक्षम होगा।
जातक अपना काम निकालने हेतु कोई भी, कैसा भी तरीका काम में ले सकेगा। राहु यहां उत्तम फल देगा।
सावधानी – जल्दीबाजी में कोई निर्णय न लें। क्रोध पर नियंत्रण रखें एवं धैर्यपूर्वक आगे बढ़े। ऐसा जातक लक्ष्मीवान और दीर्घायु होता है पर छठे भाव में राहु गुदा रोग कराता है मेरे निजी अनुसंधान के अनुसार ऐसे जातक को शत्रु परेशान करते रहते हैं। उसे शत्रु पक्ष से कोई न कोई चिन्ता बनी रहती है।
दशा – राहु की दशा शत्रु बढ़ाएगी।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य ‘धनहीन योग’ बनाता है जातक को धन प्राप्ति हेतु संघर्ष करना पड़ेगा। यद्यपि जातक समाज का अग्रगण्य व्यक्ति होगा पर राजा से दण्डित होगा।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ चन्द्रमा ‘लग्नभंग योग’ बनाता है। जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा। जातक सदैव भयग्रस्त, चिन्ताग्रस्त रहेगा।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल ‘राजभंग योग’ एवं ‘विद्याहीन योग’ बनाता है। जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलता।
4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध ‘विपरीत राजयोग’ के साथ ‘पराक्रम भंगयोग’ भी बनाता है। ऐसा जातक धनी मानी तो होगा पर एक बार उसका पराक्रम भंग होगा।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ गुरु ‘चाण्डाल योग’ बनाता है, साथ ही ‘विपरीत राजयोग’ भी बनाता है। ऐसा जातक धनवान एवं ऐश्वर्यवान होता है।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र ‘लम्पट योग’ बनाता है। ऐसा जातक व्यापार में घाटा उठाता है। स्त्री की वजह से उसे बदनामी मिलती है।
7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि ‘विवाहभंग योग’ बनाता है। ऐसे जातक का विवाह विलम्ब से होगा। गृहस्थ सुख में कुछ न कुछ कमी रहेगी।
8. ग्रहणयोग – इस स्थान में रा+चं+सू ग्रहण जातक के लिए शुभ होगा परन्तु मामा व मौसियों के लिए ठीक नहीं होता, मौसियां विधवा होती हैं।
षष्टम भाव के अशुभ राहु का उपचार
- राहु कवच का नित्य पाठ करें।
- चांदी की ठोस गोली जेब में रखें।
- राहु पंचविंशति स्तोत्र का हवनात्मक प्रयोग करें।
- राहु की वस्तुओं का दान करें।
- रात्रि को गहरी नींद से सोए हुए व्यक्ति को भूरे काले रंग का कम्बल ओढ़ाकर चुपचाप चले जाएं।

कर्क लग्न में राहु का फलादेश सप्तम भाव में
कर्क लग्न में सप्तम भाव में स्थित मकर राशि का राहु मित्र क्षेत्री होगा तथा लग्न (प्रथम) भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। राहु की स्थिति वैवाहिक सुख में बाधक है। जातक के धंधे में रुकावट होगी। जातक का अंर्तर्जातीय विवाह हो जातक मानसिक रूप से सदैव चिन्तित रहेगा।
निशानी – जातक अपने पसन्द की शादी करेगा और पसन्द माता-पिता के विपरीत होगी। जातक स्वयं की पत्नी के अलावा अन्य स्त्रियों की तलाश में भटकता रहेगा। ऐसे जातक का धन स्त्री संग से नष्ट हो जाता है। ऐसा जातक प्रायः विधुर व अवीर्य वाला होता है।
विशेष –
- यदि यहां शनि हो तो जातक अंतर्जातीय विवाह करता है।
- यदि यहां राहु के साथ शुभ ग्रह हो तो जातक दूसरा विवाह करेगा।
दशा – मध्यम फलकारी है।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य जातक का विलम्ब विवाह कराएगा। साथ ही विवाह विच्छेद योग भी बनता है।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ चन्द्रमा जातक को मानसिक चिन्ता देगा। साथ ही कार्य में सफलता भी देगा। जीवनसाथी शक्की मिजाज का होगा।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल उच्च का होने से ‘रुचक योग’ बनेगा। जातक राजा के समान पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा। जातक की किस्मत विवाह के बाद चमकेगी।
4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध होने से जातक का धन जीवनसाथी के रख-रखाव को लेकर खर्च होगा। जातक फिजूल खर्च होगा।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ नीच का गुरु होने से ‘चाण्डाल योग’ बना। ऐसे जातक का संसर्ग अपने से बड़ी उम्र के स्त्री के साथ होता है।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ सप्तम भाव में शुक्र ‘लम्पट योग’ बनाएगा। ऐसा जातक चाल-चलन व चरित्र का अच्छा नहीं होता।
7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि यहां पर ‘शशयोग’ बनाएगा। ऐसा व्यक्ति राजा के समान पराक्रमी ऐश्वर्यशाली होता हुआ भी धूर्त होगा।
8. ग्रहण योग – यदि यहां सूर्य ग्रहण हो तो 48वें वर्ष में जीवनसाथी की मृत्यु होगी। चन्द्र ग्रहण हो तो स्त्री का स्वभाव अच्छा न होने से गृहस्थ संसार के प्रति जातक उदासीन रहता है।
सप्तम भाव के अशुभ राहु का उपचार
- राहु शान्ति प्रयोग करें।
- राहु के वैदिक मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला पर करें।
- राहु की वस्तुओं का दान करें।
- अत्यधिक बूढ़ी एवं बेसहारा स्त्रियों की मदद करें।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश अष्टम भाव में
कर्क लग्न में अष्टम भाव में स्थित कुम्भ राशि का राहु मित्रक्षेत्री है। जहां बैठकर वह धन भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। राहु की यह स्थिति पेट में पीड़ा एवं जातक को गुप्त रोग देगी। जातक को धन प्राप्ति में रुकावट महसूस होगी।
जातक पारिजात के अनुसार यदि अष्टमस्थ राहु को कोई पाप ग्रह देखता है तो फोड़े-फुंसी, उष्ण रोग, सर्पदंश या कोई दवाई के प्रतिरोध से जातक की मृत्यु होगी ।
ऐसे जातक का परिवार बड़ा होता है तथा वह आर्थिक विपन्नता से ग्रस्त होता है । फलदीपिका के अनुसार अष्टमस्थ राहु वाला व्यक्ति विकल, वात रोग से पीड़ित, अल्प सुत वाला, अल्पायु एवं अशुद्ध अकरणीय कर्म करने वाला होता है।
ऐसे जातक की वाणी दूषित होती है। ऐसे जातक परिश्रम बहुत करते हैं पर उसका फल उन्हें नहीं मिलता। कुटुम्ब में अपयश एवं आत्मीय जनों से वांछित सम्मान नहीं मिलता।
दशा – राहु की दशा अनष्टि सूचक है। राहु की दशा में जातक को कोई बीमारी हो सकती है।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य यहां ‘धनहीन योग’ बनाता है। ऐसे जातक को पग-पग पर आर्थिक विषमता का सामना करना पड़ता है।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ यहां चन्द्रमा ‘लग्नभंग योग’ बनाएगा। ऐसे जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलता। जातक मानसिक परेशानी में रहता है।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल यहां पर ‘विद्याभंग योग’ एवं ‘राजभंग योग’ दोनों बनाता है। ऐसा जातक दर-दर भटकता है पर सरकार से उसे सहयोग नहीं मिलता। जातक के प्रत्येक कार्य में बाधा आती है।
4. राहु + बुध – राहु के साथ बुध यहां पर ‘पराक्रम भंगयोग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ दोनों बनाएगा। ऐसा जातक धनवान व ऐश्वर्य सम्पन्न तो होगा पर मानहानि का भय बराबर बना रहेगा।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ गुरु ‘भाग्यभंग योग’ एवं षष्टेश अष्टम में होने से विपरीत राजयोग दोनों बनाएगा। ऐसा जातक धनवान एवं ऐश्वर्य सम्पन्न होगा पर भाग्योदय हेतु बहुत संघर्ष करना पड़ेगा।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र ‘सुखहीन योग’ एवं ‘लग्नभंग योग’ दोनों बनाएगा। फलतः जातक को गुप्त रोग गृहस्थ सुख प्राप्ति में बाधक होंगे तथा उसे व्यापार में भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि विलम्ब विवाह योग कराएगा तथा गृहस्थ सुख में बाधा पहुंचाएगा। परन्तु अष्टमेश अष्टम में स्वगृही होने से विपरीत राजयोग के कारण जातक धनवान होगा।
8. ग्रहण योग – अष्टम भाव में सूर्य ग्रहण हो तो विवाह जल्दी होता हैं पर पुत्र एक ही होता है। स्त्री की आयु कम होती है। चन्द्र ग्रहण हो तो जातक स्वयं अल्पायु वाला होता है। 38 वें वर्ष में आयु को खतरा रहता है।
अष्टम भाव के अशुभ राहु का उपचार
- राहु कवच का नित्य पाठ करें।
- असाध्य बीमारी से बचाव हेतु महामृत्युंजय का पाठ करें।
- हाथीदांत की वस्तुएं घर में न रखे, न प्रयोग में लें।
- प्राणों पर यदि संकट हो तो अपने वजन के बराबर कच्चा कोयला शनिवार के दिन जल में प्रवाहित करें।
- यदि बुखार न उतर रहा हो तो 800 ग्राम जौ गौ मूत्र में धोकर शनिवार के दिन जल में प्रवाहित करें।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश नवम् भाव में
कर्क लग्न में राहु नवम भाव में मीन राशि का शत्रुक्षेत्री होगा। जहां बैठकर वह तृतीय भाव पर पूर्ण दृष्टि डालेगा।
राहु की यह स्थिति 45 वर्ष की आयु तक जातक को भाग्योदय हेतु संघर्ष कराती रहेगी। जातक की अपने बड़े भाई के साथ खटपट रहेगी। भागीदारी व्यापार नहीं जमेगा।
फलदीपिका के अनुसार ऐसा जातक प्रतिकूल वचन बोलने वाला किन्तु किसी समुदाय, नगर या ग्राम का नेता होता है तथा अपुण्यवान, अंधार्मिक जातक होता है।
मेरे निजी अनुसंधान के अनुसार ऐसा जातक भाग्योदय हेतु अनेक प्रयत्न व धंधे करता है परन्तु फूटे घड़े में जिस प्रकार से पानी नहीं रहता, उसी प्रकार से भाग्योदय हेतु किए गए प्रयत्नों में सफलता नहीं मिलती।
निशानी – जातक धर्मग्रन्थों, ज्योतिष, तंत्र-मंत्र के गूढ़ रहस्यों का जानकार होगा।
दशा – राहु की दशा व अंतर्दशा मध्यम अवस्था के पहले कष्टदायक एवं उसके बाद ठीक रहेगी।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य जातक को धनी एवं रौबीला व्यक्तित्व देगा।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ लग्नेश चन्द्रमा जातक को परिश्रम का यथेष्ट लाभ नहीं होने देगा। जातक की माता धार्मिक होगी पर बीमार रहेगी।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल जातक को बड़ी भूमि व जमीन का स्वामी बनाएगा। ऐसा जातक परम प्रतापी होगा।
4. राहु + बुध – राहु के साथ नीच का बुध भाग्य स्थान में जातक को परम पराक्रमी बनाएगा। ऐसे जातक का जनसम्पर्क बहुत तेज होगा।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ गुरु वैसे तो यहां ‘चाण्डाल योग’ बना रहा है। परन्तु गुरु स्वगृही होने से जातक राजा तुल्य प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी होगा। धर्म ध्वज होगा।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र उच्च का ‘लम्पट योग’ बनाता है। ऐसा जातक व्याभिचारी होगा। स्त्री मित्रों से खूब लाभ होगा।
7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि ‘धूर्त योग’ बनाएगा। जातक षड्यंत्रकारी होगा, कुटिल होगा परन्तु प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी होगा।
8. ग्रहणयोग – यहां चन्द्र ग्रहण हो तो जातक की अगली पीढ़ी भाग्यवान होती है। सूर्य ग्रहण हो तो माता-पिता की बचपन में मृत्यु होती है।
नवम भाव के अशुभ राहु का उपचार
- राहु के वैदिक मंत्रों का जाप, अनुष्ठान करें।
- राहु शान्ति प्रयोग करें।
- शीघ्र भाग्योदय हेतु राहु के एक लाख अठारह हजार तांत्रिक मंत्रों का दूर्वा, काले तिल, कर्पूर व कमलगट्टे का हवन करें।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश दशम भाव में
कर्क लग्न में दशम भाव में स्थिति मेष राशि का राहु शत्रुक्षेत्री होगी। इसकी दृष्टि चतुर्थ भाव पर रहेगी। राहु की यह स्थिति जातक के धंधे व्यवसाय एवं व्यापार के लिए संघर्षपूर्ण राह को बताती है। ऐसे जातक पूर्ण परिश्रमी होते हैं पर सरकार की ओर से परेशानी आ सकती है।
विशेष – फलदीपिका के अनुसार ऐसा जातक सत्कर्महीन, थोड़े पुत्र वाला, निर्भय एवं विख्यात (कुख्यात) होता है। मेरे निजी अनुसंधान के अनुसार ऐसे जातक का व्यापारिक या व्यवसायिक जीवन कलहपूर्ण रहता है। परिवार में विग्रह रहता है। सरकारी अधिकारियों से अनबन रहती है।
निशानी – जातक पूर्ण परिश्रमी एवं साहसी होगा।
दशा – राहु की दशा मध्यम आयु के पूर्व संघर्षकारी एवं बाद में ठीक हो जाएगी।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य उच्च का होगा। ‘रविकृत राजयोग’ के कारण जातक परम तेजस्वी व्यक्तित्व का धनी होगा। सरकार में उसका प्रभाव अक्षुण्ण होगा।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ चन्द्रमा यहां उच्चाभिलाषी होगा। फलत: जातक महत्वाकांक्षी होगा। उसे मातृपक्ष से वांछित सहयोग समय पर नहीं मिलेगा।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ स्वगृही मंगल ‘रुचक योग’ बनाएगा। जातक राजा के समान पराक्रमी, ऐश्वर्य सम्पन्न एवं प्रभावशाली व्यक्ति होगा पर लड़ाकू तथा परम साहसी होगा।
4. राहु + बुध – राहु के साथ यहां बुध होने से जातक बुद्धिशाली, पराक्रमी होगा तथा राजा का प्रमुख सलाहकार होगा।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ यहां पर गुरु ‘चाण्डाल योग’ बनाएगा, परन्तु व्यक्ति अपने कुटुम्ब परिवार का नाम रोशन करने से पीछे नहीं रहेगा।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र यहां पर ‘लम्पट योग’ बनाता है। ऐसा जातक स्त्री का रसिक एवं अत्यन्त कामी होता है। स्त्रियां भी इनके प्रति सहज ही आकर्षित हो जाती हैं।
7. राहु + शनि – यहां पर राहु के साथ नीच का शनि ‘धूर्त योग’ बनाता है ऐसा जातक अत्यन्त चालाक व कूटनीतिज्ञ होता है। इनसे दुश्मनी करना घातक रहता है क्योंकि यह कभी भी, कुछ भी कर सकता है।
8. ग्रहण योग – यहां चन्द्र ग्रहण माता की मृत्यु अल्पायु में कराता है। सूर्य ग्रहण हो तो पिता की मृत्यु बचपन में होती है।
दशम भाव के अशुभ राहु का उपचार
- राजयोग की प्राप्ति हेतु राहु के तांत्रित मंत्रों का हवन करें।
- राहु की वस्तुओं का दान करें।
- राहु पंचविंशति नाम स्तोत्र का नित्य पाठ करें।
- राहु के पंचविंशति स्तोत्र का हवनात्मक प्रयोग काले तिल व दूर्वा से करें।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश एकादश भाव में
कर्क लग्न में एकादश भाव में स्थित वृष राशि का राहु मित्रक्षेत्री होगा। यहां बैठकर राहु पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। ऐसा जातक आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होगा। व्यापार-व्यवसाय में उसे आकस्मिक लाभ मिलेगा पर प्रेम प्रकरण में बदनामी मिलेगी।
विशेष – राहु यहां मांगलिक दोष को नष्ट करता हुआ उत्तम फल देगा। फलदीपिका के अनुसार ऐसा जातक लक्ष्मीवान एवं दीर्घायु होता है परन्तु कान में रोग होता है पुत्र अल्प होते हैं।
मेरे निजी अनुसंधान के अनुसार ऐसा व्यक्ति चिन्तातुर रहता है। धन के मामले को लेकर बदनामी या संघर्ष की स्थिति रहती है। सर्वत्र लाभ दिखलाई देता है पर कांच में दिखाई देने वाले रुपयों की तरह धन हाथ नहीं लगता।
निशानी – जातक को पुत्र संतान संबंधी चिन्ता रहेगी।
दशा – राहु की दशा अकस्मात लाभ एवं उत्तम फल देगी।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य जातक को आध्यात्मिक व गूढ़ रहस्यमय विद्याओं का ज्ञाता बनाता है। जातक व्यापार प्रिय होगा।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ चन्द्र होने से ऐसा व्यक्ति स्वपराक्रम से आगे बढ़ता है। उच्च का चन्द्रमा उसे उच्च कल्पना शक्ति देगा।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल जातक को उद्योगपति बनाएगा तथा वह ऐसा जातक रचनात्मक कार्य करने वाला होता है तथा वह खाली नहीं बैठ सकता ।
4. राहु + बुध – राहु के साथ यहां पर बुध होने से जातक महान पराक्रमी होगा पर व्यापार-व्यवसाय को लेकर खर्च बढ़े-चढ़े होंगे।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ गुरु यहां पर चाण्डाल योग बनाता है। ऐसे जातक का जो भी स्वप्न आएंगे वे सच होंगे। जातक में पूर्वाभास की शक्ति होगी।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र स्वगृही होकर ‘लम्पट योग’ बनाएगा। ऐसा जातक विलासी होगा तथा व्यापार में खूब धन अर्जित करने में सक्षम होगा।
7. राहु + शनि – राहु के साथ शनि होने से ‘धूर्त योग’ बनेगा। ऐसा जातक शठ होगा। जातक दूसरों को उल्लू बनाने में समर्थ होगा पर उसका खुद का गृहस्थ जीवन ज्यादा आनन्ददायक नहीं होगा।
8. ग्रहणयोग – इस स्थान पर चन्द्र ग्रहण शुभ होता है जातक अनेक प्रकार के धंधों से धन कमाता है। यदि यहां सूर्य ग्रहण हो तो जातक को बड़े भाई के कुटुम्ब का पोषण करना पड़ता है।
एकादश भाव के अशुभ राहु का उपचार
- निम्न वर्ग के व्यक्ति को कभी-कभी खैरात दें। उनके जरूरत की वस्तु भेंट करें।
- रात को आराम करने की जगह पर शक्कर की बोरी या सौंफ की बोरी कायम रखने से राहु की अशुभ फल नष्ट होगा।
- राहु शान्ति प्रयोग करें।
कर्क लग्न में राहु का फलादेश द्वादश भाव में
कर्क लग्न में द्वादश भाव में स्थित मिथुन राशि का राहु उच्च का होगा। यहां बैठक राहु छठे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। राहु की यह स्थिति जातक को अधिक यात्राएं करायेगी। ज्यादा यात्रा सार्थक न होगी राहु जातक से बड़े-बड़े खर्चे भी कराएगा। यदि खर्च पर नियंत्रण न रहा तो जातक कर्जदार भी हो सकता है।
विशेष – राहु की सही स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए राहुगत राशि स्वामी की स्थिति को देखना अनिवार्य है।
फलदीपिका के अनुसार – ऐसा जातक पाप करने वाला, आय से अधिक खर्च करने वाला जलोदर रोग से ग्रसित होता है।
मेरे निजी अनुसंधान के अनुसार ऐसे जातक को मानसिक तनाव सदैव बना रहता है। जातक यात्राएं बहुत करता है। धन की भारी चिन्ता रहती है। उधार दिया हुआ पैसा डूब जाता है परन्तु खुद के कर्जे उतारने का परिस्थिति में परेशान रहता है।
दशा – राहु दशा मिश्रित फल देगी।
राहु का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध
1. राहु + सूर्य – राहु के साथ सूर्य ‘धनहीन योग’ बनाएगा। ऐसा जातक आर्थिक विषमताओं के मध्य में गुजरेगा एवं आध्यात्मिक व्यक्ति होगा। जातक त्यागी व परोपकारी होगा।
2. राहु + चन्द्र – राहु के साथ चन्द्रमा होने से जातक मानसिक तनाव में रहेगा एवं उसे परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा।
3. राहु + मंगल – राहु के साथ मंगल ‘विद्याभंग योग’ एवं ‘राजभंग योग’ बनाएगा। ऐसे जातक का पुरुषार्थ ज्यादा सफल नहीं होता है। पुत्र भी उसके कहने में नहीं रहते।
4. राहु + बुध – राहु के साथ स्वगृही बुध होने से ‘विपरीत राजयोग’ बनता है। ऐसा जातक धनी एवं ऐश्वर्यशाली होगा। यात्रा व्यवसाय एवं बुद्धिबल से खूब धन कमाएगा।
5. राहु + गुरु – राहु के साथ गुरु ‘भाग्यभंग योग’, ‘चाण्डाल योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ तीनों योगों के बराबर सृष्टि करेगा। ऐसा जातक ऐश्वर्य सम्पन्न तथा कूटनीतिज्ञ होगा एवं समाज का अग्रगण्य व्यक्ति होगा।
6. राहु + शुक्र – राहु के साथ शुक्र ‘सुखहीन’, ‘लाभभंग योग’ एवं ‘लम्पट योग’ तीनों योगों के बराबर सृष्टि करेगा। ऐसा जातक परस्त्री में बहुत दिलचस्पी लेगा तथा विदेश में जाकर खूब धन कमाएगा।
7. राहु + शनि – राहु के साथ यहां शनि ‘धूर्त योग’, ‘विलम्ब विवाह योग’ एवं ‘विपरीत राजयोग’ तीनों योगों की बराबर सृष्टि करेगा। ऐसा जातक ऐश्वर्यवान होगा पर दगा करना उसकी फितरत होगी। उसका गृहस्थ सुख बिगड़ा हुआ होगा।
8. ग्रहण योग – यहां चन्द्र ग्रहण हो तो जातक की वृद्धावस्था कष्टमय रहती है। सूर्य ग्रहण हो तो वृद्धावस्था में धन की तकलीफ रहती है।
द्वादश भाव के अशुभ राहु का उपचार
- आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए अपनी आय का कुछ हिस्सा पुत्री, बहन, बुआ, भानजी पर खर्च करें।
- लाल कपड़े की थैली में सौंफ डालकर सिलाई कर लें। यह थैली सिरहाने रखें तो बुरे स्वप्न समाप्त होंगे। राहु का भार मिटेगा ।
- रसोई में बैठकर खाना खाने से राहु का अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है।
- राहु कवच का पाठ करें।
- राहु का तांत्रिक हवन करें।
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