सूर्य रेखा
अंग्रेजी में इस रेखा को ‘सन लाइन’ एवं हिन्दी में ‘यश रेखा’ भी कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की यह सामान्य इच्छा होती है कि वह जीवन में कुछ ऐसा कार्य करे, जिससे समाज में उसके कार्यों की सराहना हो। लोग उसके विचारों को आदर दें और उसकी मृत्यु के बाद भी उसकी अक्षय कीर्ति बनी रहे। इन सबके अध्ययन के लिए सूर्य रेखा का सहारा लेना अत्यन्त आवश्यक होता है। यह सूर्य रेखा ही मानव को उसके जीवन में यश, मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य तथा कीर्ति दिलाने में सहायक होती है।
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में स्वास्थ्य रेखा, हृदय रेखा और जीवन रेखा चाहे कितनी ही अधिक पुष्ट हो, परन्तु उसके हाथ में सूर्य रेखा कमजोर होती है, तो उस व्यक्ति का जीवन नगण्य-सा होकर रह जाता है। स्पष्ट, गहरी और निर्दोष सूर्य रेखा ही मानव को ऊंचा उठाने में सहायक होती है। हस्तरेखा विशेषज्ञ के लिए इस रेखा का सूक्ष्मता से अध्ययन अत्यन्त आवश्यक है।
यद्यपि विद्वानों के अनुसार हथेली में केवल सूर्य रेखा को ही महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिए। क्योंकि जब तक हथेली में भाग्य रेखा प्रबल नहीं होती तब तक सूर्य रेखा का प्रभाव विशेष नहीं मिलता। अतः सूर्य रेखा का अध्ययन करते समय भाग्य रेखा पर भी विचार करना चाहिए।
मेरे अनुभव में ऐसा आया है कि सभी व्यक्तियों के हाथों में सूर्य रेखा नहीं होती और यह बात भी सही है कि सूर्य रेखा का उद्गम भी अलग-अलग हाथों में अलग-अलग स्थानों से होता है। इसका प्रभाव इसकी लम्बाई तथा स्पष्टता से ही अनुभव होता है। इसलिए हाथ देखते समय सूर्य रेखा के उद्गम पर भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
यह रेखा सूर्य पर्वत के नीचे होती है। इसकी पहचान यह है कि इस रेखा का उद्गम चाहे कहीं से भी हुआ हो, परन्तु इस रेखा की समाप्ति सूर्य पर्वत पर ही होती है। जो रेखा सूर्य पर्वत तक नहीं पहुंचती वह रेखा सूर्य रेखा नहीं कहला सकती। पाठकों के हित के लिए मैं इस रेखा के उद्गम स्थल स्पष्ट कर रहा हूं :-
- कुछ लोगों के हाथों में यह रेखा शुक्र पर्वत से प्रारम्भ होकर सूर्य पर्वत तक जाती है।
- कुछ हथेलियों में यह रेखा जीवन रेखा के समाप्ति के स्थान से प्रारम्भ होकर सूर्य पर्वत तक जाती है।
- इसका उद्गम मंगल पर्वत से भी देखा गया है। यहां से प्रारम्भ होकर यह रेखा हृदय ‘रेखा को काटती हुई सूर्य पर्वत पर पहुंचती है।
- कुछ हथेलियों में यह रेखा मस्तिष्क रेखा से प्रारम्भ होकर सूर्य पर्वत को स्पर्श करती है।
- इसका उद्गम हृदय रेखा से भी होता देखा गया है। यहां से यह सूर्य पर्वत तक जाती है।
- कभी-कभी यह रेखा हर्षल क्षेत्र से प्रारम्भ होकर सूर्य तक पहुंच जाती है।
- कभी-कभी यह रेखा चन्द्र पर्वत से प्रारम्भ होकर सूर्य पर्वत की ओर जाती हुई दिखाई देती है।
- कुछ हाथों में यह रेखा मणिबन्ध से प्रारम्भ होकर सूर्य पर्वत पर मार्ग की सभी रेखाओं को काटती हुई जा पहुंचती है।
- हथेली में इस रेखा को केतु पर्वत से प्रारम्भ होकर भी अनामिका के मूल तक पहुंचते हुए देखा गया है।
- कई बार इस रेखा का उद्गम राहु क्षेत्र से भी देखा गया है।
- कुछ हथेलियों में यह रेखा हथेली के बीच में से प्रारम्भ होकर सूर्य पर्वत पर पहुंच जाती है।
- कुछ हथेलियों में यह रेखा बुध पर्वत से प्रारम्भ होकर सूर्य पर्वत तक पहुंचने में सक्षम होती है।
जहां तक मेरी जानकारी है, इस रेखा के उद्गम यहीं हैं। परन्तु इसके अलावा भी इस रेखा के उद्गम हो सकते हैं, परन्तु पाठकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि सूर्य रेखा वही मानी जा सकती है, जिसकी समाप्ति सूर्य पर्वत पर होती है।
अब मैं प्रत्येक उद्गम स्थल से प्रारम्भ होने वाली सूर्य रेखा का संक्षेप में वर्णन स्पष्ट कर रहा हूं :-
1. प्रथमावस्था :- यह रेखा शुक्र पर्वत से प्रारम्भ होकर सूर्य पर्वत तक पहुंचती है। ऐसी रेखा अपने आप में अत्यन्त अनुकूल मानी जाती है। ऐसी रेखा रखने वाला व्यक्ति आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होता है। जीवन में पत्नी के अलावा अन्य कई स्त्रियों से सम्पर्क रहता है और उनसे धन-लाभ करता है अथवा ऐसे व्यक्ति को ससुराल से विशेष धन प्राप्त होता है। सही शब्दों में कहा जाए तो ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय विवाह के उपरांत ही होता है और अधिकतर ऐसे लोगों के भाग्योदय प्रेमिका के माध्यम से होते देखे गए हैं। कई बार ऐसे व्यक्ति गोद चले जाते हैं, जिससे उन्हें विशेष धन प्राप्त होता है।
2. द्वितीयावस्था :- बहुत कम हाथों में ऐसी रेखा देखने को मिलती है, परन्तु जिन लोगों के हाथों में ऐसी रेखा होती है, वे व्यक्ति उच्च कोटि के कलाकार तथा भावुक होते हैं। साथ ही कला के माध्यम से धन संचय करते हैं। उनका भाग्य अपने आप में उज्ज्वल होता है। स्वभाव से ये व्यक्ति रसिक, मिलनसार तथा सम्मोहक व्यक्तित्त्व वाले होते हैं ।
3. तृतीयावस्था :- इस प्रकार की सूर्य रेखा जिन हथेलियों में होती है, वे व्यक्ति मिलिट्री में या पुलिस विभाग में उच्च पद पर पहुंचते हैं तथा अपने कार्यों से राज्यस्तरीय अथवा राष्ट्रस्तरीय सम्मान प्राप्त करते हैं। यद्यपि ऐसे व्यक्ति अपने ही प्रयत्नों से सफलता प्राप्त करते हैं, परन्तु धीरे-धीरे परिश्रम करके अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं।
4. चतुर्थावस्था :- ऐसे व्यक्ति प्रमुखतः बुद्धिजीवी होते हैं। इसके अन्तर्गत उच्च कोटि के वैज्ञानिक तथा तार्किक एवं दार्शनिक व्यक्ति होते हैं। ये जीवन में चाहे किसी भी प्रकार का कार्य प्रारम्भ करें, इन्हें पूरी सफलता मिलती है और प्रत्येक क्षेत्र में वे अपनी तीक्ष्ण बुद्धि का प्रयोग करते हैं। इनके कार्य अपने आप में महत्त्वपूर्ण होते हैं। जीवन के 28वें वर्ष से इनका भाग्योदय होता है तथा समाज में इनको विशेष सम्मान तथा यश प्राप्त होता है।
5. पंचमावस्था :- जिन हथेलियों में इस प्रकार की रेखा होती है वे अपने जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त करते हैं। यद्यपि यह बात सही है कि इनका प्रारम्भिक जीवन जरूरत से ज्यादा कष्टमय होता है, परन्तु अपने प्रयत्नों से ये इतनी अधिक प्रगति कर लेते हैं कि लोग दांतों तले उंगली दबाते हैं। जीवन के 15 वर्षों के बाद इनका सम्मान और यश अत्यन्त उच्च स्तर का हो जाता है। इनके कार्य चमत्कारपूर्ण ढंग से सम्पन्न होते हैं तथा जीवन में और मृत्यु के बाद भी इन्हें अक्षुण्ण यश मिलता है। परन्तु यदि यह रेखा मार्ग में ही टूट जाती है, तो उसे जीवन में बदनामी का भी सामना करना पड़ता है।
6. षष्ठावस्था :- ऐसे व्यक्ति को जीवन में बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता है। न तो उसे जीवन में व्यवस्थित ढंग से शिक्षा मिलती है और न उसे जीवन में ऊंचा उठाने में कोई सहायता देता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में जो भी उन्नति करते हैं, अपने प्रयत्नों से ही कर पाते हैं। फिर भी आगे चलकर ये व्यक्ति न्यायाधीश, बैरिस्टर अथवा प्रमुख शिक्षाशास्त्री बन जाते हैं। जीवन में कई बार विदेश यात्राएं करते हैं तथा विदेश में प्रेम सम्बन्ध के कारण बदनामी भी सहन करनी पड़ती है ।
7. सप्तमावस्था :- ऐसे व्यक्तियों का भाग्योदय विवाह के बाद ही होता है। विवाह के बाद ये व्यक्ति आश्चर्यजनक रूप से प्रगति करते हैं। अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं, तथा अपने लक्ष्य तक पहुंचने की योग्यता जुटा लेते हैं। ऐसे व्यक्ति भावुक सहृदय एवं रसिक होते हैं। शान-शौकत दिखावा आदि इनको प्रिय लगता है। आडम्बर-प्रिय ये व्यक्ति अपने चारों ओर भ्रम का वातावरण बनाए रखते हैं।
8. अष्टमावस्था :- बहुत ही कम लोगों के हाथों में इस प्रकार की सूर्य रेखा देखने को मिलती है। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में धन, मान, पद, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति आदि का कोई प्रभाव नहीं रहता। ये व्यक्ति सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले तथा धर्म में पूरी आस्था रखने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति उच्च कोटि के व्यापारी एवं सफल साहित्यकार होते हैं।
9. नवमावस्था :- यह रेखा सुन्दर, स्पष्ट और लालिमा लिए हुए जिस व्यक्ति की हथेली में होती है, उस व्यक्ति का बचपन अत्यन्त सुखमय व्यतीत होता है। उसके जीवन में धन, ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं रहती।
जीवन में ऐसे लोगों को बहुत अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता। थोड़े से प्रयत्नों से ही इनको जीवन में सफलताएं मिलती रहती हैं। ऐसे व्यक्ति ऊंचे स्तर के व्यापारी होते हैं। परन्तु इन लोगों में एक कमी यह होती है कि इनका सम्बन्ध निम्नस्तर के व्यक्तियों से विशेष होता है, जिसकी वजह से समाज में इनका सम्मान कुछ कम होता है। परन्तु ये अपने जीवन में न तो समाज की परवाह करते हैं और न अपने ऊपर किसी प्रकार का अंकुश ही मानते हैं।
10. दशमावस्था : – जिन हथेलियों में इस प्रकार की यश रेखा या सूर्य रेखा देखने को मिलती है, वे व्यक्ति चतुर तथा उत्साही होते हैं। बात के मूल में ये तुरन्त पहुंच जाते हैं, और सामने वाले व्यक्ति के चेहरे को देख कर ही उसके मन के भावों को पहचान लेते हैं। जीवन में ये स्वतंत्र प्रकृति से बने रहते हैं। एक बार ये जो भी निर्णय ले लेते हैं, उस पर पूरी तरह से अमल करते हैं। जीवन में ऐसे व्यक्ति सफल एवं श्रेष्ठ मित्र कहे जा सकते हैं।
11. एकादशावस्था :- जिन लोगों के हाथों में यह रेखा पाई जाती है वे व्यक्ति प्रबल भाग्यशाली होते हैं, उनको जीवन में कई बार आकस्मिक धन लाभ होता है। समाज में भौतिक दृष्टि से इनके जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती। सभी दृष्टियों से ये व्यक्ति सुखी और सफल कहे जाते हैं।
12. द्वादशावस्थाः– बहुत कम व्यक्तियों के हाथों में इस प्रकार की सूर्य रेखा देखने को मिलती है, जिन व्यक्तियों के हाथों में ये रेखा होती है, वे सफल अभिनेता होते हैं, तथा अपनी कला के माध्यम से अतुल्य धन तथा यश प्राप्त करते हैं।
मैं सूर्य से सम्बन्धित कुछ नये तथ्य पाठकों के सामने स्पष्ट कर रहा हूं :-
1. लम्बी स्पष्ट और सीधी सूर्य रेखा व्यक्ति को यश, मान, प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक होती है।
2. यदि दोनों हाथों में यह रेखा स्पष्ट हो, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है।
3. यदि यह रेखा बिना कहीं से कटे हुए अपनी पूरी लम्बाई लिए हुए हो, तो उसके जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं रहती ।
4. छोटी सूर्य रेखा व्यक्ति के जीवन में परिश्रम एवं संघर्ष के बाद ही सफलता देने में सहायक होती है।
5. सूर्य रेखा जिस जगह कट जाती है, आयु के उस भाग में वह व्यक्ति अपना व्यापार अथवा कार्य बदल लेता है ।
6. यदि हथेली गहरी हो और सूर्य रेखा स्पष्ट हो, तो उस व्यक्ति की प्रतिभा का सही रूप में उपयोग नहीं हो पाता ।
7. यदि यह रेखा पतली या फीकी हो, तो वह व्यक्ति अपनी कला का पूरा-पूरा उपयोग नहीं कर पाता ।
8. यदि सूर्य रेखा के मार्ग में द्वीप के चिन्ह हों, तो वह जीवन में दिवालिया होता है तथा उसको समाज से अपयश मिलता है।
9. यदि हथेली में वृहस्पति पर्वत उभरा हुआ हो और सूर्य रेखा गहरी हो, तो उस व्यक्ति के सम्बन्ध अत्यन्त ऊंचे स्तर के व्यक्तियों से होते हैं।
10. यदि सूर्य रेखा पर तारे का चिन्ह हो, तो वह व्यक्ति अपनी कला के माध्यम से विश्वव्यापी सफलता प्राप्त करता है।
11. हथेली में जिस स्थान पर सूर्य रेखा सबसे अधिक गहरी हो, आयु के उस भाग में वह व्यक्ति विशेष धन लाभ प्राप्त करता है।
12. यदि सूर्य रेखा की समाप्ति पर बिन्दु का चिन्ह हो, तो उसे जीवन में बहुत अधिक कष्ट उठाना पड़ता है और अन्त में सफलता मिलती है।
13. यदि हथेली में सूर्य रेखा पतली हो, परन्तु सीधी और स्पष्ट हो, तो वह व्यक्ति समृद्धिवान होता है।
14. यदि सूर्य रेखा के अन्त में नक्षत्र का चिन्ह हो, तो उसे राष्ट्रव्यापी सम्मान मिलता है।
15. यदि सूर्य रेखा के प्रारम्भ में और अन्त में नक्षत्र का चिन्ह हो, तो उसे जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती ।
16. यदि सूर्य रेखा की समाप्ति कई छोटी-छोटी रेखाओं से हो, तो उसे जीवन में असफलता ही मिलती है।
17. यदि सूर्य रेखा की समाप्ति किसी तिरछी रेखा से हो, तो वह जीवन में भली प्रकार से प्रगति नहीं कर पाता ।
18. यदि सूर्य रेखा की समाप्ति पर क्रॉस का चिन्ह हो, तो व्यक्ति का अन्त अत्यन्त दुखमय होता है।
19. यदि सूर्य रेखा कई जगह से टूटी हुई हो, तो उसमें प्रतिभा तो होती है परन्तु उसके माध्यम से न तो वह श्रेष्ठ धन लाभ कर सकता है और न उसे उच्च कोटि का सम्मान ही मिलता है।
20. यदि सूर्य रेखा हाथ में न हो तो उस व्यक्ति का जीवन लगभग बेकार रहता है
21. यदि सूर्य रेखा पर वर्ग का चिन्ह हो, तो उसे जीवन में कई बार अपमान सहन करना पड़ता है।
22. यदि दोनों हाथों में यह रेखा जीवन रेखा से प्रारम्भ होती हो, तो वह कला के माध्यम से सफलता प्राप्त करता है।
23. यदि सूर्य रेखा का अन्त दो धाराओं से होता हो या अन्त में यह रेखाएं दो भागों में बंट जाती हों, तो समाज में उसे सम्मान नहीं मिलता।
24. यदि सूर्य रेखा के साथ-साथ कई और सहायक रेखाएं दिखाई दें, तो वह जीवन में आश्चर्यजनक प्रगति प्राप्त करता है।
25. यदि विवाह रेखा के द्वारा सूर्य रेखा कटी हुई हो, तो उसका गृहस्थ जीवन पूर्णतः दुखमय होता है।
26. यदि सूर्य रेखा से कोई एक रेखा मस्तिष्क रेखा की ओर जाती हो, तो उसे जीवन में पूर्ण धन-लाभ रहता है।
27. यदि इस रेखा पर चतुर्भुज का चिन्ह हो, तो उसे प्रारम्भ में बहुत ज्यादा असफलताएं मिलती हैं, परन्तु अन्त में पूर्ण सफलता मिल जाती है।
28. यदि इस रेखा को तीन-चार रेखाएं काटती हों, तो वह जीवन में किसी भी कार्य में सफल नहीं होता ।
29. यदि शनि पर्वत से कोई रेखा निकलकर सूर्य रेखा को काटती हो, तो आर्थिक कमी की वजह से वह जीवन में सफल नहीं हो पाता।
30. यदि यह रेखा स्पष्ट हो पर साथ में कुछ लहरदार रेखाएं दिखाई दें तो उस व्यक्ति की प्रतिभा का कोई उपयोग नहीं होता ।
31. यदि सूर्य रेखा गहरी हो और इसके दोनों ओर सहायक रेखाएं चल रही हों, तो उस व्यक्ति को उच्चस्तरीय सम्मान मिलता है।
32. यदि सूर्य रेखा से कोई शाखा निकलकर शनि पर्वत की ओर जाती है, तो उस पर्वत के विशेष गुण व्यक्ति को प्राप्त होते हैं।
33. यदि सूर्य रेखा से कोई शाखा निकलकर गुरु पर्वत पर पहुंचे तो उस व्यक्ति को जीवन में श्रेष्ठ राज्य पद प्राप्त होते हैं।
34. यदि इस रेखा के आस-पास बहुत सी छोटी-छोटी रेखाएं दिखाई दें तो उसके जीवन में आर्थिक बाधा रहती है।
35. यदि हृदय रेखा से निकलकर कोई शाखा त्रिशूलवत् बन कर सूर्य रेखा को स्पर्श करे, तो ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में स्वयं के प्रयत्नों से ही सफलता प्राप्त करता है।
36. यदि अनामिका उंगली टेढ़ी-मेढ़ी हो पर सूर्य रेखा स्पष्ट हो, तो उसे अपराध पूर्ण कार्यों से यश मिलता है।
37. यदि सूर्य रेखा के अन्त में तीन रेखाएं दिखाई दें तो उसे जीवन में आर्थिक दृष्टि से कोई कमी नहीं रहती ।
38. यदि यह रेखा बार-बार टूट कर बढ़ रही हो, तो वह अपने आलस्य के कारण ही सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है।
39. यदि यह रेखा जंजीरदार हो, तो उस व्यक्ति के जीवन में काफी बाधाएं रहती हैं।
40. यदि यह रेखा टेढ़ी-मेढ़ी हो, तो उस व्यक्ति के कार्य ही उसके जीवन में बाधाएं उत्पन्न करते हैं।
41. यदि हथेली में भाग्य रेखा तथा सूर्य रेखा दोनों ही श्रेष्ठ हों, तो उसका जीवन सभी दृष्टियों से श्रेष्ठ होता है।
42. यदि रेखा के अन्त में द्वीप हो तो वह व्यक्ति जीवन भर बीमार बना रहता है।
वस्तुतः सूर्य रेखा व्यक्ति के जीवन को और उसके भाग्य को समझने के लिए बहुत अधिक उपयोगी है। अतः हस्तरेखा विशेषज्ञ को सूर्य रेखा का अत्यन्त सूक्ष्मता और गहराई से अध्ययन करना चाहिए।
0 Comments