हाथ, हथेली तथा उंगलियां
हाथ के अध्ययन में उंगलियां और हाथ की आकृति विशेष महत्त्व रखती है। बड़ा हाथ अपने आप में विशिष्ट हाथ कहलाता है। ऐसे व्यक्ति सूक्ष्मदर्शी और व्यवहार कुशल होते हैं। इसके विपरीत छोटे हाथ वाले व्यक्ति क्रोधी, सनकी और अस्थिर स्वभाव वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में पूरी तरह से सफलता प्राप्त नहीं कर सकते।
यहां और आगे के पृष्ठों में भी जहां हाथ का वर्णन आएगा वहां हाथ से तात्पर्य मात्र हथेली से ही लिया जाना चाहिए।
हथेली
उंगली की जड़ से पहले मणिबन्ध तक हथेली की लम्बाई कहलाती है तथा अंगूठे की जड़ से दूसरे अन्तिम सिरे तक के भाग को हथेली की चौड़ाई कहा जाता है। इस सारे भाग पर जो भी चिन्ह होते हैं, वे सभी चिन्ह हस्तरेषा विशेषज्ञ के लिए अत्यन्त आवश्यक होते हैं।
संकड़ी हथेली – ऐसे व्यक्ति सामान्यतः कमजोर प्रकृति वाले होते हैं। ये व्यक्ति अपने ही स्वार्थ को सर्वाधिक महत्त्व देते हैं और अपने स्वार्थ साधन में यदि सामने वाले व्यक्ति का अहित भी हो जाता है तो ये इस बात की परवाह नहीं करते। ऐसे व्यक्तियों पर आसानी से विश्वास करना ज्यादा उचित नहीं कहा जा सकता ।
चौड़ी हथेली : – जिन व्यक्तियों के पास चौड़ी हथेली होती है, वे चरित्र की दृष्टि से दृढ़ निश्चयी तथा मजबूत हृदय वाले होते हैं। उनकी कथनी और करनी में कोई भेद नहीं होता और एक बार जो ये बात अपने मुंह से कह देते हैं उस पर ये खुद भी दृढ़ रहते हैं और यदि किसी को इस प्रकार का कोई आश्वासन दे देते हैं तो उसे यथासंभव पूरा करने की कोशिश करते हैं।
अत्यधिक चौड़ी हथेली :- ऐसे व्यक्ति सामान्यतः अस्थिर प्रकृति के होते हैं। इनकी पहचान यह है कि इन लोगों की हथेली लम्बाई की अपेक्षा चौडी ज्यादा होती है। ऐसी हथेली वाले व्यक्ति तुरन्त निर्णय नहीं ले पाते और किसी भी कार्य को करने से पूर्व बहुत अधिक सोचते विचारते रहते हैं।
इनके जीवन में किसी कार्य का व्यवस्थित रूप नहीं होता। एक बार में ये एक से अधिक कार्य अपने हाथ में ले लेते हैं और उनमें से कोई भी कार्य भली प्रकार से पूर्ण नहीं होता, जिसकी वजह से इनके मन में निराशा भी घर कर लेती है। सामान्यतः ऐसे व्यक्ति जीवन में असफल ही होते हैं।
समचौरस हथेली :- जिन व्यक्तियों की हथेली समचौरस होती है अर्थात हथेली की लम्बाई और चौड़ाई बराबर होती है, वे व्यक्ति स्वस्थ, सबल, शान्त और दृढ़ निश्चयी होते हैं। ऐसे व्यक्ति पूरी तरह से पुरुषार्थी कहे जाते हैं। जीवन में ये जो भी बनते हैं या जो भी उन्नति करते हैं वह अपने प्रयत्नों के माध्यम से ही करते हैं।
इनके स्वभाव में दृढ़ निश्चय होता है। किसी कार्य को ये तब तक प्रारंभ नहीं करते जब तक कि इन्हें उस कार्य की सफलता में पूरा-पूरा भरोसा नहीं होता। परन्तु जब ये किसी एक कार्य को प्रारम्भ कर लेते हैं, तो अपनी सारी शक्ति उसके पीछे लगा देते हैं और जब तक वह कार्य भली प्रकार से सम्पन्न नहीं हो जाता, तब तक ये विश्राम नहीं लेते। इनके जीवन की सफलता का यही मूल रहस्य है।
हाथ के प्रकार
हाथ के प्रकार का भी भविष्य कथन के लिए बहुत अधिक महत्त्व है । हाथ देखने वाले को चाहिए कि वह जिस समय सामने वाले व्यक्ति के हाथ का स्पर्श करे, उसी समय यह भी जान ले कि उसका हाथ किस प्रकृति का है। मैं इससे सम्बन्धित तथ्य नीचे स्पष्ट कर रहा हूं :-
नरम हाथ :- जिन व्यक्तियों के इस प्रकार के हाथ होते हैं, वे सामान्यतः कल्पनाशील व्यक्ति होते हैं। इनके स्वभाव में एक विशेष प्रकार की लचक एवं कोमलता होती है और उसी के अनुसार इनका जीवन भी होता है। किसी भी व्यक्ति की सहायता करने के लिए ये हर समय तैयार रहते हैं। अधिकतर ऐसे हाथ स्त्रियों के होते हैं। यदि किसी पुरुष का भी ऐसा हाथ अनुभव हो जाए तो यह समझ लेना चाहिए कि इस व्यक्ति में स्त्री सम्बन्धी गुण विशेष हैं।
ढीला-ढाला नरम हाथ :- यदि किसी व्यक्ति का हाथ नरम हो, परन्तु वह बड़ा ही ढीला-ढाला हो तो ऐसे व्यक्ति आलसी, निकम्मे तथा अत्यन्त स्वार्थी होते हैं । अधिकतर ऐसे व्यक्तियों में दया नाम की कोई चीज़ नहीं होती। अपराधी वर्ग के हाथ अधिकतर ऐसे ही होते हैं। बुरे तथा समाज विरोधी कार्यों में ऐसे व्यक्ति सर्वथा अग्रणी रहते हैं। ऐसे व्यक्ति हृदयहीन, धोखा देने वाले तथा कपटपूर्ण व्यवहार करने वाले होते हैं ।
सख्त हाथ :- ऐसे व्यक्तियों का जीवन रूखा और कठोर सा होता है। प्रेम के क्षेत्र में भी कठोर बने रहते हैं और प्रेम के मामले को भी ये युद्ध के मामले की तरह समझते हैं। यदि बहुत अधिक सख्त हाथ हो तो ऐसे व्यक्ति सामान्य मजदूर होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने कार्य को सबसे अधिक महत्त्व देने वाले होते हैं तथा बाधाओं के आने पर भी ऐसे व्यक्ति निराश नहीं होते, अपितु लगातार उस कार्य को करते रहते हैं।
हाथ का प्रकार देखते समय अवस्था को भी ध्यान में रखना चाहिए। यौवन-काल में हाथ सामान्यतः कम सख्त होता है, परन्तु उसी व्यक्ति का हाथ प्रौढ़-काल में ज्यादा सख्त होता है। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि हाथ का प्रकार देखते समय उसकी आयु का भी ध्यान रखना चाहिए, परन्तु सामान्यतः सख्त हाथ वाले व्यक्ति बुद्धिजीवी नहीं होते और परिश्रम करके ही अपना जीवन यापन करते हैं।
अत्यन्त सख्त हाथ :- ऐसा हाथ बुद्धि की न्यूनता और अत्याचार को प्रदर्शित करता है। ऐसे व्यक्ति दूसरों को दुखी देखकर आनन्द का अनुभव करते हैं और घोर स्वार्थी बने रहते हैं । अपराधी वर्ग के हाथ ऐसे ही होते हैं। जल्लाद या पेशेवर हत्यारे के हाथों में इसी प्रकार की स्थिति देखी जा सकती है।
हथेली का रंग
हाथ के प्रकार को देखने के साथ-साथ हथेली के रंग को भी ध्यान में रखना चाहिए, परन्तु इस बात में यह सावधानी बरतनी चाहिए कि सामने वाले व्यक्ति की हथेली को छूने से पहले ही उसके स्वाभाविक रंग का अध्ययन करना चाहिए। छूने से हथेली का रंग बदल जाता है और वह अपनी सामान्य अवस्था में नहीं रहती ।
लाल :- जिस व्यक्ति की हथेली का रंग लाल होता है, वह क्रोधी स्वभाव का तथा दूसरों पर अविश्वास करने वाला व्यक्ति होता है। ऐसे व्यक्ति तुनक मिजाज भी होते हैं। किस समय ऐसा व्यक्ति गुस्सा हो जाएगा, इसका कोई आभास नहीं हो पाता। सामान्यतः ऐसा व्यक्ति संकीर्ण विचारों वाला तथा अदूरदर्शी होता है।
अत्यधिक लाल :- जिस व्यक्ति की हथेली का रंग अत्यधिक लाल होता है, वह क्रूर, अपराध-वृत्ति वाला तथा जरूरत से ज्यादा स्वार्थी होता है। समय पड़ने पर यह मित्र को भी धोखा देने में नहीं चूकता। स्वार्थी इतना अधिक होता है कि यदि किसी का 100 रु० का नुकसान होता हो और उससे इसको एक पैसे की बचत होती है, तो यह सामने वाले व्यक्ति को भी धोखा देने से नहीं चूकेगा। इसके साथ भलाई का व्यवहार करने पर भी समय पड़ने पर यह व्यक्ति धोखा देगा। ऐसे व्यक्ति पर विश्वास करना खतरे से खाली नहीं होता ।
गुलाबी :- जिस व्यक्ति की हथेली का रंग गुलाबी होता है, वह स्वस्थ, सहृदय तथा उन्नत विचारों वाला होता है। उसके रहन-सहन में एक शालीनता दिखाई देती है। ऐसा व्यक्ति उच्च विचारों का धनी एवं सन्तुलित मस्तिष्क वाला होता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में अपने कार्यों से तथा अपने परिश्रम से सफल होते हैं एवं साधारण श्रेणी से उठकर अत्यन्त ऊंचे स्तर पर पहुंचने में समर्थ होते हैं। वास्तव में ऐसे व्यक्ति ही समाज को कुछ नया दे सकते हैं।
पीला :- पीले रंग की हथेली रोग की सूचक होती है। जिस व्यक्ति की हथेली पीली दिखाई दे तो समझ लेना चाहिए कि यह व्यक्ति रोगी है अथवा इसके खून में किसी न किसी प्रकार का कोई विकार है। ऐसा व्यक्ति अस्थिर स्वभाव का तथा चिडचिड़ा होता है एवं संकीर्ण बुद्धि का होने के साथ साथ कमजोर मस्तिष्क वाला भी कहा जा सकता है।
हथेली की त्वचा
चिकनी त्वचा :- हथेली की त्वचा का भी अपनेआप में अत्यन्त ही महत्त्व होता है। जिस व्यक्ति की हथेली की त्वचा चिकनी और मुलायम होती है, वह व्यक्ति सहृदय तथा निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति का लक्ष्य हमेशा स्पष्ट होता है और वह निरन्तर उस ओर बढ़ता रहता है। जीवन में अधिकतर ऐसे ही व्यक्ति सफल होते देखे गये हैं।
सूखी त्वचा : – जिन व्यक्तियों की हथेली की त्वचा या चमड़ी सूखी सी होती है, वे व्यक्ति सामान्यतः रोगी और अस्थिर प्रकृति वाले होते हैं । वे स्वयं किसी प्रकार का कोई निर्णय नहीं ले पाते और इनको जिस प्रकार की भी सलाह दी जाती है उसी के अनुसार ये कार्य करने लग जाते हैं। इनके कार्यों में किसी प्रकार का कोई सामंजस्य नहीं रहता। मानसिक तथा शारीरिक दोनों ही दृष्टियों से ये लगभग बीमार से ही रहते हैं। जीवन में सफलता इनको बहुत अधिक प्रयत्न करने के बाद ही मिलती है।
रूखी त्वचा :- अत्यधिक सूखी तथा रूखी त्वचा व्यक्ति की कमजोरी तथा लीवर की बीमारी को स्पष्ट करती है। ये व्यक्ति सन्देहशील प्रकृति के होते हैं तथा दुर्बल मनोवृत्ति के होने के कारण जीवन में प्रायः असफल ही रहते हैं ।
नाखून
हथेली का अध्ययन करने के साथ ही साथ उंगलियों के नाखूनों पर भी विशेष विचार करना चाहिए।
छोटे नाखून :- छोटे नासून व्यक्ति की असभ्यता को प्रदर्शित करते हैं। जिस व्यक्ति की उंगलियों पर छोटे-छोटे नाखून होते हैं, उन्हें देखकर तुरन्त समझ जाना चाहिए कि इस व्यक्ति ने भले ही सभ्य और उन्नत घराने में जन्म लिया हो पर प्रकृति से यह संकीर्ण विचारों वाला कमजोर तथा दुष्ट स्वभाव वाला ही होगा ।
छोटे और पीले नाखून :- ऐसे नाखून व्यक्ति की मक्कारी को प्रदर्शित करते हैं। ये नाखून इस बात के भी सूचक हैं कि यह व्यक्ति कदम-कदम पर झूठ बोलने वाला तथा समय पड़ने पर अपने परिवार को भी धोखा देने वाला होगा। ऐसे व्यक्ति कभी भी विश्वासपात्र नहीं हो सकते।
छोटे और चौरस नाखून :- जिस व्यक्ति के हाथों में इस प्रकार के नाखून होते हैं, वह व्यक्ति हृदय रोग का रोगी होता है तथा उसकी मृत्यु हार्ट अटैक से ही होती है ।
छोटे और चौड़े नाखून :- ऐसा व्यक्ति लड़ाई-झगड़ों में विश्वास रखता है और दूसरों की आलोचना करना या दूसरों के कार्यों में हस्तक्षेप करना इनका प्रिय स्वभाव होता है। ऐसे व्यक्ति अड़ियल किस्म के होते हैं।
कठोर और संकरे नाखून :- सामान्यतः ऐसे व्यक्ति झगड़ालू प्रकृति के होते हैं जिस बात को ये एक बार मन में ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं, चाहे वह बात गलत हो या सही हो । ये इस बात की परवाह नहीं करते, अपितु अपनी बात पर अड़े रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों पर विश्वास करना ठीक नहीं होता ।
चौकोर नाखून :- चौकोर नाखून व्यक्ति की कमजोरी को प्रकट करते हैं और इस प्रकार के नाखून मनुष्य का भीरूपन, उसकी कायरता एवं दब्बपन को ही प्रदर्शित करते हैं।
छोटे और तिकोने नाखून :- सामान्यतः ऐसे नाखून ऊपर से चौड़े तथा नीचे से संकरे होते हैं। जिन व्यक्तियों के हाथों में ऐसे नाखून होते हैं, वे व्यक्ति सुस्त होते हैं तथा काम करने से जी चुराते हैं। एक प्रकार से ऐसे व्यक्ति अपने आप को समाज से कटे हुए तथा एकान्तवादी अनुभव करते हैं।
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लम्बाई की अपेक्षा चौड़े नाखून होना :- ऐसे व्यक्ति बहुत जल्दी क्रोधित हो जाते हैं, परन्तु अपने काम के पक्के होते हैं और जिस काम को हाथ में ले लेते हैं, उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। अपने कार्यों में किसी का भी अनुचित हस्तक्षेप इन्हें पसन्द नहीं होता। एक प्रकार से ये व्यक्ति एकान्तप्रिय होते हैं।
छोटे नाखून व गांठदार उंगलियां :- ऐसे व्यक्ति झगडालू किस्म के होते हैं और यदि किसी स्त्री के हाथों में ऐसे नाखून दिखाई दे जाएं तो यह समझ लेना चाहिए कि वह स्त्री अपने पति पर पूरी तरह से शासन करती होगी तथा ऐसी स्त्री लड़ाकू स्वभाव की होगी ।
गोलाकार नाखून :- जिनके नाखून ऊपर से गोलाकार होते हैं, वे व्यक्ति सशक्त विचारों वाले एवं तुरन्त निर्णय लेने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति जो भी निर्णय लेते हैं, उन पर अमल करना भी जानते हैं।
पतले और लम्बे नाखून :- जिन व्यक्तियों के हाथों में पतले और लम्बे नाखून होते हैं, वे शारीरिक दृष्टि से कमजोर तथा अस्थिर विचार वाले कहे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वयं निर्णय नहीं ले पाते अपितु दूसरे व्यक्ति इनको जो भी राय देते हैं, उसी पर ये अमल करते हैं।
लम्बे और मुड़े हुए नाखून :- ऐसे व्यक्ति चरित्रहीन होते हैं तथा इनका सम्बन्ध अपनी पत्नी के अलावा अन्य स्त्रियों से भी रहता है। जीवन में ऐसे व्यक्ति कई बार बदनाम होते हैं।
पूर्ण नाखून :- इस प्रकार के नाखून चौडाई की अपेक्षा मामुली लम्बे होते हैं और अपनी प्राकृतिक चमक लिए हुए होते हैं। ऐसे व्यक्ति उत्तम विचारों वाले, मानवीय प्रवृत्तियों वाले तथा निरंतर आगे की ओर बढ़ते रहने की भावना रखने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति ही समाज में सभी दृष्टियों से सफल कहे जाते हैं।
नाखूनों पर निशान
काले धब्बे – जिस व्यक्ति की उंगलियों के नाखूनों पर काले धब्बे होते हैं, तो यह समझ लेना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति पर महान विपत्ति अर्थात् दःख आने वाला है। यहां यह बात समझ लेनी चाहिए कि नाखनों पर धब्बे समय-समय पर दिखाई देते हैं और लोप भी हो जाते हैं। जब भी उंगलियों पर काले धब्बे दिखाई देने लग जाएं तब यह समझ लेना चाहिए कि इस व्यक्ति के रक्त में खराबी आ गई है। शीघ्र ही ऐसा व्यक्ति चेचक, मलेरिया, बुखार या ऐसी ही किसी रक्त से सम्बन्धित बीमारी से पीड़ित होने वाला है।
सफेद धब्बे :- नाखूनों पर सफेद धब्बे रक्त भ्रमण में गतिरोध को स्पष्ट करते हैं और ये धब्बे भावी रोग के सूचक होते हैं जब ऐसे धब्बे उंगलियों पर दिखाई देने लग जाएं तो यह समझ लेना चाहिए कि यह व्यक्ति शीघ्र ही बीमार पड़ने वाला है।
ऊपर मैंने सफेद और काले धब्बों के बारे में विवरण दिया है। इस सम्बन्ध में यह भी जानना उचित रहेगा कि
- यदि अंगूठे पर सफेद धब्बा दिखाई दे तो वह प्रेम का सूचक होता है। जबकि काला धब्बा निकट भविष्य में ही अपराध होने की सूचना देता है।
- इसी प्रकार तर्जनी उंगली पर काला धब्बा आर्थिक हानि का संकेत करता है और सफेद धब्बा व्यापार में लाभ का सूचक होता है।
- मध्यमा उंगली के नाखून पर यदि सफेद धब्बा दिखाई दे तो शीघ्र ही यात्रा होने का योग बनता है, जबकि काला धब्बा परिवार के किसी वृद्ध व्यक्ति की मृत्यु का संकेत करता है।
- इसी प्रकार अनामिका के नाखून पर यदि काला धब्बा दिखाई दे जाए तो शीघ्र ही समाज में अपयश मिलता है। इसके विपरीत यदि सफेद धब्बा दिखाई देता है, तो उस व्यक्ति को शीघ्र ही सम्मान, धन तथा यश मिलने का योग बनता है।
- कनिष्ठिका उँगली के नाखून पर सफेद धब्बा अपने लक्ष्य में सफलता का सूचक माना गया है, जबकि काला धब्बा असफलता का द्योतक होता है।
- किसी भी उंगली पर या सभी उंगलियों पर यदि पीले धब्बे दिखाई देने लगे तो यह निश्चित रूप से समझ लेना चाहिए कि इस व्यक्ति की मृत्यु निकट भविष्य में ही होने वाली है।
कभी-कभी लाल छींटे भी दिखाई दे जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये भी अशुभ संकेत ही करते हैं और यदि किसी भी उंगली पर या सभी उंगलियों पर लाल छींटे या लाल धब्बे दिखाई दे जाएं तो उस व्यक्ति की हत्या होने का संकेत समझ में आता है।
नाखूनों की जड़ों में छोटा अर्द्धचन्द्र होना :- नाखूनों की जड़ों में कई बार अर्द्धचन्द्र दिखाई देने लग जाते हैं। ये अर्द्धचन्द्र प्रगति के सूचक हैं।
- तर्जनी उंगली पर अर्द्धचन्द्र बने तो शीघ्र ही नौकरी में अथवा राज्य सेवा में उन्नति या शुभ समाचार मिलने के आसार बनते हैं।
- मध्यमा उंगली पर अहंचन्द्र इस बात का सूचक है कि व्यक्ति को शीघ्र ही मशीनरी सम्बन्धी कार्यों में लाभ होने वाला है तथा उसे आकस्मिक धन का लाभ अथवा शुभ समाचार मिल सकेंगे।
- अनामिका उंगली पर यदि ऐसा अर्द्धचन्द्र दिसाई दे तो शीघ्र ही सम्मान वृद्धि, प्रतिष्ठा वृद्धि एवं समाज में आदर बढ़ता है।
- कनिष्ठिका उंगली पर अर्द्धचन्द्र बने तो व्यापारिक कार्यों से लाभ होने के आसार बढ़ जाते हैं।
- अंगूठे के नाखून की जड में यदि यह अर्द्धचन्द्र बने तो समस्त प्रकार के शुभ कार्य उन्नति एवं शुभ संकेत समझना चाहिए।
नाखूनों की जड़ों में बड़ा अर्द्धचन्द्र होना :- ऊपर मैंने छोटे अर्द्धचन्द्र के बारे में विवरण दिया है, परन्तु कई बार बड़ा अर्द्धचन्द्र भी दिखाई दे जाता है, जोकि लगभग आधे नाखून को घेर लेता है। बडा अर्द्धचन्द्र यदि दिखाई दे तो विपरीत फल समझना चाहिए। ऊपर प्रत्येक उंगली के सम्बन्ध में जो फल बतलाए हैं उनसे विपरीत विचार करना चाहिए।
वस्तुतः नाखन और नाखूनों पर पाये जाने वाले चिन्ह अपने आप में बहुत अधिक महत्व रखते हैं। इसलिए हस्तरेखा विशेषज्ञ को चाहिए कि वह जब भी हाथ का अध्ययन करे तब उसे इन सारे तथ्यों को भी अपने दिमाग में स्थिर कर लेना चाहिए।
गांठें
बिना गांठों के उगलियां नहीं बनती हैं, परन्तु कुछ लोगों के हाथों में ये गांठें बहुत अधिक फूली हुई होती है। वास्तव में फूले हुए भाग को ही गांठ कहते हैं। यहां गांठ मे मेरा तात्पर्य यह है कि प्रत्येक पर्व में जोड़ होता है, जोकि स्पष्ट रूप में दिखाई देता है, परन्तु नरम उंगलियों में ये गांठें न तो अनुभव होती हैं और न ही दिखाई देती हैं।
प्रत्येक उंगली के तीन भाग होते हैं, जोकि दो जोड़ों से बने हुए होते हैं। ये दोनों जोड़ दो गांठों के सूचक होते हैं। कुछ लोगों के हाथों में एक गांठ दिखाई देती है, जबकि दूसरी नहीं भी दिखाई देती। कुछ लोगों के हाथों में दोनों ही गांठें स्पष्ट अनुभव होती और कुछ लोगों के हाथों में एक भी गांठ अनुभव नहीं होती।
सामान्य रूप से गांठें विचार, कार्य तथा प्रेरणा की सूचक होती हैं। मैं आगे इस संबंधित कुछ तथ्य स्पष्ट कर रहा हूं :-
1. यदि तर्जनी उंगली में मात्र नीचे की ही गांठ हो तो ऐसे व्यक्ति मन्द बुद्धि के होते हैं, परन्तु यदि ऊपर वाली गांठ ही अनुभव होती है, तो वे अपने कार्यों में चतुर एवं योग्य होते हैं । यदि तर्जनी उंगली में दोनों ही गांठें दिखाई दें तो ऐसे व्यक्ति आलसी और जीवन में निष्क्रिय बने रहते हैं। इसके विपरीत यदि तर्जनी उंगली में एक भी गांठ न हो तो ऐसा व्यक्ति चतुर, मेधावी, दूरदर्शी तथा अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त करने वाला होता है।
2. यदि मध्यमा उंगली के नीचे वाले भाग में ही गांठ हो तो व्यक्ति अपने कार्य में बार-बार असफल होता है। इसके विपरीत यदि केवल ऊपर वाली गांठ ही हो तो व्यक्ति दृढनिश्चयी होता है और असफलता मिलने पर भी हताश या निराश नहीं होता। यदि मध्यमा उंगली में दोनों ही गांठे दिखाई देती हों तो यह समझ लेना चाहिए कि यह व्यक्ति व्यापार में जितनी तेजी से प्रगति करेगा उतनी ही तेजी से इसका पतन भी हो जाएगा। यदि मध्यमा उंगली में कोई गांठ न हो तो वह व्यक्ति धीर, गम्भीर तथा अत्यन्त उच्चस्तरीय विद्वान अथवा व्यापारी होता है और सैकड़ों लोगों का भरण-पोषण करने में समर्थ होता है।
3. अनामिका उंगली में यदि मात्र नीचे ही गांठ अनुभव हो तो व्यक्ति धर्म के मामले में कमजोर होता है। धार्मिक कार्यों में उसकी रुचि कम होती है। परन्तु यदि केवल ऊपरी भाग में ही गांठ दिखाई दे तो ऐसा व्यक्ति धर्मभीरु तथा कमजोर दिल वाला होता है। यदि अनामिका उंगली में दोनों ही गांठें प्रतीत होती हों तो ऐसा व्यक्ति समाजद्रोही एवं धर्मद्रोही होता है। उसके जीवन में धर्म का या सामाजिक कार्यों का कोई महत्त्व नहीं होता। वह व्यक्ति पूर्णतः स्वार्थी तथा अपने ही हित चिन्तन में लगा रहता है। इसके विपरीत यदि अनामिका उंगली में कोई गांठ न हो तो ऐसे व्यक्ति समाज का नेतृत्व करने में सक्षम होते हैं तथा समाज को इनकी देन स्पष्ट दिखाई देती है। इनके कार्यों में एक निश्चित उद्देश्य होता है। ये व्यक्ति अपने स्वार्थ की अपेक्षा दूसरों की भलाई का विशेष ध्यान रखते हैं, ऐसे ही व्यक्ति समाज को सही निर्देश दे सकते हैं।
4. यदि कनिष्ठिका उंगली में नीचे की ओर ही गांठ हो तो वह व्यक्ति जरूरत से ज्यादा चालाक एवं सावधान होता है। कानून तोड़ना इसके लिए बाये हाथ का खेल होता है तथा यह समाज विरोधी कार्यों में अग्रणी रहता है। यदि कनिष्ठिका उंगली के ऊपरी भाग में ही गांठ हो तो ऐसा व्यक्ति समाज के लिए सहायक होता है तथा उसके जीवन का अधिकतर हिस्सा सामाजिक कार्यों में लगता है। यदि कनिष्ठिका उंगली में दो गांठें हों तो निश्चय ही वह व्यक्ति तटस्थ नहीं रह पाता। ऐसा व्यक्ति स्वार्थी होने के साथ-साथ गलत कार्यों में भी लगा रहता है। समाज से इस व्यक्ति को बहुत अधिक आशाएं नहीं रखनी चाहिए। यदि कनिष्ठिका जंगली में कोई गांठ न हो तो ऐसे व्यक्ति आदर्शजीवी होते हैं। इनके विचार शुद्ध एवं पवित्र होते हैं तथा ये व्यक्ति अपने जीवन में समाज को कुछ नया देने की सामर्थ्य रखते हैं। ऐसे व्यक्ति ही समाज के भूषण कहे जाते हैं।
5. अंगूठे में केवल एक ही गांठ होती है, क्योंकि अंगूठे में मात्र दो भाग ही देखे जा सकते हैं। यदि अंगूठे में गांठ दिखाई दे तो ऐसे व्यक्ति कमजोर दिल वाले होते हैं तथा अपने कर्तव्यों के प्रति ये लगभग उदासीन से रहते हैं। इसके विपरीत यदि अंगूठे में कोई गांठ अनुभव न हो तो ऐसे व्यक्ति दृढ़निश्चयी तथा अपने कार्य के प्रति अटूट आस्था रखने वाले होते हैं। एक बार जो मन में निश्चय कर लेते हैं, उस कार्य को पूरा करके ही छोड़ते हैं। इनके जीवन में दृढ़ता, प्रबल इच्छा-शक्ति और कार्य करने के प्रति अटूट आस्था होती है। ऐसे ही व्यक्ति अपने जीवन में सफल होकर देश और समाज को नया नेतृत्व देने में सक्षम हो सकते हैं।
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