उंगलियां तथा उंगलियों के भाग
साधारणतः प्रत्येक हाथ में चार उंगलियां पाई जाती है।
1. तर्जनी 2. मध्यमा 3. अनामिका 4. कनिष्ठिका
इन चारों उंगलियों में मे प्रत्येक उंगली तीन-तीन खण्डों में बंटी हुई होती है। नैसर्गिक रूप में देखा जाये तो मध्यमा उंगली सबसे बड़ी, तर्जनी, मध्यमा के आखिरी खण्ड के मध्य तक पहुंचने वाली अनामिका भी लगभग इतनी ही लम्बी तथा कनिष्टिका अनामिका के आखिरी खण्ड तक पहुंचने वाली होती है, इसमें थोड़ी बहुत लम्बाई कम या ज्यादा हो सकती है।
तर्जनी पहली उंगली है, जो कि अंगठे के पास वाली होती है। इसके मूल में गुरु पर्वत का स्थान है। तर्जनी के पास मध्यमा होती है, जिसके मूल में शनि का पर्वत होता है। मध्यमा के पास वाली उंगली अनामिका कहलाती है, जिसके मूल में सूर्य पर्वत स्थित है तथा इसके पास की उंगली कनिष्ठिका होती है, जिसके मूल में बुध पर्वत का स्थान है, यह सभी उंगलिया में छोटी होती है।
तर्जनी उंगली :- इसको अंग्रेजी में ‘इण्डेक्स फिन्गर’ कहते हैं। अधिकतर लोगों के हाथ में यह उंगली अनामिका से छोटी होती है। पर कुछ हाथों में मैंने यह उंगली अनामिका से बड़ी भी देखी है जिस हाथ में यह जंगली अनामिका से लम्बाई में बड़ी हो वे व्यक्ति अपने गौरव से अभिभूत, घमण्डी तथा उत्तरदायित्त्वपूर्ण पदों पर कार्य करने वाले होते हैं। धार्मिक कार्यों में इनकी रुचि नहीं होती। ये ऊपर के अधिकारियों की चापलूसी करने में भी विश्वास रखते हैं। अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर कड़ाई से नियन्त्रण करते हैं। तथा शासन करने की भावना इनमें हद से ज्यादा होती है, यद्यपि इस वजह से समाज में इन्हें कई बार निन्दा का पात्र बनना पड़ता है फिर भी अपने धैर्य के बल पर ये आगे की ओर बढ़ते रहते हैं।
यदि तर्जनी अनामिका उंगली से छोटी हो तो ऐसा व्यक्ति चालाक होता है। ऐस व्यक्ति किसी भी तरीके से अपना काम निकालने में माहिर होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को स्वार्थी, खुदगर्ज और चालाक समझना चाहिए।
यदि तर्जनी उंगली असामान्य रूप से छोटी हो तो व्यक्ति अकस्मात निर्णय लेने में होशियार होता है। यदि यह असाधारण रूप से लम्बी हो तो ऐसे व्यक्ति अत्याचारी, घमण्डी तथा कामुक होते हैं।
यदि तर्जनी उंगली लम्बी हो तथा ऊपर का सिरा नोकीला हो तो ऐसे व्यक्ति अन्धविश्वासी और धर्म में जरूरत से ज्यादा आस्था रखने वाले होते हैं। यदि यह उंगली लम्बी हो परन्तु ऊपर का सिरा वर्गाकार हो तो ऐसे व्यक्ति सच्चरित्र तथा उदार प्रवृत्ति के होते हैं।
यदि तर्जनी उंगली औसत लम्बाई लिए हुए हो और आगे का भाग चपटा हो तो व्यक्ति डावांडोल मनःस्थिति का होता है। यदि तर्जनी उंगली का पहला पर्व ही लम्बा हो तो व्यक्ति आत्मविश्वासी कहा जाता है। यदि मात्र दूसरा पर्व लम्बा हो तो इच्छाएं बहुत अधिक बढ़ी चढ़ी होती हैं। यदि तीसरा एवं लम्बा हो तो उसमें जरूरत से ज्यादा घमण्ड और अभिमान होता है। यदि मध्यमा और प्रथमा दोनों ही उंगलियां बराबर हों तो ऐसे व्यक्ति संसार में सम्मानित होते हैं। नेपोलियन बोनापार्ट तथा अब्राहम लिंकन की तर्जनी और मध्यमा दोनों ही उंगलियां बराबर लम्बाई लिये हुई थीं।
मध्यमा उंगली :- इसे अंग्रेज़ी में ‘फिन्गर आफ सेटर्न’ कहते हैं। क्योंकि इसके मूल में शनि पर्वत होता । सामान्यतः यह उंगली तर्जनी और अनामिका से लम्बी होती है, परन्तु यह लम्बाई ¼ इंच से बड़ी नहीं होनी चाहिए। यदि यह ¼ इंच से बड़ी हो तो उस व्यक्ति का पूरा जीवन दुख, अभाव और परेशानियों में ही व्यतीत होता है। यदि यह उंगली मात्र 1⁄2 इंच ही बड़ी हो तो ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान, शुभ कार्यों को करने वाला तथा उन्नति की ओर अग्रसर होने वाला होता है। ऐसा ही व्यक्ति समाज में सम्मान तथा यश प्राप्त करता है।
यदि मध्यमा उंगली तर्जनी से आधा इंच या उससे भी ज्यादा बडी हो तो व्यक्ति निश्चय ही हत्यारा होगा, ऐसा समझ लेना चाहिए।
यदि मध्यमा उंगली लम्बी हो तो व्यक्ति रोगी और कामी होता है। यदि यह उंगली लम्बी होने के साथ-साथ गांठदार एवं फूली हुई हो तो वह व्यक्ति स्वार्थी तथा चिन्ताओं से ग्रस्त रहता है। यदि यह उंगली लम्बी हो साथ ही इसका ऊपर का सिरा वर्गाकार हो तो ऐसे व्यक्ति गम्भीर स्वाभाव के होते हैं तथा जीवन में उत्तरदायित्वपूर्ण पदों पर सफलता के साथ कार्य करते हैं।
यदि यह उंगली लम्बी हो पर ऊपर से चपटी हो तो ऐसे व्यक्ति कला के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करते हैं तथा कला के माध्यम से उच्चस्तरीय सम्मान ख्याति एवं प्रशंसा प्राप्त करते हैं।
यदि मध्यमा उंगली का पहला पर्व लम्बा हो तो व्यक्ति आत्महत्या करता है। यदि दूसरा पर्व अपेक्षाकृत लम्बा हो तो ऐसा व्यक्ति व्यापारिक क्षेत्रों में विशेषकर मशीनरी सम्बन्धी कार्यों में विशेष लाभ उठाता है। यदि तीसरा पर्व ज्यादा लम्बा हो तो ऐसा व्यक्ति जरूरत से ज्यादा कंजूस होता है तथा समाज में अपयश का भागी होता है।
यदि मध्यमा उंगली का ऊपरी सिरा तर्जनी की ओर झुका हुआ हो तो उसमें जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास होता है। और इस आत्मविश्वास के कारण ही वह अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल हो जाता है।
यदि इसका ऊपरी भाग अनामिका की ओर झुका हुआ हो तो ऐसा व्यक्ति भाग्य पर भरोसा करने वाला एवं संगीत, कला आदि में रुचि रखने वाला होता है।
अनामिका उंगली :- अंग्रेजी में इस जंगली को फिगर आफ अपोलो भी कहते हैं, क्योंकि इसके मूल में सूर्य का स्थान होता है सामान्यतः यह उंगली मध्यमा से छोटी, परन्तु तर्जनी से अपेक्षाकृत लम्बी होती है। परन्तु कुछ हाथों में इसका अपवाद भी देखा गया है।
यदि यह उंगली तर्जनी से बड़ी होती है, तो ऐसा व्यक्ति उन्नति करता है और उसमें दया, प्रेम स्नेह आदि मानवोचित गुण जरूरत से ज्यादा होते हैं, परन्तु यदि यह जंगली मध्यमा के बराबर पहुंच जाती है तो ऐसे व्यक्ति अत्यन्त दुष्ट एवं स्वार्थी होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने स्वार्थ के कारण सामने वाले का अधिक से अधिक अहित करने से भी नहीं चूकते। परन्तु ऐसे व्यक्ति भाग्यवादी होते हैं तथा अपने धन का अधिकांश भाग जुआ, सट्टा आदि गलत कार्यों में लगा देते हैं। ऐसे व्यक्तियों को असभ्य और निर्दयी कहा जाना चाहिए।
यदि अनामिका उंगली का झुकाव सबसे छोटी उंगली की ओर हो तो व्यक्ति व्यापार से विशेष लाभ उठाता है और उसका सारा जीवन व्यापारिक कार्यों में ही व्यतीत होता है। परन्तु यदि उस उंगली का झकाव मध्यमा की तरफ हो तो ऐसा व्यक्ति चिन्तन-प्रधान व आत्म-केन्द्रित होता है तथा जीवन में कुछ ऐसा कार्य करके जाता है जिससे आगे के जीवन में समाज और देश उसको याद रख सकें।
यदि अनामिका छोटी हो तो व्यक्ति कलाकृतियों अथवा चित्रों एवं पुरानी वस्तुओं से धन संचय करता है। यदि इसका अगला सिरा नकीला हो तो वह एक सफल संगीतज्ञ अथवा चित्रकार होता है। यदि अगला भाग वर्गाकार हो तो कला के माध्यम से धन एवं यश दोनों ही कमाता है। यदि ऊपरी भाग चपटा हो तो इतिहास से संबंधित कार्यों में वह विशेष रुचि लेता है तथा उसमें सफलता भी प्राप्त करता है।
यदि इस उंगली का पहला पर्व लम्बा हो तो उसमें कलात्मक रुचि विशेष रूप से होती है। यदि पर्व लम्बा हो तो अपनी प्रतिभा के बल पर वह व्यक्ति बहुत ऊंचे स्तर तक उठ सकता है। यदि तीसरा पर्व लम्बा तथा चौड़ा हो तो अपने जीवन में वह राष्ट्रव्यापी सम्मान अर्जित करता है।
यदि यह उंगली तर्जनी के बराबर लम्बी हो तो उसे विशेष ख्याति की भूख बनी रहती है। यदि यह उंगली मध्यमा के बराबर लम्बी हो तो उसके जीवन में कई कार्य आकस्मिक से गठित होते हैं और अन्त में वह सफलता प्राप्त करके ही रहता है।
कनिष्ठिका उंगली :- अंग्रेजी में इस उंगली को ‘फिगर आफ़ मरकरी’ अथवा ‘लिटल फिगर’ कहते हैं। इसके मूल में बुध पर्वत का स्थान माना गया है। प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में यह सभी उंगलियों से छोटी होती है।
यदि यह उंगली अनामिका के नाखून तक पहुंच जाए तो वह व्यक्ति जीवन में अत्यन्त उच्चस्तरीय सफलता प्राप्त करता है तथा महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन होता है। यह उंगली जितनी ही ज्यादा लम्बी होती है उतनी ही ज्यादा शुभ मानी गई है। ऐसी उंगली रखने वाले व्यक्ति सफल प्रशासक एवं सफल साहित्यकार कहे जाते हैं। यदि यह उंगली अनामिका के ऊपरी पोर के अर्द्ध भाग से भी आगे बढ़ जाती है तो ऐसा व्यक्ति सेक्रेटरी अथवा आईएएस अधिकारी होता है। इन लोगों को आकस्मिक रूप से धन लाभ होता है तथा जीवन का उत्तरार्द्ध अत्यन्त सफलता के साथ व्यतीत होता है ।
यदि यह उंगली असाधारण रूप से लम्बी दिखाई दे तो ऐसे व्यक्ति बुद्धिजीवी होते हैं तथा उनमें दूसरों को प्रभावित करने की विशेष क्षमता होती है।
यदि यह उंगली बहुत अधिक छोटी हो तो वह व्यक्ति बात के मर्म को बहुत जल्दी समझ जाता है और तुरन्त निर्णय लेने में समर्थ रहता है।
यदि इसका आगे का सिरा नकीला हो तो ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान, सूक्ष्म दृष्टि सम्पन्न तथा वाकपट् होते हैं। यदि आगे का भाग वर्गाकार हो तो ऐसे व्यक्ति में तर्क करने की विशेष क्षमता होती है तथा ये अपने भाषणों के माध्यम से लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
यदि ऊपरी भाग चपटा हा तो वैज्ञानिक अथवा मशीनरी सम्बन्धी कार्यों में रुचि लेने वाला होता है। यदि इस उंगली का पहला पर्व लम्बा हो तो वह व्यक्ति विज्ञान में सफलता प्राप्त करता है। यदि दूसरा पवं लम्बा हो तो वह परिश्रम के माध्यम से व्यापार में विशेष सफलता अर्जित करता है। यदि इसका तीसरा पवं लम्बा हो तो ऐसा व्यक्ति चतुर होता है, परन्तु उसमें असत्य बोलने की भावना जरूरत से ज्यादा होती है।
यदि यह उगली अनामिका के बराबर लम्बी हो तो ऐसा व्यक्ति ऊंचे स्तर का दार्शनिक तथा बुद्धिमान होता है। यदि यह उंगली मध्यमा के बराबर लम्बी दिखाई दे तो वह व्यक्ति अपने कार्यों से विश्वविख्यात होता है। वास्तव में कनिष्ठिका उंगली जितनी ही ज्यादा लम्बी होती है, उतना ही ज्यादा शुभ कहा जाता है।
उंगलियों की दूरी
दो उंगलियों का खाली स्थान भी अपने आप में महत्त्व रखता है। यदि अंगूठे और तर्जनी के बीच अधिक दूरी हो तो उस व्यक्ति में मानवीय गुण भरपूर होते हैं तथा उनमें प्रेम, दया, क्षमा आदि मानवोचित गुण सहज, स्वाभाविक रूप से प्राप्त होते हैं। यदि तर्जुनी और मध्यमा उंगली के बीच खाली जगह दिखाई दे तो वह व्यक्ति अपने विचारों में स्वतन्त्र होता है तथा अपनी बात को किसी के भी सामने कहने में हिचकिचाता नहीं। मध्यमा और अनामिका उंगली के बीच का खाली स्थान व्यक्ति की लापरवाही और असभ्यता प्रदर्शित करता है। इसी प्रकार अनामिका और कनिष्ठिका के बीच खाली स्थान हो तो ऐसा व्यक्ति हत्यारा एवं निर्दयी होता है।
उंगलियों के अग्रभाग
उंगलियों के अग्रभाग भी भविष्य कथन में बहुत ज्यादा महत्व रखते हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार ये अग्रभाग चार प्रकार के होते हैं।
1. तीखे, 2. चपटे, 3. नोकीले 4. वर्गाकार |
कई बार यह देखने में आया है कि सभी उंगलियों के अग्रभाग एक समान ही होते हैं और कई बार अलग-अलग उंगलियों के अग्रभाग अलग-अलग प्रकार के होते हैं। अब मैं सामान्य रूप से इनका वर्णन स्पष्ट कर रहा हूं:-
1. तीखी उंगलियां :- जिनके हाथों में तीखी उंगलियां होती हैं अथवा जिनके अग्रभाग तीखे होते हैं, वे व्यक्ति अत्यन्त ही श्रेष्ठ तथा समाज में अग्रणी माने जाते हैं। ऐसे व्यक्ति दार्शनिक, कलाकार, संगीतकार, तथा अपनी आत्मा के अनुसार चलने वाले होते हैं। उनके हृदय में घृणा, क्रोध और अविवेक नहीं होता अपितु इनका पूरा हृदय दया प्रेम और स्नेह से लबालब भरा होता है।
परन्तु अत्यधिक तीखी उंगलियां मस्तिष्क के पागलपन को स्पष्ट करती हैं। ऐसे व्यक्ति केवल कल्पना में ही खोये रहते हैं। इनके जीवन में सफलता कम ही रहती है। तांत्रिक लोगों की उंगलियां सामान्यतः ऐसी ही देखने को मिलती हैं। जहां तक देखा गया है, यह अनुभव में आया है कि मनुष्यों में वे व्यक्ति ज्यादा उन्नत एवं सभ्य ज्ञात हुए हैं, जिनकी उंगलियों के अग्रभाग सामान्य रूप से तीखे होते हैं।
2. चपटी उंगलियां :- चपटी उंगलियां कार्यकुशलता तथा फुर्ती की सूचक होती हैं। ऐसे व्यक्ति अपने कार्यों में बराबर लगे रहते हैं तथा किसी भी कार्य को बीच में नहीं छोड़ते जब तक कोई कार्य भली प्रकार से सम्पन्न नहीं हो जाता तब तक ये विश्राम नहीं लेते। इनमें भरपूर आत्म-विश्वास होता है और अपने आत्म-विश्वास के बल पर ही कार्यों को पूर्णता की ओर पहुंचाते हैं। ऐसे व्यक्ति सफल युद्ध विशारद, संगीतकार, कुशल कारीगर, कुशल खिलाड़ी तथा श्रेष्ठ विद्वान होते हैं।
सीखने की इनमें विशेष प्रवृत्ति होती है। इनके जीवन में व्यवस्था और क्रमबद्धता होती है। ऐसे व्यक्ति धर्म के प्रति कट्टर नहीं होते, अपितु जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उदारता से काम लेते हैं। वस्तुतः ऐसे व्यक्ति ही अपने कार्यों से अपने समाज को कुछ नया योगदान देने में सफल होते हैं।
3. नुकीली उंगलियां :- ये उंगलियां मानव के सुन्दर, विचारों तथा सुन्दर कार्यों की ओर इंगित करती हैं। ऐसे व्यक्ति जो भी कार्य करेंगे, वह एक तरीके से करेंगे और उनके कार्यों में एक विशेष प्रकार की व्यवस्था होगी, परन्तु ऐसा देखा गया है कि इनके जीवन में एक उतार-चढ़ाव बराबर बना रहता है। कभी ये प्रसन्नता की चरम सीमा पर होते हैं, तो कभी इनके जीवन में जरूरत से ज्यादा निराशा छा जाती है। इनका वैवाहिक जीवन अधिकतर असफल ही रहता है।
उंगलियों के अग्रभाग बहुत अधिक तीखे होना अच्छा नहीं कहा जाता। ऐसे व्यक्तियों में आत्म-विश्वास कम होगा। ये अपनी भावनाओं के अनुसार ही चलते हैं। ऐसे व्यक्ति आलसी, कामुक और अक्षम कहे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने पेट में रहस्य नहीं रख सकते।
4. वर्गाकार जंगलियां :- जिन व्यक्तियों के हाथों में वर्गाकार उंगलियां होती हैं, वे व्यक्ति जीवन में दरदर्शी तथा नियमितता के साथ कार्य करने वाले होते हैं। अधिकतर ऐसे व्यक्ति व्यापारी वर्ग में आते हैं, जो प्रत्येक कार्य की योजना बहुत अधिक सोच-विचार कर करते हैं। ऐसे व्यक्ति फूंक-फूंक कर कदम रखने वाले होते हैं तथा इनके कार्यों में एक नियता होती है। ये स्वयं भी पूरा परिश्रम करते हैं और दूसरों से भी काम लेने की युक्ति इनको आती है।
स्वच्छता, समय की पाबन्दी, अपने वचनों की रक्षा, आत्म विश्वास आदि गुण इनमें विशेष रूप से पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्ति अच्छे गणितज्ञ, इतिहासज्ञ तथा कवि होते हैं। ऐसे ही व्यक्ति जीवन में विशेष सफलता प्राप्त कर मकते है।
उंगली दर्शन
यदि उंगलियां भीतर की ओर झुकी हुई हों तो व्यक्ति दुनियादारी में बहुत अधिक चतुर होते हैं तथा ऐसे व्यक्ति प्रत्येक कार्य की देखभाल कर सकते हैं।
यदि उंगलियों के झुकाव बाहर की ओर हों तो ऐसे व्यक्तियों का हृदय उदार होता है। अपने विचारों के वे धनी होते हैं तथा जीवन में यदि किसी को आश्वासन देते हैं, तो अपने कथन को अन्तिम क्षण तक निभाने की कोशिश करते हैं। यदि उंगलियां जरूरत से ज्यादा बाहर झुकी हुई हों तो व्यक्ति लापरवाह होता है।
यदि उंगलियां टेड़ी-मेढ़ी एवं बेडौल हो तो व्यक्ति अपराधी वर्ग के होते हैं तथा अपराध पूर्ण कार्यों में ही उनकी रुचि रहती है।
जिनकी उंगलियां मोटी और फूली हुई होती हैं, वे निर्धनता की सूचक होती हैं। ऐसे व्यक्ति जितना ही उपार्जित करते हैं, उससे ज्यादा सर्च कर डालते हैं।
यदि उंगलियां चपटी हों तो व्यक्ति सेवा कार्य में सफल होते हैं। जीवन में ऊंचे स्तर पर तथा अधिकारी पद पर पहुंचकर प्रशंसा अर्जित करते हैं।
जिसकी उंगलियां एक सीध में होती हैं, वह व्यक्ति भाग्यशाली होता है तथा समाज में उसको विशेष सम्मान मिलता है।
यदि सभी उंगलियां गठीली एवं ऊबड़-खाबड़ हों तो व्यक्ति विचारशील एवं अध्ययन प्रिय होता है।
यदि उंगलियों में गांठें बहुत ज्यादा विकसित हों तो ऐसा व्यक्ति प्रतिभावान तथा चिन्तक होता है। उसके प्रत्येक कार्य में एक विशेष सुघड़ता और व्यवस्था होती है।
यदि ये गांठें अत्यधिक उभरी हुई होती हैं तो ऐसे व्यक्ति जीवन में निराशावादी होते हैं तथा अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
यदि ये गांठें चिकनी होती हैं. तो व्यक्ति जरूरत से ज्यादा नाजुक देखे गये हैं। यदि गांठें रहित उंगलियां हों तो व्यक्ति दार्शनिक होता है।
उंगलियों पर निशान
उंगलियों पर पाये जाने वाले निशान भी हस्तरेखा के लिये बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। अपराध शास्त्र में इन चिन्हों का बहुत अधिक महत्व माना गया है। इन चिन्हों के माध्यम से व्यक्ति के चरित्र उसके मनोविज्ञान आदि को अच्छी तरह में जान सकते हैं। इन चिन्हों के माध्यम से ही हम उसके व्यक्तित्व को भली प्रकार समझ सकते हैं। ये चिन्ह निम्न प्रकार से हैं :
1. शंकु :- उगलियों के ऊपरी भाग अर्थात पोरुओं पर यदि शंकु का चिन्ह दिखाई दे तो ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से अत्यन्त समर्थ एवं श्रेष्ठ होता है। ऐसे व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी उन्नति करते रहते हैं तथा परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करते हैं साथ ही परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढाल लेने की क्षमता रखते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में अपने प्रयत्नों से सफल हो जाते हैं, परन्तु वृद्धावस्था में ये व्यक्ति हृदय रोगों के भी शिकार पाये जाते हैं।
2. तम्बू :- किसी किसी व्यक्ति की उंगलियों के पोरुओं पर तम्बूवत चिन्ह देखने को मिलते है। ऐसे वयक्ति अधिकतर सहृदय एवं कलाकार होती हैं और अपनी कला के माध्यम से बहुत ऊंचे उठते हैं। परन्तु यह बात भी सही है कि ऐसे व्यक्ति भावुक होते हैं और इन लोगों का अन्चित लाभ उठाया जाता है। मानसिक दृष्टि से ऐसे व्यक्तिगत जीवन लगभग समय गाहहता है।
3. चक्र :- उंगलियों पर चक्र के निशान पाये जाना शुभ माना गया है। ऐसे व्यक्ति अपने विचारों में स्वतंत्र होते हैं तथा इनके प्रत्येक कार्य में मौलिकता दिखाई देती है। विवेक के बल पर ये समाज में सम्माननीय स्थान भी प्राप्त करते हैं तथा ये रूढी-ज्ञान और पोंगा पन्थी से दूर रहते हैं।
4. मेहराब :- जिनके पोरुओं पर मेहराब के चिन्ह पाये जाते हैं वे व्यक्ति अधिकतर आलसी, शक्की तथा सन्देहशील प्रकृति के होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का न तो अपने आप पर भरोसा होता है और न ये किसी दूसरों पर भरोसा करते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने चारों ओर भ्रम का वातावरण बनाये रखते हैं। रहस्यमय कार्यों तथा गुप्तचर मे सम्बन्धित कार्यों में ये विशेष सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
5. त्रिभुज :- त्रिभुज का चिन्ह व्यक्ति को रहस्यमय बनाता है। ऐसे व्यक्ति योगाभ्यास के द्वारा अपने शरीर को सुगठित बनाने में समर्थ होते हैं। साथ ही साथ ऐसे व्यक्ति एकान्त प्रेमी तथा रूढ़िवादी भी देखे गये हैं। इनके मन में जो बात घर कर जाती है, उसे ये सहज में ही नहीं छोड़ते।
6. तारा :- जिन व्यक्तियों की उंगलियों पर तारा या क्रॉस का चिन्ह दिखाई दे तो वह व्यक्ति प्रबल भाग्यवादी एवं भाग्यशाली होगा, ऐसा समझ लेना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को जीवन में कई बार अप्रत्याशित रूप से धन-लाभ होता है। आर्थिक दृष्टि से ये व्यक्ति जीवन में सखी रहते हैं।
7. कंदुक :- यदि उंगलियों के पौरुओं पर गोल निशान या कंदुक चिन्ह दिखाई दे तो वे व्यक्ति आदर्श प्रेमी और आदर्श मित्र कहे जाते हैं। एक तरफ जहां इनकी रुचि भोग की तरफ होती है वहीं दूसरी ओर वैराग्य की तरफ भी इनका झुकाव होता है। मानसिक दृष्टि से ये अस्थिर होते हैं तथा किसी भी कार्य को पूर्णता के साथ सम्पन्न करना इनके स्वभाव में नहीं होता।
8. जाल :- जाल युक्त उंगलियां इस बात की सूचक होती हैं कि व्यक्ति के जीवन में जरूरत से ज्यादा बाधाएं एवं परेशानियां आयेगी। यद्यपि इनकी जीवन शक्ति दृढ होती है तथा अपनी इच्छा-शक्ति के बल पर ये संकटों से भी सही सलामत निकल आते हैं परन्तु फिर भी इनके जीवन में आराम तथा सुख कम ही रहता है। अधिकतर अपराधवृत्ति के लोगों तथा डाकुओं की उंगलियों पर ऐसे चिन्ह आसानी से दे सकते हैं।
9. चतुर्भुज :- यदि जंगली के पोरुए पर वर्ग या चतुर्भुज का चिन्ह दिखाई दे तो यह समझ लेना चाहिए कि वह व्यक्ति अपने जीवन में परिश्रमी रहा है और अपने परिश्रम तथा उद्यम के बल पर लक्ष्मी को अपने वश में रखने की सामर्थ्य रखता है। ऐसा व्यक्ति आर्थिक दृष्टि से पर्ण सम्पन्न तथा सुखी रहता है।
यदि किसी की उंगलियों पर एक से अधिक चिन्ह दिखाई दें तो उस व्यक्ति में उनसे सम्बन्धित फलादेशों का मिश्रण समझना चाहिए।
0 Comments