अधियोग से धनप्रप्ति
अधियोग से धनप्रप्ति अधियोग चन्द्रादि लग्नों से षष्ठ, सप्तम तथा अष्टम स्थानों में शुभ ग्रहों की स्थिति से उत्पन्न होते हैं। अधियोग क्यों शुभ फल देते हैं ? इसका कारण है कि शुभ ग्रहों की उक्त षष्ठ, सप्तम तथा अष्टम Read more
अधियोग से धनप्रप्ति अधियोग चन्द्रादि लग्नों से षष्ठ, सप्तम तथा अष्टम स्थानों में शुभ ग्रहों की स्थिति से उत्पन्न होते हैं। अधियोग क्यों शुभ फल देते हैं ? इसका कारण है कि शुभ ग्रहों की उक्त षष्ठ, सप्तम तथा अष्टम Read more
नीचभंग राजयोग नीचता भग राजयोग ग्रहों की नीचता के भंग से उत्पन्न होता है । और वह नीचता नीच राशि के स्वामी आदि के चन्द्र तथा लग्न से केन्द्र में स्थित होने से भंग होती है। इस नीचभंग राजयोग की Read more
विपरीत राजयोग से असाधारण धन 1. जब शुभ घरों के स्वामी बली होते हैं तो धन मिलता है । इस सिद्धान्त का विवेचन आप पढ़ चुके हैं। परन्तु ऐसा भी देखा गया है कि प्रचुर धन की प्राप्ति अनिष्ट भावों Read more
धन प्राप्ति में लग्न का महत्त्व धन प्राप्ति के सन्दर्भ में ‘लग्न’ का कितना महत्त्व है । इस तथ्य का अनुमान हमको ‘सारावली’ – कार के निम्नलिखत श्लोक द्वारा हो सकता है :- “लग्ने तयो विगत शोक विवद्धितानां, कुर्वन्ति जन्म Read more
लग्नो के विशेष धनादायक ग्रह ‘राजयोग’ कारक ग्रहों की अन्तरदशा में विशेष धन, मान, पदवी की प्राप्ति होती है। संक्षेप में विविध लग्नों के लिये विशेष धन देने वाले ग्रहों का उल्लेख नीचे किया जाता है । 1. जब दो Read more
पाराशरीय धनदायक योग महर्षि पाराशर का आदेश है कि जैसे भगवान् विष्णु के अवतरण- समय पर उनकी शक्ति-लक्ष्मी उनसे मिलती है तो संसार में उपकार की सृष्टि होती है । इसी प्रकार जब केन्द्र-घरों के स्वामियों का योग त्रिकोण घरों Read more
आजीविका का अध्ययन जातक की आजीविका के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए निम्न तथ्यों का अवलोकन करना चाहिए – 1. दशम भाव, दशमेश, बुध (बुद्धि कारक), शनि (कर्म कारक)। 2. भावात-भावम के सिद्धांत के अनुसार – सप्तम, सप्तमेश, Read more
कुण्डली की वैज्ञानिक व्याख्या कुण्डली कागज पर आसमान का जन्म समय का नक्शा है । जो स्थिति इस नक्शे में ग्रहों की होती है वही स्थिति उस समय उत्पन्न होने वाले व्यक्ति के जीवन की होती है, क्योंकि जो भी Read more
कुंडली में राहु और केतु का प्रभाव चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। वह पृथ्वी की परिक्रमा तो करता ही है, साथ ही पृथ्वी की भांति सूर्य की भी परिक्रमा करता है। चंद्रमा और पृथ्वी की कक्षाएं समांतर नहीं हैं। ये Read more
शनि की साढ़े साती और ढय्या शनि एक मंद गति से चलने वाला ग्रह है। जब यह अशुभ ग्रह की तरह कार्य करता है तो संबद्ध जातक के जीवन पर इसका बहुत धीरे-धीरे लेकिन स्थिर प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव Read more