कारकाख्ययोग से धनप्रप्ति

कारकाख्ययोग से धनप्रप्ति जब कोई ‘स्वक्षेत्री ‘ अथवा ‘उच्च’ ग्रह परस्पर केन्द्र में स्थित होते हैं तो ‘कारकाख्य’ योग को बनाते हैं । और यह ‘कारकाख्य’ और भी बलवान होता है जब कि उक्त ‘उच्च’ आदि ग्रहों की स्थिति लग्न Read more

स्वामिदृष्ट भाव से धनप्रप्ति

स्वामिदृष्ट भाव से धनप्रप्ति आचार्य वराहमिहिर के सुपुत्र पृथुयशस् का कहना है कि :- “यो यो भावः स्वामियुक्तो दृष्टों वा तस्य तस्यास्ति वृद्धिः” अर्थ – जो जो भाव अपने स्वामी द्वारा युक्त तथा दृष्ट होता है। उस उस भाव की Read more

अधियोग से धनप्रप्ति

अधियोग से धनप्रप्ति अधियोग चन्द्रादि लग्नों से षष्ठ, सप्तम तथा अष्टम स्थानों में शुभ ग्रहों की स्थिति से उत्पन्न होते हैं। अधियोग क्यों शुभ फल देते हैं ? इसका कारण है कि शुभ ग्रहों की उक्त षष्ठ, सप्तम तथा अष्टम Read more

नीचभंग राजयोग से मिलता है प्रसिद्धि, पैसा और सरकारी लाभ

नीचभंग राजयोग नीचता भग राजयोग ग्रहों की नीचता के भंग से उत्पन्न होता है । और वह नीचता नीच राशि के स्वामी आदि के चन्द्र तथा लग्न से केन्द्र में स्थित होने से भंग होती है। इस नीचभंग राजयोग की Read more

विपरीत राजयोग – रंक से बना देता है राजा !

विपरीत राजयोग से असाधारण धन 1. जब शुभ घरों के स्वामी बली होते हैं तो धन मिलता है । इस सिद्धान्त का विवेचन आप पढ़ चुके हैं। परन्तु ऐसा भी देखा गया है कि प्रचुर धन की प्राप्ति अनिष्ट भावों Read more

धन प्राप्ति में लग्न का महत्त्व

धन प्राप्ति में लग्न का महत्त्व धन प्राप्ति के सन्दर्भ में ‘लग्न’ का कितना महत्त्व है । इस तथ्य का अनुमान हमको ‘सारावली’ – कार के निम्नलिखत श्लोक द्वारा हो सकता है :- “लग्ने तयो विगत शोक विवद्धितानां, कुर्वन्ति जन्म Read more

लग्नो के विशेष धनादायक ग्रह

लग्नो के विशेष धनादायक ग्रह ‘राजयोग’ कारक ग्रहों की अन्तरदशा में विशेष धन, मान, पदवी की प्राप्ति होती है। संक्षेप में विविध लग्नों के लिये विशेष धन देने वाले ग्रहों का उल्लेख नीचे किया जाता है । 1. जब दो Read more

पाराशरीय धनदायक योग

पाराशरीय धनदायक योग महर्षि पाराशर का आदेश है कि जैसे भगवान् विष्णु के अवतरण- समय पर उनकी शक्ति-लक्ष्मी उनसे मिलती है तो संसार में उपकार की सृष्टि होती है । इसी प्रकार जब केन्द्र-घरों के स्वामियों का योग त्रिकोण घरों Read more

ग्रहों का व्यवसाय पर प्रभाव

ग्रहों का व्यवसाय पर प्रभाव व्यवसायों के प्रकार का निर्णय ग्रहों को स्वरूप, बल आदि पर निर्भर करता है । जो ग्रह अत्यधिक बलवान् होकर लग्न, लग्नेश आदि आजीविका के द्योतक अंगों पर प्रभाव डालता है वह ग्रह आजीविका के Read more

कुण्डली की वैज्ञानिक व्याख्या

कुण्डली की वैज्ञानिक व्याख्या कुण्डली कागज पर आसमान का जन्म समय का नक्शा है । जो स्थिति इस नक्शे में ग्रहों की होती है वही स्थिति उस समय उत्पन्न होने वाले व्यक्ति के जीवन की होती है, क्योंकि जो भी Read more